Vivek Rusia Sukun 'सुक़ून'

Vivek Rusia Sukun 'सुक़ून' Indo-German News & Info. This place is the platform where I will share my गज़लें, कवितायेँ, लेख etc. directly with you. Yours,
Vivek Rusia "सुक़ून" :)

Dear Reader,

Welcome to "सुक़ून", since you are here it means that you are a literature loving person, and for that I am thankful to you. I will always try to keep my writings as per your interest so that I could hope that you would feel "सुक़ून" when you are with me on this page and LOVE MY PEN. Still if you find something which needs to be corrected/improved feel free to write me through this pag

e or to my Inbox [email protected]. Needless to say that your compliments, comments and criticism are always most welcome.

बहुत कोशिश की लेकिन हम खुद को लिखने से रोक नहीं पाये।।।कल १८ वीं लोकसभा के परिणाम हम सभी ने देखे, अलग अलग लोगों ने अलग अ...
05/06/2024

बहुत कोशिश की लेकिन हम खुद को लिखने से रोक नहीं पाये।।।

कल १८ वीं लोकसभा के परिणाम हम सभी ने देखे, अलग अलग लोगों ने अलग अलग तरीके से अपनी प्रतिक्रिया दी, कुछ ने इसे मोदी के घमंड का टूटना बताया तो कुछ ने मोदी की लोकप्रियता का गिरता हुआ ग्राफ दिखाया, जिनके पिता जी चारा खाने के बाद लम्बी अवधि तक जेल की हवा भी खाकर आये हैं और जिनकी दो पीढ़ियां एड़ी छोटी का जोर लगाकर कुल जमा 4 सीटें जुगाड़ पायीं हैं उन जैसे अनैतिकता के पुरोधाओं ने राजनैतिक, सामाजिक, व्यक्तिगत जीवन में पूरी तरह से धवल और अकेले दम भाजपा को 240 और NDA को 292 (बहुमत से 20 ज़्यादा) सीटें दिलाने वाले मोदी को नैतिकता का पाठ पढ़ाने की कोशिश करते हुए इस्तीफ़ा देने तक की दिमागी दिवालियेपन से भरी सलाह दे डाली। खैर राजनीति तो चलती ही ऐसे है, यहाँ हम उनके विषय में बात नहीं करेंगे, बात करेंगे जनता के विषय में कि आखिर हमारे देश की जनता खास तौर से उप्र की जनता आखिर चाहती क्या है?

यह स्पष्ट हो चूका है कि उत्तरप्रदेश में एक बड़ा वर्ग ऐसा है जिसे राजनीतिक समझ तो छोड़िये उन्हें अपने खुद के भले की समझ भी नहीं है, यह वह वर्ग है जो स्थायी विकास के कार्यों, सामाज कल्याण की योजनाओं, भय मुक्त वातावरण, और स्वरोजगार के नए अवसरों से ऊपर जाति, धर्म, और अपने तुच्छ और तात्कालिक स्वार्थों को रखता है।

यह वह वर्ग है जो कि फिर से वही #अराजक_उत्तरप्रदेश चाहता है जहाँ जमीनों पर कब्जे होते थे, जहाँ वसूली होती थी, जहाँ महिलाएं असुरक्षित हुआ करती थीं, जो माफियाओं के राज के चलते अपराध में अव्वल हुआ करता था और जहाँ निवेश करने से हर निवेशक कतराता था।

यह वर्ग फिर से वही #भययुक्त_उत्तरप्रदेश चाहता है जहाँ हर व्यापारी एक जाति विशेष और धर्म विशेष के लोगों से डरकर जिया करता था, जहाँ एक राजनैतिक पार्टी विशेष का छोटा सा कार्यकर्ता भी किसी भी आम आदमी को डरा धमकाकर मजबूर कर दिया करता था।

यह वर्ग फिर से #लाचार_पुलिस_वाला_उत्तरप्रदेश चाहता है जहाँ पुलिस गोंडों और माफिटोन से जनता की रक्षा करे या न करे, अपराध के मौके पर पहुंचे या नहीं, नेता जी की भैंस ढूंढने जरूर जाया करती थी।

