18/09/2025
तेजस्वी के संजय से रोहिणी दीदी आखिर नाराज क्यों?
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अभी तो यह अंगड़ाई है, घर में ही छिड़ी लड़ाई है। राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की सुपुत्री रोहिणी आचार्य ने एक पोस्ट शेयर किया है, जिसमें राजद की चुनावी यात्रा वाली बस की अगली सीट पर संजय यादव के बैठने पर आपत्ति की गयी है।
मुझे यह पोस्ट देखकर आश्चर्य नहीं हो रहा। राजद में यह नोन ट्रूथ है- 'फैमिली फर्स्ट, कास्ट सेकेंड, माइनोरिटी थर्ड, बाकी में रेस्ट।', लेकिन हरियाणा वाले संजय यादव (ढाका मोड़ वाले नहीं) राजद की सत्ता में वापसी के लिए उसे बदलते हुए दिखाना चाहते हैं। भले अंदर का चरित्र न बदले, पर वह इस कोशिश में लगे हुए हैं कि बाहर से सब बदलता दिखे। कहने का मतलब है कि सत्ता में वापसी के लिए शेर को घास खाते दिखना पड़े तो दिखाया जाये।
मुझे पिछले दिनों एक वीडियो दिखा था, जिसमें संजय यादव कह रहे थे कि उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की इतनी औकात है कि वह राजद के वर्कर को रोक दे, अब तो माई-बहिन योजना का फॉर्म और भरवाउंगा, डंके की चोट पर भरवाउंगा।
संजय जी के उस बयान को सुनकर मुझे उस समय यही ख्याल आया कि गनीमत है कि संजय जी हरियाणा के यादव हैं। बिहार के यादव होते तो सलाहकार की भूमिका में तेजस्वी यादव के इतने करीब कभी जा ही नहीं पाते। चले भी गये होते तो राज्यसभा में तो जाना लगभग नामुमकिन था। आज जिस ऑथोरिटी के साथ सम्राट भैया को तेजस्वी भाई औकात नहीं बता पाते हैं, वह काम संजय जी कर दे रहे हैं। कम कमाल की बात थोड़े है।
बिहार के जो यदुवंशी लालू जी के परिवार के लिए अपने जीवन का तिनका-तिनका लगा दिये। आज सीधे तेजस्वी यादव की एक झलक के लिए तरस जाते हैं। वहीं, हरियाणा से आये संजय जी सीधे तेजस्वी यादव के ट्यूशन मास्टर बने हुए हैं। यह वही वाली स्थिति है- 'भैंस चराये गंवार और दूध पिये होशियार'।
हमारे इलाके के एक यदुवंशी भाई जो पहले राजनीति में बहुत सक्रिय रहते थे, उन्होंने व्यथा सुनाई कि "लालू जी को भगवान की तरह मानते थे, हैं और रहेंगे, लेकिन अब मोहभंग हो गया राजनीति से।" वह बोले "लालू जी के काल में पीएचडी करके एक अदद नौकरी को तरसते रहे। टीचर की नौकरी भी मिली तो नीतीश कुमार के सीएम बनने के बाद ही मिली। फिर भी लगता है कि लालू जी सीएम न बने होते तो हम पीएचडी ही न कर पाये होते, पर अब उनके बेटों में वह बात नहीं है। जिन्हें अपने लिए सलाहकार चाहिए, वह हमारे नेता क्या होंगे।"
संजय यादव को समझना होगा कि भगवान वाली कुर्सी खंडित नहीं की जाती है। यदि वो ऐसे ही आकर अगली सीट पर बैठते रहे तो देखियेगा कहीं एक दिन रामकृपाल यादव, नित्यानंद राय बिहार के यादवों के नेता न हो जाएं। कुछ लोग तो कहते हैं कि हरियाणा के यादव तो भाजपाई होते हैं और संजय यादव तो रामकृपाल जी के बेटे अभिमन्यु के रास्ते तेजस्वी भाई तक पहुंचे हैं, तो थोड़ा कर्ज उनका भी चुका रहे हैं।
राजद समर्थकों को तेजप्रताप यादव का राजनीति से निलंबन तो समझ आता है, लेकिन घर से उनके निष्कासन के बाद से लालू जी की बेटियों की नजर में भी संजय खटकने लगे हैं। संजय जी यह क्यों भूल रहे हैं कि तेजप्रताप यादव, लालू जी के पहले पुत्र हैं। खैर मुझे क्या, होइहें वही जो राम रची राखा।
बाकी त जे है से हइये है! 🏃♂️