Prayag Darpan

Prayag Darpan daily news paper

27/10/2021
19/08/2020

जिस तरह से प्रयागराज शहर के पार्कों में ओपन एयर जिम संबंधित उपकरण लगवाए जा रहे हैं इसी क्रम में यदि दारागंज बक्शी बांध प्रयागराज पर ओपन एयर जिम से संबंधित उपकरण लगाया जाए तो बहुत सारे लोग लाभान्वित होंगे

27/06/2020

*कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर की माताजी का निधन*
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*वाराणसी -* प्रदेश सरकार के कैविनेट मन्त्री व प्रवक्ता तथा विधान सभा शिवपुर के विधायक अनिल राजभर की माता श्रीमती फूला देबी राजभर का शुक्रवार को सायंकाल लखनऊ स्थित मिडलैण्ड हास्पिटल मे देहावसान हो गया उनकी आयु 73 वर्ष थी
वह चन्दौली जनपद के तत्कालीन धानापुर विधान सभा व उसके बाद तत्कालीन चिरईगॉव विधान सभा से विधायक स्व रामजीत राजभर की धर्मपत्नी हैं उनके स्वर्गवास की सूचना मिलते ही समूचे क्षेत्र मे शोक की लहर दौड़ गयी उनके पुत्र व प्रदेश सरकार के कैविनेट मन्त्री की ओर से उनके मीडिया प्रभारी पवन चौबे ने बताया कि शुक्रवार को ही देर रात्रि उनका शव उनके पैतृक निवास चन्दौली जनपद के ग्राम पंचायत नागेपुर मे पहुँच जायगा जहॉ परिजनो एवं शुभचिन्तकों के अन्तिम दर्शन के लिये रखा जायगा ,शनिवार को प्रातः काल शवयात्रा प्रारम्भ हो कर बलुआघाट पहुँचेगी जहॉ 9 बजे उनका अन्तिम संस्कार किया जायगा

27/06/2020

यूपी बोर्ड हाईस्कूल और इंटर रिजल्ट upmsp.edu.in , upresults.nic.in और upmspresults.up.nic.in पर जारी कर दिया गया है। उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने लखनऊ स्थित लोकभवन के मीडिया सेंटर से नतीजों ( up board high school and intermediate result 2020 ) की घोषणा की। 10वीं में 83.31 फीसदी और 12वीं में 74.63 फीसदी स्टूडेंट्स पास हुए हैं। हाईस्कूल (10वीं) में बड़ौत-बागपत की रिया जैन ने 96.67 फीसदी मार्क्स के साथ टॉप किया है। जबकि इंटरमीडिएट (12वीं) में बड़ौत-बागपत के अनुराग मलिक ने 97% मार्क्स के साथ टॉप किया है। 10वीं और 12वीं के टॉपर एक ही स्कूल से हैं। इस वर्ष 10वीं और 12वीं दोनों का रिजल्ट पिछले साल से अच्छा रहा है।
10वीं के टॉपर
पहले स्थान पर - बड़ौत-बागपत की रिया जैन ने 96.67 फीसदी मार्क्स के साथ टॉप किया है।
दूसरे नंबर पर- अभिमन्यु वर्मा- पिता-रामहित वर्मा-95. 83%, बाराबंकी
तीसरे नंबर पर- योगेश प्रताप सिंह- राजेंद्र प्रताप सिंह 95.33%, बाराबंकी
12वीं के टॉपर
इंटरमीडिएट (12वीं) में बड़ौत-बागपत के अनुराग मलिक ने 97% मार्क्स के साथ टॉप किया है।
दूसरे स्थान पर - प्रांजल सिंह - 96% - प्रयागराज
तीसरे स्थान पर - उत्कर्ष शुक्ला, 94.80 - औरैया

27/06/2020

*ब्रेकिंग न्यूज़*

*थोड़ी देर में पहुंचेंगे सयारा रेलवे ओवरब्रिज का करेंगे उद्घाटन*

*यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य अपने गृह जनपद कसिया पहुंचे*

27/06/2020

प्रयागराज बड़ी खबर थाना मुट्ठीगंज लोहंडी में सुमित विश्वकर्मा नाम के युवक ने लगाई फांसी पुलिस मौके पर

13/01/2020

सुलतानपुर-बाहुबली चंद्रभद्र सिंह 'सोनू' व उनके भाई यशभद्र सिंह 'मोनू' बसपा से निष्कासित। बसपा सुप्रीमो के निर्देश पर हुई कार्रवाई। बाहुबली भाइयों के निष्कासन से खेमे में खलबली। भाजपा, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में भी देखी जा रही हलचल। अनुशासनहीनता व पार्टी विरोधी गतिविधियों पर हुई कार्रवाई।

