विश्व संवाद केंद्र- ब्रज प्रांत

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*🤺500 सैनिकों का विद्रोह* 🔥          ================भारत के पंजाब प्रांत में अमृतसर शहर के समीप स्थित अजनाला गाँव में म...
30/07/2025

*🤺500 सैनिकों का विद्रोह* 🔥
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भारत के पंजाब प्रांत में अमृतसर शहर के समीप स्थित अजनाला गाँव में मौजूद "कालों के कुआँ" में अंग्रेजी हुकूमत की दरिंदगी की ऎसी खौफनाक दास्तान छिपी हुई है, जिसे जान कर किसी की भी आँखों के आँसू नहीं रूक पाएँगे। यह वहीं कुआँ है जिसमें सन् 1857 की क्रांति के दौरान अंग्रेजों ने 282 क्रान्तिकारियों को जिंदा दफ़न कर दिया था। सन् 1857 की क्रांति के समय ब्रिटिश सरकार ने सैनिकों में विद्रोह ना फैले इसके लिए अनेक प्रयत्न किए। अंग्रेज़ी सरकार ने शक के आधार पर सैनिक टुकड़ियों को निशस्त्र (disarming) करने लगी। *13.05.1857 को लाहौर की मियाँ मीर छावनी में प्रात: 08 बजे बंगाल नेटिव इन्फेंट्री (पैदल सेना) के सिपाहियों का निशस्त्रीकरण कर दिया गया* ताकि इस क्षेत्र में सेना विद्रोह न कर पाए। सुबह की परेड के बाद इन सिपाहियों को कैद कर लिया गया। *30.07.1857 तक कैद में रहने के बाद 500 सैनिकों ने भी क्रांति का झंडा उठा लिया और अंग्रेजों की कैद से भाग निकले।* 31.07.1857 को इन सैनिकों का जत्था अजनाला कस्बे के 5-6 किलोमीटर पीछे रावी नदी के किनारे स्थित दादियां सोफियाँ गाँव के पास पहुँचा। भूख व थकान के मारे इन सैनिकों का बुरा हाल था, इनके पास देश के लिए लड़ने का जज्बा तो था परंतु हथियार व राशन नहीं।

*दादियाँ सोफियाँ गाँव के जमींदारों ने सैनिकों को रोटी-पानी देने का लालच देकर गाँव में ही ठहरा लिया और तहसीलदार दीवान प्राण नाथ को इसकी सूचना दे दी। तहसीलदार ने अमृतसर के तत्कालीन उपायुक्त ( Deputy Commissioner ) फ्रेडरिक हेनरी कूपर को इसकी जानकारी भेजी।* उस समय थाने व तहसील में जितने भी सशस्त्र सिपाही थे उक्त गाँव में भेज दिए गए ताकि इन सैनिकों को मौत के घाट उतारा जा सके। गाँव में पहुँचते ही ब्रिटिश सेना व पुलिस के जवान इन थके मांदे व भूखे सिपाहियों पर भूखे भेडि़यों की तरह टूट पड़े। 150 सिपाही जख्मी होकर अपनी जान बचाने के लिए रावी नदी में कूद गए और बलिदान हो गए। 50 सिपाही लड़ते हुए नदी में गिर गए और सदा के लिए अलोप हो गए। इतने में डिप्टी कमिश्नर फ्रेडरिक हेनरी कूपर अपने सैनिकों के साथ पहुँच गया। गाँव के लोगों की सहायता से डिप्टी कमिश्नर फ्रेडरिक हेनरी कूपर ने 282 सैनिकों को गिरफ्तार कर लिया और रस्सियों से बाँध कर इन्हें अजनाला लाया गया। 237 सैनिकों को थाने में बंद करने के बाद बाकी सैनिकों को एक कोठरी में ठूँस दिया गया।

योजना अनुसार इनको 31.07.1857 को फाँसी लगाया जाना था, परंतु भारी बरसात के कारण इस योजना को अगले दिन के लिए लंबित कर दिया गया। अगले दिन 01.08.1857 को ईद वाले दिन 237 सिपाहियों को 10-10 की टोली में बाहर निकाला गया और गोलियों से भून दिया गया। सफाई कर्मचारियों ने इन लाशों को एक-दूसरे के ऊपर इस तरह गिराना शुरू कर दिया कि वहाँ लाशों का ढेर लग गया। इन सिपाहियों को मारने के बाद कोठडी/ बुर्जी में बंद सिपाहियों को बाहर निकाला गया तो यहाँ पर बहुत से सैनिक तो दम घुटने, भूख-प्यास व थकान के मारे पहले ही बलिदान हो चुके थे। उपायुक्त कूपर के आदेश पर ब्रिटिश सेना ने अर्ध-बेहोशी की हालत में बाकी सैनिकों को भी बलिदान कर दिया। *जिला गजेटियर 1892-93 के पृष्ठ क्रमांक 170-71 के अनुसार इन सैनिकों के शव एक खाली पड़े कुएँ में डलवा कर ऊपर टीला बनवा दिया गया जिसे 'कालेयाँवाले दा खूह' नाम दे दिया गया।*
@मातृभूमि सेवा संस्था
#भारतीय_इतिहास #इतिहास #साहित्यकार

