Fans Malti Chauhan

Fans Malti Chauhan हम लोगों को दुख है कि मालती चौहान हमारे बीच नहीं है 😓😥😢😭😭😭😭😭
fans malti Chauhan

मालती चौहान उस शाम अकेली बैठी थी…सूरज ढल रहा था, पर उसके दिल में अभी भी एक पुरानी क़मक़माती उम्मीद की लौ जल रही थी।उसने ...
01/12/2025

मालती चौहान उस शाम अकेली बैठी थी…

सूरज ढल रहा था, पर उसके दिल में अभी भी एक पुरानी क़मक़माती उम्मीद की लौ जल रही थी।
उसने आसमान की तरफ देखा और मन ही मन कहा—

“कभी-कभी इंसान टूट कर भी ज़िंदा रहता है… पर मैं टूटकर भी हारने वाली नहीं।”

गाँव की पगडंडी पर उसकी साड़ी का पल्लू हवा में हल्का-सा उड़ता रहा, और उसके चेहरे पर भावनाओं का तूफान साफ़ दिख रहा था।
वह रोना चाहती थी, पर आँसू जैसे आँखों में अटके रह गए।
दिल भारी था… बहुत भारी।

क्योंकि वह जानती थी—
प्यार से ज़्यादा दर्द वही महसूस करता है, जिसका दिल सच में सच्चा होता है।

---

मालती ने धीरे से अपनी हथेली खोली…

उसमें एक छोटी-सी टूटी माला की मोती जड़े थे—
वही जो उसने कभी किसी की खुशी के लिए पहनी थी।
वह मोती उसके लिए गहना नहीं थे…
एक वादा थे।
एक अधूरा सपना…
एक नाम, जिसे वह आज भी अपने दिल में छुपाए हुए है।

आज उसे लगा जैसे हवा भी उसकी चुप्पी को पढ़ रही हो।
उसने हल्का सा मुस्कुराकर कहा—

“शायद मैं किसी की किस्मत न बन सकी…
पर अब मैं अपनी खुद की तक़दीर लिखूँगी।”

---

उसने आँचल संभाला, और उठ खड़ी हुई।

आँखों में चमक थी—
दर्द की नहीं…
बल्कि एक नई शुरुआत की।

क्योंकि मालती चौहान जान चुकी थी—
जिंदगी उसे जितना भी रुलाए,
पर उसके कदम अब पीछे नहीं हटेंगे।

आज से नहीं…
यहीं से उसकी कहानी फिर से शुरू होती है।











🌹 Malti Chauhan और Vishnu Raj – दिल से दिल तक की नई कहानी 🌹गाँव की तंग गलियों में अक्सर Malti Chauhan का लाल दुपट्टा हवा...
30/11/2025

🌹 Malti Chauhan और Vishnu Raj – दिल से दिल तक की नई कहानी 🌹

गाँव की तंग गलियों में अक्सर Malti Chauhan का लाल दुपट्टा हवा में लहराता था।
और उस दुपट्टे की खुशबू के पीछे–पीछे जैसे Vishnu Raj का दिल चलता था।

Vishnu अक्सर दूर से Malti को देखकर मुस्कुरा देता…
और Malti? वह भी उसकी चोरी–चोरी निगाहों को महसूस कर लेती थी,
लेकिन हर बार ऐसे दिखाती जैसे कुछ पता ही न हो।

एक दिन शाम को, सूरज ढल रहा था।
Malti चौपाल के पास खड़ी थी, और हवा उसके बालों को छेड़ रही थी।
Vishnu धीरे से पास आया और बोला—

“Malti… अगर मैं कुछ कहूँ, तो नाराज़ तो नहीं होगी?”

Malti ने नज़रें झुकाते हुए कहा—
“सुनेंगे नहीं तो पता कैसे चलेगा…”

Vishnu ने हिम्मत जुटाई—
“तुम्हें देखता हूँ न… तो लगता है ज़िंदगी अचानक खूबसूरत हो गई है।
मेरी हर मुस्कान का कारण तुम हो।”

Malti ने हल्की मुस्कान के साथ सिर उठाया—
“और मेरी हर धड़कन में… तुम।”

उस पल हवा भी जैसे थम गई।
दोनों एक-दूसरे को देखते रहे,
जैसे उनके बीच कोई अनकहा वादा चल रहा हो—
साथ चलने का, साथ निभाने का, और साथ जीने का।

