08/09/2025
समाज अक्सर हर गलत चीज़ का ठीकरा सिर्फ महिलाओं पर फोड़ देता है, जबकि असलियत में समस्या का बड़ा हिस्सा पुरुषों के व्यवहार और मानसिकता से जुड़ा होता है।
👉 सच्चाई यह है :
वेश्यालय केवल इसलिए चलते हैं क्योंकि वहाँ मांग (डिमांड) है।
अगर पुरुष वहाँ जाना बंद कर दें, तो बाजार अपने आप बंद हो जाएगा।
केवल महिला को दोषी ठहराना न सिर्फ अन्याय है बल्कि पितृसत्तात्मक सोच का नतीजा भी है।
👉 महिलाओं के वेश्या बनने के पीछे की मजबूरी :
गरीबी
अशिक्षा
परिवार/समाज का सहारा न होना
शोषण और दबाव
विकल्प और अवसरों की कमी
इन हालातों में कई महिलाएँ मजबूरी में उस रास्ते को चुनती हैं। लेकिन समाज इसे "उनकी गलती" मानकर और भी कलंकित करता है।
👉 जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं की नहीं, पुरुषों की भी है :
अगर खरीदार (ग्राहक) ही न हों, तो "बिक्री" कहाँ से होगी?
महिलाओं को दोष देकर पुरुष खुद की जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते।
इस व्यापार को बनाए रखने में पुरुष उतने ही जिम्मेदार हैं, जितनी महिलाएँ मजबूरी में इसमें जाती हैं।
मेरे विचार में यह पूरी तरह अन्यायपूर्ण और एकतरफा सोच है कि समाज केवल महिलाओं को दोषी ठहराए।
अगर वेश्यावृत्ति गलत है, तो खरीदार और विक्रेता दोनों जिम्मेदार हैं।
लेकिन असली समाधान शिक्षा, रोजगार और समान अवसरों से ही आएगा ताकि किसी महिला को मजबूरी में यह रास्ता चुनना ही न पड़े।