Daring truth

Daring truth ॥ सत्यम् एव जयते ॥ सत्य धर्माय दृष्टये ।।
Truth for transformation
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केंदीय और राज्य विश्विद्यालय इस सूची में आस पास भी नहीं दिख रहे है और तो और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान संयुक्त रूप से च...
04/04/2025

केंदीय और राज्य विश्विद्यालय इस सूची में आस पास भी नहीं दिख रहे है और तो और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान संयुक्त रूप से चौथे स्थान पर है, यह एक प्रकार से शोध गुणवत्ता का सूचक है जो बता रहा है की सरकारी संस्थानों में या तो कुछ नया करने का प्रयास ही नहीं हो रहा और अगर हो भी रहा है तो उसे सही मुकाम नहीं मिल पा रहा।


इलाहाबाद विश्विद्यालय जो कभी पूरब के ऑक्सफोर्ड के नाम से जाना जाता था, जिसकी परंपरा और वरिष्ठों के प्रति सम्मान और कनिष्...
27/03/2025

इलाहाबाद विश्विद्यालय जो कभी पूरब के ऑक्सफोर्ड के नाम से जाना जाता था, जिसकी परंपरा और वरिष्ठों के प्रति सम्मान और कनिष्ठों के प्रति प्रेम की मिशाल आज भी लोग देते हैं। कहते है इलाहाबाद विश्वविद्यालय में सीनियर जूनियर की परंपरा इतनी घनिष्ठ होती है की विश्विद्यालय से जुड़ा हर व्यक्ति दूसरे को अगाध सम्मान और स्नेह देता है। भले ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय अकादमिक जगत में कुछ पीछे रह गया था पर उसने कभी भी अपनी परंपरा और गरिमा से समझौता नहीं किया। वर्तमान कुलपति महोदया के कार्यकाल में बहुत सी नियुक्तियां हुई ताकि शिक्षक छात्र अनुपात को सुधारा जा सके, इनमें से कुछ नियुक्तियों पर सवाल भी उठे है। दबी जुबान ये कहा जाता रहा है की नियुक्तियों में एक जाति विशेष के लोगों को विशेष लाभ दिया गया है। अब जैसे जैसे समय बीत रहा है ऐसे लोगों का स्वरूप खुलकर उजागर हो रहा है हालिया घटनाक्रम विश्वविद्यालय के ही अंग्रेजी विभाग से जुड़ा हुआ है जहां विभागाध्यक्ष और एक वरिष्ठ आचार्य पर उसी विभाग के एक आचार्य के द्वारा हमला कर दिया जाता है और वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि उनसे कहा जाता है की आप यथासमय अपनी कक्षाएं लीजिए और पाठ्यक्रम को समय से पूर्ण करिए। अब जैसा की वो आचार्य एक जाति विशेष से आते है तो उन्होंने किसी बात का डर तो है नहीं क्योंकि उनकी और माननीय कुलपति महोदया जी की जाति एक है। यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है की कुलपति महोदया की नियुक्ति पर भी काफी बवाल मचा था। खैर विषयांतर न करते हुए वर्तमान मुद्दे की बात करते है यहां न सिर्फ जाति विशेष के आचार्य द्वारा विभागाध्यक्ष पर हमला किया गया वरन उनके और कुछ और शिक्षकों और छात्रों पर भी झूठी एफआईआर करवा दी गई, यहां सोचने वाली बात है की एक वरिष्ठ आचार्य जो उम्र के आखिरी पायदान पर है वो अपने से लगभग आधी उम्र के व्यक्ति पर जानलेवा हमला (जिस प्रकार एफआईआर में वर्णित है) वो कैसे कर सकता है? इन्होंने पुलिस को जो प्रार्थना पत्र दिया है उसमें कहा है की इनकी उंगली टूट गई और उसके बाद ये प्राथमिक चिकित्सा करवाने के बाद तेज बहादुर सप्रू बेली अस्पताल गए तो इन्हें अन्य शिक्षकों और छात्रों ने डराया धमकाया तो ये भाग कर एक निजी चिकित्सालय में गए जहां इन्होंने अपना उपचार करवाया इतने पढ़े लिखे एक केंद्रीय विश्विद्यालय के शिक्षक को ये नहीं पता की वो जिला अस्पताल है वहां हमेशा ही पुलिसकर्मी तैनात रहते है और तो और बेली अस्पताल के बाहर तो पुलिस चौकी भी स्थापित है, तो फिर पुलिस के पास जाने की अपेक्षा ये निजी अस्पताल क्यों गए और उसके बाद उन्होंने ११२ पर सूचना क्यों दी, इनके द्वारा वही तत्काल ही पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी गई? प्रश्न कई है उत्तर शायद समय दे या न दे पर एक बात तो है उच्च शिक्षा में ऐसे जाति विशेष के नाम पर नौकरियों का कृपा प्रसाद देने से ऐसी परिस्थितियां बनती ही रहेगी, अब जो व्यक्ति स्वयं अपनी योग्यता से नहीं अपितु संबंधों के बल पर उस मुकाम तक पहुंचा है और उसे पता भी है की जिसके वरद हस्त से वो यहां तक पहुंचा है वो अब भी बना हुआ है तो वो क्यों ही पढ़ाए और क्यों ही विभागाध्यक्ष की बात सुने। ऐसे ही अयोग्य और परम्परा का सम्मान न करने वालों की नियुक्तियां जाति विशेष के नाम पर होती रही तो वो दिन दूर नहीं जब इलाहाबाद विश्वविद्यालय रहरिया इंटर कॉलेज से अधिक नहीं रह जाएगा।
अभी भी समय है विश्विद्यालयों को बचा सकते है तो बचा ले अन्यथा की दृष्टि में फिर वही अंधेर नगरी और चौपट राजा वाला हाल होगा।

