16/10/2025
सुबह के ठीक 10:00 बजे का समय था। जब जिले की आईपीएस अधिकारी प्रिया शर्मा लाल रंग की साड़ी पहने हुए बिल्कुल साधारण लड़की की तरह बाजार घूमने निकली थी। किसी को यह पता नहीं था कि यह लड़की दरअसल जिले की आईपीएस अधिकारी है। चलते-चलते उनकी नजर सड़क किनारे खड़े 55 साल के एक बुजुर्ग पर पड़ी जो एक छोटा सा समोसे का ठेला लगाए खड़े थे। प्रिया को बचपन से ही समोसे खाने का बहुत शौक था। बिना देर किए वह मुस्कुराते हुए ठेले के पास गई और बोली अंकल एक समोसा दीजिए। अंकल ने खुशी-खुशी तुरंत समोसा निकालकर उनके हाथ में पकड़ा दिया। प्रिया पहला निवाला लेने ही वाली थी कि तभी बाजार में एक मोटरसाइकिल आकर पास रुकी। यह थाने का सब इंस्पेक्टर विक्रांत था। उसने बाइक साइड में लगाई, हेलमेट उतारा और ठेले वाले से रूखे अंदाज में बोला, "अरे ओ बुड्ढे, जल्दी एक समोसा निकाल।" अंकल ने थोड़ा घबराते हुए फटाफट एक समोसा निकालकर उसे दे दिया। विक्रांत वहीं खड़ा-खड़ा खाने लगा। तभी उसकी नजर प्रिया पर पड़ी। उसे अंदाजा भी नहीं था कि यह कोई साधारण लड़की नहीं बल्कि जिले की आईपीएस अधिकारी है। वह हंसते हुए बोला, "क्या बात है? समोसा तो बड़े मजे लेकर खा रही हो। बहुत पसंद है क्या? कभी हमें भी पसंद कर लो। हम भी तुम्हारे प्यार के दीवाने हो सकते हैं। प्रिया ने उसकी बात नजरअंदाज कर दी और चुपचाप समोसा खाना जारी रखा। विक्रांत फिर बोला, अरे शर्मा क्यों रही हो? और समोसे चाहिए तो बोल देना मंगवा दूंगा। समोसा खत्म करने के बाद वह बिना पैसे दिए बाइक पर बैठ गया और इंजन स्टार्ट कर लिया। बूढ़े अंकल ने हिम्मत जुटाकर कहा, "सर, समोसे के पैसे तो दीजिए।" बस इतना सुनते ही विक्रांत का चेहरा तमतमा उठा और बोला किस बात के पैसे ज्यादा होशियार बनेगा तो तेरे ठेले का सामान यहीं फेंक दूंगा। यह कहते-कहते उसने गुस्से में अंकल के गाल पर एक जोरदार थप्पड़ मार दिया। अंकल की आंखों में आंसू आ गए। होंठ कांपने लगे लेकिन वह चुप रहे। यह सब देखकर प्रिया खुद को रोक ना सकी। वह बीच में आकर बोली, इंस्पेक्टर साहब, आपने अंकल पर हाथ क्यों उठाया? आपको किसी गरीब पर हाथ उठाने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने तो बस अपने हक के पैसे मांगे हैं। आपने समोसा खाया है तो पैसे देना आपका फर्ज है। विक्रांत ने घूरते हुए कहा, "तुम बीच में मत बोलो समझी।" और अगली ही पल उसने प्रिया को भी एक थप्पड़ मार दिया। प्रिया थोड़ी लड़खड़ा गई। लेकिन खुद को संभालते हुए बोली, "आप अपनी हद पार कर रहे हैं। सब इंस्पेक्टर होने का मतलब यह नहीं कि आप गरीबों का हक मार कर खाएं। आप कानून के रक्षक हैं, लेकिन खुद कानून तोड़ रहे हैं। सुधर जाइए वरना आपको इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा। विक्रांत और भड़क गया। उसने फिर से प्रिया के गाल पर एक जोरदार थप्पड़ मारा और गुस्से में समोसे के ठेले पर लात मार दी। ठेला पलट गया और दर्जनों समोसे सड़क पर बिखर गई। भीड़ यह सब देख रही थी। लेकिन डर के मारे कोई आगे नहीं आया। आईपीएस अधिकारी प्रिया शर्मा का गुस्सा अब चरम पर था। मगर वह जानती थी कि कानून