13/01/2020

विधवा व विधुर को भी अपना जीवन साथी चुनने का मिलेगा मौका, ऐसे होगी मुराद पूरी

प्रयागराज। विधवा और विधुर व्यक्तियों को भी अब अपना जीवन साथी चुनने का मौका मिलेगा। वरिष्ठ नागरिक यानी अगर आप 60 वर्ष की उम्र के हैैं और जीवनसाथी की तलाश में हैैं तो यह मुराद भी पूरी होगी। इसके लिए शर्त यह है कि पहले शादी न हुई हो। परिणय सूत्र में बंधने का यह मौका देने जा रहा है श्रम विभाग।

मंडलीय सामूहिक विवाह का आयोजन श्रम विभाग करेगा

श्रम विभाग की ओर से 16 फरवरी को संगम की रेती (परेड मैदान) में मंडलीय सामूहिक विवाह का आयोजन किया जा रहा है। इसमें युवाओं के साथ ऐसे लोगों को भी परिणय सूत्र में बंधने का मौका मिलेगा। इसमें आवेदन के लिए वही लोग पात्र हैं, जिनका एक साल पहले श्रम विभाग में पंजीकरण हुआ है। वैसे अभी तक विवाह के लिए 500 से ज्यादा आवेदन आ चुके हैैं।

आवेदन के लिए पहले अंतिम तिथि 31 जनवरी बढ़ी

श्रम विभाग की ओर से मंडलीय सामूहिक विवाह की तैयारी तेजी से चल रही है। इसमें उन श्रमिकों के बेटे-बेटियां आवेदन कर सकते हैं जिनका रजिस्ट्रेशन एक साल पहले विभाग में हुआ है। विधवा और विधुर भी आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए बेटियों की उम्र 18 और बेटों की आयु 21 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए। आवेदन के लिए पहले अंतिम तिथि 15 जनवरी निर्धारित थी लेकिन अब इसे बढ़ाकर 31 जनवरी कर दिया गया है। अब तक मंडल के चारों जिलों प्रयागराज समेत प्रतापगढ़, कौशांबी और फतेहपुर से आवेदन किए गए हैैं। उन आवेदनों की ऑनलाइन फीडिंग और जांच शुरू हो गई है।

13/01/2020

शिक्षक भर्ती : कटऑफ अंक की फिर जंग, सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ डबल बेंच में याचिका

प्रयागराज।
आखिरकार वही हुआ, जिसका अंदेशा था। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापक भर्ती के कटऑफ अंक का विवाद अब बड़ी बेंच में पहुंच गया है। हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ अब डबल बेंच में याचिका दाखिल हुई है। याची का तर्क है कि भर्ती के पद खाली पड़े हैं, इसलिए कटऑफ अंक 33-30 प्रतिशत ही मान्य किया जाए। अब जल्द सुनवाई और निर्णय होने की उम्मीद है।

बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापक भर्ती के लिए दो कटऑफ अंक घोषित हो गए थे। इस पर भर्ती के दावेदार भी दो भागों में बंटे हैं। तमाम अभ्यर्थी जहां मूल शासनादेश के तहत सामान्य व ओबीसी का 45 व अन्य आरक्षित वर्ग का 40 प्रतिशत कटऑफ अंक रखने के पक्ष में हैं तो कई लिखित परीक्षा के चंद पहले सामान्य व ओबीसी का 33 व अन्य आरक्षित वर्ग को 30 प्रतिशत कटऑफ अंक करने के पक्षधर है।

हालांकि हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बीते सात जनवरी को मूल शासनादेश को ही मान्य किया है। न्यायमूर्ति अब्दुल मुईन की एकल पीठ के आदेश के खिलाफ अब डबल बेंच में आदित्य कुमार पांडेय ने याचिका दायर की है। इस याचिका की सुनवाई के लिए अभी तारीख का एलान नहीं हुआ है, लेकिन माना जा रहा है कि जल्द ही इस प्रकरण की सुनवाई और फैसला होगा।

भर्ती के खाली पद पाने के लिए रस्साकशी

हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में कटऑफ अंक की लड़ाई हो या फिर मुख्य न्यायपीठ में पुनर्मूल्यांकन के लिए तमाम याचिकाएं होने का कारण भर्ती के बड़े पैमाने पर खाली पद हैं। लिखित परीक्षा में जो अभ्यर्थी तय कटऑफ अंक पाने से चंद अंकों से चूक गए हैं वे इन्हीं दोनों माध्यमों से शिक्षक बनने का रास्ता खोज रहे हैं। पुनर्मूल्यांकन में ही बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को शिक्षक बनने का मौका मिला भी है और कुछ को अभी और मिलना भी है। वहीं, यदि कटऑफ अंक कम हो जाए तो बड़ी संख्या में अभ्यर्थी चयनित हो जाएंगे। इसीलिए कुछ अंक कम वाले याचिकाएं कर रहे हैं। वहीं, जो चयनित हो चुके हैं वे मूल शासनादेश को ही मान्य कराने पर अड़े हैं, क्योंकि उन्हें कटऑफ अंक कम होने पर चयन में उलटफेर होने का डर सता रहा है।