समर शेष है नहीं पाप का व्याधि केवल व्याध।
जो तटस्थ है समय लिखेगा उनके भी अपराध। ( रामधारी सिंह दिनकर)

बेचारे सांसदों को महंगाई के कारण गुजारा करना मुश्किल होता देख कर केंद्र सरकार ने वेतन और भत्तों में किया इज़ाफा। अब एक ल...
26/03/2025

बेचारे सांसदों को महंगाई के कारण गुजारा करना मुश्किल होता देख कर केंद्र सरकार ने वेतन और भत्तों में किया इज़ाफा। अब एक लाख की जगह एक लाख चौबीस हजार प्रति माह वेतन पाएंगे माननीय (भत्ते अलग से है)।

भीड़ अपने आवेग से किस प्रकार जिंदगियां बर्बाद करती है इसकी एक बानगी मात्र है मध्य प्रदेश के रीवा जिले के मऊगंज की ये घटन...
16/03/2025

भीड़ अपने आवेग से किस प्रकार जिंदगियां बर्बाद करती है इसकी एक बानगी मात्र है मध्य प्रदेश के रीवा जिले के मऊगंज की ये घटना। किस प्रकार दो महीने पहले हुए सड़क हादसे पर मात्र संदेह होने के कारण (पुलिस रिपोर्ट में हादसे के तौर पर दर्ज है उक्त प्रकरण) एक युवक को अगवा कर लिया जाता है, बंधक बना लिया जाता है, बेरहमी से मारा पीटा जाता है मार डाला जाता है , युवक की मौत से अनजान छुड़ाने गए परिवार वालों से बदसलूकी की जाती है, परिवार वालों को भी मारा पीटा जाता है, उनके फोन छीन लिए जाते है, वाहनों को तोड़ दिया जाता है ( मृतक के भाई के अनुसार), बचाव के लिए गई पुलिस और प्रशासन की टीम पर पथराव और लाठियों से हमले किए जाते है, कई सिपाही और अधिकारी मौके पर घायल होते है कुछ को गंभीर चोटे आती है, प्रशासन की टीम को भी बंधक बना लिया जाता है, इन सब में घायल एक ASI जिसके सेवानिवृत्ति को कुछ ही महीने शेष बचे थे अपने प्राण गवां देता है। जिस युवक को बंधक बनाया गया था उसके मृत्यु के बाद का वीडियो भी सोशल मीडिया पर उपलब्ध है जिसमें उसके शरीर में गंभीर चोट के निशान दिखाई दे रहे है। अब बात आती है इन सब से न सिर्फ मृतक युवक, पुलिस अधिकारी, उनके परिवार वालों का जीवन बर्बाद हुआ वरन् ऐसे जघन्य अपराध में भीड़ के शक्ल में आए लोगों और उनके परिवार वालों का जीवन भी बर्बाद होगा क्योंकि आज नहीं तो कल पुलिस प्रशासन आप में से सब तो नहीं पर कुछ को तो पहचान लेगी ही और फिर आप जीवन भर कानूनी कार्यवाही को झेलेंगे। अभी इसी मौके पर अगर कोई पुलिस वाला जवाबी कार्यवाही में एकाध गोली किसी के ऊपर चला देता तो अति बुद्धिवादी लोग आ जाते ये कहने की निरपराध आदिवासियों को प्रशासन जानबूझकर अपना शिकार बना रहा है। अपराध किसी भी जाति या मजहब का मोहताज नहीं है और न ही अपराधी की कोई जाति या धर्म होता है, अपराधी अपराधी होता है उसे इसके लिए निश्चित हो दंड मिलना चाहिए और वो भी कठोर से कठोर।
#मऊगंज #रीवा