को अपने हाथ में लेना उनके पद और सिद्धांतों के खिलाफ है। चाहती तो वहीं उसी समय सब इंस्पेक्टर को सबक सिखा सकती थी। लेकिन उन्होंने खुद को काबू में रखा। संभलते हुए उन्होंने सख्त आवाज में कहा। आप कानून के खिलाफ जा रहे हैं। आपने जो किया वह बहुत गलत है। मैं आपके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाऊंगी और आपको सस्पेंड करवा कर रहूंगी। आप नहीं जानते मैं कौन हूं। आपको यह थप्पड़ बहुत भारी पड़ेगा। सब इंस्पेक्टर विक्रांत ने तिरस्कार से हंसते हुए जवाब दिया, तेरी औकात है कि तू मुझ पर रिपोर्ट दर्ज करवाए। मैं इस थाने का सब इंस्पेक्टर हूं। चाहूं तो अभी के अभी तुझे गिरफ्तार कर सकता हूं। इसलिए ज्यादा जुबान मत चला वरना जेल में चक्की पीसते-पीसते जिंदगी कट जाएगी। यह कहकर विक्रांत बाइक पर बैठा। इंजन स्टार्ट किया और वहां से निकल गया। इधर ठेले पर बिखरे समोसों को बुजुर्ग अंकल कांपते हाथों से समेट रहे थे। उनकी आंखें लाल थी और होंठ थरथरा रहे थे। उन्होंने प्रिया से कहा, बेटी, तुमने यह क्यों किया? तुम्हारी वजह से उस सब इंस्पेक्टर ने तुम्हें भी मारा। वह बहुत दबंग है। कई दिनों से ऐसे ही मुझसे समोसा खाता है और पैसे नहीं देता। हम दिन भर मेहनत करते हैं। तभी घर का चूल्हा जलता है। पैसे नहीं मिलेंगे तो हम खाएंगे क्या?" प्रिया ने उनकी आंखों में देखते हुए कहा, "अंकल, आपके साथ जो हुआ, वह बहुत गलत है और मैं इसका बदला लेकर रहूंगी।" मैं उस सब इंस्पेक्टर को सस्पेंड करवाऊंगी चाहे कुछ भी हो जाए। अंकल ने धीरे से सिर हिलाया और कहा, नहीं बेटी तुम नहीं कर सकती। वह थाने का सब इंस्पेक्टर है। उसके खिलाफ कोई गया तो वह उल्टा उसी पर केस कर देता है। तुम घर चली जाओ। प्रिया ने दृढ़ स्वर में कहा, अंकल, मैं घर तो जा रही हूं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह सब इंस्पेक्टर बच जाएगा। उसे पता भी नहीं कि मैं कौन हूं और जब पता चलेगा तब तक देर हो चुकी होगी। घर पहुंचकर प्रिया कुछ देर तक सोचती रही। फिर अचानक उनके मन में एक विचार आया कि अगर सब इंस्पेक्टर ऐसा है तो थाने के बाकी लोग एएसआई और हवलदार किस तरह का व्यवहार करते होंगे, यह जानना जरूरी था। ताकि पूरे सिस्टम का सच सामने लाया जा सके। उन्होंने तुरंत अपना चेहरा साधारण महिला की तरह रखा और सीधे थाने गोमतीपुर पहुंच गई। वहां मौजूद एएसआई और अधिकारी नहीं जानते थे कि यह कोई साधारण महिला नहीं बल्कि जिले की आईपीएस अधिकारी है। थाने में कदम रखते ही उनकी नजर अंदर बैठे थानाधिकारी सुनील वर्मा पर पड़ी। प्रिया सीधे उनके पास गई और बोली, सब इंस्पेक्टर विक्रांत कहां है? मुझे उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करानी है। उन्होंने सड़क पर समोसा बेचने वाले एक बूढ़े आदमी पर अत्याचार किया। उसका ठेला गिरा दिया। पैसे नहीं दिए। जब मैंने विरोध किया तो मुझे भी थप्पड़ मारा और गंदी बातें कही। जो उन्होंने किया वह कानून के खिलाफ है। इसलिए मैं यहां रिपोर्ट लिखवाने आई हूं। आप तुरंत कार्यवाही कीजिए। थानाधिकारी सुनील वर्मा ने कुर्सी से उठते हुए सख्त लहजे में कहा, "तुम क्या कह रही