अनहद पत्रिका

अनहद पत्रिका अनहद हिंदी की एक साहित्यिक व सांस्कृत?

मित्र भरत प्रसाद की कलम सेकवि, सम्पादक Santosh Chaturvedi की प्रतिष्ठित पत्रिका-अनहद का गांधी विशेषांक। ठीक से याद करूं ...
29/11/2022

मित्र भरत प्रसाद की कलम से

कवि, सम्पादक Santosh Chaturvedi की प्रतिष्ठित पत्रिका-अनहद का गांधी विशेषांक। ठीक से याद करूं तो पिछले कुछ वर्षों में गांधी पर दर्जन भर विशेषांक। हाल ही में मधुमती और नया ज्ञानोदय पत्रिका का भी गांधी केन्द्रित विशेषांक। "सृजन सरोकार" का भी नवीनतम अंक, इसी महामानव पर। निश्चय ही गांधी भारतीय जमीन से उठी एक ऐसी वैश्विक शख्सियत हैं, जिसके कद का लोहा पूरी दुनिया मानती है।भारत की मुक्ति के नायक तो हैं ही गांधी, परन्तु चिंतन और व्यक्तित्व को एकाकार करने वाला साधक गांधी की तरह विरला ही मिलेगा।


संतोष चतुर्वेदी अपने चिर परिचित अंदाज़ में सघन मेहनत और मौन दृढ़ता के साथ यह अंक समयार्पित किए हैं। यह बृहद अंक अपनी दृष्टिगत गुणवत्ता के कारण लंबे समय तक याद किया जाएगा।

राधाबल्लभ त्रिपाठी, नंदकिशोर आचार्य, नीलकान्त, कनक तिवारी , कात्यायनी (प्रसिद्ध कवयित्री), बसंत त्रिपाठी, जगदीश्वर चतुर्वेदी, प्रदीप सक्सेना, तुषार गांधी, हेरम्ब चतुर्वेदी (इतिहासकार), सेवाराम त्रिपाठी (आलोचक), सुधीर चन्द्र, जवरीमल्ल पारख, विनोद शाही, प्रेमपाल शर्मा, महेश पुनेठा (कवि, सम्पादक), हितेंद्र पटेल, पंकज मोहन, प्रेमकुमार मणि, मधुरेश, अरुण माहेश्वरी, कमलेश भट्ट कमल और रामजी तिवारी (कवि) सहित दो दर्जन से ज्यादा रचनाकारों ने गांधी के विभिन्न आयामों पर अपने विचार, विश्लेषण पेश किए हैं।

यह अंक सही मायने में वार्षिकेय है, जिसे ढंग से पढ़ने में यकीनन एक वर्ष लग जाएंगे। इसके ठीक पहले अनहद का मुक्तिबोध अंक आ चुका है, जो कि प्रतिष्ठित प्रकाशक के द्वारा पुस्तकाकार होने को तैयार है। उम्मीद है, आगामी पुस्तक मेला में हमें उपलब्ध भी हो।


निरंतर 12 वर्षों से साहित्यिक मानदंड को ऊंचा रखते हुए जिस रौनक के साथ "अनहद" नाद कर रही है, वह समकालीन साहित्यिक पत्रकारिता में किसी जरूरी घटना से कम नहीं। नि:संकोच "अनहद" आज शीर्षस्थ पत्रिकाओं की पांत में शुमार किए जाने की हैसियत हासिल कर चुकी है।


【 भरत प्रसाद : 28 नवंबर, 2022】

प्रोफेसर राजेंद्र कुमार के हाथों में अनहद का गांधी अंक।
26/11/2022

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" उस ध्येय की सिद्धि के लिए आपको मेरी संपूर्ण वफादारी हासिल होंगी, जिसके लिए आपके जैसा त्याग और बलिदान भारत के किसी अन्य पुरुष ने नहीं किया है"__ सरदार पटेल, 3 अगस्त 1947।

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