Vidyapith Academy

Vidyapith Academy COACHING CLASSES
1 TO 12TH

विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष"पर्यावरण शब्द" परि + आवरण  से मिलकर बना है। 'परि' का आशय चारों ओर तथा 'आवरण' का आशय परिवेश ...
05/06/2025

विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष

"पर्यावरण शब्द" परि + आवरण से मिलकर बना है। 'परि' का आशय चारों ओर तथा 'आवरण' का आशय परिवेश है। दूसरे शब्दों में कहें तो पर्यावरण अर्थात वनस्पतियों, प्राणियों, और मानव जाति सहित समस्त सजीवों और उनके साथ सम्बन्धित भौतिक परिसर को पर्यावरण कहतें हैं वास्तव में पर्यावरण में वायु, जल, भूमि, पेड़-पौधे, जीव-जन्तु, मानव और उसकी विविध गतिविधियों के परिणाम आदि सभी का समावेश होता हैं।

पर्यावरण संरक्षण की समस्या प्रमुख रूप से विज्ञान के क्षेत्र में असीमित प्रगति तथा नये - नये आविष्कारों की स्पर्धा के कारण उत्पन्न हुई है वैज्ञानिक उपलब्धियों से मानव प्राकृतिक संतुलन को उपेक्षा की दृष्टि से देख रहा है। दूसरी ओर धरती पर जनसंख्या की निरंतर वृद्धि, औद्योगीकरण एवं शहरीकरण की तीव्र गति से बढने से प्रकृति के हरे भरे क्षेत्रों, पेड- पौधों, जंगल, वनों को समाप्त किया जा रहा है ।

साथियों हम सबको गर्व होना चाहिए कि हम लोग उस भारत में जन्मे हैं जहां अब के लगभग 2300 वर्षों पूर्व सम्राट अशोक महान का शासन हुआ करता था। "वसुधैव कुटुम्बकम" के जनक सम्राट अशोक ने पूरी वसुधा को अपना परिवार मान लिया था और वह कहते थे "सबे मुनिवे पजा ममा" अर्थात् सभी मानव मेरी सन्तान हैं। सम्राट अशोक महान के शिलालेखों से पता चलता है कि उन्होंने राज्य के विभिन्न स्थानों में मानव और पशुओं के लिए औषधियों की व्यवस्था व जड़ी-बूटियों को उगाने की व्यवस्था करवायी। गिरनार शिलालेख से स्पष्ट है कि सम्राट अशोक महान ने जनहित में पशुओं के लिए चिकित्सालय खुलवाये। राजमार्गों के किनारे वृक्ष लगवाने और कुएं खुदवाए ताकि मनुष्यों तथा पशुओं को पानी और वृक्षों के नीचे विश्राम की सुविधा प्राप्त हो सके।

सोचिए कितने दूरदर्शी थे सम्राट अशोक महान उन्होने आज हो रही पर्यावरण की समस्याओं को 2300 वर्षों पहले ही जान लिया था इसलिए उन्होने अपने शासनकाल में मानव जगत, पशु - पक्षियों के साथ - साथ वनस्पति जगत का समुचित ध्यान रखते हुए शासन किया था।

आज हम सभी को सम्राट अशोक महान के शासनकाल से प्रेरणा लेने की जरूरत है वर्ना पर्यावरण की उपेक्षा ही निकट भविष्य में मानव सभ्यता के विनाश का कारण बन सकती है इस स्थिति को ध्यान में रखकर सन 1992 में ब्राजील में विश्व के 174 देशों का "पृथ्वी सम्मेलन" आयोजित किया गया था। इसके पश्चात सन 2002 में जोहान्सबर्ग में पृथ्वी सम्मेलन आयोजित कर विश्व के सभी देशों को पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने के लिए अनेक उपाय सुझाए गये। वस्तुतः पर्यावरण के संरक्षण से ही धरती पर जीवन का संरक्षण हो सकता है, अन्यथा मंगल ग्रह आदि ग्रहों की तरह धरती का जीवन-चक्र भी एक दिन समाप्त हो जाएगा।

