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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला -‘100 वर्ष की संघ यात्रा - नए क्...
26/08/2025

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला -
‘100 वर्ष की संघ यात्रा - नए क्षितिज’

* *
*Date - 26 Aug 2025*
*Time - 5:30PM, Tuesday*
*वक्ता : डा. मोहन भागवत जी
सरसंघचालक, रा. स्व. संघ*

*Live Link* -
https://www.youtube.com/live/seIvPlXzvko

26 अगस्त 1914 बंगाल के क्रान्तिकारियों ने ब्रिटिश हथियार छीनकर अंग्रेजों को चुनौती दी स्मृति दिवस पर कोटि-कोटि नमन26 अगस...
26/08/2025

26 अगस्त 1914 बंगाल के क्रान्तिकारियों ने ब्रिटिश हथियार छीनकर अंग्रेजों को चुनौती दी स्मृति दिवस पर कोटि-कोटि नमन

26 अगस्त 1891भारत के जीवन को दर्शाने वाले उपन्यासकार आचार्य चतुरसेन शास्त्री जी की जयन्ती पर कोटि-कोटि नमन

26 अगस्त 1975 हिन्दुस्तान सेवादल के संस्थापक स्वतन्त्रता सेनानी डॉ. नारायण सुब्बाराव हार्डिकर जी की पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन

#पुण्यस्मरण #नारायण_सुब्बाराव #चतुरसेन_शास्त्री

चित्तौड़ का पहला जौहर : 26 अगस्त 1303ऐसे अवसर एक नहीं, कई बार आये हैं, जब हिन्दू वीरांगनाओं ने अपनी पवित्रता की रक्षा के...
26/08/2025

चित्तौड़ का पहला जौहर : 26 अगस्त 1303

ऐसे अवसर एक नहीं, कई बार आये हैं, जब हिन्दू वीरांगनाओं ने अपनी पवित्रता की रक्षा के लिए ‘जय हर-जय हर’ कहते हुए हजारों की संख्या में सामूहिक अग्नि प्रवेश किया था। यही उद्घोष आगे चलकर ‘जौहर’ बन गया। जौहर की गाथाओं में सर्वाधिक चर्चित प्रसंग चित्तौड़ की रानी पद्मिनी का है, जिन्होंने 26 अगस्त, 1303 को 16,000 क्षत्राणियों के साथ जौहर किया था।

पद्मिनी का मूल नाम पद्मावती था। वह सिंहलद्वीप के राजा रतनसेन की पुत्री थी। एक बार चित्तौड़ के चित्रकार चेतन राघव ने सिंहलद्वीप से लौटकर राजा रतनसिंह को उसका एक सुंदर चित्र बनाकर दिया। इससे प्रेरित होकर राजा रतनसिंह सिंहलद्वीप गया और वहां स्वयंवर में विजयी होकर उसे अपनी पत्नी बनाकर ले आया। इस प्रकार पद्मिनी चित्तौड़ की रानी बन गयी।

पद्मिनी की सुंदरता की ख्याति अलाउद्दीन खिलजी ने भी सुनी थी। वह उसे किसी भी तरह अपने हरम में डालना चाहता था। उसने इसके लिए चित्तौड़ के राजा के पास धमकी भरा संदेश भेजा; पर राव रतनसिंह ने उसे ठुकरा दिया। अब वह धोखे पर उतर आया। उसने रतनसिंह को कहा कि वह तो बस पद्मिनी को केवल एक बार देखना चाहता है।

रतनसिंह ने खून-खराबा टालने के लिए यह बात मान ली। एक दर्पण में रानी पद्मिनी का चेहरा अलाउद्दीन को दिखाया गया। वापसी पर रतनसिंह उसे छोड़ने द्वार पर आये। इसी समय उसके सैनिकों ने धोखे से रतनसिंह को बंदी बनाया और अपने शिविर में ले गये। अब यह शर्त रखी गयी कि यदि पद्मिनी अलाउद्दीन के पास आ जाए, तो रतनसिंह को छोड़ दिया जाएगा।

यह समाचार पाते ही चित्तौड़ में हाहाकार मच गया; पर पद्मिनी ने हिम्मत नहीं हारी। उसने कांटे से ही कांटा निकालने की योजना बनाई। अलाउद्दीन के पास समाचार भेजा गया कि पद्मिनी रानी हैं। अतः वह अकेले नहीं आएंगी। उनके साथ पालकियों में 800 सखियां और सेविकाएं भी आएंगी।

अलाउद्दीन और उसके साथी यह सुनकर बहुत प्रसन्न हुए। उन्हें पद्मिनी के साथ 800 हिन्दू युवतियां अपने आप ही मिल रही थीं; पर उधर पालकियों में पद्मिनी और उसकी सखियों के बदले सशस्त्र हिन्दू वीर बैठाये गये। हर पालकी को चार कहारों ने उठा रखा था। वे भी सैनिक ही थे। पहली पालकी के मुगल शिविर में पहुंचते ही रतनसिंह को उसमें बैठाकर वापस भेज दिया गया और फिर सब योद्धा अपने शस्त्र निकालकर शत्रुओं पर टूट पड़े।