हो? मैं अपने सब इंस्पेक्टर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करूं। वह इस थाने का सब इंस्पेक्टर है और उसने कोई बड़ा गुनाह नहीं किया है। अगर उसने एक समोसा खा लिया और पैसे नहीं दिए तो क्या हुआ? आर एस 10 की चीज है। इस पर इतना बवाल मचाने की क्या जरूरत है? जाओ यहां से वरना धक्के मारकर निकाल दूंगा। प्रिया ने शांत लेकिन दृढ़ स्वर में कहा। देखिए सर आपको रिपोर्ट लिखनी ही पड़ेगी। मुझे कानून मत सिखाइए। कानून कहता है कि किसी पर भी हाथ उठाना और उसकी रोजीरोटी पर चोट करना अपराध है। आपने अगर कारवाई नहीं की तो मैं आप पर भी कारवाई करवाऊंगी। सुनील वर्मा यह सुनकर तिलमिला उठा। क्या कहा तुमने? तुम मेरे ऊपर कारवाई करोगी। तुम्हारी इतनी औकात है। उसकी आंखों में गुस्से की लाली थी। वह मेज पर हाथ मारते हुए बोला, "मैं इस थाने का थानाधिकारी हूं। चाहूं तो अभी के अभी तुम्हें अंदर डाल सकता हूं। इसीलिए मुझे गुस्सा मत दिलाओ। चुपचाप यहां से निकल जाओ। वरना अंजाम बहुत बुरा होगा। समझी? इतना कहकर उसने गुस्से में एक जोरदार थप्पड़ प्रिया शर्मा के गाल पर दे मारा। प्रिया थोड़ी लड़खड़ाई लेकिन खुद को संभाल लिया। अब वह पूरी तरह समझ चुकी थी कि इन दोनों अफसरों सब इंस्पेक्टर विक्रांत और थानाधिकारी सुनील वर्मा को सस्पेंड करना जरूरी है। वह दरवाजे की तरफ बढ़ी लेकिन जाते-जाते दरवाजे पर रुक कर पलटी और ठंडी सख्त आवाज में बोली आप लोग जानते नहीं कि मैं आपके साथ क्या कर सकती हूं। मैं आप दोनों को सस्पेंड करवा कर रहूंगी और याद रखिए मेरी बात को हल्के में मत लेना। इतना कहकर प्रिया थाने से बाहर निकल गई। थाने में मौजूद एसआई और थानाधिकारी सुनील वर्मा एक दूसरे को देखने लगे। सुनील के मन में हल्का सा शक आया। आखिर यह औरत है कौन? जिस अंदाज में बात कर रही थी, कहीं कोई बड़ी हंसती तो नहीं। लेकिन अगले ही पल उसने खुद से कहा, "अरे छोड़ो आजकल की लड़कियां बस अकड़ में रहती हैं। अगले दिन पुलिस हेड क्वार्टर में एक बड़ी बैठक बुलाई गई। एसपी दिनेश सिंह सहित जिले के सभी थानाधिकारी और मीडिया कर्मी हॉल में मौजूद थे। आईपीएस प्रिया शर्मा ने माइक संभाला और बोली, आप लोगों को याद होगा कि कल मैंने इस जिले में कानून व्यवस्था का जायजा लिया था। मैंने खुद देखा कि हमारे दो अधिकारी कैसे अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं। थानाधिकारी सुनील वर्मा और सब इंस्पेक्टर विक्रांत की कारगुजारी देखिए। यह कहते हुए उन्होंने अपने मोबाइल से एक रिकॉर्डिंग प्ले की। हॉल में सन्नाटा छा गया। ऑडियो में विक्रांत की समोसे वाले से बदतमीजी, पैसे ना देना, उस पर हाथ उठाना और आईपीएस अधिकारी प्रिया को थप्पड़ मारना साफ सुनाई दिया। इसके बाद थानाधिकारी सुनील वर्मा का थाने में प्रिया को रिपोर्ट दर्ज ना करने देना और फिर उन्हें थप्पड़ मारना भी दर्ज था। कुछ की आंखों में गुस्सा था। कुछ की आंखें नम हो गई। प्रिया ने कहा, यह हैं सब इंस्पेक्टर विक्रांत और थानाधिकारी सुनील वर्मा। इनकी वर्दी का मतलब जनता की सेवा नहीं बल्कि जनता का शोषण है। यह वह लोग हैं जो अपने पद का इस्तेमाल