विश्व को सर्वप्रथम सभ्यता का पाठ पढ़ाने वाले, समता समानता के संस्थापक, प्रकृति धम्म के अन्वेषक, महान मानवतावादी, महान दा...
12/05/2025

विश्व को सर्वप्रथम सभ्यता का पाठ पढ़ाने वाले, समता समानता के संस्थापक, प्रकृति धम्म के अन्वेषक, महान मानवतावादी, महान दार्शनिक, महान वैज्ञानिक, महान चिकित्सक, महान पर्यावरणविद्, महान समाजशास्त्री, महान अर्थशास्त्री एवं संसार के सौ महापुरुषों में प्रथम स्थान रखने वाले, अपने ज्ञान के आलोक से पूरे विश्व को आलोकित करने वाले, महाकारुणिक, महामानव, विश्वगुरु, साक्यमुनि तथागत गोतम बुध का जन्म 563 ई०पू० वैसाख मास की पूर्णिमा को हुआ था ।

यह अद्भुत संयोग है कि इसी दिन भगवान बुध को 528 ई० पू० में संबोधि लाभ हुआ और वैसाख मास की पूर्णिमा के दिन ही 483 ई० पू० को महापरिनिब्बान हुआ था। इसलिए इसे त्रिविध पावनी बुध पूर्णिमा कहा जाता है ।
इस पावन पर्व के अवसर पर आप सभी को हार्दिक बधाई देते हुए लोक मंगल की कामना करता है ।☸️☸️☸️

हृदय की गहाराइयों से सादर आभार
26/04/2025

हृदय की गहाराइयों से सादर आभार

विद्यापीठ एकेडमी की छात्रा आयुषी ने प्राप्त किया जिले में दूसरा स्थानकरकी माइनर(कर्मा)आज शुक्रवार को यू0 पी0 बोर्ड का 10...
25/04/2025

विद्यापीठ एकेडमी की छात्रा आयुषी ने प्राप्त किया जिले में दूसरा स्थान

करकी माइनर(कर्मा)

आज शुक्रवार को यू0 पी0 बोर्ड का 10वीं और 12वीं का रिजल्ट जारी किया गया,जिसमें विद्यापीठ एकेडमी(कोचिंग सेंटर) करकी माइनर हाईस्कूल की छात्रा आयुषी मौर्या पुत्री सर्वजीत कुमार 94.34%। अंक प्राप्त कर जनपद में दूसरा स्थान वही इंटरमीडिएट में अल्का मौर्या पुत्री सुजीत कुमार ने 82.22%अंक हासिल प्रथम स्थान हासिल की वही सेंटर का सौ प्रतिशत रिजल्ट रहा कोचिंग के संचालक अंशुमान मौर्य एवं मैनेजर शैलेन्द्र कुमार मौर्य ने बिटिया को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना किए,साथ ही अध्यापक मुबारक अली,जय हिंद चौहान,संदीप कुमार को भी बधाई दिए जिनके अथक मेहनत से परिणाम सकारात्मक बना और अगले सत्र के लिए भी बच्चों को संस्थान में आमंत्रित किए।

सामाजिक क्रांति के अग्रदूत,महान समाज सुधारक,  #महिला शिक्षा के जनक, महामना  #ज्योतिबा_फुले_जयंती पर समस्त देशवासियों को ...
11/04/2025

सामाजिक क्रांति के अग्रदूत,महान समाज सुधारक, #महिला शिक्षा के जनक, महामना #ज्योतिबा_फुले_जयंती पर समस्त देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं मंगलकामनाएं


Tiwari Abpnews

अमर शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का अदम्य साहस और बलिदान अतुलनीय है। मातृभूमि को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने का...
23/03/2025

अमर शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का अदम्य साहस और बलिदान अतुलनीय है। मातृभूमि को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने का उनका संकल्प और त्याग हर भारतवासी के हृदय में अमिट है।

अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव के बलिदान दिवस पर विनम्र श्रद्धांजलि!