यह वर्ग फिर से वही #दंगों_की_आग_में_झुलसा_उत्तरप्रदेश चाहता है, जहाँ न सिर्फ सरकारी संपत्ति को नष्ट किया जाता था बल्कि एक धर्म विशेष के लोगों की सम्पत्तियों को सीधे टारगेट किया जाता था।

यह वह वर्ग है जो #टेंट_में_रहने_वाले_श्री_राम वाला और #उजड़ी_हुयी_अयोध्या वाला उत्तरप्रदेश चाहता है, जिसको अयोध्या में हुए अभूतपूर्व विकास और उससे पैदा हुए लाखों रोजगारों से कोई लेना देना नहीं।

कम शब्दों में कहें तो यह वह वर्ग है जो सुरक्षित और विकसित नही #असुरक्षित और #बीमारू_उत्तरप्रदेश चाहता है।

क्यूंकि उत्तरप्रदेश के इस बड़े वर्ग ने उन सफेदपोश सरपरस्तों को वोट दिया है जो अपने राज में #माफिया और #गुंडों को पालते पोसते थे और भाजपा के राज में उनकी #मौत पर मातम मनाने उनके घर जाते हैं। और इस वोटर वर्ग में सिर्फ एक धर्म विशेष के लोग ही नहीं बल्कि दुसरे धर्म की कुछ विशेष जातियां भी शामिल हैं और ये दोनों ही वर्ग वो हैं जिन्होंने केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार की समाज कल्याण योजनाओं का सबसे अधिक फायदा उठाया, और फिर धोखा दिया।

परसों तक कहा जा रहा था कि हिन्दू जनमानस जाग गया है लेकिन कल यह साफ़ हो गया कि हिन्दू सिर्फ लघुशंका करने के लिए जागा था और एक बार फिर वो जातियों और अपने तुच्छ और तात्कालिक दृष्टिकोण की चादर ओढ़कर सो गया है। ऐसे ही सोते रहिये जल्द ही कोई फिर आएगा और न ही सिर्फ आपकी ये चादर खींच कर ले जायेगा बल्कि आपकी खटिया भी उलटी कर देगा, और हमें पक्का विश्वास है की आपको समझ तब भी नहीं आएगा क्यूंकि पीढ़ियों से नकारा बने रहकर मुफ्त की रेवड़ियों पर गुलामी में जीने की लत जो लग चुकी है।

रही बात मोदी और योगी की तो उन्हें आपकी नहीं आपको उनकी जरूरत है।

इस लेख के साथ तीन तस्वीरें भी संलग्न हैं पहली पुराने उत्तर प्रदेश की और बाकी दो आज के उत्तर प्रदेश की, निर्णय उत्तरप्रदेश की जनता का है किस ओर बढ़ना चाहते हैं.

जय हिन्द
जय माँ भारती
VVivek Rusia Sukun
FForeign Affairs Department BJP, MPRRohit GangwalVVijay M ChauthaiwaleBBJP Uttar PradeshBBJP Madhya PradeshBBharatiya Janata Party (BJP)DDr Mohan YadavDDr. Virendra KumarVVD SharmaSShivraj Singh ChouhanKKamakhya Pratap SinghKKamakhya Pratap SinghDDr. Rakesh MishraJJ.P.NaddaMMalkhan Singh Chouhan - BJPMMalkhan Singh ChouhanCChandrabhan Singh Gautam IICChandrabhan singh GautamGGanesh SinghAAmit Agrawal - SontuKKirti Amit AgrawalJJitendra Singh Parihar

🙏🏻🚩 रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं🚩🙏🏻
17/04/2024

🙏🏻🚩 रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं🚩🙏🏻

13/02/2024

भारत की अभूतपूर्व कूटनीतिक विजय: कतर में मृत्युदंड पाये 7 पूर्व नौसेना अधिकारी सकुशल भारत लौटे! मोदी हैं तो मुमकिन है। आपके विचार?

