Master of Shillong Teer

Master of Shillong Teer love telling stories

16/03/2025

रवि एक मस्तमौला और आलसी लड़का था। स्कूल में उसे पढ़ाई से ज्यादा सोने और खाने में दिलचस्पी थी। एक दिन, जब वह बाजार में घूम रहा था, उसे एक बूढ़े बाबा मिले। बाबा ने उसे एक चश्मा दिया और बोले, "बेटा, ये जादुई चश्मा है। जो भी दिखेगा, वही सच होगा!"

रवि ने सोचा कि बाबा कोई मजाक कर रहे हैं, लेकिन जैसे ही उसने चश्मा पहना, सामने लिखा दिखा— "घर पहुंचते ही माँ गाजर का हलवा देने वाली है!"

रवि भागता हुआ घर पहुंचा और देखा कि उसकी माँ सच में हलवा बना रही थी! "वाह! ये तो कमाल का चश्मा है!" उसने खुशी से उछलते हुए कहा ।
अब रवि ने इस चश्मे से मजे लेना शुरू कर दिया। उसने अपने दोस्त मोहन की कॉपी में झाँका और तुरंत टेस्ट के सवालों के जवाब पता कर लिए। क्लास में टीचर को देखते ही चश्मा दिखाने लगा— "टीचर का मूड खराब है, आज कोई सवाल मत पूछो!" और सच में, जो बच्चा सवाल पूछता, उसे डांट पड़ती।

रवि का दिमाग अब और तेज चलने लगा। उसने सोचा, "अब तो मैं कोई भी गेम जीत सकता हूँ!" तो वह क्रिकेट खेलने चला गया। बॉल के आने से पहले चश्मा बता देता कि बॉल लेफ्ट जाएगी या राइट। रवि ने इतनी जोरदार बैटिंग की कि सब दंग रह गए!
अब रवि खुद को सुपरहीरो समझने लगा। एक दिन उसने चश्मा पहनकर स्कूल के प्रिंसिपल के ऑफिस में झाँका, तो लिखा दिखा— "अभी दस मिनट में प्रिंसिपल के ऊपर छत का पंखा गिरेगा!"

रवि हक्का-बक्का रह गया! उसने सोचा, "अरे नहीं! ये तो बड़ा खतरा है!" वह तेजी से प्रिंसिपल के पास दौड़ा और चिल्लाया, "सर, पंखा गिरने वाला है, बाहर निकलो!"

प्रिंसिपल ने गुस्से में कहा, "ये क्या बकवास है?" लेकिन तभी सच में पंखा झड़-झड़ कर गिर पड़ा! सबने रवि को हीरो बना दिया।
अब रवि अपनी किस्मत पर इतराने लगा। एक दिन उसने चश्मा पहनकर देखा— "रवि आज स्कूल से छुट्टी मना सकता है, क्योंकि प्रिंसिपल बीमार होने वाले हैं!"

रवि ने खुशी-खुशी स्कूल बंक कर दिया, लेकिन अगले दिन उसे पता चला कि प्रिंसिपल बीमार नहीं हुए थे, बल्कि पूरे स्कूल में फ्री चॉकलेट डे मनाया गया था!

अब रवि को गुस्सा आ गया। उसने फिर चश्मा लगाया, तो दिखा— "आज लॉटरी खरीदो, करोड़पति बन जाओगे!"

रवि ने सारे पैसे लगाकर लॉटरी खरीदी, लेकिन जब रिजल्ट आया तो वह सबसे बड़ा लूजर निकला!

रवि अब परेशान रहने लगा। उसे समझ आ गया कि चश्मा हमेशा सही नहीं बताता। वह फिर उसी बूढ़े बाबा को खोजने निकला, लेकिन वह कहीं नहीं मिले।

तभी उसके दिमाग में एक ख्याल आया— "जब बिना मेहनत के कुछ नहीं मिलता, तो इस चश्मे का क्या फायदा?"

रवि ने चश्मा तोड़ दिया और उसी दिन से मेहनत करने की ठान ली।

अब वह सच में पढ़ाई करने लगा, और धीरे-धीरे उसके नंबर बढ़ने लगे। टीचर भी खुश हो गए, और हाँ, इस बार फ्री चॉकलेट डे पर भी वह स्कूल में था!
कोई भी चीज जादू से नहीं मिलती, असली ताकत मेहनत में होती

10/07/2024

Absolutely incredible art.

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