विश्व संवाद केंद्र- ब्रज प्रांत

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|| कार्तिक अमावस्या ||शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा । शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते ॥ दीपो ज्योति परं ब्र...
20/10/2025

|| कार्तिक अमावस्या ||

शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा ।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते ॥
दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः ।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते ॥

अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाले सुख-समृद्धि के पर्व दीपावली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं

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श्रद्धा पर आर्थिकता का मापदण्ड कितना उचित? गोहत्या पर श्री गुरुजी का चिंतनसंघ संस्मरण -'गोहत्या को लेकर चिंतन करते हुए ए...
20/10/2025

श्रद्धा पर आर्थिकता का मापदण्ड कितना उचित? गोहत्या पर श्री गुरुजी का चिंतन

संघ संस्मरण -

'गोहत्या को लेकर चिंतन करते हुए एक लेख में श्री गुरुजी लिखते हैं, "आजकल बड़े-बड़े विद्वान, ख्यातनाम सज्जन भी गोहत्या का आर्थिक दृष्टि से समर्थन करते हुए दिखाई देते हैं, गोहत्या-निषेध से चर्म व्यापार से होने वाली आर्थिक डॉलर प्राप्ति रुक जाएगी आदि अनेक आक्षेप खड़े करते हुए भी दिखाई देते हैं। गोहत्या निषेध के विचार को वायुमण्डल में प्रेषित करने के उपरांत अनेक विद्वानों ने इन सब आक्षेपों का सांगोपांग विवेचन करने का निश्चय किया है। इसके पूर्व भी अनेक विद्वानों ने इस सम्बन्ध में आंकड़ों द्वारा इन आक्षेपों का खोखलापन सिद्ध किया हुआ है।

परन्तु मैं समझता हूँ कि श्रद्धा के विषय में आर्थिकता का मापदण्ड लगाना अनुचित है। उदाहरण के लिए अपने राज्य का ध्वज है, कोई उसे उतारकर तोड़-फोड़ दे तो कौन सी बड़ी हानि होगी? एक डंडा, कुछ थोड़ा सा कपड़ा, इतना ही आर्थिक दृष्टि से उसका स्वरूप है। परन्तु यदि कोई आक्रमणकारी इस अपने राज्य ध्वज को अपमानित करने के लिए दलबल सहित सजकर आता है तो आर्थिक दृष्टि से अत्यल्प मूल्य के उस वस्त्र के निमित्त अपना अपरिमित धन, असंख्य लोगों के प्राण आदि उस पर न्यौछावर कर उसकी मानमर्यादा सुरक्षित करना, यही अपना कर्तव्य होता है। राष्ट्र को एकत्रित कर उसमें चैतन्य फूंकने वाला वह मान बिन्दु, कितना भी धन-जन का मूल्य क्यों न देना पड़े, सर्वथा रक्षणीय है।

।। श्री गुरूजी व्यक्तित्व एवं कृतित्व, डॉ. कृष्ण कुमार बवेजा, पृष्ठ 75 ।।

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गोरक्षक डा. राशिद अली - बलिदान दिवस 20 अक्तूबरगाय का भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान है। सभी भारतीय मत-पंथ इसे पूज्य मान...
20/10/2025

गोरक्षक डा. राशिद अली - बलिदान दिवस 20 अक्तूबर

गाय का भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान है। सभी भारतीय मत-पंथ इसे पूज्य मानते हैं। इस्लाम में भी गोहत्या या गोमांस खाने का आदेश नहीं है; पर हिन्दुओं को अपमानित करने के लिए मुस्लिम शासकों द्वारा चालू की गयी कुप्रथा आज भी जारी है। इस बारे में कानून भी स्पष्ट और कठोर नहीं है।

लेकिन अनेक समझदार एवं देशभक्त मुसलमान गाय को हितकारी पशु मानकर उसकी सेवा एवं रक्षा का प्रयत्न करते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रयास से ऐसे मुसलमानों को संगठित करने का प्रयास भी हो रहा है। इसके लिए ‘मुस्लिम राष्ट्रीय मंच’ तथा ‘माई हिन्दुस्तान’ जैसे संगठन सक्रिय हैं।

डा. राशिद अली ‘मुस्लिम राष्ट्रीय मंच’ के सक्रिय कार्यकर्ता थे। उनका जन्म ग्राम नगला झंडा (जिला सहारनपुर, उ.प्र.) के एक पठान परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री हफीजुर्रहमान था। चिकित्सा का प्रशिक्षण (बी.आई.एम.एस.) प्राप्त कर वे अपने गांव में ही चिकित्सा कार्य करने लगे।

डा. राशिद अली के मन में सम्पूर्ण मानवमात्र के लिए प्रेम और करुणा की भावना थी। अतः मांसाहारी परिवार में जन्म लेने के बावजूद उन्होंने शाकाहार को अपनाया। उनका मत था कि हिन्दू और मुसलमानों की एकता से ही भारत की उन्नति होगी, और इसके लिए गोहत्या बंद होनी बहुत आवश्यक है।

