31/07/2025
अभी थोड़े दिन पहले गुजरात के द्वारकापीठ के शंकराचार्य ने अन्य कई संप्रदायों का नाम लेते हुए साथ में गायत्री परिवार का भी नाम जोड़ दिया की गायत्री परिवार के यज्ञ शास्त्र प्रमाणित नहीं है। अरे भाई पहले हमारा कर्मकांड भास्कर के मंत्र आप देखो बाद में बोलो।
यह बाबा के साथ अन्य बाबाओं को भी डर है कि यह पीले कपड़े वाले हमारी दुकानें बंद न करवा दे। वैसे तो यह पहली बार नहीं हुआ है पहलेभी गुरुदेव माताजी के समय पर जब यज्ञ का आयोजन मथुरा में हुए तब ऋषियुग्म पैंडल रिक्शा में जाते थे तब भी कई लोग कागज में धमकियां लिख कर उन पर डालते रहते थे तब गुरुदेव यही कहते थे कि, ईश्वरीय सत्ता ने हमे जो प्रयोजन के लिए भेजा है वो तो पूरा होकर की रहेगा। गुरुदेव कहते थे कि बेटा यह अखंड ज्योति यदि कोई इन्सान ने जलाई होती तो कब की बुझ गई होती और भगवान ने जलाई होगी तो अनवरत रूप से जलती रहेगी।
जब जब ऐसे निवेदन आते है तो बस में यही टिप्पणी करूंगा कि ऐसा न बोले कि जब बोले हुए शब्द को वापस लेते वक्त अंदर से चुभन सी महसूस हो।
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गुजरात के मशहूर कवि दलपतरामजी ने अपनी एक कविता में कहा है जिसकी कुछ पंक्तियां आप के सामने रख रहा हूं।
ઊંટ કહે આ સીમ માં વાંકા પશુ પક્ષીઓ અપાર છે
પોપટ ની ચાંચ વાંકી, બગલા ની ડોક વાંકી
વાઘ ના છે નખ વાંકા વાંકો વિસ્તાર છે.
દાખે દલપતરામ:
અન્ય નું તો એક વાંકું આપનાં અઢાર છે.
इस कविता में ऊंट कहता है यह गांव की सीमा में कितने सारे पशु पंखी टेढ़े मेढे है जिसमें तोते की चांच नुकीली है, बगुले की मुंडी टेढ़ी है, बाघ के नाखून मुड़े हुए है ऐसे ही यह सारा विस्तार टेढ़ा मेढा है।
अंत में कवि दलपतराम ने कहा अरे ऊंट सभी के तो एक अंग मुड़े हुए है लेकिन तुम तो अठारह अंगों से टेढ़े मेढे हो, यानी तुम्हारा तो सारा शरीर ही मुड़ा हुआ है।
किसी पर एक उंगली उठाते है तब बाकी की तीन उंगली हमारी तरफ रहती है।
सबको सन्मति दे भगवान।
🙏🙏🙏
जय गुरुदेव, जय गायत्री मा