
15/07/2025
Ambala Media:"
श्रद्धांजलि उस इंसान को, जिसने उम्र की नहीं — हौसले की रफ्तार दिखाई!
कहते हैं, खुशियाँ पाने और कुछ महान बनने में कभी देर नहीं होती। फौजा सिंह ने यही सच कर दिखाया — कदम दर कदम, मील दर मील।
1911 में पंजाब के जालंधर जिले के एक छोटे से गाँव ब्यास में जन्मे फौजा सिंह बचपन में चल भी नहीं पाते थे। 5 साल की उम्र तक उनका चलना तक मुश्किल था। पर जो ज़िंदगी की शुरुआत में चल नहीं पाए, वही इंसान आगे चलकर 100 साल की उम्र में दुनिया का सबसे उम्रदराज़ मैराथन रनर बना।
89 की उम्र में बेटे को खोने के बाद उन्होंने दौड़ना शुरू किया — ग़म से उबरने के लिए, दिल को संभालने के लिए। और शायद वहीं से एक महान कहानी ने आकार लेना शुरू किया।
100 की उम्र में उन्होंने फुल मैराथन पूरी की। 101 पर रिटायर हुए, दुनिया भर में दौड़ कर रिकॉर्ड बनाए और लाखों लोगों को बताया कि "उम्र नहीं, हौसला मायने रखता है।" तब दुनिया ने उन्हें नाम दिया — Turbaned Tornado
लंदन, टोरंटो, न्यूयॉर्क, मुंबई, हांगकांग… जहाँ-जहाँ फौजा सिंह दौड़े, वहाँ-वहाँ लोगों को उम्मीद और ऊर्जा मिलती गई। उन्होंने चैरिटी के लिए दौड़ लगाई, सिख संस्कृति को दुनियाभर में पहचान दिलाई, और ये साबित कर दिया कि बुढ़ापा रुकने का नहीं, उड़ान भरने का वक्त भी हो सकता है।
अपने आखिरी पड़ाव में उन्होंने 114 साल की उम्र में फौजा सिंह ने अंतिम सांस ली। पर उनके कदमों की गूंज, उनके जज़्बे की मिसाल और उनकी मुस्कान आज भी हम सबके लिए एक रौशनी है।
जो कभी चल नहीं पाए थे, उन्होंने ज़िंदगी में 10 से ज़्यादा मैराथन पूरी कीं। जो कभी कमजोर कहे गए थे, उन्होंने सदी के सुपरहीरो बनकर दिखाया।
उनकी कहानी हमें यही सिखाती है — ज़िंदगी में साल कितने हैं, ये नहीं… ज़िंदगी में कितना जज़्बा है, वो मायने रखता है।