
25/07/2025
प्राचीन काल में, एक तपस्वी ऋषि हिमालय की तराइयों मेंगहन तपस्या में लीन थे। वे भगवान शिव के परम भक्त थेऔर जीवन का हर क्षण शिव भक्ति में समर्पित कर चुके थे।कई वर्षों की कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव उनसे प्रसन्नरहुए और उन्हें दर्शन दिए।
ऋषि ने भगवान शिव से एक ही वरदान माँगा:
"हे भोलेनाथ, आप इस स्थान पर सदैव विराजमान रहें,ताकि जो भी भक्त यहां आए, उन्हें आपकी कृपा मिलसके।"
भगवान शिव ने इस स्थान पर स्वयंभू शिवलिंग के रूप मेंप्रकट होने का वचन दिया। यही वह शिवलिंग है जो आज भीइस घने वन में एक छोटे जलप्रवाह के पास स्थित है।
सदियों से, यह स्थल गुप्त शिव स्थल के रूप में जाना जाताहै, जहाँ केवल सच्चे भक्तों को ही मार्गदर्शन मिलता है। कहाजाता है किे यहाँ जल अर्पित करने से व्यक्ति के सारे पाप नष्टरहो जाते हैं, और उसके जीवन में आध्यात्मिक शांति आ जाती