Vishnu ने Malti का हाथ थामते हुए कहा—
“अब ये रिश्ता सिर्फ़ दिल का नहीं… हमारी दुआओं का भी है।”

Malti ने मुस्कुराकर जवाब दिया—
“और मेरी दुआ में तुम ही हो, Vishnu।”

उस शाम से दोनों की दुनिया बदल गई—
गाँव वही था, रास्ते वही थे,
पर हर कदम पर अब उनका प्यार साथ चलने लगा।

❤️



💔❤️ मालती चौहान और विष्णु राज — एक ऐसा प्यार, जो टूटकर भी जुड़ गया…मालती चौहान की ज़िंदगी हमेशा से सादगी और मुस्कान का म...
30/11/2025

💔❤️ मालती चौहान और विष्णु राज — एक ऐसा प्यार, जो टूटकर भी जुड़ गया…

मालती चौहान की ज़िंदगी हमेशा से सादगी और मुस्कान का मेल थी। गाँव की गलियों में उसकी हंसी किसी त्योहार की तरह गूंजती थी। पर अंदर-अंदर वह जिम्मेदारियों से भरी लड़की थी—जिसे खुद के लिए समय ही कहाँ मिला था…

उधर विष्णु राज, शांत स्वभाव का, लेकिन आँखों में सपनों का पूरा आकाश लिए हुए लड़का।
वह हर दिन मालती को स्कूल जाते हुए देखता था…
कभी कुछ कह नहीं पाया—बस दिल से चाहता रहा।

🌧 एक दिन बारिश ने सब बदल दिया…

मालती कच्ची सड़क पर फिसलकर गिर गई।
छाता लेकर खड़ा वही था—विष्णु।
पहली बार उसने मालती की आँखों में डर नहीं, भरोसा देखा।

मालती ने हल्की मुस्कुराहट में पूछा,
“क्यों? हर बार ऐसे ही बचाने आ जाते हो?”
विष्णु ने शर्माते हुए कहा,
“क्योंकि आप गिर जाएँ… ये मैं देख नहीं सकता।”

बारिशें थमती रहीं, पर दोनों के दिल भीगते-भीगते करीब आते गए।

💞 प्यार कब हुआ—पता ही नहीं चला…

कभी खेतों के किनारे छोटी-सी बात,
कभी मेले में चार कदम साथ चलना,
कभी बिना बोले एक-दूसरे को समझ लेना—
इन छोटी मुलाक़ातों ने धीरे-धीरे दोनों के दिलों में एक-दूसरे की जगह पक्की कर दी।

मालती अक्सर कहती,
“मैं बहुत साधारण हूँ, पता नहीं तुम क्यों इतना सोचते हो मेरे बारे में…”
विष्णु मुस्कराकर जवाब देता,
“साधारण चीज़ें ही सबसे ख़ास होती हैं… जैसे तुम।”

🌙 लेकिन हर प्रेम कथा आसान कहाँ होती है…

रिश्तेदारों ने ताना दिया,
कुछ लोगों ने मज़ाक उड़ाया,
किसी ने कहा—“ये रिश्ता चलेगा नहीं…”

पर दोनों में एक अजीब-सी हिम्मत आ गई थी।
वे जानते थे—
“जो दिल से जुड़ते हैं, उन्हें दुनिया नहीं तोड़ सकती।”

💍 और फिर… वह दिन भी आया

मालती के घर वाले मान गए।
विष्णु के माता-पिता ने भी सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया।

जब मालती ने सुहाग की चूड़ियाँ पहनीं,
विष्णु ने उसके हाथ पकड़कर बस इतना कहा—
“अब जो भी रास्ता होगा… साथ चलेंगे।”

और मालती की आँखों से आँसू गिर पड़े—
खुशी के, अपनेपन के…
उस प्यार के, जिसे उसने कभी चाहकर भी बयान नहीं किया था।

---

**❤️✨ यह थी मालती चौहान और विष्णु राज की प्रेेम कथा—




















💔 “क्या मालती चौहान… और क्या हो गई एक ‘बाबू’” — एक दर्द भरी कहानी 💔मालती चौहान की मुस्कान गाँव भर में मशहूर थी।लोग कहते ...
29/11/2025