गरीबों को डराने और उनका हक मारने में करते हैं। प्रिया के यह शब्द सुनकर आगे की पंक्ति में बैठे कुछ वरिष्ठ पुलिस अफसर बेचैन हो उठे। एसपी दिनेश सिंह ने माइक मांगकर कहा, मैडम, यह आरोप गंभीर हैं और सबूत साफ-साफ दिखाई दे रहे हैं। कानून के मुताबिक हमें तत्काल विभागीय जांच शुरू करनी होगी और अगर जांच में यह सही पाया गया तो दोनों का निलंबन तय है। प्रिया ने तुरंत जवाब दिया, एसपी साहब सबूत साफ हैं और कानून की किताब भी साफ कहती है। धारा 166 अ के तहत कोई भी सरकारी कर्मचारी अगर अपने अधिकार का दुरुपयोग करता है तो यह दंडनीय अपराध है। इसके अलावा धारा 323 मारपीट, धारा 504 जानबूझकर अपमान और धारा 506 धमकी भी इन दोनों पर लागू होती है। हॉल में बैठे पत्रकार तेजी से नोटिस लेने लगे। प्रिया ने एक कागज उठाया और कहा, "यह है मेरा आधिकारिक आदेश।" विभागीय जांच शुरू होने तक थानाधिकारी सुनील वर्मा और सब इंस्पेक्टर विक्रांत को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। साथ ही आज ही दोनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होगी। उनकी आवाज में इतनी दृढ़ता थी कि हॉल में बैठे दोनों आरोपी अधिकारियों के चेहरे पीले पड़ गए। ईएसपी ने अपने अधीनस्थ को इशारा किया। दो पुलिसकर्मियों ने आगे बढ़कर विक्रांत और सुनील वर्मा को खड़े होने के लिए कहा। विक्रांत ने धीमे स्वर में कहा मैडम एक मिनट हमसे गलती हो गई पर प्रिया ने बीच में रोक दिया। गलती तब होती है जब अनजाने में कुछ गलत हो जाए। लेकिन आप लोगों ने जानबूझकर गरीब का हक मारा। कानून तोड़ा और फिर उसे धमकाया। यह गलती नहीं अपराध है। जैसे ही दोनों अधिकारियों को पुलिस ने बाहर ले जाया। हॉल में मौजूद पत्रकार उनके पीछे भागे। कैमरे चमकने लगे। सवालों की बौछार हुई। विक्रांत क्या आप मानते हैं कि आपने गरीब का शोषण किया? सुनील वर्मा अब आप क्या कहेंगे? दोनों ने सिर झुका लिया। कोई जवाब नहीं दिया। प्रिया ने माइक से आखिरी बात कही। यह मामला केवल दो अफसरों का नहीं है। यह एक संदेश है कि इस जिले में कानून सबसे ऊपर है। चाहे वह आईपीएस अधिकारी हो, पुलिस अधीक्षक हो, थाना प्रभारी हो या सब इंस्पेक्टर। अगर कानून तोड़ेगा तो सजा मिलेगी। अगले ही दिन जिला पुलिस मुख्यालय में एक विशेष टीम बनाई गई। विभागीय जांच एसपी दिनेश सिंह के अधीन एक टीम ने दोनों अधिकारियों थानाधिकारी सुनील वर्मा और सब इंस्पेक्टर विक्रांत के खिलाफ गवाहों के बयान लेना शुरू कर दिया। बूढ़े समूह से विक्रेता को सुरक्षा और न्याय का आश्वासन दिया गया। बाजार में मौजूद कई प्रत्यक्षदर्शियों ने भी डर छोड़कर अपने बयान दर्ज करवाए। आईपीएस अधिकारी प्रिया शर्मा द्वारा मोबाइल पर रिकॉर्ड किए गए ऑडियो और उनके गालों पर पड़े थप्पड़ों के निशान मेडिकल रिपोर्ट में दर्ज होकर सबसे मजबूत भौतिक साक्ष्य बने। जांच टीम ने जल्द ही अपनी रिपोर्ट आईपीएस अधिकारी प्रिया शर्मा को सौंप दी। रिपोर्ट में थानाधिकारी सुनील वर्मा और सब इंस्पेक्टर विक्रांत को अपने पद का घोर दुरुपयोग, एक गरीब नागरिक पर अत्याचार और एक वरिष्ठ महिला आईपीएस अधिकारी पर हमला करने का दोषी पाया