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नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका हमारे चैनल आई एम अर्जुन ठाकुर में मै हूँ अर्जुन ठाकुर , दोस्तों इस चैनल पर आपको रोजाना नयी नयी मंत्रो का अर्थ सीखने और भक्ति रिंगटोन की विडियो और नई नई कहानियां देखने को मिलेगी |

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एक था। अर्जुन एक बहुत ही जिज्ञासु और साहसी लड़का था। उसे हमेशा कुछ नया करने की चाह रहती थी।गाँव के पास एक घना जंगल था, ज...
01/09/2024

एक था। अर्जुन एक बहुत ही जिज्ञासु और साहसी लड़का था। उसे हमेशा कुछ नया करने की चाह रहती थी।

गाँव के पास एक घना जंगल था, जिसके बारे में गाँव वालों ने कई रहस्यमयी कहानियाँ सुनी थीं। लोग कहते थे कि उस जंगल में एक प्राचीन मंदिर है, जहाँ एक अनमोल खजाना छिपा हुआ है। लेकिन उस मंदिर तक पहुँचना आसान नहीं था, क्योंकि रास्ते में कई खतरनाक बाधाएँ थीं।

एक दिन अर्जुन ने फैसला किया कि वह इस रहस्यमयी मंदिर को खोजेगा और खजाने को ढूंढ निकालेगा। वह अपने साथ एक टॉर्च, पानी की बोतल, और कुछ खाने की चीज़ें लेकर जंगल की ओर निकल पड़ा।

जंगल के रास्ते में उसे कई तरह के जानवर मिले, कुछ डरावने, कुछ दोस्ताना। अर्जुन ने अपनी सूझ-बूझ से उन सभी जानवरों को पार किया। आगे चलकर उसे एक नदी मिली, जिसमें पानी का बहाव बहुत तेज़ था। अर्जुन ने पास की एक पेड़ की शाखा का इस्तेमाल करके उस नदी को पार किया।

रात होने लगी और अर्जुन थक कर एक पेड़ के नीचे बैठ गया। अचानक उसे एक चमकती हुई रोशनी दिखाई दी। वह रोशनी की ओर बढ़ा और देखा कि वह रोशनी एक प्राचीन मंदिर से आ रही थी। अर्जुन की आँखों में चमक आ गई, उसे मंदिर मिल गया था।

मंदिर के अंदर उसने देखा कि एक बड़ी सी तिजोरी रखी हुई थी, लेकिन तिजोरी के ऊपर एक शिला रखी थी, जिस पर एक पहेली लिखी हुई थी। अर्जुन ने ध्यान से पहेली को पढ़ा और सोचना शुरू किया। उसने अपने ज्ञान और समझ का इस्तेमाल करते हुए पहेली का सही उत्तर दिया।

जैसे ही उसने पहेली सुलझाई, शिला अपने आप तिजोरी से हट गई। तिजोरी खुली और अर्जुन के सामने सोने-चाँदी के सिक्के, गहने और रत्नों से भरा खजाना था। अर्जुन ने कुछ खजाना लिया और गाँव लौट आया।

गाँव के लोग अर्जुन की बहादुरी और बुद्धिमानी की तारीफ करने लगे। अर्जुन ने अपने खजाने का एक हिस्सा गाँव के विकास के लिए दान कर दिया, जिससे गाँव में खुशहाली आ गई।

इस तरह, अर्जुन की कहानी पूरे इलाके में मशहूर हो गई और वह गाँव के बच्चों का हीरो बन गया। और उसने यह साबित कर दिया कि अगर हमारे इरादे मजबूत हों और हममें हिम्मत हो, तो हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।

एक गाँव में एक छोटा लड़का था जिसका नाम रोहित था। रोहित बहुत ही होशियार और मेहनती था। वह हमेशा अपने माता-पिता की मदद करता...
30/08/2024