NCERT पाठ्यक्रम में हुआ सकारात्मक बदलाव !• अब स्कूलों में बच्चे पढ़ेंगे भारत का सच्चा इतिहास, मुगलों के अत्याचारों को छु...
30/07/2025

NCERT पाठ्यक्रम में हुआ सकारात्मक बदलाव !

• अब स्कूलों में बच्चे पढ़ेंगे भारत का सच्चा इतिहास, मुगलों के अत्याचारों को छुपाकर उन्हें 'आदर्श बताने वाले बनावटी सबक नहीं

• नई कक्षा 8 की पाठ्यपुस्तक में एनसीईआरटी ने आखिरकार मुगल महिमामंडन के युग का अंत कर दिया है। बाबर को क्रूर आक्रमणकारी और औरंगज़ेब को मंदिर-विध्वंसक कहना, सच्चे और उपनिवेश-मुक्त इतिहास की ओर एक कदम है।

• पुस्तकों में वेद, वैदिक देवताओं और उपनिषदों का उल्लेख, भारत और जम्बू द्वीप का नाम। पुस्तकें ऋग्वेद और सप्त सिंधु नाम से भारत के प्राचीन इतिहास के बारे में बात करती हैं। अध्याय में भारत नाम के लिए विष्णु पुराण का भी संदर्भ दिया गया है।

• भारत की सांस्कृतिक जड़ों से संबंधित एक समर्पित अध्याय है, जिसमें हिंदू, बौद्ध और जैन संस्कृति के बारे में बात की गई है।

• इन पुस्तकों में भारत की पवित्र नदियों और पर्वतों पर भी अध्याय शामिल हैं, जो लोगों के लिए उनके सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हैं।
#इतिहास
तेरा वैभव अमर रहे मां
🚩
#भारतीय_इतिहास

डीआरडीओ ने 28 और 29 जुलाई, 2025 को ओडिशा के समुद्री तट पर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से प्रलय मिसाइल के लगातार दो सफल प...
30/07/2025

डीआरडीओ ने 28 और 29 जुलाई, 2025 को ओडिशा के समुद्री तट पर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से प्रलय मिसाइल के लगातार दो सफल परीक्षण किए।

Pralay Missile - DRDO successfully conducts two consecutive flight-tests

https://vskbharat.com/pralay-missile-drdo-successfully-conducts-two-consecutive-flight-tests/?lang=en

30/07/2025

गोविन्द चन्द्र पाण्डे विख्यात विद्वान, लेखक, आलोचक की जयन्ती पर कोटि-कोटि नमन

|| 30 जुलाई 1923 - 22 मई 2011 ||

गोविंद चंद्र पांडे एक प्रख्यात भारतीय विद्वान थे, जिन्हें संस्कृत, लैटिन और हिब्रू सहित विभिन्न भाषाओं के गहन ज्ञान के लिए जाना जाता था।

वह संस्कृत, हिब्रू तथा लेटिन आदि अनेक भाषाओं के विद्वान, कई पुस्तकों के प्रसिद्ध लेखक तथा कवि थे। प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति, बौद्ध दर्शन, साहित्य, इतिहास लेखन तथा दर्शन आदि में गोविन्द चन्द्र पाण्डे को विशेषज्ञता प्राप्त थी,

वर्ष 2010 में उन्हें 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया था। आप एक महान चिंतक और साहित्यकार के रूप में सदैव स्मरणीय हैं

#जयन्ती
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30/07/2025

पद्म विभूषण डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी भारत की पहली महिला विधायक, एवं सर्जन

|| जयन्ती पर कोटि-कोटि नमन ||

|| 30 जुलाई 1886 -22 जुलाई 1968 ||

मुथुलक्ष्मी रेड्डी एक प्रमुख भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ थीं। वह भारत की पहली महिला विधायक बनीं और महिलाओं के अधिकारों, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए उन्होंने काम किया।

