kattar_hindu__boy

kattar_hindu__boy ‼️ जय श्री राम ‼️

24/11/2024

*धर्म सुरक्षित नहीं तो कुछ भी सुरक्षित नहीं*

पैसा कमाया

*सिंध में सिंधीयो* ने ,

1947 में जब धर्म सुरक्षित न रहा तो सब छोड़कर भागना पड़ा सिंध से

पैसा कमाया

*कश्मीर में पंडितों* ने ,

बाद में केसर के खेत छोड़ कर भागना पड़ा कश्मीर से....

*जूट व्यापारियों ने खूब पैसा बनाया बंगाल में* ,

बाद में मालूम पड़ा की बंगाल तो उधर रह गया ये तो पूरब पाकिस्तान (1971 से बांग्लादेश) है तो भागना पड़ा बांग्लादेश से

*पैसा कमाओ अच्छी बात है*... लेकिन धर्म व सुरक्षा में भी लगाओ.....

*धर्म और देश के लिए सुबह 1 घंटा समय भी दो*

वरना सारा कमाया छोड़ भागने को तैयार रहो......

*🔱⚔️ जय महाकाल*

*✍️ जब तक जिहादी मानसिकता की हकीकत काफिर कन्याओं को ज्ञात नहीं होगी तब तक यह लव जिहाद समाप्त नहीं होने वाला**✍️ बाल्यावस...
19/10/2024

*✍️ जब तक जिहादी मानसिकता की हकीकत काफिर कन्याओं को ज्ञात नहीं होगी तब तक यह लव जिहाद समाप्त नहीं होने वाला*

*✍️ बाल्यावस्था से बेटियों को इन दुष्टों के कुकर्मों की जानकारी देते रहें तभी लाभ हो पाएगा अन्यथा ये सूचनाएं आती रहेंगी..*

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*💞 💞 💞 उत्तर प्रदेश में बरेली जिले के बिथरी चैनपुर क्षेत्र से एक और लव जिहाद का मामला सामने आया है, जहाँ मुस्लिम युवक आशिक अंसारी पर आरोप है कि उसने एक हिंदू युवती को बहला-फुसलाकर उसका अपहरण किया और जबरन धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश की।*

*⭕️ इस घटना ने गाँव में तनाव का माहौल पैदा कर दिया है, जिसके चलते पुलिस ने सुरक्षा के लिए गाँव में फोर्स तैनात की है। फिलहाल आरोपित फरार है और युवती का भी कुछ पता नहीं चल पाया है।*

*⭕️ परिवार ने आरोप लगाया कि आशिक अंसारी के परिवार और उसके दोस्तों ने इस अपहरण में उसकी मदद की है। युवती के साथ घर से कुछ जेवरात और 10 हजार रुपये नकदी भी गायब थी। युवती के पिता ने पुलिस को बताया कि उनकी बेटी पूरी तरह से लव जिहाद के षड्यंत्र का शिकार हुई है और आशंका है कि उसका मतांतरण भी कराया जा सकता है।*

बरेली पुलिस ने आशिक अंसारी, उसके परिवार और दोस्तों के खिलाफ अपहरण और धर्म परिवर्तन के आरोपों में मामला दर्ज कर लिय.....

19/10/2024

*● वह कहते मस्जिद कि तरफ से जाने नहीं देंगे सोचों तुम भारत में हो या पाकिस्तान में।*

*● बहुसंख्यक होने के बाद भी यदि हम अल्पसंख्यकों से भयभीत हैं तो विचार करो जब हम अल्पसंख्यक हो जाएंगे तो क्या हमारा अस्तित्व भी बचेगा।*

*● वैसे अधिकतर हिन्दू सेक्युलर हैं और उन्हें हिन्दू मानना भी एक भ्रम है क्योंकि टोपी धारण करने में वो संकोच नही करेंगे, इसलिए बहुसंख्यकों की श्रेणी भी उचित नहीं*

*विचार अवश्य करना जय श्रीराम🚩🚩🚩*

18/12/2023

*🛑 "जय श्रीराम कट्टर समिति" की ओर से प्रस्तुत स्वास्थ्य सम्बन्धित ज्ञान अवश्य अर्जित करें !*

*🌹 आयुर्वेद के महान ज्ञाता ऋषि वाग्भट्ट द्वारा रचित पुस्तक अष्टांगहृदयम् अवश्य पठन करें*

*♦️ दिनचर्या,ऋतुचर्या रोगों की उत्पत्ति के कारण, आहार द्रव्यों का ज्ञान,अन्न द्रव्यों का ज्ञान*