💔 “क्या मालती चौहान… और क्या हो गई एक ‘बाबू’” — एक दर्द भरी कहानी 💔

मालती चौहान की मुस्कान गाँव भर में मशहूर थी।
लोग कहते थे— “जिस दिन मालती हँस दे, लगता है सूरज थोड़ा ज़्यादा चमक गया।”
लेकिन कोई नहीं जानता था कि उस मुस्कान के पीछे कितना भारी दर्द छुपा है।

मालती की शादी बहुत छोटी उम्र में हो गई थी।
ससुराल आते ही उसने अपनी नई ज़िंदगी को पूरे मन से अपनाया—
माथे पर सिंदूर, गले में काला धागा, और दिल में ढेर सारा प्यार…

पर किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था।

शादी के दो साल बाद मालती माँ बनने वाली थी।
उसकी दुनिया में खुशियों के रंग भर रहे थे—
वो रोज़ पेट पर हाथ रखकर कहती,
“मेरे लाल, जल्दी आना… तेरी माँ बहुत इंतज़ार कर रही है।”

लेकिन एक शाम तेज़ बारिश में, घर लौटते समय उसके पति का एक्सीडेंट हो गया।
अस्पताल में डॉक्टर ने सिर्फ़ एक लाइन कही—
“हम उन्हें बचा नहीं पाए…”

उस पल मालती की दुनिया बिल्कुल टूट गई।
सिंदूर का रंग उसी दिन उसके माथे पर जम गया था…
पर दिल का लाल रंग हमेशा के लिए फीका पड़ गया।

मालती रोई… बहुत रोई।
पर उसके पेट में पल रही नन्ही जान को भी तो दुनिया में आना था।

कुछ महीनों बाद मालती ने एक सुंदर से बेटे को जन्म दिया।
सारा गाँव उसे “बाबू” कहकर बुलाने लगा।
मालती जब भी उसे सीने से लगाती, आँखों से आँसू गिरते,
पर होंठों पर एक हल्की मुस्कान आ जाती—

“मेरे बाबू, तू ही तो मेरे सुहाग की आख़िरी निशानी है…”

मालती अकेले सब करती—
खेत की मजदूरी, घर का काम, और बाबू की परवरिश।
कभी-कभी थककर वो बच्चे को देखती और कहती—

“तेरी माँ मज़बूत है बेटा… तू मेरे लिए रोएगा नहीं।”

लेकिन एक रात बाबू को तेज़ बुखार हुआ।
गाँव में दवाई नहीं मिली।
मालती उसे गोद में लेकर पूरी रात चलती रही—
कीचड़, अँधेरा, ठंडी हवा…
पर कदम नहीं रुके।

अस्पताल पहुँचते-पहुँचते सुबह हो चुकी थी।

डॉक्टर ने जाँच कर कहा—
“देर हो गई थी… बच्चा बहुत कमजोर है।”

मालती काँप गई।
उसने हाथ जोड़कर रोते हुए कहा—
“डॉक्टर साहब, मेरा सब कुछ यही है… इसे बचा लो।”

कुछ घंटे बाद बाबू की आँखें खुलीं।
उसने पहली बार मुस्कुराकर अपनी माँ की ऊँगली पकड़ ली।
वो छोटी सी मुस्कान मालती को फिर से जिंदा कर गई।

महीनों बीतते गए…
मालती मजदूरी करके, भूखी रहकर भी बाबू को दूध पिलाती, दवाई दिलाती, स्कूल भेजती।
लोग कहते—

“मालती चौहान तो बिलकुल बदल गई है… पहले जैसी चंचल लड़की अब एक पत्थर-सी मज़बूत माँ बन गई है।”

मालती बस मुस्कुराकर कहती—

“पहले मैं मालती थी…
अब मैं बाबू की माँ हूँ।
और एक माँ कभी हार नहीं मानती।”

---

✨ आख़िर में…

मालती अपने दर्द को छुपाकर दुनिया से लड़ती रही।
आज उसका बाबू बड़ा होकर पढ़-लिखकर अच्छा इंसान बन रहा है।
लोग आज भी कहते हैं—

“क्या मालती चौहान… और क्या हो गई एक ‘बाबू’!
माँ बनने के बाद जैसे भगवान ने उसमें दूसरी जान डाल दी हो।”

और मालती हर रात भगवान से सिर्फ एक ही दुआ माँगती है—

“हे भगवान, मेरा बाबू हमेशा मुस्कुराता रहे…
मेरी किस्मत में जितने भी आँसू हैं, सारे मुझे ही दे देना।”