गोप्रेमी होने के कारण उन्होंने इससे सम्बन्धित कानूनों का अध्ययन किया। इससे उन्हें पता लगा कि एक ट्रक में छह से अधिक गायों को नहीं ले जाया जा सकता; पर पशुओं के व्यापारी एक साथ 20-25 गायों को ठूंसकर काटने के लिए उन्हें पशु मंडी में ले जाते थे। पुलिस और प्रशासन भी घूस खाकर अपनी आंख बंद कर लेता है। इससे उनका मन बहुत दुखी होता था।

पश्चिमी उ.प्र. में मुसलमानों की जनसंख्या बहुत अधिक है। उसकी सीमाएं हरियाणा से भी लगती हैं। सहारनपुर जिले में ही ऐसे कई गांव हैं, जहां खुलेआम गोहत्या होती थी। मुसलमान वोटों के लालच में राजनेता भी इस ओर ध्यान नहीं देते थे। ऐसे में डा. राशिद अली ने इसके विरुद्ध कमर कस ली तथा 1998 में अपना चिकित्सालय बंद कर पूरा समय गोरक्षा को समर्पित कर दिया।

जब भी उन्हें यह सूचना मिलती कि गायों को हत्या के लिए ले जाया जा रहा है, वे अपनी मोटर साइकिल लेकर निकल पड़ते। इस प्रकार उन्होंने हजारों गोवंश की प्राणरक्षा की; पर यह काम इतना सरल नहीं था। एक ओर कट्टरपंथी मुल्ला, तो दूसरी ओर गोहत्यारे उनके पीछे पड़ गये। उन्हें धमकियां मिलने लगीं; पर उन्होंने अपने संकल्प से पीछे हटना स्वीकार नहीं किया।

वर्ष 2002 में घर जाते समय कुछ लोगों ने उन्हें घेर कर चाकुओं से हमला कर दिया। पेट में गहरे घाव होने से वे बेहोश हो गये; पर गोमाता के आशीर्वाद तथा समय पर सहायता मिलने से वे शीघ्र ही स्वस्थ हो गये। कुछ दिन बाद हुए एक समारोह में उन्होंने कहा कि ‘‘ये घाव तो कुछ भी नहीं हैं। गोमाता की रक्षा के लिए यदि मुझे प्राण भी देने पड़ें, तो मैं पीछे नहीं हटूंगा।’’

20 अक्तूबर, 2003 को उन्हें दूरभाष से किसी ने सूचना दी कि ग्राम खुजनापुर में कहीं से एक ट्रक भर कर गाय लाई गयी हैं, जिन्हें अगले दिन काटा जाएगा। यह सुनते ही उन्होंने अपने भाई आसिफ अली को मोटर साइकिल पर बिठाया और वहां पहुंच कर सभी 25 गायों को छुड़ा लिया।

पर इससे गोहत्यारे बहुत नाराज हो गये। जब डा. राशिद घर वापस जा रहे थे, तो चार लोगों ने उनका पीछा किया और अपने गांव नगला झंडा पहुंचने से कुछ पहले ही उनके सीने में गोली दाग दी। गोली लगते ही वे गिर गये। जब तक लोग सहायता के लिए आये, तब तक उनके प्राण पखेरू उड़ गये।

इस प्रकार एक मुसलमान गोरक्षक ने अपने संकल्प को पूरा करते हुए प्राणों की आहुति दे दी।

लीला सेठ ( 20अक्टूबर 1930 – 5 मई 2017)भारत में एक राजकीय उच्च न्यायालय की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश थी। लीला सेठ 1978 म...
20/10/2025

लीला सेठ ( 20अक्टूबर 1930 – 5 मई 2017)
भारत में एक राजकीय उच्च न्यायालय की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश थी। लीला सेठ 1978 में दिल्ली उच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश बनी। इसके बाद में 1991 में हिमाचल प्रदेश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुई। लीला सेठ दुष्कर्म कानूनों की निरिक्षण करने के लिए गठित जस्टिस वर्मा समिति की 3 सदस्यीय बेंच का भी हिस्सा थी।

1998 से 2000 तक वे भारतीय विधि आयोग की सदस्य रही और हिन्दू उतराधिकार कानून में संशोधन कराया जिसके तहत संयुक्त परिवार में बेटियों को बराबर का अधिकार प्रदान किया गया

लंदन में बार की परीक्षा में शीर्ष पर रहने, भारत के 15वें विधि आयोग की सदस्य बनने और कुछ चर्चित न्यायिक मामलों में विशेष योगदान के कारण लीला सेठ का नाम विख्यात है। निर्भया कांड में भी निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका।
स्वर्गीय लीला सेठ जी की जयंती पर सादर नमन्।

