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sonam stories and poems and shayari

31/12/2024

"कैद‌ कर लो जाते दिसंबर की यादों को !💫💞

क्या पता नया साल कैसी अजनबी हवाएं ले कर आये"..!!.❣️✨️

Aisa majaak Mt kro bhai door rho
31/12/2024

Aisa majaak Mt kro bhai door rho

31/12/2024

🥳 HAPPY NEW YEAR MY LIFE LINE 🥳
नई साल मुबारक हो मेरी जान देने के लिए कुछ नहीं है मेरे पास बस दिल से दुआ है कि, तुम्हे दुनियां कि सारी खुशियां मिले..!!

31/12/2024

दिसम्बर के दिन बीत गए,
जनवरी नयी सुबह लेकर आएगी।
बीते दिनों के कुछ पल याद रहेंगे,
कुछ नए साल के जश्र में भुल जाएगी।।

26/11/2024

"तुम्हें पा लेते तो किस्सा खत्म हो जाता!

तुम्हें खोया है तो यकीनन कहानी लंबी चलेगी"...!!💫🫶

26/11/2024

लंबे समय से संग रहना...बातें करना और एक दूसरे की भावनाओं को समझना...और फ़िर इक पल में ही इस खूबसूरत रिश्ते का ख़तम हो जाना...
"संसार में इस से बड़ी ना तो कोई विपदा है और ना कोई दुर्घटना।"😔

31/05/2023

न्यायधीश का अनोखा दंड 🙏🙏

अमेरिका में एक पंद्रह साल का लड़का था, स्टोर से चोरी करता हुआ पकड़ा गया। पकड़े जाने पर गार्ड की गिरफ्त से भागने की कोशिश में स्टोर का एक शेल्फ भी टूट गया।

जज ने जुर्म सुना और लड़के से पूछा, "क्या तुमने सचमुच चुराया था ब्रैड और पनीर का पैकेट"?

लड़के ने नीचे नज़रें कर के जवाब दिया- जी हाँ।

जज :- क्यों ?

लड़का :- मुझे ज़रूरत थी।

जज :- खरीद लेते।

लड़का :- पैसे नहीं थे।

जज:- घर वालों से ले लेते।

लड़का:- घर में सिर्फ मां है। बीमार और बेरोज़गार है, ब्रैड और पनीर भी उसी के लिए चुराई थी।

जज:- तुम कुछ काम नहीं करते ?

लड़का:- करता था एक कार वाश में। मां की देखभाल के लिए एक दिन की छुट्टी की थी, तो मुझे निकाल दिया गया।

जज:- तुम किसी से मदद मांग लेते?

लड़का:- सुबह से घर से निकला था, लगभग पचास लोगों के पास गया, बिल्कुल आख़िर में ये क़दम उठाया।

जिरह ख़त्म हुई, जज ने फैसला सुनाना शुरू किया, चोरी और विशेषतौर से ब्रैड की चोरी बहुत ही शर्मनाक अपराध है और इस अपराध के हम सब ज़िम्मेदार हैं।

"अदालत में मौजूद हर शख़्स.. मुझ सहित सभी अपराधी हैं, इसलिए यहाँ मौजूद प्रत्येक व्यक्ति पर दस-दस डालर का जुर्माना लगाया जाता है। दस डालर दिए बग़ैर कोई भी यहां से बाहर नहीं जा सकेगा।"

ये कह कर जज ने दस डालर अपनी जेब से बाहर निकाल कर रख दिए और फिर पेन उठाया लिखना शुरू किया:- इसके अलावा मैं स्टोर पर एक हज़ार डालर का जुर्माना करता हूं कि उसने एक भूखे बच्चे से इंसानियत न रख कर उसे पुलिस के हवाले किया।

अगर चौबीस घंटे में जुर्माना जमा नहीं किया तो कोर्ट स्टोर सील करने का हुक्म देगी।

जुर्माने की पूर्ण राशि इस लड़के को देकर कोर्ट उस लड़के से माफी चाहती है।

फैसला सुनने के बाद कोर्ट में मौजूद लोगों के आंखों से आंसू तो बरस ही रहे थे, उस लड़के की भी हिचकियां बंध गईं। वह लड़का बार बार जज को देख रहा था जो अपने आंसू छिपाते हुए बाहर निकल गये।

क्या हमारा समाज, सिस्टम और अदालत इस तरह के निर्णय के लिए तैयार हैं?

