18/10/2025
कॉलेज में प्रवेश उस उम्र में होता है जब यौन हार्मोन्स अपने उफान पर होता है । पिक पर होता है सेक्सुअलिटी ।
अमूमन भारत के अधिकांश उन स्कूल्स के पासआउट पहुँचते हैं कॉलेज जिन्होंने इससे पहले एकल स्कूल में पढ़ाई की होती है । लड़का बॉयज स्कूल में । लड़की गर्ल्स स्कूल में ।
इसके पहले लड़का के लिए लड़की और लड़की के लिए लड़का दोस्तों के बीच एक फेंटेसी भर होती है । कॉलेज में साक्षात सामना होता है ।
यौनिकता जो उफान पर होती है वह ड्राइविंग सीट पर बैठ जाती है । जिस ही विपरीत लिंगी के साथ थोड़ी बहुत भी बातचीत होती है वही फेंटेसी को लेके उड़ पड़ती है । इस फेंटेसी को लड़का/लड़की अक्सर मुहब्बत नाम दे देते हैं ।
अलग बात है कि उसका स्मरण कर हस्तमैथुन करते हों, लेकिन यह स्वीकार नही कर पाते कि यह महज सेक्सुअल अट्रेक्शन है ।
मुझसे दिल्ली में एक लड़का ने पूछा कि कैसे फर्क करें कि यह सेक्स है या प्यार । मैंने कहा था किसी के साथ चार बार लगातार सेक्स या हस्तमैथुन करने के बाद भी यदि उसके स्पर्श (दैहिक या मानसिक) की क्रेविंग हो तो समझना प्यार है, इसके बाद यदि वह माइंड से ओझल हो जाए तो समझना सेक्स ।
असल में सेक्सुअल अट्रेक्शन ही इनफेचुएशन बन जाता है । यही इनफेचुएशन तकलीफ देती है । क्यूँकि उसी व्यक्ति पर सेक्सुअलिटी इस कदर डिपेंडेंट हो जाती है उसका ख़य्याल और सेक्स की तलब एक साथ उठती है, इस सेक्स को निकास मिल नही पाता है, यह भीतर ही भीतर घुमड़ कर तड़प भरी पीड़ा पैदा करती है !
यह मुहब्बत नही प्योर सेक्स होता है ।
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