
22/12/2024
संघ प्रमुख का डर वही है जो देओबंदी या बरेलवी उलेमा का डर होता है। जितने मुस्लिम संगठन हैं वो नहीं चाहते कि कोई दूसरा मुस्लिम संगठन पैदा हो। पैदा हो गया तो काफिर को छोड़कर पहले उसको निपटाते हैं।
कुछ यही हाल आरएसएस का भी है। आरएसएस नहीं चाहता कि उसके अलावा कोई और हिन्दू संगठन या हिन्दू नेता पैदा हो। हिन्दुत्व का जो भी काम हो वो उनके ही बैनर तले हो। अगर कोई पैदा हो गया तो संघवाले उसको ही निपटाने में लग जाते हैं। योगी की हिन्दू युवा वाहिनी इसका उदाहरण है।
इसलिए आरएसएस प्रमुख ने बयान दिया है कि नये नये हिन्दू नेता पैदा होने की कोशिश न करें। ये जो मस्जिदों पर हिन्दू मंदिर होने का दावा करके कुछ लोग हिन्दुत्व का नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं ये आरएसएस को बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा है। ये काम सिर्फ आरएसएस करेगा। वह भी जब उसकी सुविधा होगी।
आरएसएस वाले बहुत गफलत में जीते हैं। वो कोई हिन्दुओं के प्रतिनिधि संगठन नहीं हैं। हिन्दुओं में संगठन की कोई अवधारणा ही नहीं है। इसलिए प्रतिनिधि संगठन का तो सवाल ही नहीं उठता। हां, धर्म को बचाने का काम यहां के लोग तब भी करते थे जब आरएसएस नहीं था। तब भी करेगें जब आरएसएस नहीं रहेगा। आरएसएस वालों को ये बात स्वीकार कर लेनी चाहिए। 🤔