
14/08/2025
मैं अम्बाला हूं....जहां विभाजन के समय शरणार्थियों तो आये ही, संस्थाएं भी स्थानांतरित हुईं
हरियाणा का अम्बाला जिला... जो 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन के सबसे मार्मिक अध्याय का भी हिस्सा है। सन् 1947 में जब भारत आज़ाद हुआ, तो अम्बाला में देश का सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर....... 'बलदेव नगर शरणार्थी कैंप' बसाया गया, जिसने लाखों विस्थापितों को अपने आंचल में जगह दी.... अम्बाला इतिहास के विशेषज्ञ डॉ. उदय वीर सिंह के मुताबिक उस समय लगभग 1,94,403 शरणार्थी अम्बाला आए थे।
अखिल भारतीय हस्तशिल्प बोर्ड के निदेशक रहे सरदारी लाल पराशर, जो उस समय कैंप कमांडर थे, ने वहां के निवासियों की पीड़ा को अपने मार्मिक और अत्यंत अभिव्यंजक रेखाचित्रों में दर्ज किया। उनकी मूर्ति "रिफ्यूजी वूमन" विशेष रूप से भावुक कर देने वाली है, क्योंकि इसे बलदेव नगर कैंप की मिट्टी से बनाया गया था। ये सभी कलाकृतियां आज भी अमृतसर के पार्टिशन म्यूज़ियम में प्रदर्शित हैं......
भारतीय सिनेमा जगत के विख्यात अभिनेता स्व. सुनील दत्त (असली नाम बलराज), जो 1929 में पाकिस्तान के खुर्द में जन्मे थे, अक्सर याद करते थे कि उन्होंने और उनके परिवार ने अम्बाला रेलवे स्टेशन के प्लेटफ़ॉर्म पर कैसी कठिनाइयां झेलीं। प्रेम चौपड़ा भी अम्बाला स्टेशन आये। इस तरह बॉलीवुड की कई हस्तियां पाकिस्तान से विस्थापति हुईं। अम्बाला स्टेशन के निदेशक रहे शिवपाल सिंह के मुताबिक विस्थापितों को मंजिल तक पहुंचाने के लिए उत्तर-पश्चिमी रेलवे ने 20 अगस्त 1947 से 30 नवंबर 1947 तक कुल 700 शरणार्थी ट्रेन चलाई थी, जिनके जरिए 7 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था।