#माँ_की_ममता
#मालती_चौहान
#बाबू_की_माँ


29/11/2025
💔 मालती चौहान और उसके बेटे की दुख भरी कहानीमालती चौहान की कहानी एक ऐसी यूट्यूबर महिला की है जो गरीबी से निकलकर सोशल मीडि...
28/11/2025

💔 मालती चौहान और उसके बेटे की दुख भरी कहानी
मालती चौहान की कहानी एक ऐसी यूट्यूबर महिला की है जो गरीबी से निकलकर सोशल मीडिया पर नाम कमाना चाहती थी, लेकिन उनका जीवन दुखों और विवादों से भरा रहा और अंत में एक दुखद मोड़ पर खत्म हो गया।
शुरुआत और प्रसिद्धि: मालती एक गरीब परिवार से थीं, लेकिन अपने बुलंद हौसलों के दम पर उन्होंने सोशल मीडिया पर शॉर्ट्स वीडियो बनाने शुरू किए। उनके वीडियो दर्शकों को पसंद आए और वह जल्दी ही एक प्रसिद्ध यूट्यूबर बन गईं।
पारिवारिक कलह और विवाद: उनकी प्रसिद्धि के साथ ही उनके निजी जीवन में उथल-पुथल शुरू हो गई। उनके और उनके पति विष्णु राज के बीच पिछले कुछ महीनों से विवाद चल रहा था, जो कई बार पुलिस थाने तक भी पहुंचा। उनके जीवन में कई विवादित घटनाएँ हुईं, जिसने उनके वैवाहिक रिश्ते को और खराब कर दिया।
दुखद अंत: नवंबर 2023 में, मालती चौहान की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। उनके मायके वालों ने उनके पति और अन्य ससुराल वालों पर दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज कराया, जिसके बाद उनके पति जेल में हैं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में आत्महत्या का मामला सामने आया।
मासूम बेटे युवराज का दुःख: इस पूरी घटना का सबसे दर्दनाक पहलू उनका मासूम बेटा युवराज है, जिसकी उम्र लगभग दो साल है।
मालती की असमय मृत्यु से न केवल उनके प्रशंसक दुखी हुए, बल्कि उनके छोटे बेटे युवराज के लिए यह एक बहुत बड़ा आघात था।
युवराज ने नम आँखों से अपनी माँ को मुखाग्नि दी, यह देखकर वहाँ मौजूद सभी लोगों की आँखें भर आईं।
पिता के जेल में होने और माँ के दुनिया में न रहने के कारण, अब युवराज अपनी मौसी के पास है। वह बार-बार अपनी माँ और पापा को याद करता है, जो उसके बचपन को तबाह करने वाली एक बहुत ही दर्द भरी घटना है।
मालती चौहान की कहानी उनके बेटे युवराज के अकेलेपन के साथ एक ऐसी दुखद कहानी है, जहाँ एक मासूम बच्चे ने बहुत कम उम्र में ही अपनी माँ को खो दिया और उसके पिता भी उसके पास नहीं हैं।










✨ देवर–भाभी की सबसे प्यारी जोड़ी ✨मालती चौहान और उनका छोटा देवर 💚गांव के बरगद के नीचे ली गई ये तस्वीर सिर्फ एक फोटो नहीं...
28/11/2025

✨ देवर–भाभी की सबसे प्यारी जोड़ी ✨
मालती चौहान और उनका छोटा देवर 💚

गांव के बरगद के नीचे ली गई ये तस्वीर सिर्फ एक फोटो नहीं…
ये रिश्तों की सबसे खूबसूरत मिसाल है।

मालती चौहान जब इस घर में आई थीं, तब उनका देवर चोटू बहुत छोटा था।
धीरे-धीरे मालती भाभी ने उसे पढ़ाया, संभाला, हौसला दिया…
और आज चोटू की हर खुशी, हर जीत… सबसे पहले भाभी के चेहरे पर मुस्कान लाती है।

👉 होमवर्क हो या मोबाइल चलाना
👉 शरारतें हों या दिल की बातें
चोटू की पहली आवाज़ हमेशा— “भाभी…!”