एक गाँव में एक छोटा लड़का था जिसका नाम रोहित था। रोहित बहुत ही होशियार और मेहनती था। वह हमेशा अपने माता-पिता की मदद करता और गाँव के बुजुर्गों का सम्मान करता था। गाँव के लोग उसे बहुत पसंद करते थे और उसकी तारीफ करते थे।

एक दिन गाँव में एक साधु आया। वह बहुत ही ज्ञानी और तपस्वी था। लोग उसके पास आशीर्वाद लेने और अपनी समस्याओं का हल पूछने आते थे। रोहित ने भी साधु के बारे में सुना और उसके पास जाने का निश्चय किया।

रोहित साधु के पास पहुँचा और विनम्रता से बोला, "महात्मा जी, मैं आपसे ज्ञान प्राप्त करना चाहता हूँ। मुझे बताइए कि जीवन में सफलता कैसे प्राप्त होती है?"

साधु ने मुस्कुराते हुए कहा, "सफलता के लिए तीन चीजें आवश्यक हैं: पहला, मेहनत; दूसरा, ईमानदारी; और तीसरा, धैर्य।"

रोहित ने पूछा, "महात्मा जी, क्या आप मुझे यह विस्तार से समझा सकते हैं?"

साधु ने कहा, "मेहनत का मतलब है कि तुम जो भी काम करो, उसे पूरी लगन और मेहनत से करो। ईमानदारी का मतलब है कि तुम जो भी करो, उसमें सच्चाई और निष्कपटता होनी चाहिए। और धैर्य का मतलब है कि सफलता एक दिन में नहीं मिलती, इसके लिए समय और धैर्य की आवश्यकता होती है।"

रोहित ने साधु की बातों को ध्यान से सुना और उन पर अमल करने का निश्चय किया। वह और भी मेहनत करने लगा, हमेशा ईमानदार रहा, और कभी भी हिम्मत नहीं हारी। समय के साथ रोहित ने अपने जीवन में बहुत सफलता प्राप्त की और पूरे गाँव में उसकी मिसाल दी जाने लगी।

इस तरह रोहित ने साधु की बातों को समझकर अपने जीवन को सफल बना लिया। इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन में मेहनत, ईमानदारी, और धैर्य का महत्व कितना अधिक होता है।

चाय के नुक्साननमस्कार दोस्तों,आज हम बात करेंगे चाय के नुक्सानों के बारे में। चाय, जो हमारे दैनिक जीवन का एक हिस्सा बन चु...
29/08/2024

चाय के नुक्सान

नमस्कार दोस्तों,

आज हम बात करेंगे चाय के नुक्सानों के बारे में। चाय, जो हमारे दैनिक जीवन का एक हिस्सा बन चुकी है, सेहत के लिए कई बार हानिकारक साबित हो सकती है। आइए जानते हैं इसके मुख्य नुक्सान:

पाचन समस्याएँ: चाय में मौजूद कैफीन पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है। यह पेट में एसिडिटी और गैस्ट्राइटिस का कारण बन सकता है।

नींद में समस्या: चाय में कैफीन की उच्च मात्रा नींद में व्यवधान डाल सकती है, जिससे नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है।

आयरन की कमी: चाय के साथ भोजन करने से आयरन का अवशोषण कम हो सकता है, जो खून की कमी की समस्या पैदा कर सकता है।

हड्डियों की कमजोरी: अधिक चाय पीने से कैल्शियम का अवशोषण प्रभावित हो सकता है, जिससे हड्डियाँ कमजोर हो सकती हैं।

दांतों की समस्या: चाय में टैनिन्स होते हैं, जो दांतों में दाग और प्लाक जमा कर सकते हैं।

उच्च रक्तदाब: कैफीन का अत्यधिक सेवन रक्तदाब को बढ़ा सकता है, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

इन नुक्सानों को ध्यान में रखते हुए, चाय का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए और स्वास्थपूर्ण विकल्पों को प्राथमिकता देना चाहिए।

धन्यवाद!