हम तो अपने रंग जिएँगे जीवन के हर इक पल मेंहमको न परवाह छुपा क्या है आने वाले कल में                                    ✍...
11/02/2024

हम तो अपने रंग जिएँगे जीवन के हर इक पल में
हमको न परवाह छुपा क्या है आने वाले कल में
✍🏻 विवेक रूसिया 'सुक़ुन'

भारतीय जनता पार्टी, विदेश विभाग द्वारा एक और सारगर्भित वार्ता का आयोजन किया जा रहा है विषय है "विगत 9 वर्षों में भारत मे...
09/02/2024

भारतीय जनता पार्टी, विदेश विभाग द्वारा एक और सारगर्भित वार्ता का आयोजन किया जा रहा है विषय है "विगत 9 वर्षों में भारत में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का विकास और भारत के भविष्य में प्रवासी भारतीयों की भूमिका"।

महत्पूर्ण बात है कि संवाद किसी और के साथ नहीं बल्कि "नये भारत में ढांचागत विकास के शिल्पी, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री, माननीय श्री नितिन गडकरी जी के साथ है। साथ ही कार्यक्रम में विदेश विभाग के राष्ट्रीय प्रभारी माननीय श्री विजय चौथाईवाले जी की भी गरिमामयी उपस्थिति रहेगी.

आप सभी से अनुरोध है कि अधिक से अधिक संख्या में इस ऑनलाइन वार्ता में जुड़ें और हमारे दिग्गज नेताओं से घर बैठे जुड़ने के इस बहुमूल्य अवसर का लाभ उठाने से ना चुकें.

फोटो में दिये बारकोड को अपने मोबाइल से स्कैन कर रजिस्टर कर सकते हैं.

अग्रिम धन्यवाद... मिलते हैं वार्ता में. 🪷😊🙏🏻

Foreign Affairs Department BJP, MP
Rohit Gangwal
VD Sharma
Kamakhya Pratap Singh
Kamakhya Pratap Singh
BJP Madhya Pradesh
Vijay M Chauthaiwale
Dr. Virendra Kumar
Dr Mohan Yadav
Narendra Singh Tomar
Bharatiya Janata Party (BJP)
J.P.Nadda
Narendra Modi
Hindi Khabar
Aaj Tak
ABP News
India TV
Republic Bharat
The Lallantop
Amit Agrawal - Sontu
Arun Agrawal
Shivraj Singh Chouhan
Ajeetsingh Tomar
Narendra Saraf
Arun Agrawal

Late Post: भारतीय महावाणिज्य दूतावास, फ्रेंर्क्फट, जर्मनी में माननीय काॅन्सुलेट जनरल ऑफ इंडिया, श्री बी. ऐस. मुबारक जी स...
08/02/2024

Late Post: भारतीय महावाणिज्य दूतावास, फ्रेंर्क्फट, जर्मनी में माननीय
काॅन्सुलेट जनरल ऑफ इंडिया, श्री बी. ऐस. मुबारक जी से सौजन्य भेंट के दौरान जर्मनी में को Promote करने पर सार्थक चर्चा हुयी. चर्चा के दौरान माननीय Consul Consular Services श्री संजय जसवाल जी एवं माननीय Consul

Foreign Affairs Department BJP, MP
Vijay M Chauthaiwale
Rohit Gangwal
Dr. Rakesh Mishra
BJP Madhya Pradesh
Dr. Virendra Kumar
Kamakhya Pratap Singh
VD Sharma
Malkhan Singh Chouhan
Bharatiya Janata Party (BJP)
Narendra Modi
J.P.Nadda
Shivraj Singh Chouhan
Dr Mohan Yadav
Manish Pandey
Amit Agrawal - Sontu
Kirti Amit Agrawal
Kamakhya Pratap Singh
Rakesh Lahariya


Lalita Yadav
Lalita Yadav Freinds Club
Atul Kumar Agrawal
Hindi Khabar
Raghuveer Richaariya

1880 में लिया गया झांसी के क़िले का दुर्लभ फोटोग्राफ, जिसमे अंग्रेज़ फौज़ अपनी हैवी आर्टलरी के साथ नज़र आ रही है।
26/12/2023