और मालती भाभी की एक ही दुआ—
“मेरा देवर हमेशा खुश रहे, तरक्की करे।”

जो लोग कहते हैं कि देवर-भाभी सिर्फ एक रिश्ता है,
उन्हें ये तस्वीर देखकर यकीन हो जाएगा—
ये रिश्ता सगा भाई-बहन से भी ज़्यादा प्यारा होता है।

🌿 रिश्ते खून से नहीं… दिल से बनते हैं। 🌿

देवरभाभी_की_जोड़ी




मालती चौहान ❤️ विष्णु राजरात के सन्नाटे में मालती चौहान अपनी छत पर बैठी आसमान देख रही थी। हवा में ठंडक थी, पर उसके दिल म...
25/11/2025

मालती चौहान ❤️ विष्णु राज

रात के सन्नाटे में मालती चौहान अपनी छत पर बैठी आसमान देख रही थी। हवा में ठंडक थी, पर उसके दिल में जाने क्यों एक अजीब-सा डर, एक बेचैनी पल रही थी।
कारण सिर्फ एक—विष्णु राज।

दोनों की दोस्ती बचपन की थी, पर मोहब्बत…
वह तो बिना बताए दिल में बस गई थी।
एक-दूसरे को अपना कहा कभी नहीं, मगर दोनों की दुनिया एक-दूसरे के बिना अधूरी थी।

विष्णु राज का घर बहुत साधारण था।
पिता बीमार, घर की हालत कमज़ोर।
लेकिन दिल… बेहद साफ और सच्चा।

मालती पढ़ने में तेज, घर की लाड़ली, और वही लड़की जिसके लिए गाँव में लोग कहते—
“मालती तो जहाँ जाएगी, रोशनी वहीं चमक उठेगी।”

लेकिन हालात कब दिल की सुनते हैं?

एक दिन विष्णु के पिता की तबियत अचानक बहुत बिगड़ गई।
विष्णु को नौकरी के लिए शहर जाना पड़ा,
और जाते हुए उसने मालती से कहा था—

“थोड़ा वक्त देना… मैं लौटकर सब ठीक कर दूँगा।”

मालती ने मुस्कुराकर सिर हिलाया था,
पर विदा के बाद पहली बार
उसने खुद को इतना अकेला महसूस किया था।

दिन बीते…
फिर महीना…
फिर एक साल।

फोन कम होने लगा,
फिर बंद।
और फिर सिर्फ खामोशी बची।

लोग फुसफुसाने लगे—
“विष्णु अब नहीं आएगा।”
“शहर जाकर लोग बदल जाते हैं।”

मालती बाहर से हँसती,
अंदर से हर दिन टूटती रही।
मगर उम्मीद…
वह कभी नहीं टूटी।

एक दिन शाम को घर में शोर मच गया।
दरवाजे पर कोई आया था—
फटे कपड़े, थका हुआ चेहरा, हाथ में दवाइयों का थैला…

विष्णु राज।

वह मालती के सामने खड़ा था,
पर आँखें उठाकर उसे देख भी नहीं पा रहा था।

मालती स्तब्ध खड़ी रही।
होंठों से आवाज़ न निकली,
बस आंखें भर आईं।

विष्णु धीरे से बोला—
“मालती… मुझे माफ़ कर देना।
पिता की बीमारी ने मुझे खा लिया…
न नौकरी बची, न पैसा,
न हिम्मत कि मैं तुमसे बात भी कर सकूँ।
मैं तुम्हारे काबिल ही नहीं रहा।”

मालती ने एक कदम आगे बढ़ाया।
वह उसकी थकी हथेलियाँ अपनी हथेलियों में लेकर बोली—

“काबिलियत पैसे से नहीं होती, विष्णु…
दिल से होती है।
और मेरा दिल आज भी तुम्हारी ही धड़कन से चलता है।”

विष्णु टूटकर रो पड़ा।
मालती ने उसे सीने से लगा लिया—
जैसे सालों का दर्द इसी एक पल में पिघलकर बह गया हो।

मालती ने घरवालों से कहा—
“जिसने मुश्किलों में खुद को खोकर भी मेरा सम्मान बचाए रखा…
मैं उसी के साथ अपनी जिंदगी चाहती हूँ।”

घर वाले पिघल गए।
शादी हुई…
साधारण, छोटी, पर दिल को छू लेने वाली।

विष्णु के पिता की हालत धीरे-धीरे सुधरने लगी।
मालती के आने से घर में जैसे उजाला फैल गया।