मुथुलक्ष्मी रेड्डी ने मद्रास विधान परिषद में चुनी जाने वाली पहली महिला के रूप में इतिहास रचा और महिलाओं के अधिकारों के लिए कई महत्वपूर्ण बिल पास करवाए। मुथुलक्ष्मी रेड्डी जी एक प्रेरणादायक महिला थीं, जिन्होंने समाज में महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और एक बेहतर भविष्य का निर्माण किया।

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#प्रेरणादायक_नारी



30/07/2025

प्रसिद्ध क्रांतिकारी सत्येंद्रनाथ बोस का जन्म 30 जुलाई, 1882 ई. को मिदनापुर में हुआ था। अरविंद घोष के प्रभाव से वे क्रांतिकारी आंदोलन के संपर्क में आए। अरविंद ने जतिन बनर्जी को 1902 में बड़ौदा के लिये इस उद्देश्य से भेजा था कि वे बंगाल में क्रांतिकारियों के संगठन को बढ़ाएं। जतिन बनर्जी बाद में स्वामी निरालंब के नाम से प्रसिद्ध हुए। इन्हीं की प्रेरणा तथा स्वामी विवेकानंद और बैंकिंग के साहित्य के प्रभाव से सत्येंद्र नाथ बोस ने युवकों को अपने दल में आकृष्ट करने के लिए 'छात्र भंडार' नामक संस्था बनाई। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य स्वदेशी का प्रचार करना था, लेकिन इस संस्था ने युवकों को क्रांतिकारी दल से जोड़ने का कार्य किया।

सत्येन्द्रनाथ बोस गरम स्वभाव के व्यक्ति थे। उनके विचार लोकमान्य तिलक, अरविंद आदि से मिलते थे। किंग्सफोर्ड की हत्या कराने के लिये खुदीराम बोस को सत्येंद्र बोस ने ही खोजा था। किंग्सफोर्ड पर आक्रमण की घटना के बाद अवैध तरीके से हथियार रखने के कारण सत्येंद्र बोस को 2 महीने की सजा हुई और उन्हें अलीपुर जेल भेज दिया गया।

मुखबिर की हत्या
सत्येन्द्रनाथ बोस ने जेल में एक वीरेन गोस्वामी नामके मुखबिर की हत्या करा दी थी। अलीपुर जेल में अलीपुर बम कांड के आरोपी अरविंद कुमार, वीरेंद्र कुमार और हेमचंद्र भी विचाराधीन कैदी के रूप में बंद थे। उन्हीं में से एक वीरेन गोस्वामी सरकारी गवाह बन गया। उसे समाप्त करने के लिए चोरी छुपे जेल में हथियार मंगाए गए और उसकी हत्या करा दी गयी।

प्रसिद्ध क्रांतिकारी सत्येंद्रनाथ बोस पर इस हत्या का मुकदमा चला और 21 नवंबर, 1908 ई. को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया।
कोटि-कोटि नमन्
साभार Bharat discovery

भोपाल के बागसेवनिया की कटारा हिल्स, काशी विश्वनाथ, भगवती व बर्रई बस्तियों में जल भराव से प्रभावित परिवारों से स्वयंसेवको...
30/07/2025

भोपाल के बागसेवनिया की कटारा हिल्स, काशी विश्वनाथ, भगवती व बर्रई बस्तियों में जल भराव से प्रभावित परिवारों से स्वयंसेवकों ने घर-घर जाकर संपर्क किया। अस्थायी आश्रय हेतु स्कूल में व्यवस्था हेतु प्रयास जारी है, प्रभावित घरों को तिरपाल से ढकने का कार्य किया जा रहा है और राशन-दवाइयों का वितरण किया गया। तत्काल सहायता के साथ समाधान के लिए सामूहिक प्रयास जारी हैं।


🌟 समय आ गया है – हृदय परिवर्तन से युग परिवर्तन का! 🌟  विश्व हिन्दू परिषद द्वारा प्रस्तुत एक सामाजिक जागरण का आह्वान।--- ...
29/07/2025

🌟 समय आ गया है – हृदय परिवर्तन से युग परिवर्तन का! 🌟

विश्व हिन्दू परिषद द्वारा प्रस्तुत एक सामाजिक जागरण का आह्वान।

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1️⃣ परिवार प्रबोधन
परिवार समाज की मूल इकाई है। जब परिवार में संस्कार, संवाद और सहयोग की भावना होती है, तब बच्चे अच्छे नागरिक बनते हैं।
👉 प्रबोधन का अर्थ है – परिवार में नैतिक मूल्यों, परंपराओं और सामाजिक जिम्मेदारियों की समझ को बढ़ाना।
यह पहल हमें एक ऐसे समाज की ओर ले जाती है जहाँ हर व्यक्ति अपने कर्तव्यों को समझता है।