कुछ ही देर में शत्रु शिविर में हजारों सैनिकों की लाशें बिछ गयीं। इससे बौखलाकर अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर हमला बोल दिया। इस युद्ध में राव रतनसिंह तथा हजारों सैनिक मारे गये। जब रानी पद्मिनी ने देखा कि अब हिन्दुओं के जीतने की आशा नहीं है, तो उसने जौहर का निर्णय किया।

रानी और किले में उपस्थित सभी नारियों ने सम्पूर्ण शृंगार किया। हजारों बड़ी चिताएं सजाई गयीं। ‘जय हर-जय हर’ का उद्घोष करते हुए सर्वप्रथम पद्मिनी ने चिता में छलांग लगाई और फिर क्रमशः सभी हिन्दू वीरांगनाएं अग्नि प्रवेश कर गयीं। जब युद्ध में जीत कर अलाउद्दीन पद्मिनी को पाने की आशा से किले में घुसा, तो वहां जलती चिताएं उसे मुंह चिढ़ा रही थीं।

हंगरी - हिन्दू स्वयंसेवक संघ द्वारा गणेश मूर्ति निर्माण कार्यशाला का आयोजन५५०० किलोमीटर दूर विदेश में भी प्रकट हुए गणपति...
26/08/2025

हंगरी - हिन्दू स्वयंसेवक संघ द्वारा गणेश मूर्ति निर्माण कार्यशाला का आयोजन

५५०० किलोमीटर दूर विदेश में भी प्रकट हुए गणपति बप्पा!

बुडापेस्ट, हंगरी। रचनात्मकता, भक्ति और सांस्कृतिक एकता की भावना से प्रेरित होकर हिन्दू स्वयंसेवक संघ (HSS) हंगरी ने गणेश मूर्ति निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में ९५ प्रतिभागियों ने भाग लिया और स्वयं अपने हाथों से पर्यावरण-हितैषी गणेश मूर्तियाँ बनाईं।
https://vskbharat.com/hungary-hindu-swayamsevak-sangh-organized-ganesh-idol-making-workshop/

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित व्याख्यानमाला100 वर्ष की संघ यात्रा 'नए क्षितिज'वक्ता : डॉ. ...
25/08/2025

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित व्याख्यानमाला

100 वर्ष की संघ यात्रा 'नए क्षितिज'

वक्ता : डॉ. मोहन भागवत जी सरसंघचालक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
26-27-28 अगस्त, 2025 LIVE

#संघयात्रा #आरएसएस #संघ #राष्ट्रीय_स्वयंसेवक_संघ #संघ_शताब्दी #मोहन_भागवत #राष्ट्र_निर्माण #संगठन_शक्ति #संघ_100

ISRO ने गगनयान मिशन की बड़ी उपलब्धि हासिल कीयह परीक्षण अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने की दिशा में...
25/08/2025

ISRO ने गगनयान मिशन की बड़ी उपलब्धि हासिल की

यह परीक्षण अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने की दिशा में अहम कदम है।

गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसे निकट भविष्य में लॉन्च किया जाएगा।

#गगनयान

मेरठ प्रान्त के सोशल मीडिया आयाम द्वारा कल नॉएडा के GL Bajaj Institute मे   के मंच पर एक   का आयोजन किया गया। जिसमे Noid...
25/08/2025

मेरठ प्रान्त के सोशल मीडिया आयाम द्वारा कल नॉएडा के GL Bajaj Institute मे के मंच पर एक का आयोजन किया गया। जिसमे Noida परिक्षेत्र के 150 से अधिक Influencers द्वारा प्रतिभाग किया गया। कार्यक्रम मे Panel discussion के कई सत्र हुए तथा Noida परिक्षेत्र के सभी उपस्थित Influencers को सम्मानित भी किया गया, समापन सत्र को RSS के क्षेत्र प्रचार प्रमुख श्री पदम् सिंह जी द्वारा उदबोधित किया गया।
श्री पदम सिंह जी द्वारा Influencers से आवाहन किया गया की अपनी इस शक्ति को हम कैसे राष्ट्रहित व समाजहित मे उपयोग कर सकते हैँ उसका विचार करें।

25/08/2025

इमरान मसूद के बाद अब सोनिया गांधी की करीबी सैयदा हमीद का बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए प्यार उमड़ आया।

कांग्रेस सरकार के दौरान योजना आयोग की सदस्य रहीं सैयदा हमीद कहती हैं कि बांग्लादेशी असम में रह सकते हैं।

क्योंकि अल्लाह ने पृथ्वी को इंसानों के लिए बनाया है और वे भी इंसान हैं।

2007 में सैयदा हमीद को कांग्रेस ने पद्मश्री भी दिया हुआ है।

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25/08/2025

हमें #गर्व है भारत युवाओं का देश

- डॉ. मोहन भागवत जी #सरसंघचालक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
#भारत
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25 अगस्त 1972ब्रिटिश राज में अपनी मातृभाषा हिन्दी को समर्पित प्रसिद्ध साहित्यकार, समाज सुधारक एवं पत्रकार स्वतन्त्रता से...
25/08/2025