13/01/2020

प्रयागराज

देसी शराब की दुकान मैं चोरी

चोरों के हौसले बुलंद

ताला काटकर लाखों की चोरी

देसी शराब की दुकान में लाखों की चोरी

सूचना पर पहुंची पुलिस जांच में जुटी

थाना थरवई क्षेत्र के 40 नंबर गोमती का मामला ।

13/01/2020

कानपुर
*बर्रा पुलिस ने पकड़ा सेक्स रैकेट*

एसपी दक्षिण अपर्णा गुप्ता व सीओ गोविंदनगर मनोज गुप्ता के निर्देश पर प्रभारी निरीक्षक सतीश कुमार सिंह के नेतृत्व में बर्रा पुलिस को मिली बड़ी सफलता ।

काफ़ी दिनों से संचालित हो रहे सेक्स रैकेट का पुलिस ने किया भंडाभोड़ , 4 तथाकथित पत्रकार सहित 2 लड़कियाँ चढी पुलिस के हत्थे।।

13/01/2020

लखनऊ...

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई बैठकों के बाद सूबे में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने का निर्णय ले लिया है। शासन की तरफ से इसका प्रस्ताव भी तैयार कर लिया गया है। सोमवार को कैबिनेट की बैठक में राज्य सरकार के इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद इस प्रणाली की शुरुआत राजधानी लखनऊ और गौतमबुद्धनगर (नोएडा) से होगी।

अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने शनिवार को बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने का नीतिगत फैसला ले लिया है। उन्होंने बताया कि अब इस प्रस्ताव को कैबिनेट से पारित करवाना है।

वहीं शासन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मंगलवार को मुख्यमंत्री की व्यस्तता के चलते सोमवार को ही कैबिनेट की बैठक होगी, सूत्रों की मानें तो दो तीन दिन के अंदर पुलिस कमिश्नर प्रणाली को प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा। हालांकि प्रारम्भिक तौर पर इसे पहले लखनऊ और नोएडा में ही लागू किया जाएगा। शायद इसीलिए लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी के स्थानांतरण के बाद यहां अब तक किसी की नियुक्ति नहीं की गई है। राज्य लिहाजा सरकार ने पुलिस अधीक्षक पूर्वी सुरेश चंद्र रावत को ही लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का अतिरिक्त कार्यभार सौंप दिया है।

उत्तर प्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की चर्चा पिछले कई सालों से चल रही है। लेकिन, योजना को मूर्त रुप देने की बात जब आती है तो नौकरशाही का एक तबका इसके विरोध में आ जाता है, जिससे फैसला लटक जाता है। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के शासनकाल में भी पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की चर्चा बड़ी तेजी से चली थी, लेकिन कुछ अधिकारियों के विरोध के चलते वह इसे लागू नहीं कर सकी थीं।

इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मुद्दे पर अधिकारियों के साथ पिछले तीन दिनों में आधा दर्जन से अधिक बैठकें की। इस दौरान काफी मंथन के बाद उन्होंने इस प्रणाली को लागू करने का मन बनाया है। इन बैठकों में प्रदेश के मुख्य सचिव आरके तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी, पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव एसपी गोयल भी मौजूद थे।

