01/09/2024
प्रयागराज, जिसे पहले इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्राचीन और पवित्र शहर है। यह शहर तीन नदियों—गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्थित है, जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है। यह स्थान धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और यहां हर 12 साल में कुंभ मेला आयोजित किया जाता है, जो दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है।
कहानी की शुरुआत होती है आदित्य से, जो एक युवा पत्रकार है और दिल्ली में एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र के लिए काम करता है। उसकी जिंदगी व्यस्तताओं से भरी हुई है, लेकिन उसके दिल में हमेशा से एक खास स्थान के प्रति आकर्षण था—प्रयागराज। वह हमेशा से इस शहर की सांस्कृतिक धरोहर और आध्यात्मिक महत्व के बारे में सुनता आया था, लेकिन कभी यहां आ नहीं पाया था।
एक दिन, उसे अपने अखबार की ओर से कुंभ मेले की रिपोर्टिंग के लिए प्रयागराज भेजा गया। आदित्य के लिए यह एक सपना सच होने जैसा था। जैसे ही वह प्रयागराज पहुंचा, उसे इस शहर की पवित्रता और शांति का अनुभव हुआ। संगम पर स्नान करने का उसका सपना जल्द ही पूरा हुआ, जब उसने त्रिवेणी संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाई। उस समय उसे एक अद्भुत अनुभूति हुई, मानो उसके सारे पाप धुल गए हों और वह एक नई ऊर्जा से भर गया हो।
प्रयागराज में रहते हुए, आदित्य ने न केवल कुंभ मेले की धार्मिकता को समझा, बल्कि इस शहर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को भी जाना। उसने देखा कि कैसे लाखों लोग आस्था और भक्ति से प्रेरित होकर यहां आते हैं। संगम पर बैठकर उसने अनेक साधुओं और संतों से बात की, जो उसे जीवन की गहराइयों के बारे में बताते। इन सभी अनुभवों ने आदित्य के भीतर एक नया दृष्टिकोण उत्पन्न किया।
शहर की गलियों में घूमते हुए, आदित्य ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय, आनंद भवन, और खुसरो बाग जैसे ऐतिहासिक स्थलों का दौरा किया। इन स्थानों ने उसे इस शहर की महानता और गौरवशाली इतिहास के बारे में बताया। उसे यह जानकर भी गर्व हुआ कि यह शहर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है।
प्रयागराज में कुछ दिन बिताने के बाद, आदित्य को लगा कि वह सिर्फ एक रिपोर्टर नहीं, बल्कि एक तीर्थयात्री बन गया है। उसने अपने भीतर एक अद्भुत शांति और संतोष महसूस किया। जब वह वापस दिल्ली लौटा, तो उसके लेखों में केवल तथ्यों की जानकारी नहीं थी, बल्कि एक गहरी भावनात्मक गहराई भी थी, जिसे उसने प्रयागराज में अनुभव किया था।
आदित्य के लिए यह यात्रा जीवन बदलने वाली साबित हुई। उसने जाना कि प्रयागराज केवल एक शहर नहीं है, बल्कि एक ऐसी धरोहर है जो सदियों से भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का केंद्र रहा है। यहां का हर कोना, हर गली, एक कहानी कहता है, जो इस शहर के अपार महत्व को दर्शाता है।
इस यात्रा के बाद आदित्य ने ठान लिया कि वह हर साल प्रयागराज आएगा और इस पवित्र धरती के स्पर्श से अपने जीवन को और भी समृद्ध बनाएगा।