सुप्रभात 🌹🌹
19/03/2025

सुप्रभात 🌹🌹

Good night
16/01/2025

Good night

13/01/2025

#शिक्षा, दिमाग़ को जिन्दा करने के लिए है।

*राष्ट्रनायिका माता फातिमा शेख*(*9जनवरी 1831, माता फातिमा शेख जन्मदिवस*)*भोजन हर जिवों के जीवन का आधार है,तो शिक्षा मानव...
09/01/2025

*राष्ट्रनायिका माता फातिमा शेख*

(*9जनवरी 1831, माता फातिमा शेख जन्मदिवस*)

*भोजन हर जिवों के जीवन का आधार है,तो शिक्षा मानव जीवन की ज्योति है जो जीवन में उजाला लाती है।*

*ऐसी हि एक रष्टानायिका माता फातिमा शेख, जो बच्चे, बच्चियों और महिलाओ को शिक्षा देने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उस महान माँ के जन्मदिवस पर उन्हें सतसत नमन।💐💐💐🙏🙏🙏*

(9जनवरी,1831 - 9अक्टूबर,1900)
महान समाजसुधारक, महिलाकल्याण स्वरूपा, शिक्षा ज्योति,भारत वर्ष कि प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका, राष्ट्रनायिका "फातिमा शेख" का जन्म 9जनवरी 1831 को हुआ था। आप राष्ट्रमाता सावित्रीबाई कि हर शैक्षणिक कार्यों में साथी थीं। फातिमा शेख, राष्ट्रपिता ज्योतिबाराव फुले के बचपन के मित्र उस्मान शेख (जुलाहा )परिवार से थी। फातिमा शेख भाई उस्मान शेख के साथ पुणे में रहती थीं।

अहमदनगर में एक अमेरिकी,सिंथिया फरार कि देखरेख में लड़कियों के लिए चलाये जा रहे ईसाई मिशनरी स्कूल में शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के दौरान फातिमाशेख कि मुलाक़ात सावित्रीबाई फुले से हुई।
उस समय शोषित वंचित जातियों तथा सभी वर्गो कि महिलाओं को शिक्षा देना शास्त्रों के अनुसार पाप माना जाता था। सन 1847 में फुले दम्पति ने महारवाड़ा में लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोला, जिसमें सिर्फ 8-9 लड़कियां थीं। जल्द हि स्कूल में 30 -40 क्षत्राएं हो गईं।शोषित वंचित वर्ग के जातियों के क्षात्रों एवं महिलावों को शिक्षा देना विषमतावादियों को अच्छा नहीं लगा और वे फुले को स्कूल बंद कराने के लिए उनके पिता पर दबाव डालने लगे, जिसके कारण पिता ने स्कूल बंद करने या फिर घर क्षोड़ देने कि बात फुले दम्पति से कि। सन 1849 में फुले दम्पति को उनके पिता द्वारा घर से निकाले जाने के बाद, फुले दम्पति को न सिर्फ रहने बल्कि शिक्षण कार्य के लिए शरण फातिमा शेख एवं भाई उस्मान शेख पूणे में अपने आवास पर दिए।

