28/09/2025
🌺 एक विनम्र जागरण संदेश – धर्म और संस्कृति के सम्मान में 🌺
नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। चारों ओर माँ जगदम्बा के पांडाल सजे हैं, भजन-कीर्तन की गूंज है, श्रीराम लीला का दिव्य मंचन हो रहा है। यह समय है आत्मशुद्धि, भक्ति और संस्कृति के पुनर्जागरण का।
किन्तु इसी शुभ अवसर पर एक चिंताजनक प्रवृत्ति भी देखने को मिल रही है—कुछ स्थानों पर देवी-देवताओं के वेश में कलाकारों को अशोभनीय ढंग से प्रस्तुत किया जा रहा है। शराब के नशे में, अधूरे वस्त्रों में, नृत्य के नाम पर जो दृश्य सामने आते हैं, वे न केवल हमारी आस्था को ठेस पहुँचाते हैं, बल्कि सनातन धर्म की गरिमा को भी कलंकित करते हैं|
🙏 क्या यही है हमारी संस्कृति का स्वरूप? कुछ क्षणों की मनोरंजन की लालसा में हम अनजाने में उस परंपरा का अपमान कर रहे हैं जिसने हमें जीवन का उद्देश्य सिखाया।
🎭 कला का उद्देश्य होता है जागृति, न कि विकृति। यदि आपको आयोजन करना है, तो श्रीरामलीला का मंचन करें, सुंदर कथा वाचन करवाएं, मानस पाठ, भजन संध्या, कवि सम्मेलन या संगीत कार्यक्रम आयोजित करें। ऐसे आयोजन समाज को जोड़ते हैं, संस्कार देते हैं और धर्म की महिमा को बढ़ाते हैं।
पूर्व में मैं भी ऐसे कार्यक्रमों का दर्शक रहा हूँ, जिनमें धार्मिक प्रतीकों और देवी-देवताओं की गरिमा के विपरीत प्रस्तुतियाँ की जाती थीं। उस समय यह केवल मनोरंजन प्रतीत होता था, परंतु जब मैंने इस विषय पर गंभीरता से विचार किया, तो मुझे यह स्पष्ट रूप से अनुभव हुआ कि ऐसे आयोजन सनातन धर्म की मर्यादा के विरुद्ध हैं।
धर्म केवल आस्था नहीं, जीवन का मार्गदर्शन है। उसकी गरिमा और पवित्रता बनाए रखना हमारा नैतिक दायित्व है।
💡 आपका पैसा, आपकी सोच—लेकिन धर्महित में निर्णय लें। यदि आप मेरी बात से सहमत हैं, तो इस संदेश को जनहित, धर्महित और सनातनहित में अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाएं। फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप जैसे माध्यमों से इसे साझा करें और एक सकारात्मक परिवर्तन का हिस्सा बनें।
🙏 प्रण लें कि हम देवी-देवताओं के अपमान में सहभागी नहीं बनेंगे। 🙏 संस्कृति का सम्मान करेंगे, और आने वाली पीढ़ियों को भी यही सिखाएंगे।
धन्यवाद। 🚩 जय श्री राम 🚩 जय श्री श्याम 🚩 जय श्री राधे 🚩 जय माँ दुर्गा 🚩 हर हर महादेव
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