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2️⃣ सामाजिक समरसता
समरसता का अर्थ है – सभी वर्गों, जातियों और समुदायों के बीच समानता और भाईचारा।
👉 जब हम भेदभाव से ऊपर उठकर एक-दूसरे को अपनाते हैं, तब समाज में स्थायित्व और शांति आती है।
यह विचार हमें एक ऐसे भारत की ओर ले जाता है जहाँ विविधता में एकता हो।

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3️⃣ स्व भाव का जागरण
यह आत्मचिंतन और आत्मबोध की प्रक्रिया है।
👉 जब व्यक्ति अपने स्व के भाव, गुणों और कमजोरियों को पहचानता है, तब वह आत्मविकास की दिशा में अग्रसर होता है।
यह जागरण हमें भीतर से सशक्त बनाता है और समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

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4️⃣ पर्यावरण संरक्षण
प्रकृति हमारी जीवनदायिनी है।
👉 वृक्षारोपण, जल संरक्षण, प्लास्टिक मुक्त जीवनशैली जैसे छोटे कदम बड़े परिवर्तन ला सकते हैं।
पर्यावरण की रक्षा केवल एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक पुनीत कर्तव्य है।

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5️⃣ नागरिक व्यवहार
एक सभ्य समाज का निर्माण जिम्मेदार नागरिकों से होता है।
👉 सड़क पर नियमों का पालन, सार्वजनिक स्थानों की स्वच्छता, मतदान में भागीदारी – ये सब नागरिक कर्तव्यों का हिस्सा हैं।
जब हर नागरिक सजग होता है, तब राष्ट्र प्रगति करता है।

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🙏 आइए, हम सब मिलकर इस युग परिवर्तन के अभियान में सहभागी बनें।
हृदय से परिवर्तन करें, समाज को दिशा दें।

📌 ** #पंचपरिवर्तन
#विश्वहिन्दूपरिषद #युगपरिवर्तन #हृदयपरिवर्तन #परिवारप्रबोधन #समरसता #पर्यावरणसंरक्षण #नागरिककर्तव्य**

आईआईटी कानपुर के छात्रों ने आनंदेश्वर मंदिर तक 2.5 किलोमीटर की कांवड़ यात्रा की जिसमें संकाय प्राध्यापक और सामाजिक कार्य...
29/07/2025

आईआईटी कानपुर के छात्रों ने आनंदेश्वर मंदिर तक 2.5 किलोमीटर की कांवड़ यात्रा की जिसमें संकाय प्राध्यापक और सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हुए।

29/07/2025

स्व ठाकुर ईश्वरदान सिंह आशिया जी जिन्होंने स्वाधीनता संग्राम में महान भूमिका निभाई साथ ही वह एक प्रसिद्ध समाज सुधारक भी रहे।
इनका जन्म 15 जून 1895 में हुआ तथा इनका स्वर्गवास 29 जुलाई 1989 को हो गया। आज उनकी पुण्यतिथि पर हम इन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि देते हैं।
#29जुलाई
#ठाकुर_ईश्वरदान_सिंह_आशिया
#पुण्यतिथि

29 जुलाई 1891 नारी उत्थान को समर्पित समाज सुधारक प्रख्यात शिक्षाविद् ईश्वर चन्द्र विद्यासागर पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि  नमन...
29/07/2025

29 जुलाई 1891 नारी उत्थान को समर्पित समाज सुधारक प्रख्यात शिक्षाविद् ईश्वर चन्द्र विद्यासागर पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन

29 जुलाई 1904 आधुनिक भारतीय उद्योग के शिल्पी भारत रत्न जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा जयन्ती पर कोटि-कोटि नमन

29 जुलाई 1996 प्रसिद्द स्वतंत्रता सेनानी पद्म विभूषण अरुणा आसफ अली पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन

#ईश्वर_चन्द्र_विद्यासागर
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29/07/2025

आज बाघों की कम होती संख्या, चिंता का विषय है। आइये आज विश्व बाघ दिवस पर शपथ लें कि हम अपने स्वार्थ हेतु बाघ या अन्य वन्य जीवों के प्राकृतिक जीवन शैली में अवरोध का कारण नही बनेंगे ।
#बाघ_दिवस

#बाघ

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