13/01/2020

*आखिर क्या होती है पुलिस कमिश्नरी प्रणाली? जो यूपी में हो रही लागू*
*नई दिल्ली:* योगी सरकार अब कानून व्यवस्था को लेकर एक नई सुर बड़ी खबर आ रही है। सरकार दो बड़े शहरों में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू करने की योजना पर विचार कर रही है। सूबे की राजधानी लखनऊ और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (NCR) के पास नोएडा में इसे लागू किया जाएगा। राज्य सरकार का इसमें ये सोचना है कि इससे जिलों की कानून व्यवस्था बेहतर होगी। लॉ एंड ऑर्डर समेत तमाम प्रशासनिक अधिकार भी पुलिस कमिश्नर के पास रहेंगे। अगर आपको नहीं पता की पुलिस कमिश्नरी प्रणाली क्या होती है तो हम आपको बताते हैं कि आखिर पुलिस कमिश्नरी प्रणाली क्या होती है। पुलिस कमिश्नर के अधिकार कैसे बढ़ जाते हैं।
*पुलिस कमिश्नर को मिलती है मजिस्ट्रेट की पॉवर*
भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के भाग 4 के अंदर जिलाधिकारी यानी डीएम के पास पुलिस पर नियत्रंण के अधिकार भी होते हैं।
इस पद पर आसीन अधिकारी IAS होता है। लेकिन पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू हो जाने के बाद ये अधिकार पुलिस अफसर को मिल जाते हैं, जो एक IPS होता है। यानी जिले की बागडोर संभालने वाले डीएम के बहुत से अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास चले जाते हैं।
*कमिश्नर के पास होते हैं कई अहम अधिकार*
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CRPC) के अंदर एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट को भी कानून और व्यवस्था को विनियमित करने के लिए कुछ शक्तियां मिलती है। जिस वजह से पुलिस अधिकारी सीधे कोई फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, वे आकस्मिक परिस्थितियों में डीएम या कमिश्नर या फिर शासन के आदेश के तहत ही कार्य करते हैं, लेकिन पुलिस कमिश्नरी प्रणाली में IPC और CRPC के बहुत से महत्वपूर्ण अधिकार पुलिस कमिश्नर को मिल जाते हैं।
*प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का अधिकार*
पुलिस कमिश्नर प्रणाली में पुलिस कमिश्नर सबसे ऊंचा होता है। ज्यादातर ये प्रणाली महानगरों में लागू की गई है। पुलिस कमिश्नर को ज्यूडिशियल पॉवर भी होती हैं। CRPC के अंदर कई अधिकार इस पद को मजबूत बनाते हैं। इस प्रणाली में प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए पुलिस ही डीएम पॉवर का यूज़ करती है। हरियाणा के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक पुलिस प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का अधिकार मिलने से अपराधियों को खौफ होता है। क्राइम रेट भी कम होता है।
*बड़े महानगरों के लिए उपयोगी है कमिश्नर प्रणाली*
हरियाणा में 3 महानगरों में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू है। इन शहरों में NCR के गुरुग्राम, फरीदाबाद और चंडीगढ़ से लगा पंचकुला शहर शामिल है। हरियाणा पुलिस के एडीजी स्तर के एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि दिल्ली-NCR में आने वाले दूसरे राज्यों के महानगरों की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। वहां देशभर के लोग रहने के लिए आते हैं।
*NCR के महानगरों में कप्तान*
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार NCR के महानगरों में कई बड़ी कंपनिया और अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय भी हैं। ऐसे में आर्थिक अपराध के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। आए दिन VIP लोगों का आना-जाना भी लगा रहता है। उनकी सुरक्षा और अवागमन से संबंधित कार्य भी रहते हैं। इसके साथ ही रोजमर्रा की घटनाएं, यातायात संबंधी मामले भी भारी संख्या में आते हैं। ऐसे में SSP या SP स्तर का अधिकारी पूरे जिले को नहीं संभाल सकता।
*जोन में बांट दिया जाता है महानगर*
पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू होने से पुलिस को बड़ी राहत मिलती है। कमिश्नर का मुख्यालय बनाया जाता है। एडीजी स्तर के सीनियर आईपीएस को पुलिस कमिश्नर बनाकर तैनात किया जाता है। महानगर को कई जोन में विभाजित किया जाता है। हर जोन में डीसीपी की तैनाती होती है। जो एसएसपी की तरह उस जोन को देखा करते है। सीओ की तरह एसीपी तैनात होते हैं। जो 2 से चार थानों को देखा करते हैं।
*आर्म्स एक्ट के मामले भी निपटाते हैं कमिश्नर*
आर्म्स एक्ट के मामले भी पुलिस कमिश्नर डील करते हैं। इस अंदर है महानगर की कानून व्यवस्था भी मजबूत होती है और नागरिकों को सुरक्षा का अहसास होता है। जो लोग हथियार का लाइसेंस लेने के लिए अवादेन करते हैं, उसके आवंटन का अधिकार भी पुलिस कमिश्नर को मिल जाता है। पुलिस कमिश्नर की सहायता के लिए ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर, असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर भी तैनात किए जाते हैं।
*अंग्रेजों ने शुरू की थी पुलिस कमिश्नर प्रणाली*
देश में पुलिस प्रणाली पुलिस अधिनियम, 1861 पर आधारित थी और आज भी ज्यादातर शहरों में पुलिस प्रणाली इसी अधिनियम पर आधारित है। इसकी शुरूआत अंग्रेजों ने की थी। तब पुलिस कमिश्नर प्रणाली भारत के कोलकाता (कलकत्ता), मुंबई (बॉम्बे) और चेन्नई (मद्रास) में हुआ करती थी। उस टाइम इन शहरों को प्रेसीडेंसी सिटी कहा जाता था। लेकिन बाद में उन्हें महानगरों रूप में जाना जाने लगा।

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