14/09/2025
*बहुजन :आत्मचिंतन एवं आत्म सुधार* *की आवश्यकता* -
*महात्मा बुद्ध,फुले दम्पत्ति, बोधिसत्व बाबासाहब आदि महापुरुषों की बात करने के साथ उनकी बातों पर अमल भी किया जाना जरूरी है।बोधिसत्व बाबासाहब ने अपने महान ग्रन्थ Annihilation of Caste (1936) में लिखा है कि जाति के विनाश का सर्वोत्तम उपचार अंतरजातीय विवाह में है।बाबासाहब के उक्त कथन को कहे हुए 89 वर्ष हो चुके लेकिन उनके अनुयायियों ने सजातीय विवाह को कसकर पकड़े रखा अर्थात वे भी मनुवाद को ही पालते-पोसते रहे।हर समय जातिवाद का रोने वाला दलित वर्ग का व्यक्ति भी सजातीय विवाह को नहीं छोड़ता है। इसलिए न तो जाति व्यवस्था टूटी और न ही दलित अंदर से मजबूती से एकजुट हुए।एक दलित जाति का व्यक्ति अन्य दलित जातियों के प्रति अविश्वास से भरा रहता है क्योंकि इनमें अंतर्विवाह नहीं है।यही हाल OBC एवं ST का है।कई बहुजन जातियां अपने को क्षत्रिय माने बैठी हैं और जातीय दंभ से भरी हुई हैं।असल में मनुवाद केवल सवर्णों में ही नहीं है बहुजनों में भी है।बहुजन जातिवाद के लिए गालियां सवर्णों को देते हैं लेकिन आपस में अंतर्विवाह नहीं करते। आपस में रोटी-बेटी के रिश्ते न करने के लिए बहुजन भाई तमाम बहाने भी बनाते हैं एवं इस विषय पर चर्चा से भागते नजर आते हैं।कभी कभी हां भी करते दिखते हैं लेकिन अपने बुजुर्गों,सजातीय लोगों एवं घर महिलाओं की आड़ लेते दिखते हैं। वे स्वेछा से इस मामले में आगे नहीं बढ़ना चाहते हैं। इनमें अनेक बहुजन -अंतर्विवाह के विरोधी भी हैं। अनेक सजातीय गौरव एवं अभिमान से भरे हुए हैं।अनेक अन्य बहुजन जातियों के नेताओं के विरुद्ध अभियान चलाते हैं।अनेक महापुरुषों में भी जाति ढूंढते हैं।स्पष्ट है कि आज जाति को बनाए रखने के लिए बहुजन भी बराबर के उत्तरदाई हैं।हमें इस विषय पर गंभीर आत्मचिंतन करने की जरूरत है।*
*सजातीय विवाह छोड़ो।*
*बहुजन समाज जोड़ो।।*
_सादर नमो बुद्धाय जय भीम_ *जय संविधान जय भारत* 🙏