चाणक्य ने कहा था कि "यदि कोई भूखा व्यक्ति रोटी चोरी करता पकड़ा जाए तो उस देश के लोगों को शर्म आनी चाहिए।"

31/05/2023

,,,,,,,,,,,,,,,संभल,,,,,
,रोज की तरह संगीता अपनी कम्पनी से बस में खड़े होकर सफर करती हुई लौटी थी शरीर थकान से चूर चूर हो रहा था इसलिए वह घर में घुसते ही बिस्तर पर लेट गई तभी मोबाइल पर बेटी के नाम की रिंगटोन सुन उसने फुर्ती से फोन उठा लिया
हैलो मम्मी.... मैं दस मिनट में घर आ रही हूं कुछ चटपटा खाने को बना लो
अरे सुमन बेटा...सुन आज मैं बहुत थकी हूं और अभी कोई सब्जी वगैरह की भी तैयारी भी नहीं है एक काम कर तू बाजार से ही कुछ लेकर आ दोनों मां बेटी साथ में खा लेंगे ठीक है कहकर फोन साइट में रखकर संगीता निश्चित हो आराम करने लगी तभी दीवार पर टंगी हुई अपने पति की हार टंगी तस्वीर पर नजर गई तो अकस्मात ही उनके द्वारा कही हुई बातें स्मरण हो उठी... संगीता ये सब ठीक नहीं है सुमन को अपनी गृहस्थी में रमने दो यूं लाड़ प्यार करना ठीक नहीं आएं दिन यहां आकर कभी ये बना दो कभी वो बना दो खुद भी तो बना सकती है ना या कम से कम कभी अपने यहां से तुम्हारे लिए कुछ बना कर भी तो ला सकती है ना...
आप भी ना बच्ची है वो अभी...
और पास में रहती है तो आ जाती है
मां के हाथ का बना पसंद है तो ...वहां कहा मिलता होगा मां मां होती है और सास सास
संगीता इसलिए कहता हूं उसे अपने सास ससुर और ससुराल में रमने दो मगर...
ओफ्फो छोड़ो तुम तो बेकार में ही
देखना एक दिन तुम स्वयं पछताओगी याद रखना अभी तो मैं हूं कल यदि ना रहा तो पीसकर रह जाओगी संभल जाओ मगर संगीता को बेटी का प्यार भरे अंदाज में कहना भाता था पहले पहल तो संगीता को अच्छा लगता मगर जब कभी थकी हुई कम्पनी से लौटकर आती और सुमन उसे अनदेखा कर फरमाइशें करती कभी ये बना दो कभी वो कभी कभी तो अपने पति के साथ डिनर आपके यहां करुंगी कहकर आ जाती और बिना किसी मदद के का पीकर निकल जाती बाद में बर्तन साफ करते हुए संगीता की कमर अक्सर जबाब दे जाती बढ़ती उम्र में पहले कम्पनी में फिर बसों में सफर घर आकर यूं बेवजह का काम बढ़ना शरीर एक तय सीमा तक ही थकान झेल पाता था आखिरकार उसने सोच ही लिया था वह अपने पति की कही बातों का मान रखते हुए अगली बार सुमन को ही कुछ लाने का कहेंगी एकबार फिर वह अपने पति की तस्वीर देखकर बुदबुदाई ... आखिर आज आपका कहा मानकर सुमन से कुछ लाने का कह ही दिया देखना वो अभी अपनी मां के लिए क्या कुछ नहीं लेकर आती
मगर इंतजार करते हुए डेढ़ घंटे से ऊपर का समय बीत गया ना तो सुमन आई ना ही उसने कोई फोन करके बताया कि वह कहां है और क्या ला रही है आखिरकार उसने चिंतित होकर सुमन को फोन किया...
हैलो सुमन कहा रह गई बेटा
जबाब में सुमन खींझते हुए गुस्से में बोली मम्मी...जब खरीदकर ही खाना था तो मैंने यही से मंगवा कर खा लिया...अच्छा सुनो रात को डिनर के लिए इनके साथ आती हूं कुछ मटर पनीर कोफ्ते वगैरह बना लेना
सुमन की बात सुनकर संगीता अवाक सी रह गई फिर स्वयं को संभालते हुए बोली...
सुमन सुन बेटा मैं तुम्हें वहीं बता रही थी आज कम्पनी के सहकर्मी के बेटे की बर्थडे पार्टी तो मुझे भी डिनर के लिए बुलाया है तुम किसी और दिन आ जाना
फिर कभी....अच्छा कल का डिनर रख लें नहीं....बेटा हो सकता है कल से मैं ओवरटाइम शुरू कर लूं कम्पनी रात को खाना भी देती है तो बनाने की मेहनत भी बच जाएगी में तुम्हें सामने से बता दूंगी जब मुझे समय होगा ठीक है अच्छा नमस्ते बेटा कहकर संगीता ने फोन रख दिया और फिर से अपने पति की तस्वीर की और भींगी हुई पलकों को साफ करते हुए कहा....आप इतने समय से मुझे समझाते रहे मगर मैं हमेशा आपकों ही .... कहते हैं ना अच्छी बातें देर से समझ आती है आप हमेशा मुझे संभलने को कहते थे ना लीजिए आज मैं संभल ही गई,,,,। आपके दोस्त की रचना,,,,,🙏🙏

29/05/2023

"सहारा......