आज दोनों की छोटी-सी दुनिया है—
जहाँ ज्यादा सामान नहीं,
पर बहुत सारा प्यार है।

और मालती को अक्सर कहा जाता है—

“तुमने विष्णु को संभाला…”
पर वह बस मुस्कुरा देती है और कहती है—

“नहीं… हमने एक-दूसरे को बचाया है।”

❤️ मालती चौहान और विष्णु राज की लव स्टोरीगाँव की मिट्टी में पली-बढ़ी मालती चौहान हमेशा से हँसमुख और खिलखिलाती हुई लड़की ...
24/11/2025

❤️ मालती चौहान और विष्णु राज की लव स्टोरी

गाँव की मिट्टी में पली-बढ़ी मालती चौहान हमेशा से हँसमुख और खिलखिलाती हुई लड़की थी। उसके चेहरे पर ऐसी मासूम मुस्कान थी कि देखने वाला पलभर के लिए अपनी सारी परेशानियाँ भूल जाता।
वहीं विष्णु राज, शांत स्वभाव का, कम बोलने वाला लेकिन दिल से बेहद सच्चा लड़का… उसकी आँखों में अपनापन था और बातों में भरोसा।

दोनों की पहली मुलाकात एक शादी में हुई थी।
मालती रंग-बिरंगी चूड़ियों में सजी खड़ी थी और विष्णु दूर से उसे देख रहा था।
जब पहली बार उनकी नजरें मिलीं—
दोनों मुस्कुरा दिए, बिना कुछ कहे… जैसे दिल ने ही परिचय करवा दिया हो।

🌼 धीरे-धीरे दोस्ती… और फिर मोहब्बत

शुरुआत में दोनों बस एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराते थे।
फिर बातों का सिलसिला शुरू हुआ—
कभी त्योहार पर, कभी बाजार में, कभी रास्ते में…
और देखते ही देखते,
उनकी बातों में अपनापन,
और दिलों में मोहब्बत उतरने लगी।

मालती को विष्णु की सादगी भाती थी,
और विष्णु को मालती की हँसी से जैसे जिंदगी मिलती थी।

❤️ एक दिन विष्णु ने हिम्मत जुटाकर कहा—

“मालती, तुमसे बात किए बिना दिन पूरा नहीं होता…
क्या तुम मेरे साथ पूरी जिंदगी चलोगी?”

मालती ने शर्माते हुए कहा—
“अगर तुम साथ चल रहे हो,
तो रास्ता कभी मुश्किल नहीं होगा।”

बस, उसी पल उनकी कहानी ने नया मोड़ लिया।

🌙 रिश्ते में आई मुश्किलें

गांव में कुछ लोगों को यह रिश्ता पसंद नहीं था।
बातें होने लगीं, रोक-टोक शुरू हुई…
पर दोनों ने एक-दूसरे का हाथ नहीं छोड़ा।

मालती ने कहा:
“जिंदगी में अगर किसी का साथ सच्चा हो,
तो दुनिया की बातें छोटी लगने लगती हैं।”

विष्णु ने कहा:
“जब तुम हो मेरे साथ, मुझे किसी की चिंता नहीं।”

💍 और फिर…

एक दिन विष्णु, लाल साफा बांधे,
मालती के घर बारात लेकर पहुँच गया।
मालती नीली साड़ी में सजी इतनी खुबसूरत लग रही थी
कि हर कोई कह उठा—
“अरे ये तो स्वर्ग से आई जोड़ी लगती है!”

दोनों ने सात फेरे लिए,
और कसम खाई—
“हमारी कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट की नहीं…
सच्चे दिल की लिखी हुई होगी।”

🌟 आज…

आज मालती चौहान और विष्णु राज की तस्वीरें देखकर लोग कहते हैं—
“सच्चा प्यार चाहे छोटा गांव हो या बड़ा शहर…
अपना रास्ता खुद बना ही लेता है।”

उनके चेहरे पर वही पहली वाली मुस्कान है,
जो बताती है कि
मोहब्बत सिर्फ मिलने का नाम नहीं,
बल्कि साथ निभाने का वादा है।

---





























✨ मालती चौहान की “भूख” – एक दिल छू लेने वाली कहानी ✨मालती चौहान उस दिन स्कूल से लौट रही थी। हाथ में उसकी टिफ़िन बॉक्स थी...
24/11/2025

✨ मालती चौहान की “भूख” – एक दिल छू लेने वाली कहानी ✨

मालती चौहान उस दिन स्कूल से लौट रही थी। हाथ में उसकी टिफ़िन बॉक्स थी, जो आज भी वैसे ही भरा हुआ था। वजह वही—घर में खाने को कुछ नहीं था, तो टिफ़िन में क्या भरती?

