27/02/2024
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 27 फरवरी 2024*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - वसंत*
*⛅मास - फाल्गुन*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - तृतीया मध्य रात्रि 01:53 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र - हस्त पूर्ण रात्रि तक*
*⛅योग - शूल शाम 04:25 तक तत्पश्चात गण्ड*
*⛅राहु काल - शाम 03:47 से 05:14 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:04*
*⛅सूर्यास्त - 06:4*
*⛅दिशा शूल - उत्तर*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:25 से 06:14 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:27 से 01:17 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:29 से 01:16 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹देशी गोघृत सेवन के लाभ :🔹*
*🔸(१) हृदय स्वस्थ व बलवान होता है। रक्तदाब नियंत्रित रहता है । हृदय की रक्तवाहिनियों की धमनी प्रतिचय (atherosclerosis) से रक्षा करता है। अतः हृदयरोग से रक्षा हेतु तथा हृदय रोगियों के लिए यह घी अत्यंत लाभदायी है ।*
*🔸(२) इससे ओज की वृद्धि व दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है।*
*🔸(३) मस्तिष्क की कोशिकाएँ (neurons) पुष्ट हो जाती हैं, जिससे बुद्धि व इन्द्रियों की कार्यक्षमता विकसित होती है। बुद्धि, धारणाशक्ति एवं स्मृति की वृद्धि होती है।*
*🔸(४) मन का सत्व गुण विकसित होकर चिंता, तनाव, चिड़चिड़ापन, क्रोध आदि दूर होने में मदद मिलती है । मन की एकाग्रता बढ़ती है । साधना में उन्नति होती है ।*
*🔸(५) नेत्रज्योति बढ़ती है । चश्मा, मोतियाबिंद (cataract), काँचबिंदु (glaucoma) व आँखों की अन्य समस्याओं से रक्षा होती है ।*
*🔸(६) हड्डियाँ व स्नायु सशक्त होते हैं। संधिस्थान (joints) लचीले व मजबूत बनते हैं ।*
*🔸(७) कैंसर से लड़ने व उसकी रोकथाम की आश्चर्यजनक क्षमता प्राप्त होती है ।*
*🔸(८) रोगप्रतिरोधक शक्ति (immunity power) बढ़कर घातक विषाणुजन्य संक्रमणों (viral infections) से प्रतिकार करने की शक्ति मिलती है ।*
*🔸(९) जठराग्नि तीव्र व पाचन-संस्थान सशक्त होता है। मोटापा नहीं आता, वजन नियंत्रित रहता है । वीर्य पुष्ट होता है। यौवन दीर्घकाल तक बना रहता है ।*
*🔸(१०) चेहरे की सौम्यता, तेज एवं सुंदरता बढ़ती है। स्वर उत्तम होता है एवं रंग निखरता है। बाल घने, मुलायम व लम्बे होते हैं ।*
*(११) गर्भवती माँ द्वारा सेवन करने पर गर्भस्थ शिशु 🔸बलवान, पुष्ट और बुद्धिमान बनता है ।*
*इनके अतिरिक्त असंख्य लाभ प्राप्त होते हैं ।*
*🔹यह घी संत श्री आशारामजी आश्रमों में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों से व समितियों से प्राप्त हो सकता है ।*
*🔹गार्हस्थ्य ब्रह्मचर्य🔹*
*🔸श्री मनु महाराज ने गृहस्थाश्रम में ब्रह्मचर्य की व्याख्या इस प्रकार की हैः*
*🔹अपनी धर्मपत्नी के साथ केवल ऋतुकाल में समागम करना, इसे गार्हस्थ्य ब्रह्मचर्य कहते हैं ।*
*🔹रजोदर्शन के प्रथम दिन से सोलहवें दिन तक ऋतुकाल माना जाता है । इसमें मासिक धर्म की चार रात्रियाँ तथा ग्यारहवीं व तेरहवीं रात्रि निषिद्ध है । शेष दस रात्रियों से दो सुयोग्य रात्रियों में स्वस्त्री-गमन करने वाला व्यक्ति गृहस्थ ब्रह्मचारी है ।*
*🔸इस प्रकार आहार, निद्रा व ब्रह्मचर्य का युक्तिपूर्वक सेवन व्यक्ति को स्वस्थ, सुखी व सम्मानित जीवन की प्राप्ति में सहायक होता है ।*