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04/03/2025
01/03/2025

02/12/2024

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01/12/2024

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27/10/2024

जेल से निकलने के बाद पहला बयान m***i salman azhari ***isalmanazhariofficial ***isalmanazhari ***isalman

30/07/2024

Urs e Muqaddas Meera baba | Bhiyaon Shareef dargah

भियांव दरगाह के महान सूफी संत हजरत सैय्यद मीर मसऊद हमदानी का संक्षिप्त परिचय अकीदत का अहम मरकज़ हिंदू मुस्लिम एकता की मि...
28/07/2024

भियांव दरगाह के महान सूफी संत हजरत सैय्यद मीर मसऊद हमदानी का संक्षिप्त परिचय

अकीदत का अहम मरकज़
हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल
भियांव दरगाह (उर्स 2024)

(भियांव) अम्बेडकर नगर जिले में जलालपुर तहसील के भियांव में स्थित प्रसिद्ध भियांव शरीफ़ दरगाह महान सूफी संत चिश्ती सिलसिले के हज़रत सैय्यद मीर मसऊद हमदानी की है इनके पिता ईरान के शहर हमदान के बादशाह थे पिता के इंतेकाल के बाद खुद बादशाहत की गद्दी छोड़ मां से इजाज़त लेकर आप मदीना तशरीफ़ लाए और फिर वहां से कूफा दमिश्क बसरा वगैरह होते हुए बंगाल आये और वहां पर कुछ दिनों रहने के बाद दिल्ली का भी सफर तय किया बाद में प्रयागराज होते हुए भियांव शरीफ़ पहुंचे और इसी को अपना केंद्र बिंदु बनाया यहां पर आपने लोगों को एक ईश्वरवाद का पाठ पढ़ाते हुए लोगों में मोहब्बत प्यार त्याग तपस्या अमन शांति का पाठ पढ़ाते हुए मानव को मानव की सेवा करने का सबक सिखाया और एक बड़े समाज सुधारक के तौर पर सभी लोगों को गले लगाया हज़रत सैय्यद मीर मसऊद हमदानी रह के साथ बंगाल के एक बुजुर्ग हज़रत सैय्यद बुरहानुद्दीन रह भी साथ आये और कुछ दिनों बाद मीर मसऊद हमदानी रह के बेटे हज़रत सैय्यद शेख हुसैन मदनी रह भी यहां तशरीफ़ ले आये और भियांव शरीफ़ से हज़रत सैय्यद मीर मसऊद हमदानी रह की दुवाओं से उस जमाने में ही हजारों की संख्या में लोगों को अपनी अपनी तमाम छोटी-बड़ी दिक्कतों से फायदा शिफा मिलती थी भियांव शरीफ़ अपने वक्त के कई सूफ़ी संत यहां तशरीफ़ लाए जिसमें हज़रत बाबा फरीद गंज शकर रह व हज़रत मखदूम अशरफ़ जहांगीर सिमनानी रह का नाम प्रमुखता से आता है और हज़रत सैय्यद मीर मसऊद हमदानी रह का इन्तेकाल 13 वीं शताब्दी में हो गया और यहीं भियांव शरीफ़ में ही बीच गांव में लहदखाने में उनको गुस्ल करा कर मौजूदा मकबरे की जगह पर ही उनको दफन किया गया जहां आज उनकी मजार है काफी दिनों बाद फिर इब्राहिम लोधी के जमाने में 1526 ई० के लगभग में उनके मकबरे के साथ साथ पूरे दरगाह की तामीर हुई जो चूना बेल पत्थर आदि से तैयार किया गया जो आज भी ज़ाहिर है इसी दरगाह में हज़रत सैय्यद बुरहानुद्दीन रह व उनके बेटे हज़रत सैय्यद शेख हुसैन मदनी रह की भी मजार मौजूद है यहां आज भी हज़रत मीर मसऊद हमदानी रह के वंशज मौजूद हैं जो बेहद सादगी में हमेशा दरगाह का इंतेज़ाम वगैरह का काम देखते हैं भियांव शरीफ़ दरगाह व किछौछा शरीफ़ दरगाह में आपस में आज भी बहुत (कुरबत) नजदीकी है दोनों दरगाह की दूरी लगभग 15 किलोमीटर है पूरे दिन लगातार जायरीन हजरात का आना जाना लगा रहता है यहां पर साल में दो बार बहुत ज्यादा भीड़ होती है एक तो हिंदी माह के अगहन में दीपावली के बाद जिसमें हजारों की संख्या में हमारे हिंदू भाई भी आते हैं और उनको आज भी फायदा होता है और दूसरा मोहर्रम की 23/24/25 तारीख़ को उर्स का प्रोग्राम होता है जिसमें भी हजारों की संख्या में लोगों का हुजूम देखने को मिलता है

17/07/2024

Ashoora Ka Din Live | 10 Moharram Meera Baba Dargah Bhiyaon Shareef | Hamdani Network

16/07/2024

9vi rat ka juloos Bhiyaon shareef dargah me

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