Pramod Kumar

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✅ पूर्ण मंत्र है:> ॐ अपवित्रः पवित्रो वासर्वावस्थां गतोऽपि वा।यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षंस बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥
02/06/2025

✅ पूर्ण मंत्र है:

> ॐ अपवित्रः पवित्रो वा
सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं
स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥

02/06/2025

भगवान विष्णु का ध्यान (ध्यान मंत्र और मानसिक रूप से उनका ध्यान करने की विधि) भक्तों को शांति, शक्ति, और मोक्ष की ओर ले जाता है। भगवान विष्णु सृष्टि के पालनकर्ता हैं और उन्हें "नारायण", "हरि", "कृष्ण", "वामन", "राम" आदि अनेक रूपों में पूजा जाता है।

🔱 भगवान विष्णु का ध्यान (Dhyan of Lord Vishnu) 🔱

🌼 ध्यान मंत्र (Dhyan Mantra):

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥

🕉️ भावार्थ:

मैं उन विष्णु भगवान को नमस्कार करता हूँ—
जो शांत हैं, शेषनाग पर शयन करते हैं, जिनकी नाभि में कमल है,
जो देवों के स्वामी हैं, जो सम्पूर्ण ब्रह्मांड का आधार हैं,
जो आकाश के समान व्यापक हैं, मेघों के समान वर्ण वाले हैं,
सुंदर अंगों वाले हैं, लक्ष्मीपति हैं, कमल जैसे नेत्रों वाले हैं,
जो योगियों के ध्यान में आते हैं,
और संसार के भय का नाश करने वाले तथा समस्त लोकों के एकमात्र स्वामी हैं।

🧘‍♂️ भगवान विष्णु का ध्यान कैसे करें (How to Meditate on Lord Vishnu):

1. शुद्ध स्थान चुनें – शांत, साफ जगह पर आसन लगाकर बैठ जाएं।

2. नेत्र बंद करें – आंखें बंद कर गहरी सांस लें।

3. मन को शांत करें – सभी विचारों से मन को हटाकर भगवान विष्णु के स्वरूप पर ध्यान केंद्रित करें।

4. स्वरूप की कल्पना करें –

चार भुजाओं वाले विष्णु जी

एक हाथ में शंख, एक में चक्र, एक में गदा और एक में पद्म

नीला मेघवर्ण शरीर, पीले वस्त्र, वक्ष पर श्रीवत्स चिन्ह और कौस्तुभ मणि

शेषनाग पर शयन करते हुए, लक्ष्मी जी चरण दबा रही हों

5. ध्यान मंत्र का जाप करें – ऊपर दिया गया मंत्र 11, 21 या 108 बार जपें।

22/04/2025

भगवान विष्णु के प्रमुख स्थान (धाम)

1. वैष्णव धाम (चार धाम)
हिंदू धर्म में चार धाम को विष्णु जी के प्रमुख निवास स्थल माना जाता है:

बद्रीनाथ (उत्तराखंड)

द्वारका (गुजरात)

पुरी (ओडिशा)

रामेश्वरम (तमिलनाडु)

2. दशावतार (भगवान विष्णु के १० अवतार)
विष्णु जी ने समय-समय पर धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिए:

1. मत्स्य (मछली रूप)
2. कूर्म (कछुआ रूप)
3. वराह (सूअर रूप)
4. नरसिंह (आधा नर-आधा सिंह रूप)
5. वामन (बौने ब्राह्मण रूप
6. परशुराम
7. राम (अयोध्या के राजा)
8. कृष्ण (द्वारका के नायक)
9. बुद्ध
10. कल्कि (जो कलियुग के अंत में आएंगे)

विशेष विष्णु मंदिर

तिरुपति बालाजी मंदिर (आंध्र प्रदेश)

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर (श्रीरंगम, तमिलनाडु)

जगन्नाथ पुरी मंदिर (ओडिशा)

द्वारकाधीश मंदिर (गुजरात)

22/04/2025

भगवान गणेश को 'प्रथम पूज्य' (यानि सबसे पहले पूजे जाने वाले) देवता क्यों माना जाता है — इसके पीछे एक सुंदर कथा और तात्पर्य है।

कथा:
एक बार देवताओं में यह निर्णय हुआ कि जो भी सम्पूर्ण ब्रह्मांड की सबसे तेज़ी से परिक्रमा करेगा, वही सबसे पहले पूजे जाने का अधिकारी बनेगा। कार्तिकेय जी तुरंत अपने वाहन मयूर पर बैठकर पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा के लिए निकल पड़े। गणेश जी का वाहन तो छोटा-सा मूषक (चूहा) था। लेकिन गणेश जी अत्यंत बुद्धिमान थे।

उन्होंने अपने माता-पिता, भगवान शिव और माता पार्वती, को ही ब्रह्मांड मानकर उनकी सात परिक्रमा कर ली और कहा — "मेरे लिए माता-पिता ही सम्पूर्ण ब्रह्मांड हैं।"

देवताओं ने उनकी बुद्धिमत्ता और श्रद्धा से प्रसन्न होकर उन्हें 'प्रथम पूज्य' का स्थान दे दिया। तभी से हर शुभ कार्य, पूजा, यज्ञ आदि में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा होती है ताकि विघ्न (अड़चनें) दूर रहें और कार्य सफल हो।

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