1880 में लिया गया झांसी के क़िले का दुर्लभ फोटोग्राफ, जिसमे अंग्रेज़ फौज़ अपनी हैवी आर्टलरी के साथ नज़र आ रही है।

"जनता की पार्टी" को "जनता के प्रचंड आशीर्वाद" से ह्रदय गदगद हो गया! 😊एक बार पुनः जनता जनार्दन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि...
04/12/2023

"जनता की पार्टी" को "जनता के प्रचंड आशीर्वाद" से ह्रदय गदगद हो गया! 😊

एक बार पुनः जनता जनार्दन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमारे वर्तमान, बच्चों के भविष्य एवं अपने प्रदेश, देश, एवं धर्म के लिए भाजपा ही एक मात्र विकल्प है।☝🏻

भाजपा को ऐतिहासिक बहुमत प्रदान करने के लिए देवतुल्य परिवारजनों का हार्दिक आभार, समस्त ज्येष्ठ एवं श्रेष्ठ कार्यकर्ताओं के अथक प्रयासों हेतु ह्रदय से धन्यवाद् एवं अभिनन्दन, एवं समस्त विजयी प्रत्याशियों को अनंत शुभकामनायें। 💐🙏🏻

जय भारत, जय माँ भारती, जय भाजपा 🚩🇮🇳🚩

आपका, 🙏🏻
विवेक रूसिया 'सुकून'
जर्मनी कोऑर्डिनेटर, विदेश विभाग, भाजपा (म.प्र.)

Bharatiya Janata Party (BJP)
Narendra Modi
J.P.Nadda
BJP Madhya Pradesh
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VD Sharma
Dr. Rakesh Mishra
Dr. Virendra Kumar
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Amit Agrawal - Sontu
Kamakhya Pratap Singh
Kamakhya Pratap Singh
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12/09/2023

इस तथ्य को ध्यान में रखते हुये कि India नाम ब्रिटिशराज द्वारा 18 वीं शताब्दी में ब्रिटिश कॉलोनी में आने वाले क्षेत्रों को परिभाषित करने के लिए दिया गया था.
आपका क्या मानना है, क्या हमें India नाम को छोड़ देना चाहिए और सिर्फ #भारत नाम का उपयोग करना चाहिए? Comments में कृपया अपना मत बताएं और हो सके तो कारण भी स्पष्ट करें. भारत माता की जय 🇮🇳🙏💐

कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली यह कहावत क्यों बनी ? बचपन से लेकर आज तक हजारों बार इस कहावत को सुना था कि "कहां राजा भोज- ...
09/08/2023

कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली

यह कहावत क्यों बनी ?

बचपन से लेकर आज तक हजारों बार इस कहावत को सुना था कि "कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली" आमतौर पर यह ही पढ़ाया और बताया जाता था कि इस कहावत का अर्थ अमीर और गरीब के बीच तुलना करने के लिए है,

पर भोपाल जाकर पता चला कि कहावत का दूर-दूर तक अमीरी- गरीबी से कोई संबंध नहीं है। और ना ही कोई गंगू तेली से से संबंध है, आज तक तो सोचते थे कि किसी गंगू नाम के तेली की तुलना राजा भोज से की जा रही है यह तो सिरे ही गलत है, बल्कि गंगू तेली नामक शख्स तो खुद राजा थे।

जब इस बात का पता चला तो आश्चर्य की सीमा न रही साथ ही यह भी समझ आया यदि घुमक्कड़ी ध्यान से करो तो आपके ज्ञान में सिर्फ वृद्धि ही नहीं होती बल्कि आपको ऐसी बातें पता चलती है जिस तरफ किसी ने ध्यान ही नहीं दिया होता और यह सोचकर हंसी भी आती है यह कहावत हम सब उनके लिए सबक है जो आज तक इसका इस्तेमाल अमीरी गरीबी की तुलना के लिए करते आए हैं

इस कहावत का संबंध मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और उसके जिला धार से है, भोपाल का पुराना नाम भोजपाल हुआ करता था।

