27/05/2025
अंबाला
जल युद्ध की दहलीज़ पर अम्बाला शहर, हर घर में प्यास, हर ज़हन में आक्रोश :- निर्मल सिंह
अम्बाला शहर:-अम्बाला शहर इन दिनों एक असाधारण जल संकट की गिरफ्त में है—संकट, जो केवल आपूर्ति की कमी नहीं, बल्कि प्रशासनिक असंवेदनशीलता, योजनागत विफलता और राजनीतिक उपेक्षा का समेकित परिणाम प्रतीत होता है। नगर निगम के अंतर्गत आने वाले तीनों जलाशय (वाटर वर्क्स टैंक) अपनी कुल क्षमता का महज़ दस से पंद्रह प्रतिशत जल ही संचित कर पा रहे हैं। पीने योग्य जल की आपूर्ति लगभग ठप है, और अगली तीन से चार रातें अम्बाला शहर के नागरिकों के लिए एक संघर्षकाल साबित हो सकती हैं।
उन्होने कहा की जल आपूर्ति केन्द्रों की वास्तविकता भयावह रूप में सामने आई खड़ी है। भाखड़ा नहर से जल नहीं आ पा रहा। इस्माइलपुर ब्रांच, जहां से अम्बाला को पानी की मुख्य आपूर्ति होती है, वहां तूफ़ान के कारण विद्युत अवरोध उत्पन्न हुआ है, और लगातार बिजली के कटाव के चलते पम्प हाउस निष्क्रिय पड़े हैं। फलस्वरूप, टैंकों में जल भरने की प्रक्रिया रुक गई है। जो थोड़ा-बहुत जल पहुंच रहा है, वह सीधे फिल्ट्रेशन संयंत्र में डाला जा रहा है ताकि न्यूनतम आपूर्ति की जा सके। लेकिन यह आपूर्ति न पर्याप्त है, न ही टिकाऊ।
विधायक ने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार के समय इस परियोजना को कार्यान्वित किया गया था और खुदाई का कार्य भी प्रारंभ हुआ था। लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा सरकार ने न केवल इस योजना को रोक दिया, बल्कि उसके महत्व को भी नकार दिया। नतीजा—अंबाला जैसे ज़िले, जहां पानी की आवश्यकता औद्योगिक, शहरी और ग्रामीण—तीनों ही स्तरों पर चरम पर है, वह आज सूखते टैंकों और जलविहीन नलों की मार सह रहा है।
बिजली भी बनी बाधा, दोहरी मार झेल रहा शहर
चौधरी निर्मल सिंह ने आक्रोश के स्वर में कहा कि बिजली और पानी—दोनों बुनियादी ज़रूरतें—अंबाला में अब विलासिता बनती जा रही हैं। उन्होंने कहा“बिजली मंत्री अम्बाला से हैं उन्हें तुरंत इस विषय पर संज्ञान लेते हुए अधिकारियों को तुरंत निर्देश देने चाहिए बिजली की किल्लत ना हो अगर बिजली की किल्लत के चलते अम्बाला शहर के नागरिकों को पानी ना मिले तो बहुत ही शर्म की बात होगी। उन्होंने कहा की शहर में बिजली की भी किल्लत है और न उसके बिना पम्प हाउस चल रहे हैं। जब बिजली नहीं होगी, तो पानी कहां से आएगा? जो टैंक हैं, वे पहले ही दम तोड़ चुके हैं।”
उन्होंने इस संकट को प्रशासनिक नाकामी और भाजपा सरकार की लापरवाही बताते हुए कहा कि यदि शीघ्र समाधान न हुआ तो जनता के साथ वे स्वयं सड़कों पर उतरेंगे। उन्होंने जल एवं विद्युत विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की अकर्मण्यता पर भी प्रश्न उठाते हुए कहा कि शासन को अब शक्ति से कार्रवाई करनी चाहिए और जल संकट को युद्ध स्तर पर हल करना चाहिए।
स्थायी समाधान की पुनः मांग
विधायक ने दोहराया कि जल संकट का दीर्घकालिक और स्थायी समाधान केवल दादूपुर-नलवी नहर परियोजना के पुनरुद्धार में निहित है। उन्होंने कहा, “जल संकट आने वाले वर्षों में और गहराएगा। अगर सरकार अभी भी नहीं चेती, तो यह केवल अंबाला नहीं, पूरे हरियाणा के लिए आपात स्थिति बन जाएगी।”
अंत में उन्होंने नगर निगम को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि नागरिकों के बुनियादी अधिकारों की रक्षा के लिए पारदर्शी योजना और जनहितकारी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, न कि केवल काग़ज़ी घोषणाओं और ‘पानी के सपनों’ की।