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26/05/2025

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21/05/2025

22/01/2024

सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्टों को जमानत अर्जियों पर तेजी से फैसला करने का निर्देश दिया.

"पीड़ित" अविवाहित बेटी को DV Act के तहत भरण-पोषण का अधिकार, चाहे उसका धर्म और उम्र कुछ भी हो: इलाहाबाद हाईकोर्टसीताराम ए...
15/01/2024

"पीड़ित" अविवाहित बेटी को DV Act के तहत भरण-पोषण का अधिकार, चाहे उसका धर्म और उम्र कुछ भी हो: इलाहाबाद हाईकोर्ट
सीताराम एडवोकेट अलवर

15/01/2024

पत्नी को भरण - पोषण

15/01/2024

भारतीय न्याय संहिता 2023

पुरुष का जीवन संघर्ष से शुरू होता है और स्त्री का आत्मसमर्पण से...
05/12/2023

पुरुष का जीवन संघर्ष से शुरू होता है और स्त्री का आत्मसमर्पण से...

25/11/2023

पत्नी द्वारा जीविका कमाने में सक्षम होने के बावजूद भी आय के साधन ना तलाशना, दूसरे पक्ष (पति) पर एकतरफा बोझ डालने के समान है—हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 24 जेंडर न्यूट्रल है।

Law Point 2—Refusal to engage in gainful employment without adequate justification or earnest job-seeking efforts in the presence of reasonable earning capacity should not burden the other party with unilateral financial responsibilities.
सीताराम एडवोकेट अलवर

17/10/2023

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हिन्दू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम, 1956—धारा 19(1) व 19(2)—विधवा पुत्रवधु द्वारा भरण-पोषण—विधवा पुत्रवधु अपने ससुर से भरण-पोषण केवल उन्हीं परिस्थितियों में प्राप्त कर सकती है जब ससुर के पास अविभाजित सँयुक्त परिवार की संपत्ति हो—इसके अतिरिक्त, विधवा पुत्रवधु के लिए यह स्थापित करना भी आवश्यक है कि अविभाजित पैतृक संपत्ति ससुर के कब्जे (Possession) में है।
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पटना हाईकोर्ट
सीताराम एडवोकेट अलवर

16/10/2023

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पीड़िता द्वारा व्हाट्सएप के माध्यम से पुलिस को अपराध की सूचना दी गई—पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी द्वारा सूचना को स्टेशन डायरी में अंकित कर विधि अनुसार कार्रवाई प्रारंभ की गई—ऐसी सूचना धारा 154(1) की अर्हताओं को पूरा करती है।
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जम्मू एंड कश्मीर हाई कोर्ट
सीताराम एडवोकेट अलवर

16/10/2023

एक वैध विवाह के लिए सप्तपदी (सात फेरों) संस्कार का किया जाना अनिवार्य है। यदि धारा 494 IPC की परिधि में दूसरे विवाह में सप्तपदी की प्रक्रिया को साबित नहीं किया जाता है तो धारा 494 IPC का अपराध पोषणीय (Maintainable) नहीं है। इलाहाबाद हाई कोर्ट
सीताराम एडवोकेट अलवर

16/10/2023

भा०दं०वि०, 1860—धारा 302 एवं 120-बी—हत्या व आपराधिक षड्यंत्र—दोष-सिद्धि के विरुद्ध अपील—अभियोजन द्वारा जिन साक्षियों के समक्ष बरामद किए गए सामान ज़ब्त किए गए थे, उनको परीक्षित नहीं करवाया गया—यहाँ तक कि विवेचना अधिकारी ने भी ज़ब्त किए गए सामान के सीलबंद होने का साक्ष्य में कोई जिक्र नहीं किया गया—जब ज़ब्त किए जा रहे सामान को सीलबंद नहीं किया जाता है तो यह अभियोजन को संदेहास्पद बनाता है—सम्पूर्ण विचारण में विधि-विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट नहीं प्रस्तुत की गई—यह पता लगाना संभव नहीं है कि ज़मीन से जिस रक्त का नमूना लिया गया वह मानव रक्त था और वह भी मृतक के ब्लड ग्रुप का—विवेचक द्वारा सिर्फ 315 बोर की पिस्टल और दो ज़िंदा कारतूस बरामद किए जाने से यह साबित नहीं होता है कि आरोपी दोषी है—साक्ष्य के दौरान बैलिस्टिक एक्सपर्ट को परीक्षित नहीं करवाया गया—दोष-सिद्धि का आदेश पोषणीय नहीं है—अभियुक्तगण को बरी किया जाता है—अपील स्वीकार। पटना हाईकोर्ट
सीताराम एडवोकेट अलवर

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