भोजपाल
नाम धार के राजा भोजपाल से मिला।

समय के साथ इस नाम में से "ज" शब्द गायब हो गया और नाम भोपाल बन गया।

अब बात करते हैं कहावत की कहते हैं, कलचुरी के राजा गांगेय ( अर्थात गंगू ) और चालूका के राजा तेलंग ( अर्थात तेली) ने एक बार राजा भोज के राज्य पर हमला कर दिया इस लड़ाई में राजा भोज ने इन दोनों राजाओं को हरा दिया

उसी के बाद व्यंग्य के तौर पर यह कहावत प्रसिद्ध हुई "कहां राजा भोज-कहां गंगू तेली" राजा भोज की विशाल प्रतिमा भोपाल के वीआईपी रोड के पास झील में लगी हुई है।

चित्र - झील में लगी राजा भोज की प्रतिमा का है

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई द्वारा महाराजा मर्दन सिंह जुदेव को सैन्य सहायता के लिए लिखा गया हस्तलिखित दुर्लभ पत्र.. !!अंग्र...
26/07/2023

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई द्वारा महाराजा मर्दन सिंह जुदेव को सैन्य सहायता के लिए लिखा गया हस्तलिखित दुर्लभ पत्र.. !!

अंग्रेजो के दांत खट्टे करने वाली,झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के शौर्य और पराक्रम की शौर्यगाथा इतिहास के स्वर्णिम पन्ने मे दर्ज है !!

बुन्देलो हर बोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी ||

स्वतंत्रता सेनानी ,भारत देश की वीरांगना झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई व बुंदेला वीर महाराजा मर्दन सिंह जूदेव व बाबू वीर कुंवर सिंह जैसे अनेक स्वतंत्रता सेनानी भारत देश की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजो के विरूद्ध विगूल फूंक ,अंग्रेजो के नाक में दम कर रखा था !!

झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई झांसी परास्त होते ही, वह दत्तकपुत्र के साथ बडी चतुरता से निकालकर १०७ मील दूर काल्पी पहुंची ।उनके अंदर अंग्रेजों से बदला प्रतिशोध लेने की अग्नि धधक रही थी और वह अंग्रेजो पर हमले करने की रणनीति बनाने लगी ! उधर कैप्टन ह्यूरोज रानी लक्ष्मीबाई को मारने की रणनीति से पीछे पड़ा हुआ था ! इन सबसे स्वयं को सुरक्षित न देखकर झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने मध्यप्रदेश के बानपुर-चंदेरी रियासत के बुंदेल वंशी महाराजा मर्दन सिंह जूदेव जी को मदद के लिए पत्र लिखा !! और संदेशा भिजवाया कि एक नारी पर फिरंगियों द्वारा संकट आन पड़ा है ,मै आपसे मदद की गुहार करती हु आप अपने क्षत्रिय धर्म का पालन करे और हमारी रक्षा करे व इस युध्द मे हमारी सहयोग करें !!

महाराजा मर्दन सिंह बुंदेला भोजन करने बैठे थे ,सामने भोजन की थाली थी तभी उनके दूत ने आकर यह समाचार राजा साहब को सुनाया !! मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए एक जुटता व एक नारी मदद की गुहार सुनते ही महाराजा मर्दन सिंह जूदेव भोजन की थाली छोड़कर उठ गये व शाहगढ नरेश राजा बखतवली जूदेव बुंदेला और अपने विश्वासपात्र, कुशल सेनापतियों को बुलाकर सैनिकों की टुकड़ी तैयार किया और झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की मदद के लिए निकल पड़े ||

झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ,महाराजा मर्दन सिंह जूदेव व राजा बखतवली जूदेव बुंदेला जी की संयुक्त सेनाओं व अंग्रेजो के बीच 18 जून सन् 1858 को ग्वालियर के पास कोटा की सराय में भीषण युध्द हुआ !!
जिस युध्द में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई व बखतवली जूदेव बुंदेला जी मातृभूमि की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए और महाराज मर्दन सिंह जूदेव जी को अंग्रेजो ने पकड़कर कारागार मे डाल दिया ||

