
05/06/2025
विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष
"पर्यावरण शब्द" परि + आवरण से मिलकर बना है। 'परि' का आशय चारों ओर तथा 'आवरण' का आशय परिवेश है। दूसरे शब्दों में कहें तो पर्यावरण अर्थात वनस्पतियों, प्राणियों, और मानव जाति सहित समस्त सजीवों और उनके साथ सम्बन्धित भौतिक परिसर को पर्यावरण कहतें हैं वास्तव में पर्यावरण में वायु, जल, भूमि, पेड़-पौधे, जीव-जन्तु, मानव और उसकी विविध गतिविधियों के परिणाम आदि सभी का समावेश होता हैं।
पर्यावरण संरक्षण की समस्या प्रमुख रूप से विज्ञान के क्षेत्र में असीमित प्रगति तथा नये - नये आविष्कारों की स्पर्धा के कारण उत्पन्न हुई है वैज्ञानिक उपलब्धियों से मानव प्राकृतिक संतुलन को उपेक्षा की दृष्टि से देख रहा है। दूसरी ओर धरती पर जनसंख्या की निरंतर वृद्धि, औद्योगीकरण एवं शहरीकरण की तीव्र गति से बढने से प्रकृति के हरे भरे क्षेत्रों, पेड- पौधों, जंगल, वनों को समाप्त किया जा रहा है ।
साथियों हम सबको गर्व होना चाहिए कि हम लोग उस भारत में जन्मे हैं जहां अब के लगभग 2300 वर्षों पूर्व सम्राट अशोक महान का शासन हुआ करता था। "वसुधैव कुटुम्बकम" के जनक सम्राट अशोक ने पूरी वसुधा को अपना परिवार मान लिया था और वह कहते थे "सबे मुनिवे पजा ममा" अर्थात् सभी मानव मेरी सन्तान हैं। सम्राट अशोक महान के शिलालेखों से पता चलता है कि उन्होंने राज्य के विभिन्न स्थानों में मानव और पशुओं के लिए औषधियों की व्यवस्था व जड़ी-बूटियों को उगाने की व्यवस्था करवायी। गिरनार शिलालेख से स्पष्ट है कि सम्राट अशोक महान ने जनहित में पशुओं के लिए चिकित्सालय खुलवाये। राजमार्गों के किनारे वृक्ष लगवाने और कुएं खुदवाए ताकि मनुष्यों तथा पशुओं को पानी और वृक्षों के नीचे विश्राम की सुविधा प्राप्त हो सके।
सोचिए कितने दूरदर्शी थे सम्राट अशोक महान उन्होने आज हो रही पर्यावरण की समस्याओं को 2300 वर्षों पहले ही जान लिया था इसलिए उन्होने अपने शासनकाल में मानव जगत, पशु - पक्षियों के साथ - साथ वनस्पति जगत का समुचित ध्यान रखते हुए शासन किया था।
आज हम सभी को सम्राट अशोक महान के शासनकाल से प्रेरणा लेने की जरूरत है वर्ना पर्यावरण की उपेक्षा ही निकट भविष्य में मानव सभ्यता के विनाश का कारण बन सकती है इस स्थिति को ध्यान में रखकर सन 1992 में ब्राजील में विश्व के 174 देशों का "पृथ्वी सम्मेलन" आयोजित किया गया था। इसके पश्चात सन 2002 में जोहान्सबर्ग में पृथ्वी सम्मेलन आयोजित कर विश्व के सभी देशों को पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने के लिए अनेक उपाय सुझाए गये। वस्तुतः पर्यावरण के संरक्षण से ही धरती पर जीवन का संरक्षण हो सकता है, अन्यथा मंगल ग्रह आदि ग्रहों की तरह धरती का जीवन-चक्र भी एक दिन समाप्त हो जाएगा।