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गांव की परियों की कहानीएक छोटे से गांव में जहां हरियाली और शांति का साम्राज्य था, वहां एक दिलचस्प कहानी चल रही थी। गांव ...
28/08/2024

गांव की परियों की कहानी

एक छोटे से गांव में जहां हरियाली और शांति का साम्राज्य था, वहां एक दिलचस्प कहानी चल रही थी। गांव के लोग मानते थे कि उनके आसपास के जंगलों में परियां बसती हैं। ये परियां गाँववालों की मदद करती थीं, लेकिन उनके दर्शन कभी नहीं होते थे।

एक दिन, गाँव में एक नए शिक्षक का आगमन हुआ। नाम था अर्जुन। अर्जुन ने गाँव के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया और उन्हें परियों की कहानियाँ सुनाने लगे। बच्चों के बीच ये कहानियाँ बहुत लोकप्रिय हो गईं। लेकिन अर्जुन को खुद परियों के अस्तित्व पर शक था।

एक रात, अर्जुन ने तय किया कि वह इन परियों को खुद देखेगा। उसने चाँदनी रात का चयन किया और जंगल की ओर बढ़ा। जैसे ही वह जंगल के गहराई में पहुँचा, उसने देखा कि छोटे-छोटे चमकदार प्रकाश उसके चारों ओर मंडरा रहे हैं। वह जान गया कि ये वही परियां हैं जिनके बारे में लोग कहते थे।

अर्जुन ने अपनी आँखें बंद की और पूरी तरह से शांत हो गया। अचानक, एक प्यारी सी आवाज सुनाई दी, “तुम्हारे दिल में सच्ची जिज्ञासा है, यही तुम्हारी कुंजी है। हमें देखकर तुम खुश हो, यही हमारे लिए काफी है।”

अर्जुन ने महसूस किया कि परियाँ किसी के सामने खुद को दिखाने की बजाय, उनके मन की सच्चाई को समझती हैं। उसने उस रात परियों के साथ समय बिताया और उनके रहस्यमय संसार के बारे में जाना। वह यह भी जान गया कि परियाँ सिर्फ दिखावे के लिए नहीं, बल्कि उन लोगों की मदद करती हैं जिनके दिल में सच्चाई और अच्छाई होती है।

गाँव लौटकर, अर्जुन ने बच्चों को बताया कि परियाँ सच्ची होती हैं, लेकिन उनकी वास्तविकता दिल की गहराई में छिपी होती है। गांववासियों ने फिर से परियों के अस्तित्व को मान लिया और हर किसी ने दिल से अच्छाई और सच्चाई के रास्ते पर चलने की कोशिश की।

समय के साथ, अर्जुन की कहानियाँ और परियों का मान्यता गाँव की सांस्कृतिक धरोहर बन गया, और लोग समझ गए कि असली जादू खुद के अंदर ही होता है।

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कहानी   "बूढ़े पीपल की छाँव"किसी छोटे से गाँव में एक बड़ा सा पीपल का पेड़ था। गाँववाले कहते थे कि इस पेड़ की छाँव में बै...
27/08/2024

कहानी "बूढ़े पीपल की छाँव"

किसी छोटे से गाँव में एक बड़ा सा पीपल का पेड़ था। गाँववाले कहते थे कि इस पेड़ की छाँव में बैठना सुखद और शुभ होता है। यह पीपल का पेड़ एक परिवार की कहानी से जुड़ा था।

जैसे-जैसे समय बीतता गया, उस पेड़ के नीचे एक छोटे से घर का निर्माण हुआ। इस घर में दादी-नानी, उनके बेटे और बहु, और दो छोटे पोते-पोती रहते थे। दादी-नानी का नाम मीरा था, जो गाँव की सबसे ज्ञानी महिला मानी जाती थीं। वे हमेशा अपने पोते-पोती को कहानियाँ सुनाती थीं, जो उस पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर और भी मजेदार लगती थीं।

एक दिन, दादी मीरा ने बच्चों को बताया कि इस पेड़ की छाँव में बैठकर एक पुराना राज खुलने वाला है। बच्चों ने उत्सुकता से पूछा, "किस राज के बारे में दादी?"

