06/09/2025
यह पोस्ट खास उन्हीं के लिए है जिनका जन्म 1960, 1961, 1962, 1963, 1964, 1965, 1966, 1967, 1968, 1969, 1970, 1971, 1972, 1973, 1974, 1975, 1976, 1977, 1978, 1979, 1980,1981,1982,1983,1984,1985⚜️ में हुआ है –
यह वो पीढ़ी है जिसने ज़िंदगी को असल मायनों में जिया है।✅
40 से 65 की ओर बढ़ती यह पीढ़ी सबसे भाग्यशाली है…
क्योंकि इसने ज़िंदगी के असली रंग देखे भी और अपनाए भी।
🍂 यह वही पीढ़ी है जिसने 1, 2, 5, 10, 20, 25 और 50 पैसे तक की अहमियत जानी।
स्याही–कलम से लिखना सीखा और आज स्मार्टफोन और लैपटॉप चलाना भी बखूबी जानती है।
🚲 जिन दिनों साइकिल भी एक विलासिता थी,
उसी पीढ़ी ने आज स्कूटर और कार चलाना सीखा।
टेप रिकॉर्डर, ट्रांजिस्टर कभी शान हुआ करते थे,
और आज वही लोग वीडियो कॉल पर बच्चों से बात करते हैं।
👦 बचपन में टायर घुमाना, सलाई गाड़ना, कैरी तोड़ना और
किसी भी दोस्त के घर बिना संकोच चले जाना – यही हमारी मस्ती थी।
"दोस्त की माँ ने खाना खिला दिया" – ये उपकार नहीं, अपनापन था।
"उसके पिताजी ने डांटा" – यह ईर्ष्या नहीं, बल्कि एक और सीख थी।
🏏 मोहल्ले में क्रिकेट खेलते–खेलते
कभी पैरों में चप्पल नहीं होती थी,
बैट लकड़ी की होती थी और गेंद कोई भी मिल जाए वही काफ़ी थी।
फिर भी मज़ा उतना ही आता था।
🎶 हमने कपिल–गावस्कर की क्रिकेट देखी,
अमिताभ–राजेश खन्ना के दौर का सिनेमा देखा,
और पंकज उधास की ग़ज़लों में खोए।
VCR किराये पर लाकर पूरी रात फ़िल्में देखना –
वही हमारी पार्टी हुआ करती थी।
📚 हमारी शिक्षा सादी थी –
न ट्यूशन, न प्रेशर, न प्रतिशत का डर।
फेल होना शर्म नहीं था,
ट्यूशन पढ़ना कमजोरी समझी जाती थी।
किताब में मोरपंख रखना और कवर चढ़ाना
मानो वार्षिक त्योहार जैसा लगता था।
🙏 हमने अपने गुरुओं से डांट खाई, पिटाई खाई…
लेकिन कभी बुरा नहीं माना।
आज भी अगर वही शिक्षक मिल जाएँ तो
सम्मान से सिर झुक ही जाता है।
🔥 दिवाली की फुलझड़ी खोलकर
एक–एक पटाखा जलाना हमें छोटा नहीं लगता था।
छह महीने में एक बार मुरमुरे–फरसाण मिल जाए
तो वही सबसे बड़ी खुशी होती थी।
💙 हमने कभी पॉकेट मनी नहीं माँगी,
न माता–पिता ने दी।
ज़रूरतें छोटी थीं और परिवार उन्हें पूरा कर देता था।
"I Love You" बोलना नहीं आता था,
लेकिन माँ–बाप के लिए जान तक हाज़िर थी।
🌍 सच कहें तो…
हमारी पीढ़ी ने हकीकत में जीया,
हकीकत में बड़े हुए और हकीकत में सपने देखे।
हमने रिश्तों को औपचारिकता में नहीं,
बल्कि दिल से निभाया।
आज ज़माना बदल गया है…
पर हमें गर्व है कि हमारा भी एक **ज़माना था** ❤️
अगर आप भी इस उम्र के हो तो अपने मित्र को शेयर जरूर करें ♥️ वो भी पढ़कर अपने बचपन में जा सके धन्यवाद!!!
Mast wala challenge