कारागार में डालने के बाद अंग्रेजो ने उनके सामने शर्त रखा कि वह अंग्रेजो की अधिनता स्वीकार कर लें और अंग्रेजो से मित्रता कर ले और उनका साथ दे तो महाराजा मर्दन सिंह जूदेव जो छोड़ दिया जाएगा व उनका राज-पाट उन्हे वापस लौटा दिया जाएगा |

लेकिन क्षत्रिय रक्त,मातृभूमि रक्षक बुंदेला वीर मर्दन सिंह जूदेव जी ने अंग्रेजो की अधिनता ठुकरा दिया !!
और अंग्रेजो की अधिनता की राजपाठ को ठुकरा मातृभूमि की रक्षा मे वीरगति को चुना !! महाराजा मर्दन सिंह जूदेव के इस ढृढ संकल्प और राष्ट्रभक्ति को देखकर अंग्रेज गुस्सा हुए और 12 दिसंबर 1860 को महाराजा मर्दन सिंह जी का समस्त राजपाठ छीन लिया और लाहौर जेल मे बंद कर दिया ||

27 वर्ष तक अंग्रेज महाराजा मर्दन सिंह जूदेव को प्रताड़ना देते रहे और अंग्रेजो की अधिनता स्वीकार करने के लिए विवश करते रहे लेकिन महाराजा मर्दन सिंह जूदेव फिरंगियों की अधिनता स्वीकार नही किए ! इससे और अधिक नाराज होकर अंग्रेज महाराजा मर्दन सिंह जी को अधिनता स्वीकार करने व झुकने के लिए विवश करने लगे और उन्हे 27 वर्ष बाद 1874 मे लाहौर कारावास से निकालकर मथुरा कारावास मे नजरबंद कर अधिनता स्वीकार करने के लिए प्रताड़ित करने लगे ||

लेकिन अपने जीवन के अंतिम पल तक महाराजा मर्दन सिंह जूदेव अंग्रेजो की अधिनता स्वीकार नही किए,और अपने जीवन के अंतिम पल मे यही दुहराते रहे कि -

'हुकुमत पर कब्जा करके हिन्दुस्तानियन खां गुलाम नही बनाओं जा सकत ,
जीते जी मर जैहों पर गुलामी न स्वीकारहौं" !!

और यही कहते हुए 22 जुलाई 1879 को वीरगति को प्राप्त हो गये ||

महाराजा मर्दन सिंह जूदेव जी गहरवार वंश की शाखा बुंदेला वंशीय क्षत्रिय थे !! वह महान प्रतापी योध्दा,मुगलों के काल महाराजा छत्रसाल बुंदेला जी के वंशज थे ||

महाराजा मर्दन सिंह जूदेव के बलिदान दिवस पर कोटिशः नमन् ||🙏💐
जय हिंद 🙏🇮🇳

🌳 आरी की कीमत 🌳 एक बार की बात है एक बढ़ई था। वह दूर नयासर शहर में एक सेठ के यहाँ काम करने गया। एक दिन काम करते-करते उसकी ...
09/07/2023

🌳 आरी की कीमत 🌳
एक बार की बात है एक बढ़ई था। वह दूर नयासर शहर में एक सेठ के यहाँ काम करने गया। एक दिन काम करते-करते उसकी आरी टूट गयी। बिना आरी के वह काम नहीं कर सकता था, और वापस अपने गाँव लौटना भी मुश्किल था, इसलिए वह शहर से सटे भूरासर गाँव पहुंचा। इधर-उधर पूछने पर उसे लोहार का पता चल गया।

वह लोहार के पास गया और बोला-

भाई मेरी आरी टूट गयी है, तुम मेरे लिए एक अच्छी सी आरी बना दो।

लोहार बोला, “बना दूंगा, पर इसमें समय लगेगा, तुम कल इसी वक़्त आकर मुझसे आरी ले सकते हो।”

बढ़ई को तो जल्दी थी सो उसने कहा, ” भाई कुछ पैसे अधिक ले लो पर मुझे अभी आरी बना कर दे दो!”