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*■ त्यागः प्रज्ञापराधानामिन्द्रियोपशमः स्मृतिः। देशकालात्मविज्ञानं सद्वृत्तस्यानुवर्तेंनम् ।। अथर्वविहिता शान्तिः प्रतिकूलग्रहार्चनम् । भूताद्यस्पर्शनोपायो निर्दिष्टश्च पृथक् पृथक् ।। अनत्पत्यै समासेन विधिरेष प्रदर्शितःनिजागन्तुविकाराङ्गामुत्पन्नानां च शान्तये ।।*

*🔅 अर्थ : रोगों का चिकित्सासूत्र-प्रज्ञापराधों का त्याग, इन्द्रियों में शान्ति स्मरण शक्ति का उद्बोधन, देश, काल और आत्मा का विज्ञान अर्थात् मैं किस वातादि प्रकृति का हूं उसका पूर्ण ज्ञान और सदूत का पालन करना। अथर्ववेद में बतायी गयी शान्तियों का सेवन प्रतिकूल सूर्यादि ग्रहों की पूजा भूत प्रेतादि का शरीर में आवेश न हो इसके लिए अलग-अलग उपाय भूतबाधा प्रतिषेध नामक उतरतंत्र को अध्याय में बताया गया है। उसका सेवन करने से निज और आगन्तुक रोगों के न होने का संक्षेपोपाय बताया गया है। और उत्पन्न व्याधियों की चिकित्सा भी इन्हीं के द्वारा बतायी गयी है।*

*🔹️ विश्लेषण : यहाँ यह संक्षेप में निज या आगन्तुक रोगों के न होने तथा उत्पन्न रोगों के शान्ति का उपाय बताया गया है। प्राज्ञापराध अर्थात् असत् आचरण इसका त्याग जैसे-इन्द्रियों में शान्ति से इन्द्रियों का विषयों के साथ अतियोग मिथ्यायोग और हीनयोग का न होना, स्मृति से पूर्व में किये गए आहार विहार का समुचित रूप में स्मरण होना, देश से जांगल आनूप साधारण, काल से शीत वर्षा और उषण काल आदि, विज्ञान से में किस प्रकृति का हूं और मेरे लिए कौन कौन सा आहार-विहारअनुकूल पड़ता है इसका ज्ञान होना रोगों के उत्पन्न न होने का मुख्य कारण है। इस प्रकार दिनरात का विचार कर कार्य क रने वाला व्यक्ति किसी भी प्रकार रोगों से पीड़ित नहीं होता है। विशेषकर भूत प्रेतादि के आवेश से तथा सूर्यादि ग्रहों के प्रतिकूल होने से रोग होते हैं इसमें अथर्ववेद में बतायी गयी शान्ति करनी चाहिये। यदि ग्रह की दुष्ट दशा हो तो ग्रहों की पूजा करनी चाहिये। और इस ग्रंथ में भी भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न देवादि ग्रह पकड़ न सके इसका उपाय सवृत में एवं अनागतवाधा प्रतिषेध अध्याय में बताया गया है।*

*■ विशोधयन् ग्रीष्मजमनकाले । घनात्यये वार्षिकमाशु सम्यक् प्राप्नोति रोगानृतुजान्न जातु ।।*

*🔅 अर्थ : मलों को शोधन का काल-शीतकाल अर्थात् हेमन्त और शिशिर ऋतु में संचित कफ दोष का चय अर्थात् समूह को वसन्त ऋतु में, ग्रीष्म में, संचित बात को वर्षा काल में, वर्षाकाल में संचित पित्त को शरद ऋतु में निकालते हुए व्यक्ति को ऋतुओं में स्वभाव से होने वाले रोग नहीं होते हैं।*

*🔹️ विश्लेषण : ऋतुओं में दो प्रकार के रोग होते हैं। 1- स्वाभाभिक ऋतु में दोष संचय जन्य और दूसरे ऋतु के बिगड़ने पर। यहाँ स्वभाव से संचित हुए दोषों को निकालने के लिए निर्देश किया गया है, क्योंकि ऋतु के विपरीत होने पर किस दोष से कौन सा रोग होगा यह निश्चित नहीं रहता। क्योंकि ऋतु विपरीत में सहसा दोषों का प्रकोप विना संचय हुये ही हो जाता है, और स्वाभाविक ऋतु वर्षा में वात शरद में पित्त और बसन्त में कफ का प्रकोप होता ही है। इस लिये प्रकोप होने के पूर्व शोधन कर दिया जाता है। सुश्रुत ने-*

*■ 'श्रावणे कार्तिके चैत्र' मासि, साधारणे क्रमात्। ग्रीष्म वर्षा हिमचितान्वारूवादीनाशु निर्हरेत ।।*