रास्ते में उसने देखा—एक छोटा सा बच्चा कूड़े के ढेर में से कुछ ढूंढ रहा था। शरीर पर धूल, आंखों में भूख, और चेहरे पर वो दर्द जो मालती ने अपनी जिंदगी में कई बार देखा था।

मालती उसके पास जाकर बोली,
“क्या ढूंढ रहे हो, भाई?”

बच्चा हिचकिचाते हुए बोला,
“कुछ खाने को… बहुत भूख लगी है।”

मालती चुप रही, उसकी आंखें नम हो गईं। खुद के पेट में भी घंटों से आग लगी थी, पर उसने बिना पल सोचे अपना पूरा टिफ़िन उस बच्चे की तरफ बढ़ा दिया।

बच्चे ने ताज्जुब से पूछा,
“तुम नहीं खाओगी?”

मालती मुस्कुराई,
“खाना तो रोज़ नहीं मिलता… पर किसी की भूख मिटाना, शायद मुझे आज मिल गया।”

बच्चा खुश होकर खाना खाने लगा। मालती उसे देखती रही… और पहली बार उसे लगा कि दुनिया में सबसे बड़ा सुख किसी के पेट की भूख मिटाने में है।

उसी शाम जब मालती घर पहुंची, मां ने रोटी का आखिरी टुकड़ा उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा,
“आज भगवान ने भी हमारी भूख सुन ली, बेटा।”

मालती समझ गई—
जिसे वह किसी और को दे आई थी… वही दुआ बनकर उसके घर लौट आई।

---

“भूख सिर्फ पेट की नहीं होती, इंसानियत की भी होती है… और मालती ने दोनों को भरना सीख लिया

💔 मालती चौहान की याद… एक अधूरी कहानी 💔कभी-कभी ज़िंदगी में कुछ लोग ऐसे मिल जाते हैं,जो हमारी हँसी भी बन जाते हैं… और हमार...
23/11/2025

💔 मालती चौहान की याद… एक अधूरी कहानी 💔

कभी-कभी ज़िंदगी में कुछ लोग ऐसे मिल जाते हैं,
जो हमारी हँसी भी बन जाते हैं… और हमारी वजह भी।
मालती चौहान भी मेरे लिए वैसी ही थी।

उसकी एक हँसी पूरे कमरे को रोशन कर देती थी।
पता नहीं वो क्या जादू था उसके चेहरे पर—
थकी हुई शाम हो या भरी दोपहर,
जब भी वो सामने आती थी, सब थकान गायब हो जाती थी।

वो काम करते-करते भी मस्ती कर लेती थी,
और जब गुस्सा आती थी तो बस 2 मिनट में फिर हँस देती थी।
उसकी वही मासूमियत… वही सादगी…
आज भी आंखों के सामने घूम जाती है।

फिर एक दिन…
वो यूँ ही हँसते-हँसते बोली थी,
“देख न, एक दिन मैं चली जाऊँगी, फिर रोएगा तू…”
और मैंने हँसकर कहा था,
“जा न… कहाँ जाएगी मुझसे दूर!”

कभी सोचा नहीं था कि उसकी ये बात
एक दिन सच बन जाएगी…

आज महीनों हो गए उसे देखे हुए,
ना उसकी आवाज़ आती है,
ना उसकी हँसी गूंजती है।
कभी-कभी लगता है—
काश एक बार फिर वो सामने बैठ जाए,
उसी मेज़ पर, उसी लाल चूड़ी के साथ,
और वही शरारती अंदाज़ में कहे,
“क्या देख रहा है… काम कर!”

मालती चौहान…
तू जहाँ भी है, खुश रहना।
तेरी कमी हर दिन खलती है…
और तेरी याद आँखों में नमी छोड़ जाती है।

तू गई नहीं है मालती…
तेरी याद आज भी वहीं बैठी है,
ठीक उसी कुर्सी पर…
जहाँ तू आखिरी बार मुस्कुराई थी।
💔😭


























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