13/03/2025

होली से न तो सामान्य मुसलमान को दिक्कत है और न ही नमाज़ से सामान्य हिन्दू को। दिक्कत तो सिर्फ उन्हें है जो होलिका दहन की आग में अपनी राजनीतिक रोटी सेंकना चाहते है और नमाज़ के नाम पर अपना नाम बनाना चाहते है। आप सभी को रंगोत्सव होली की हार्दिक शुभकामनाएं, इस त्यौहार को आपसी सौहार्द से मनाए।

09/03/2025

अव्वल तो ये की प्रयागराज में तैयारी कर रहे सभी प्रतियोगी छात्रों के पास बाइक नहीं है और दूसरा ये की जिनके भी पास बाइक है उन लोगों ने मुफ़्त में बिना एक भी पैसा लिए लोगों की सहायता की है ( मैं व्यक्तिगत रूप से उनमें से कई लोगों को जानता हूं)। प्रयागराज के कई लोकल लोगों ने जरूर लोगों को शुल्क लेकर एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाया है। जहां तक रही बाते यहां पढ़ने वाले छात्रों की तो ये छात्र एक एक पैसा अपने मां बाप की खून पसीने की कमाई का है। कुछ छात्र है जो ट्यूशन पढ़ा कर, पार्ट टाइम नौकरियां कर के अपना खर्च चलाते है और उस पर भी एक प्रदेश के कर्ताधर्ता के द्वारा ऐसा बयान निश्चय ही निराश करने वाला है। पता नहीं कैसे एक प्रदेश के मुखिया को इतनी तथ्यहीन बातें पता चलती है या हो सकता है इनको इनके लोग ही भरमाए हुए है और ये भी शेखचिल्ली के हसीन सपनों में खोए हुए है।


#वीडियो_साभार अजय पाण्डेय बागी

काशी तमिल संगमम, महाकुंभ और उसके पलट प्रवाह के कारण हो रही भारी भीड़ से पूरा बनारस शहर ( वाराणसी)  परेशान है, रेलवे स्टे...
19/02/2025

काशी तमिल संगमम, महाकुंभ और उसके पलट प्रवाह के कारण हो रही भारी भीड़ से पूरा बनारस शहर ( वाराणसी) परेशान है, रेलवे स्टेशनों में भी भारी भीड़ है। प्रशासन भीड़ नियंत्रित करने की भरसक कोशिश करता भी दिखाई दे रहा है पर कुछ त्रुटियां है जिन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा जैसे प्लेटफार्मों पर लगे led display unit बंद पड़े है, रेलवे महाकुंभ के लिए कई स्पेशल ट्रेन चला भी रहा है पर लोग जानकारी के अभाव में सामान्य ट्रेनों में जबरदस्ती घुस रहे है, यहां तक की सामान्य यात्री अपनी आरक्षित सीटों तक भी नहीं पहुंच पा रहे है और अगर पहुंच भी रहे है तो उसी सीट पर पांच से छह की संख्या में लोग बैठ रहे है।

16/02/2025

प्रशासन एक बार फिर भीड़ प्रबंधन (Crowd management) करने में विफल रहा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नई दिल्ली रेलवे स्टेशन में अचानक प्लेटफॉर्म बदले जाने से मची भगदड़ में १५ लोगों ने दम तोड़ा और अन्य घायल हुए। प्रशासनिक लापरवाही की कीमत आम आदमी अपनी जान देकर चुका रहा है।

13/02/2025

अखाड़ों का स्तर किस हद तक नीचे गिर चुका है इसका अंदाजा सिर्फ इससे लगाया जा सकता है की जो अखाड़े एक समय मोह माया से दूर होने वाले लोगों के लिए थे वहीं आज के समय में अखाड़ों के शीर्ष व्यक्तियों के द्वारा उद्योगपतियों को हाथ पकड़ कर स्नान कराया जा रहा है, पवित्र जल को स्नान के दौरान हाथों से नेताओं के ऊपर उड़ेला जा रहा है। माया- मोह के बंधन से दूर होने की बात करने वाले स्वयं ही माया के चक्रव्यूह में फंसे पड़े है।

विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता जांच करने वाली संस्था में ही जब इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है तो किसी और विश्विद्...
04/02/2025

विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता जांच करने वाली संस्था में ही जब इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है तो किसी और विश्विद्यालय विशेष से क्या ही उम्मीद की जा सकती है की वहां भ्रष्टाचार नहीं होता होगा।
Press Trust of India - PTI

प्रशासन के द्वारा बारम्बार कहां गया झूठ, नियंत्रित मीडिया द्वारा दिखाया गया अर्धसत्य और सोशल मीडिया पर समर्थकों की हवाबा...
31/01/2025

प्रशासन के द्वारा बारम्बार कहां गया झूठ, नियंत्रित मीडिया द्वारा दिखाया गया अर्धसत्य और सोशल मीडिया पर समर्थकों की हवाबाजी
प्रयागराज महाकुंभ में संगम नोज पर हुई भगदड़ को प्रशासन ने स्वीकार किया उसके अतिरिक्त जहां भी ऐसी दुखद घटना हुई प्रशासन ने उसके बारे में लोगों को भनक तक नहीं लगने दी, अब जब प्रत्यक्षदर्शियों के बयान आने शुरू हो रहे तो पता चल रहा है की स्थिति कितनी भयावह और नियंत्रण के बाहर थी, कैसे ट्रैक्टर और जेसीबी के द्वारा आनन फानन में साक्ष्य मिटाए गए। अभी भी हजारों लोग लापता है उनमें से भगवान जाने कितने जीवित होंगे और कितने प्राण गवां चुके होंगे। संगम नोज के अलावा भी कई अप्रिय घटनाएं हुई है जिन्हें दबा दिया गया। अक्षम और अनुभवहीन प्रशासन इतने महीनों से vip लोगों की सेवा और अपनी पीठ थपथपाने में ही व्यस्त रहा। अस्पतालों के मुर्दाघर लाशों से भरे है, लोग चीत्कार रहे है, अपनों से मिलने के लिए बिलख रहे है, लोगों के जूते, कपड़े और समान बिखरे पड़े है और माननीय मुख्यमंत्री जी आते है और कहते है की स्थिति नियंत्रण में है केवल 30 लोगों की मृत्यु और 60 घायल हुए है और इसकी न्यायिक जांच होगी जबकि सुबह सुबह एक अधिकारी ने मीडिया को बयान दिया था कि लगभग 250 लोग घायल हुए है। आपका न्यायिक जांच आयोग, आपकी सरकार और आप ही के नियंत्रण में मीडिया अब आप जो चाहे उसी को सही सिद्ध कर दे। मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री और तमाम भाजपा नेताओं ने ऐसा माहौल बनाया की आइए कुंभ आइए इस बार जैसी सुविधाओं का अनुभव आप ने किसी और कुंभ में प्राप्त नहीं किया होगा और लोगों को क्या पता की ऐसी सुविधाएं उनके जीवन की अंतिम होंगी। कुछ पुलिस वालों ने बहुत ही अधिक जाबांजी दिखाई लेकिन वहीं कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने लोगों को तड़पने और मरने के लिए छोड़ दिया। शासन, प्रशासन और जिम्मेदार लोगों की लापरवाही का खामियाजा आम जनता सदैव से उठाती रही है और ऐसा ही चलता रहा तो आगे भी उठाती रहेगी।
अब देखना ये है की आखिर कब तक सच्चाई छुपाई जाएगी

30/01/2025

शिकायत करने का अधिकार श्रद्धालुओं के पास नही है क्या ?
तो क्या श्रद्धालु चूतिया होते हैं ?

ज्यादातर श्रद्धालु तो सुरक्षा आदि व्यवस्था देख कर ही तीर्थ जाते हैं
और जब जिम्मेदार बड़ी बड़ी बातें करके अपेक्षाओं पर 50% भी खरे नही उतरेंगे तो मन क्षुब्ध होगा की नही ?
क्षुब्धता शिकायत को ही उकसाती है,
शिकायत करनी भी चाहिए.

ये तरह तरह के सर्टिफिकेट बांटने का अधिकार इन लोगों को दिया किसने है ?
- कुम्भ न आने वाले देशद्रोही हैं
- शिकायत श्रद्धालु नही पर्यटक करते हैं
- ब्ला, ब्ला,ब्ला..

Stop talking bu****it

#साभार. Er. Sanjay Kumar Trivedi (इनकी प्रोफाइल का लिंक निम्नवत है)

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