
13/04/2024
6 सालों तक राजद से राज्यसभा सांसद बने रहने के बाद अशफ़ाक करीम को जब लोकसभा का टिकट नहीं मिला तो उन्हे याद आया के राजद में मुसलमानों के साथ हक़तल्फी हो रही है मुसलमानों के खिलाफ गलत हो रहा है । ये तब भी सांसद थे जब इनकी पार्टी सरकार में थी और बिहारशरीफ समेत कई जगहें दंगे हुए थे तब इन्होंने मौन धारण कर लिया था, ये तब भी सांसद थे जब शहाबुद्दीन साहेब की मौत दिल्ली के अस्पताल में हुई थी और ये या इनकी पार्टी के किसी नेता के तरफ से उनके जनाज़े को उनके गांव में मिट्टी मिले इसके लिए कोई कोशिश नही की गई थी और न ये खुद भी जनाज़े में शामिल हुए थे न ये कभी उस परिवार के आंसू पोछने गए, इनके सांसद रहते ही इनकी सरकार में उर्दू शिक्षकों पर लाठी चार्ज हुई थी ये तब भी ये कुछ नही बोले । कौम के किसी मुद्दे मामले पर सांसद रहते इस आदमी ने कभी कुछ नही कहा और आज कौम याद आ रही है । जनता तो राजद का रवैय्या देख ही रही है और उसके लिए राजद को सबक सिखाने को भी तैयार बैठी है लेकिन ये आदमी जो आज कुछ बोल रहा है उसे कौम का इतना ही दर्द था कौम के हक की इतनी ही फिक्र थी तो पद पर रहते हुए मुंह क्यों नही खुला ? आज भी इन्हें टिकट मिल गया होता तो यही आदमी राजद और उसके नेताओं के नाम के कसीदे पढ़ रहे होते । कौम अब इतनी बेवकूफ और अंधी बहरी नही रही है जो उसे मगरमच्छी आंसू समझ में न आए जनता सब खेल समझ रही है