“बात पैसे की नहीं है भाई…अगर मैं इतनी जल्दबाजी में औजार बनाऊंगा तो मुझे खुद उससे संतुष्टि नहीं होगी, मैं औजार बनाने में कभी भी अपनी तरफ से कोई कमी नहीं रखता!”, लोहार ने समझाया।

बढ़ई तैयार हो गया, और अगले दिन आकर अपनी आरी ले गया।

आरी बहुत अच्छी बनी थी। बढ़ई पहले की अपेक्षा आसानी से और पहले से बेहतर काम कर पा रहा था।

बढ़ई ने ख़ुशी से ये बात अपने सेठ को भी बताई और लोहार की खूब प्रसंशा की।

सेठ ने भी आरी को करीब से देखा!

“इसके कितने पैसे लिए उस लोहार ने?”, सेठ ने बढ़ई से पूछा।

“दस रुपये!”

सेठ ने मन ही मन सोचा कि शहर में इतनी अच्छी आरी के तो कोई भी तीस रुपये देने को तैयार हो जाएगा। क्यों न उस लोहार से ऐसी दर्जनों आरियाँ बनवा कर शहर में बेचा जाये!

अगले दिन सेठ लोहार के पास पहुंचा और बोला, “मैं तुमसे ढेर सारी आरियाँ बनवाऊंगा और हर आरी के दस रुपये दूंगा, लेकिन मेरी एक शर्त है… आज के बाद तुम सिर्फ मेरे लिए काम करोगे। किसी और को आरी बनाकर नहीं बेचोगे।”

“मैं आपकी शर्त नहीं मान सकता!” लोहार बोला।

सेठ ने सोचा कि लोहार को और अधिक पैसे चाहिए। वह बोला, “ठीक है मैं तुम्हे हर आरी के पन्द्रह रूपए दूंगा….अब तो मेरी शर्त मंजूर है।”

लोहार ने कहा, “नहीं मैं अभी भी आपकी शर्त नहीं मान सकता। मैं अपनी मेहनत का मूल्य खुद निर्धारित करूँगा। मैं आपके लिए काम नहीं कर सकता। मैं इस दाम से संतुष्ट हूँ इससे ज्यादा दाम मुझे नहीं चाहिए।”

“बड़े अजीब आदमी हो…भला कोई आती हुई लक्ष्मी को मना करता है?”, व्यापारी ने आश्चर्य से बोला।

लोहार बोला, “आप मुझसे आरी लेंगे फिर उसे दुगने दाम में गरीब खरीदारों को बेचेंगे। लेकिन मैं किसी गरीब के शोषण का माध्यम नहीं बन सकता। अगर मैं लालच करूँगा तो उसका भुगतान कई लोगों को करना पड़ेगा, इसलिए आपका ये प्रस्ताव मैं स्वीकार नहीं कर सकता।”

सेठ समझ गया कि एक सच्चे और ईमानदार व्यक्ति को दुनिया की कोई दौलत नहीं खरीद सकती। वह अपने सिद्धांतों पर अडिग रहता है।

अपने हित से ऊपर उठ कर और लोगों के बारे में सोचना एक महान गुण है। लोहार चाहता तो आसानी से अच्छे पैसे कमा सकता था पर वह जानता था कि उसका जरा सा लालच बहुत से ज़रूरतमंद लोगों के लिए नुक्सानदायक साबित होगा और वह सेठ के लालच में नहीं पड़ता।

*शिक्षा~* अगर ध्यान से देखा जाए तो लोहार की तरह ही हममे से अधिकतर लोग जानते हैं कि कब हमारे स्वार्थ की वजह से बाकी लोगों को नुक्सान होता है पर ये जानते हुए भी हम अपने फायदे के लिए काम करते हैं। हमें इस व्यवहार को बदलना होगा, बाकी लोग क्या करते हैं इसकी परवाह किये बगैर हमें खुद ये फैसला करना होगा कि हम अपने फायदे के लिए ऐसा कोई काम न करें जिससे औरों को तकलीफ पहुँचती हो।

🙏आपका दिन शुभ और मंगलमय हो🙏

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