मम्मी आप यहां...... ऐसे कयुं बैठी है ....चाय बना लाऊं आपके लिए ......
नही कुछ नही सुधा .....बस यूहीं ....नींद नहीं आ रही थी .....सुषमा जी बोली
मम्मी .....तबीयत तो ठीक है ना आपकी ....दिखाइए..... बदन को हाथ लगाते हुए सुधा बोली.....
ठीक है बहु .....बेकार चिंता मत कर .....अब मुझ बुढिया की उम्र में .....खैर ....जा बिटिया मोहन जाग गया होगा तुम्हें उसके पास जाना चाहिए......
सुधा कुछ परेशान सी होकर पति मोहन के पास पहुंची.... सुनिए .....मोहनजी......
हां.... कया है सुधा ....उठता हूं अभी थोड़ी देर में ......
आप यहां सो रहे है बेफिक्र से वहां मां....
मां....कया हुआ मां को .....कया हुआ .....
मोहनजी पिछले कुछ दिनों से देख रही हूं वह ना तो ठीक से खाती है और ना ठीक से सो पाती है ....अभी भी बालकनी मे बैठी है गुमसुम सी .....मुझे उनकी चिंता हो रही है ......पापा के अचानक चले जाने से शायद वह .....
सुधा .....पापा का अचानक चले जाना हमसब के लिए बडी क्षति पहुंचाने वाला है एक छाया जो अबतक हमें अपने अनुभवों के पतों से बचाती थी अब वो छाया .....कहकर सुबकने लगा.....
मोहनजी ....जो चला गया उसे तो वापस हम नही ला सकते मगर जो है उसे भी खोना .....मोहनजी मां का यूं अकेला रहना नींद ना लेना अच्छे से खाना नही खाना ...उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नही है.....
ठीक कहती हो सुधा ....मे आज ब्लकी अभी उन्हें डाक्टर के पास.....
मोहनजी .....उनका इलाज डाक्टर के पास नहीं ब्लकी हमारे ही पास है .....
कया मतलब..... हमारे पास....
मोहनजी ....जब बचपन में आप डर जाते थे तो और अकेलेपन से घबराते थे तो आप कया करते थे...
मां के पास......ओह......समझ गया ......
हां .....अबसे मां के साथ आप उनके कमरे में रहेंगे .....दिन मे मे और आराध्या उनके आसपास रहेंगे उनसे बातचीत करेंगे वैसे ही आप रात मे उनसे बचपने की बातें वो नादानियों से उनकी डांटने वाली समझाने वाली घटनाओं को स्मरण कराएंगे ......
सुधा ......मे आजरात से मां के पास ही सोऊंगा ....
हूं..... यही अच्छा होगा......
रात को मां के कमरे में......
कौन..... कौन है.....
मां....मे हूं मोहन.....
मोहन......तू यहां ......बेटा काफी रात हो गई है तू सोया नही ....कुछ काम था ....
हां.....आज मे आपके पास सोऊंगा यहां.....
कया...... मगर बहु ....और आराध्या .....बेटा तुम्हें उनके पास होना चाहिए .....
नही मां...... मां .....कहा ना मे आपके पास सोऊंगा..... कया सुधा से झगडकर आया है .....देख वो बडी प्यारी बच्ची है उससे झगड़ा मत किया कर ....जा अभी ....और मना ले उसे.....
नही मां .....ऐसा कुछ नहीं है .....सुधा सचमुच बहुत अच्छी है .....मां याद है बचपन में जब मे डर जाता था तो आपके पास आकर सोता था ....
हां....याद है .....कयोंकि तू उसवक्त बच्चा था .....कमजोर था ......डरता था घबराता था .....इसलिए तू मेरे पास आकार लिपटकर सो जाता था.....
मां .......जैसे हम बच्चे बचपन में कमजोर घबराकर डरकर अपने बडे मां के आंचल मे बेखौफ होकर सो जाते थे वैसे ही जब बडे बुजुर्ग अकेले में घबराहट महसूस करने लगे तो कया उन बच्चों का जो अब जवान हो चुके हैं उन बुजुर्गों का सहारा नही बनना चाहिए......
मां .....मुझे पता है आप पापा के अचानक चले जाने से अकेला महसूस करने लगी है.......
मां ....आप अकेली नही हो ....आपका मजबूत कंधा आपके पास है आपका बेटा ......
मां .....कहकर मोहन एकबारगी फिर से मां से बचपने की तरह लिपट गया .....
दोनों की आँँखे भीगी हुई थी .....कुछ देर मे बेखौफ बेखबर मां सचमुच बडी अच्छी नींद में सो रही थी .....

एक प्ररेणास्त्रोत रचना...🙏🙏🙏

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Sahabapur Road
Akbarpur
209101

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