28/06/2025
अगर अम्बाला फिर डूबा, तो यह आसमानी नहीं, बल्कि प्रशासनिक साज़िश होगी":-चित्रा सरवारा
"बाढ़ केवल बारिश से नहीं आती... वह आती है शासन की सुस्ती, व्यवस्था की विफलता और संवेदनहीनता से"
अंबाला छावनी:-आज अम्बाला छावनी की नेत्री चित्रा सरवारा ने छावनी के ताजा हालातो पर केवल चिंता नहीं जताई, बल्कि सरकार और प्रशासन की निष्क्रियता पर एक ऐसा दार्शनिक और व्यंग्यात्मक प्रहार किया है जो हर उस नागरिक के मन की बात कहता है जो हर मानसून के साथ सिर्फ छतें नहीं, उम्मीदें भी खो देता है।
उन्होंने चेताया है कि यदि अब भी प्रशासन नहीं जागा, यदि नाले,पुलिया,बांध और जल निकासी तंत्र की साफ़-सफ़ाई समय पर नहीं की गई, तो अम्बाला छावनी फिर से पानी मे डूब जाएंगी। उन्होंने बताया कि छावनी क्षेत्र की गलियों और नालों में आज भी कीचड़, प्लास्टिक, खरपतवार और गंदगी का साम्राज्य है, लेकिन जिम्मेदार विभागों की आंखों पर पर्दा पड़ा है। जनता की बेचैनी बढ़ रही है, लेकिन अधिकारी 'एसी' में ब्रीफिंग ले रहे हैं। यह वक्त बहस या बैठकों का नहीं, धरातल पर उतरने का है, लेकिन सत्ता की शालीनता अब भी खामोशी ओढ़े बैठी है।
चित्रा सरवारा ने बहुत सधे हुए लहजे में लेकिन कटाक्ष से सने हुए शब्दों में कहा की आज भी टांगरी नदी के पुल पर खड़े होकर प्रशासन देखे तो आज भी पुल के ऊपर से ही टांगरी नदी के अंदर दोनों तरफ हरा घास का झुंड बीचो बीच खड़ा है आज भी टांगरी नदी की पुलियों के नीचे सिल्ट और मलवा जमा है, जब रेलवे,सिंचाई विभाग,नगर परिषद और आपदा प्रबंधन एक-दूसरे पर ज़िम्मेदारी डालकर बचना चाहते हैं—तो फिर आने वाली बारिशें केवल कुदरत का कोप नहीं, शासन की शर्मनाक असफलता का सबूत बनेंगी।
उन्होंने कहा कि पिछली बाढ़ ने लोगों के घर नहीं सिर्फ तोड़े थे, स्वाभिमान भी बहा ले गई थी। वे ज़ख्म अब तक सूखे नहीं हैं और अब जब बादल फिर मंडरा रहे हैं, तो वो जख्म फिर से रिसने लगे हैं। यह डर अब सिर्फ पानी का नहीं, उस शासन का है जो वक्त पर काम नहीं करता, और आपदा आने पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करता है। “यह भय सिर्फ बारिश का नहीं है, यह भय है कि अगर सरकार न चेती, तो इस बार लोग सिर्फ मकान नहीं, विश्वास भी खो देंगे।”
चित्रा सरवारा ने मांग की कि टांगरी नदी के सभी संवेदनशील पॉइंट्स पर बूस्टर पंप, पर्याप्त मशीनरी,कर्मचारी और योजनाबद्ध सफाई अभियान तत्काल चलाया जाए और टांगरी के अंदर दोनों और पोकलेन मशीनों की संख्या बढ़ाकर लोगों को राहत देने का काम करे। उन्होंने यह भी कहा कि “बाढ़ की तैयारी सिर्फ नोटशीट में नहीं, नालों के मुहानों पर दिखनी चाहिए।”