25 अगस्त 1972

ब्रिटिश राज में अपनी मातृभाषा हिन्दी को समर्पित प्रसिद्ध साहित्यकार, समाज सुधारक एवं पत्रकार स्वतन्त्रता सेनानी पण्डित हरिभाऊ उपाध्याय जी की पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन

#पुण्यस्मरण #हरिभाऊ_उपाध्याय #स्वतंत्रता_सेनानी #साहित्यकार #समाज_सुधारक #पुण्यतिथि #श्रद्धांजलि


"उत्तराखंड की शान मेजर दुर्गा मल्ल""कदम कदम बढ़ाए जा ,खुशी के गीत गाए जा, ये जिंदगी है कौम की , तू क़ौम पे लुटाए जा।"स्व...
25/08/2025

"उत्तराखंड की शान मेजर दुर्गा मल्ल"
"कदम कदम बढ़ाए जा ,खुशी के गीत गाए जा, ये जिंदगी है कौम की , तू क़ौम पे लुटाए जा।"

स्वतंत्रता के संघर्ष में भारत की देवभूमि कहलाने वाले राज्य उत्तराखंड के कई महान सपूतों ने अपने देश की आन,बान और शान की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। इनमें से 1 जुलाई, 1913 को देहरादून के निकट डोईवाला गांव में गोरखा राइफल्स के नायब सूबेदार श्री गंगाराम मल्ल छेत्री जी और श्रीमती पार्वती देवी छेत्री के घर में जन्मे मेजर दुर्गा मल्ल आजाद हिंद फौज के पहले गोरखा सैनिक थे, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने युवाओं को आज़ाद हिंद फौज में शामिल करने में बड़ा योगदान दिया। 1931 में दुर्गा मल्ल गोरखा राइफल्स में भर्ती हुए। 1942 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस से प्रभावित होकर ये भारत को स्वतंत्र देखने के लिए ब्रिटिश फौज को छोड़कर आज़ाद हिंद फौज में शामिल हो गए । इनकी कार्यकुशलता देखकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इन्हें गुप्तचर विभाग का कार्यभार सौंप दिया व विशेष अभियान के लिए भारत - वर्मा सीमा पर नियुक्त किया। 27 मार्च ,1944 में कोहिमा मणिपुर में आजाद हिंद फौज के लिए जासूसी करते हुए ब्रिटिश फौज ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया । अंग्रेज अफसर ने इनके सामने प्रस्ताव रखा कि यदि वे क्षमा मांग लें और अपनी भूल स्वीकार कर लें तो उनकी फांसी की सजा माफ कर दी जाएगी। परंतु उन्होंने अंग्रेजी हकूमत का प्रस्ताव ठुकरा दिया और कहा कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।

25 अगस्त,1944 को देशभक्त दुर्गा मल्ल को तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई। 25 अगस्त को भारत का गोरखा समाज और पूरा राष्ट्र इनका बलिदान दिवस मनाता है और भारत की आज़ादी के लिए मतवाले रहे इस सैनिक पर गर्व करता है ।

आजाद हिंद फौज के मतवाले सैनिक जो आज़ाद हिंद फौज का कौमी तराना "कदम कदम बढ़ाए जा ,खुशी के गीत गाए जा , ये जिंदगी है कौम की,तू क़ौम पे लुटाए जा ", गाते हुए देश पर न्यौछावर हो गए ,उनके प्रेरणा स्रोत इस गीत की धुन बनाने वाले मतवाले रणबांकुरे कैप्टन राम सिंह ठाकुर भी उत्तराखंड से ही थे।

केंद्र सरकार ने शहीद दुर्गा मल्ल की शहादत को नमन करते हुए 1 जुलाई, 2021 को इनकी 109 वीं जयंती पर संसद भवन में उनकी कांस्य प्रतिमा स्थापित की है।

"शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले ,
वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा।"भारत माता की जय।

ये खोया है हमने पिछले 70 सालों मे "हमारा गौरव"...यह महान मराठा रानी ताराबाई की समाधि है, जो छत्रपति शिवाजी महाराज की बहू...
25/08/2025

ये खोया है हमने पिछले 70 सालों मे "हमारा गौरव"...
यह महान मराठा रानी ताराबाई की समाधि है, जो छत्रपति शिवाजी महाराज की बहू थी।
वह पहली मराठा थी जिसने उत्तर में छापे मारे, औरंगजेब को हराया और मालवा के शहरी केंद्रों को जीत लिया।
उसकी समाधि बर्बाद हो गई है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग औरंगजेब के महल को हमारे कर के पैसे से पुनर्निर्मित करने में व्यस्त है।
दुर्भाग्यपूर्ण!!

सच्चा हिन्दू होने के नाते हम सबको अपने हिन्दू वीरों के इतिहास को अपनी आने वाली पीढ़ी तक पहुचाना होगा! सरकार हमारे हिन्दू वीरों का इतिहास पाठ्यक्रम मे पढाये य़ा सिर्फ आतंकवादियों का इतिहास पढाये हमे हमारा फर्ज निभाना होगा!
शत शत नमन इस वीरांगना को।

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