18/05/2025
टिप टिप बारिश आई,
छाता लेकर दादी आई।
नाच उठे सब छोटे पंख,
भीग गए नन्हें नन्हें अंग।
कागज की नावें तैरीं जल में,
मस्ती छा गई हर पल में।
मेंढक बोला टर्र टर्र करके,
खुश हो गया वो भी छलांग भरके।
बिजली चमकी, बादल गरजे,
हम तो भागे घर के अंदर।
चाय पकोड़ी की आई खुशबू,
मम्मी ने दी सबको गरम गरम बू।
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