*माता फातिमा शेख का शैक्षणिक योगदान*

उन दिनों महिलावों को शिक्षा देना विषमतावादियों के द्वारा शास्त्रों के अनुसार पाप माना जाता था। फातिमा शेख, माता सावित्रीबाई के साथ शैक्षणिक कार्य में कंधे से कन्धा मिलाकर चलती रही। उन बिकट परिस्थिति में ज़ब, महिलाएं फातिमा शेख और सावित्रीबाई फुले के ऊपर गोबर और किचड़ फेकती थी तब भी, आप दोनों मातावों ने अपने मिशन को धैर्य और साहस के साथ अनवरत आगे बढ़ाया।
1851 तक, फुले और फातिमा शेख पुणे में लड़कियों के लिए तीन स्कूल चला रहे थे, जिसमें कुल 150 लड़कियां थीं, गौर करने कि बात है जो उस समय सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले लड़कों से ज्यादा थी।
सावित्रीबाई और फातिमा ने अपने स्कूलों में जो तरिके अपनाए, वो शायद सामान्य शिक्षण बिधियों से बेहतर थे। उन्होंने 1848-1853 के बीच महार, मांग, मुस्लिम, शोषित और बंचित वर्गों के लिए "18 स्कूल" खोले।इन स्कूलों का पाठ्यक्रम ब्राह्मणो द्वारा संचालित स्कूलों से अलग था। इसमें विषयों कि एक विस्तृत श्रृंखला शामिल थी, मराठों का इतिहास, भारत और एशिया का भूगोल, व्याकरण, अंकगणित और समाजिक आर्थिक समस्यावों पर बुनियादी लेखन।
सावित्रीबाई और फातिमा ने विधवाओं की मदद के लिए महिला शेवा मंडल की भी स्थापना की।
आप दोनों उल्लेखनीय शिक्षिकायें थीं। चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने समाज को बदलने और इसे महिलाओ कि भलाई के लिए अधिक अनुकूल बनाने के लिए अपने काम का विस्तार करना जारी रखा। वे स्कूल स्थापित करनेवाली पहली महिला शिक्षिका थीं। दुर्भाग्य से बहुत लम्बे समय तक अज्ञात रहीं।
1856 में, पुणे में भारत का पहला स्कूल शुरू होने के 6 साल बाद, एक प्रतिष्ठित अवधि के लिए फुले दम्पति बीमार पड़ गए। उस समय सवित्रीबाई अपने मायके चली गयीं थीं, वहाँ से उन्होंने ज्योतिबाराव (10 अक्टूबर,1856 )को पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने अपनी चिंता न करने और मूल्यांकन करने के लिए कहा था कि फातिमा स्कूल की अच्छी तरह से देखभाल कर सकती हैं।फातिमा को अकेले काम करने में शंघर्ष करना पड़ सकता है, लेकिन वह शिकायत नहीं करती। "यह पत्र डॉ यमजी माली के सिद्धांत का संकलन पाया गया है।

*लेखन*
सावित्रीबाई के लेखन में फातिमा का उल्लेख था। जिसमें वे लिखती हैं - " ज़ब मैंने 1854 में काव्य फुले प्रकाशित किया, तो मैंने जोर देकर कहा कि वह (फातिमा ) अपनी कविताओं कि एक पुस्तक भी प्रकाशित करें। उन्हें उर्दू का बहुत ज्ञान है और उन्होंने कई कविताएं लिखी हैं।
दुःख की बात है कि उन्होंने कोई कविता प्रकाशित नहीं करायीँ।

प्रस्तुत लेख, गूगल और सूसी जे. थारू; के. ललिता (1991). भारत में महिला लेखन: 600 ईसा पूर्व से बीसवीं सदी के आरंभ तक . CUNY में नारीवादी प्रेस. पृष्ठ 162. आईएसबीएन 978-1-55861-027-9साभार।

*ऐसी महान राष्ट्रनायिका जो 9 अक्टूबर 1900 को प्रकित में विलीन हो गयी। उनके कार्यों और उनकी स्मृतियां, जो हर भारतीयों को गौर्वान्वित करता है सदैव गर्व के साथ याद रखा जायेगा।*

*शिक्षा ज्योति, राष्ट्रनायिका फातिमा शेख के जन्मदिवस पर उन्हें सतसत नमन।*
💐💐💐🙏🙏🙏

डॉ आर यस मौर्य

द राष्ट्रनायक

सुन्दरलाल बहुगुणा भारत के एक महान पर्यावरण-चिन्तक एवं चिपको आन्दोलन के प्रमुख नेता थे। उन्होने हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र...
09/01/2025

