
11/05/2025
"माँ के बिना ब्रह्मा भी अधूरे हैं..."
(ब्रह् + माँ = ब्रह्मा)
मातृ दिवस पर नमन उस आदिशक्ति को, जिसने हमें जीवन दिया।
माँ —, वो पहली आवाज़, जो हमें जीवन का संगीत सिखाती है,वो आँचल, जिसमें पूरी कायनात समा जाती है।
उनके बिना ना धरती संपूर्ण है, ना ही आकाश।
यहाँ तक कि सृष्टि के सृजनकर्ता ब्रह्मा भी —
माँ के बिना अपूर्ण हैं।
वो थकती नहीं, रुकती नहीं,
हर दर्द को अपने आँचल में छुपा लेती है।
हर सफलता के पीछे,
उनकी दुआओं की गूँज होती है।
आज एक पल ठहरिए...
और उस माँ को दिल से धन्यवाद दीजिए,
जिसकी ममता से हम ‘हम’ हैं।
क्योंकि —
हर "उपमा" (उप + माँ) माँ से मिलती है,
हर "महिमा" (महि + माँ) माँ से खिलती है।
और उनके बिना,
हर उपमा अधूरी है, हर महिमा अधूरी है...