गया। रिपोर्ट मिलने के तुरंत बाद आईपीएस अधिकारी प्रिया शर्मा ने एक और प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई जिसमें एसपी दिनेश सिंह और जिले के सभी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे। हॉल में माहौल बेहद गंभीर था। प्रिया ने शांत लेकिन अटल आवाज में जांच के निष्कर्षों को सबके सामने रखा। जांच में यह साबित हो चुका है कि थानाधिकारी सुनील वर्मा और सब इंस्पेक्टर विक्रांत ने ना केवल गरीब का हक मारा बल्कि कानून के रक्षक होते हुए भी कानून को सरेआम तोड़ा। उन्होंने अपनी वर्दी की गरिमा को तार-तार किया है। ऐसे भ्रष्ट और अत्याचारी अधिकारियों के लिए पुलिस बल में कोई जगह नहीं है। प्रिया ने सामने रखी फाइल उठाई और अंतिम निर्णय सुनाया। भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर के अतिरिक्त मैं अपने पद पर रहते हुए थानाधिकारी सुनील वर्मा और सब इंस्पेक्टर विक्रांत को सेवा से बर्खास्त करने का आदेश देती हूं। इनका निलंबन अब बर्खास्तगी में बदल जाता है। यह निर्णय तत्काल प्रभाव से लागू होगा। हॉल में तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। यह पहली बार था कि जिले में इतने बड़े और त्वरित एक्शन से पुलिस बल में इतनी बड़ी कार्यवाही की गई थी। बर्खास्तगी के साथ ही विक्रांत और सुनील वर्मा पर दर्ज आपराधिक मामलों में कानूनी कार्यवाही भी तेजी से शुरू करने का आदेश दिया गया ताकि उन्हें उनके अपराधों की सजा मिल सके। अगले दिन सुबह आईपीएस अधिकारी प्रिया शर्मा लाल रंग की साड़ी में बिल्कुल साधारण लड़की की तरह फिर से उसी बाजार में पहुंची जहां समोसे का ठेला लगता था। ठेला फिर से अपनी जगह पर लगा था और बूढ़े अंकल ग्राहकों को समोसे दे रहे थे। जब उनकी नजर प्रिया पर पड़ी तो उनकी आंखों में आंसू आ गए। लेकिन इस बार वे खुशी और सम्मान के आंसू थे। प्रिया मुस्कुराई और ठेले के पास गई। अंकल ने झुककर उनके पैर छूने चाहे पर प्रिया ने उन्हें रोक लिया। अंकल यह मत कीजिए। मैंने बस अपना फर्ज निभाया है। अंकल ने कांपते हाथों से कहा, बेटी तुम हमारे लिए देवी हो। मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि ऐसा भी हो सकता है। अब मैं बिना डर के समोसे बेच सकता हूं। प्रिया ने एक समोसा लिया। पैसे दिए और बोली, "अंकल, यह सबक है कि कानून से बड़ा कोई नहीं। मुझे उम्मीद है कि आज के बाद जिले का कोई भी पुलिसकर्मी किसी गरीब को परेशान करने की हिम्मत नहीं करेगा। आप बस ईमानदारी से अपना काम करते रहिए। जब प्रिया वहां से जाने लगी तो बाजार के लोगों ने उन्हें घेर लिया। सबने हाथ जोड़कर उनका धन्यवाद किया। इस घटना ने पूरे जिले को एक मजबूत संदेश दिया था कि आईपीएस अधिकारी प्रिया शर्मा केवल वर्दी नहीं पहनती बल्कि कानून और न्याय की असली प्रतीक हैं। उनकी एक साधारण वेशभूषा में निकली छोटी सी यात्रा ने जिले के पुलिस और प्रशासनिक सिस्टम में भ्रष्टाचार की जड़े हिला दी थी और आम जनता में कानून के प्रति विश्वास को बहाल किया था। तो दोस्तों, आपको यह कहानी कैसी लगी? 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