सुन्दरलाल बहुगुणा भारत के एक महान पर्यावरण-चिन्तक एवं चिपको आन्दोलन के प्रमुख नेता थे। उन्होने हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में वनों के संरक्षण के लिए संघर्ष किया। उनकी पत्नी भी उनके अन्दोलन से जुड़ी हुईं थीं। १९७० के दशक में पहले वे चिपको आन्दोलन से जुड़े रहे और १९८० के दशक से २००४ तकके दशक में टिहरी बाँध के निर्माण के विरुद्ध आन्दोलन से। वे भारत के आरम्भिक पर्यावरण प्रेमियों में से एक हैं।चिपको आन्दोलन के प्रणेता सुन्दरलाल बहुगुणा का जन्म 9 जनवरी सन 1927 को उत्तराखंड के 'मरोडा' नामक स्थान पर हुआ। अपनी प्राथमिक शिक्षा के बाद वे लाहौर चले गए और वहीं से बी.ए. किए। सन 1949 में मीराबेन व ठक्कर बाप्पा के सम्पर्क में आने के बाद ये दलित वर्ग के विद्यार्थियों के उत्थान के लिए प्रयासरत हो गए तथा उनके लिए टिहरी में ठक्कर बाप्पा होस्टल की स्थापना भी किए। दलितों को मन्दिर प्रवेश का अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने आन्दोलन छेड़ दिया।[3]

अपनी पत्नी श्रीमती विमला नौटियाल के सहयोग से इन्होंने सिलयारा में ही पर्वतीय नवजीवन मण्डल की स्थापना भी की। सन 1971 में शराब की दुकानों को खोलने से रोकने के लिए सुन्दरलाल बहुगुणा ने सोलह दिन तक अनशन किया। चिपको आन्दोलन के कारण वे विश्वभर में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध हो गए।

बहुगुणा के 'चिपको आन्दोलन' का घोषवाक्य है-

क्या हैं जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार।
'तचचचचतकलरकतसलबगकलरग'मिट्टी, पानी और बयार, जिन्दा रहने के आधार।
सुन्दरलाल बहुगुणा के अनुसार पेड़ों को काटने की अपेक्षा उन्हें लगाना अति महत्वपूर्ण है। बहुगुणा के कार्यों से प्रभावित होकर अमेरिका की फ्रेण्ड ऑफ़ नेचर नामक संस्था ने 1980 में इनको पुरस्कृत भी किया। इसके अलावा उन्हें कई सारे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

पर्यावरण को स्थाई सम्पति माननेवाले ये महापुरुष पर्यावरण गाँधी कहलाते थे। 21 मई 2021 को ९४ वर्ष की आयु में ऋषिकेश मे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश में उनका निधन हो गया।

Heartful tribute to late ex pm and renound economist dr manmohan singh ji. He is known as father of lpg.1.liberlisation,...
27/12/2024

Heartful tribute to late ex pm and renound economist dr manmohan singh ji. He is known as father of lpg.1.liberlisation, 2.privatisation 3.globalisation. As a priminister nation will remember for incorporting three importent act. 1.rte act 2.rti act 3.rfa act also called national food security act. As a rbi governor, as a economics prof., as finance advisor of then pm, as a finance minister, as a prime minister his work will be remembered forever. He will be also remebered as father of economic reform of india and buildind/bringing of modern india on a global plateform.

Address

College Road, Paanpi Kasayan Road, Sonebhadra, Uttar Pradesh 231216
Sonebhadra

Opening Hours

Monday 7am - 6pm
Tuesday 7am - 6pm
Wednesday 7am - 6pm
Thursday 7am - 6pm
Friday 7am - 6pm
Saturday 7am - 6pm

Telephone

+918009590512

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Vidyapith Academy posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Vidyapith Academy:

Share