दादी मीरा ने मुस्कुराते हुए कहा, "यह पेड़ हमारे पूर्वजों का है। इसके नीचे बैठने से हमें उनके समय की कहानियाँ सुनने को मिलती हैं, जो हमें सिखाती हैं कि परिवार और एकता कितनी महत्वपूर्ण है।"

समय के साथ, बच्चों ने इस कहानी को समझा और अपने दादा-दादी की कहानियों को अपने बच्चों को सुनाना शुरू किया। इस तरह, पीपल का पेड़ परिवार की एकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बन गया।



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यह कहानी एक छोटे से गांव में रहने वाले एक परिवार की है। उस परिवार में चार लोग थे - पिताजी, माँ, और दो बच्चे, एक बेटा और ...
26/08/2024

यह कहानी एक छोटे से गांव में रहने वाले एक परिवार की है। उस परिवार में चार लोग थे - पिताजी, माँ, और दो बच्चे, एक बेटा और एक बेटी। पिताजी का नाम रमेश था और वो गांव के सबसे अच्छे किसान थे। माँ, सुमन, घर का सारा कामकाज संभालती थी और अपने बच्चों की देखभाल करती थी।

बड़ा बेटा, अर्जुन, पढ़ाई में बहुत होशियार था। वो हमेशा स्कूल में अव्वल आता और सभी शिक्षकों का प्रिय था। छोटी बेटी, पायल, बहुत चंचल और हंसमुख थी। वो हर किसी का दिल जीत लेती थी अपनी मुस्कान से।

रमेश जी के खेत गांव के सबसे उपजाऊ माने जाते थे। उन्होंने अपने बच्चों को हमेशा सिखाया कि मेहनत का फल मीठा होता है। अर्जुन भी अपनी पढ़ाई में पूरी मेहनत करता और पायल अपनी माँ का हाथ बंटाती थी।

एक बार, गांव में बहुत भारी बारिश हुई। सभी किसानों की फसलें खराब हो गईं। रमेश जी भी चिंतित हो गए क्योंकि उनकी फसल भी बर्बाद हो गई थी। बच्चों ने अपने पिताजी को उदास देखकर, कुछ करने की ठानी।

अर्जुन ने अपने स्कूल की विज्ञान की किताब में पढ़ा था कि कैसे कम पानी में भी अच्छी फसल उगाई जा सकती है। उसने अपने पिताजी को ये नया तरीका बताया। पिताजी ने पहले तो सोचा कि ये सिर्फ किताबों की बातें हैं, लेकिन बच्चों के हौसले और उनकी मदद से उन्होंने इस नए तरीके को अपनाने का फैसला किया।

अर्जुन और पायल ने भी अपने पिताजी की पूरी मदद की। पूरे परिवार ने मिलकर नई तकनीक का प्रयोग किया और कड़ी मेहनत की। धीरे-धीरे उनकी फसल फिर से हरी-भरी होने लगी। गांव के अन्य किसान भी रमेश जी की इस सफलता को देखकर प्रेरित हुए और उन्होंने भी यह तरीका अपनाया।

इस तरह, पूरे परिवार की मेहनत और एकता के कारण, न केवल उनकी फसल फिर से हरी-भरी हुई, बल्कि पूरे गांव के किसान भी समृद्ध हो गए। उस दिन रमेश जी ने अपने बच्चों को गले लगाते हुए कहा, "मेहनत का फल मीठा होता है, लेकिन जब परिवार साथ हो, तो वह फल और भी मीठा हो जाता है।"

यह कहानी हमें सिखाती है कि परिवार में एकता, मेहनत, और विश्वास से हर मुश्किल का सामना किया जा सकता है।

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