*🔅 अर्थ : वर्षा के प्रथम श्रावण, शरद के प्रथम कार्त्तिक और बसन्त के प्रथम चैत मास में शोधन का विधान बताया है।*

*■ नित्यं हिताहारविहारसेवी समीक्ष्यकारी विषयेष्वसक्तः । दाता समः सत्यपरः क्षमावा नाप्तोपसेवी च भवत्यरोगः ।। इति श्रीवैद्यपतिसिंहगुप्तसूनुश्रीमद्वाग्मटविरचिताया- मष्टाङ्गहृदयसंहितायां सूत्रस्थाने रोगानुत्पाद- नोयो नाम चतुर्थों ध्यायः ।।*

*🔅 अर्थ : स्वस्थ रहने का उपाय-निरन्तर हित आहार-विहार का सेवन करने वाला, अच्छी प्रकार विचार कर कार्य करने वाला, कामादि विष्यों में आसक्त न रहने वाला, निरन्तर दान देने वाला, समान रूप से सभी वस्तु को देखने और समझने वाला, सत्य प्रधान वचन वाला, सहनशील तथाा आप्त (विश्वास पात्र) जनों की सेवा करने वाला, अर्थात् विश्वास करने वाले व्यक्तियों के साथ निरन्तर रहने वाला मनुष्य रोग रहित रहता है।*

10/07/2023

*🕉 शिव पुराण 🕉*

*🔰 चौथा अध्याय - (शिव पुराण महात्म्य)*

*⚜️ विषय - चंचला की शिव कथा सुनने में रुचि और शिवलोक गमन*

*♦ उस अमृतमयी शिवपुराण कथा को सुनने के लिए मेरे मन में बड़ी श्रद्धा हो रही है। कृपया आप मुझे उसे सुनाइए । सूत जी कहते हैं - शिव पुराण की कथा सुनने की इच्छा मन में लिए हुए चंचुला उन ब्राह्मण देवता की सेवा में वहीं रहने लगी। उस गोकर्ण नामक महाक्षेत्र में उन ब्राह्मण देवता के मुख से चंचुला शिव पुराण की भक्ति, ज्ञान और वैराग्य बढ़ाने वाली और मुक्ति देने वाली परम उत्तम कथा सुनकर कृतार्थ हुई। उसका चित्त शुद्ध हो गया। वह अपने हृदय में शिव के सगुण रूप का चिंतन करने लगी। वह सदैव शिव के सच्चिदानंदमय स्वरूप का स्मरण करती थी। तत्पश्चात, अपना समय पूर्ण होने पर चंचुला ने बिना किसी कष्ट के अपना शरीर त्याग दिया । उसे लेने के लिए एक दिव्य विमान वहां पहुंचा। यह विमान शोभा-साधनों से सजा था एवं शिव गणों से सुशोभित था ।*

*♦ चंचुला विमान से शिवपुरी पहुंची। उसके सारे पाप धुल गए। वह दिव्यांगना हो गई। वह गौरांगीदेवी मस्तक पर अर्धचंद्र का मुकुट व अन्य दिव्य आभूषण पहने शिवपुरी पहुंची। वहां उसने सनातन देवता त्रिनेत्रधारी महादेव शिव को देखा। सभी देवता उनकी सेवा में भक्तिभाव से उपस्थित थे। उनकी अंग कांति करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाशित हो रही थी। पांच मुख और हर मुख में तीन-तीन नेत्र थे, मस्तक पर अर्द्धचंद्राकार मुकुट शोभायमान हो रहा था। कंठ में नील चिन्ह था। उनके साथ में देवी गौरी विराजमान थीं, जो विद्युत पुंज के समान प्रकाशित हो रही थीं। महादेव जी की कांति कपूर के समान गौर थी। उनके शरीर पर श्वेत वस्त्र थे तथा शरीर श्वेत भस्म से युक्त था।*

*♦ इस प्रकार भगवान शिव के परम उज्ज्वल रूप के दर्शन कर चंचुला बहुत प्रसन्न हुई । उसने भगवान को बारंबार प्रणाम किया और हाथ जोड़कर प्रेम, आनंद और संतोष से युक्त हो विनीतभाव से खड़ी हो गई। उसके नेत्रों से आनंदाश्रुओं की धारा बहने लगी। भगवान शंकर व भगवती गौरी उमा ने करुणा के साथ सौम्य दृष्टि से देखकर चंचुला को अपने पास बुलाया। गौरी उमा ने उसे प्रेमपूर्वक अपनी सखी बना लिया। चंचुला सुखपूर्वक भगवान शिव के धाम में, उमा देवी की सखी के रूप में निवास करने लगी।*

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