
07/07/2025
हर्ष काफ़र के किसी भी काम को मै फुर्सत से देखना पसंद करता हूँ। कुछ दिनों पहले जब हमारी सोमेश्वर घाटी में धान की रोपाई बड़े जोरों से हो रही थी तब इनकी एक बहुत ही शानदार डाक्यूमेंट्री आई थी, विषय था भू-कानून।
आज उस 38 मिनट की डॉक्यूमेंट्री को बिना एक सेकेंड भी स्किप किए देख चुका हूँ और देखते–देखते इतना अंदाजा आया है कि हाल में जो हमें भू–कानून मिला है दरअसल वो चूरन है। जिसे हम बड़ी ख़ुशी से चाटकर, पुनः च्यु*ए साबित हो चुके हैं।
हर्ष ने उत्तराखंड के भूमि की शुरुआत शुरू से की है मगर वो बोरिंग नहीं है.. क्योंकि इस गंभीर विषय पर बात करते हुए हर्ष कभी तोतले बन जाते हैं तो कभी अंग्रेज अफसर और कभी कुछ... एक हल्के पन लेकिन बेहद आकर्षक तरीके से शुरू होने वाली इस वीडियो को अगर उत्तराखंड का आधा यूथ भी देख ले तो वो पुनः आंदोलन करने लगे! इसलिए नहीं कि उसे भू–कानून चाहिए बल्कि इसलिए भी कि उसे पहले भूमि भी चाहिए क्योंकि उसके पास तो भूमि ही नहीं बची भू-कानून से क्या करेगा... और फिर ऐसे भू–कानून से होगा भी क्या….?
इस डॉक्यूमेंट्री को देखते हुए मैं सोच रहा था कि इसपर काफ़ी कुछ लिखूंगा पर हर्ष के शब्दों में इतना ही लिखता हूँ कि भू–कानून पहाड़ का ऐसा मशाण है जिसे कभी पूजा नहीं गया है बल्कि करार पर करार ही रखा जा रहा है, बस नए-नए जगरी आकर अपना पेट पाल रहे हैं।
बाकी सलाम है ऐसे काम को, हर उत्तराखंड वासी को इस डॉक्यूमेंट्री को देखना चाहिए... तब आपको समझ आएगा कि भू-कानून कैसा होना चाहिए...? और कैसा हमें मिला है !
हर्ष भाई के साथ कैमरा आदि के पीछे का बंदोबस्त देखने वाले मुकेश भी बड़े काम के आदमी बन चुके हैं। दोनो की जोड़ी कई सारे बढ़िया काम करेगी।
बाकी वीडियो पहले कमेंट में देख सकते हो.... धन्यवाद..!
~ राजेंद्र नेगी
Harsh Joshi