20 अक्टूबर 1964 आजादी के गुमनाम नायक स्वतन्त्रता सेनानी हिराली चनाया दासप्पा जी की पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन20 अक्टूबर ...
20/10/2025

20 अक्टूबर 1964 आजादी के गुमनाम नायक स्वतन्त्रता सेनानी हिराली चनाया दासप्पा जी की पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन

20 अक्टूबर 1967 आजादी के गुमनाम नायक क्रान्तिकारी विश्वनाथ वैशंपायन जी की पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन

#पुण्यस्मरण

चीनी सेना ने 20 अक्टूबर 1962 को लद्दाख में और मैकमोहन रेखा के पार एक साथ हमले शुरू किये। चीनी सेना दोनों मोर्चे में भारत...
20/10/2025

चीनी सेना ने 20 अक्टूबर 1962 को लद्दाख में और मैकमोहन रेखा के पार एक साथ हमले शुरू किये। चीनी सेना दोनों मोर्चे में भारतीय बलों पर उन्नत साबित हुई और पश्चिमी क्षेत्र में चुशूल में रेजांग-ला एवं पूर्व में तवांग पर अवैध कब्ज़ा कर लिया। चीन ने 20 नवम्बर 1962 को युद्ध विराम की घोषणा कर दी और साथ ही विवादित दो क्षेत्रों में से एक से अपनी वापसी की घोषणा भी की, हलाकिं अक्साई चिन से भारतीय पोस्ट और गश्ती दल हटा दिए गए थे, जो संघर्ष के अंत के बाद प्रत्यक्ष रूप से चीनी नियंत्रण में चला गया।

भारत-चीन युद्ध कठोर परिस्थितियों में हुई लड़ाई के लिए उल्लेखनीय है। इस युद्ध में ज्यादातर लड़ाई 4250 मीटर (14,000 फीट) से अधिक ऊंचाई पर लड़ी गयी। इस प्रकार की परिस्थिति ने दोनों पक्षों के लिए रसद और अन्य लोजिस्टिक समस्याएँ प्रस्तुत की। इस युद्ध में चीनी और भारतीय दोनों पक्ष द्वारा नौसेना या वायु सेना का उपयोग नहीं किया गया था।

20/10/2025
जो कार्यकर्ता सात्विक प्रवृत्ति का रहता है। वह व्यक्तिवादी न होने के कारण स्वयं को बढ़ावा देने का प्रयास नहीं करता और उस...
20/10/2025

जो कार्यकर्ता सात्विक प्रवृत्ति का रहता है। वह व्यक्तिवादी न होने के कारण स्वयं को बढ़ावा देने का प्रयास नहीं करता और उसके कार्य की पहचान होने में देर लगती है। क्योंकि अपने कर्तृत्व के बारे में प्रसिद्धि का माहौल वह नहीं बनाता है-
दत्तोपन्त ठेंगड़ी

19/10/2025

#दीपोत्सव २०२५ #अयोध्या 🚩
#अयोध्या

 #अयोध्या : 26 लाख 17 हजार 215 दीपों की जगमगाती ज्योति ने विश्व-रिकॉर्ड रचते हुए सनातन संस्कृति के अमर तेज को पुनः प्रज्...
19/10/2025

#अयोध्या : 26 लाख 17 हजार 215 दीपों की जगमगाती ज्योति ने विश्व-रिकॉर्ड रचते हुए सनातन संस्कृति के अमर तेज को पुनः प्रज्वलित किया है।

19/10/2025

श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन हरण भवभय दारुणं
नव कंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारु

 ुर्दशी  ....... यह दिन उस दैवीय क्षण की स्मृति है जब भगवान श्रीकृष्ण ने देवी सत्यभामा के साथ मिलकर अत्याचारी नरकासुर का...
19/10/2025

ुर्दशी .......
यह दिन उस दैवीय क्षण की स्मृति है जब भगवान श्रीकृष्ण ने देवी सत्यभामा के साथ मिलकर अत्याचारी नरकासुर का संहार किया था। जब पृथ्वी पीड़ा से कराह उठी, तब सत्यभामा — जो भूदेवी का ही अवतार थीं — स्वयं रणभूमि में उतरीं। उनके साहस और धर्म के संकल्प से ही भगवान श्रीकृष्ण ने असुर का वध किया और संसार को उसके आतंक से मुक्त किया। इसलिए नरक चतुर्दशी केवल दीपदान का नहीं, बल्कि अंधकार पर प्रकाश, अधर्म पर धर्म और अन्याय पर नारी शक्ति की विजय का प्रतीक है। इस शुभ अवसर पर हम सब अपने भीतर के नरकासुर रूपी अज्ञान, भय और मोह का अंत करें और सत्य, साहस और प्रकाश का स्वागत करें।
जय श्रीकृष्ण! जय देवी सत्यभामा!

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