13/01/2025
कुंभ मेला भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है। यह हर 12 साल में चार स्थानों (प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक) में आयोजित होता है। महाकुंभ विशेष रूप से प्रयागराज (इलाहाबाद) में आयोजित होता है और इसे कुंभ का सबसे बड़ा और पवित्र मेला माना जाता है। इसमें पहला स्नान विशेष महत्व रखता है।
कुंभ के पहले स्नान/शाही स्नान/अमृत स्नान का महत्व
1. पहला स्नान: कुंभ मेले के दौरान पहले स्नान को "शाही स्नान" या "अमृत स्नान" कहा जाता है। यह वह दिन होता है जब साधु-संत, अखाड़े, और श्रद्धालु पवित्र संगम (गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम) में स्नान करते हैं। इस स्नान को पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
2. शाही स्नान:
शाही स्नान का अर्थ है "राजसी स्नान"। इसमें प्रमुख अखाड़ों के साधु-संत (जैसे नागा साधु, जूना अखाड़ा, आदि) विशिष्ट क्रम में स्नान करते हैं।
साधु-संत अपने-अपने झंडे और ध्वज के साथ भव्य जुलूस के रूप में स्नान के लिए निकलते हैं।
यह स्नान धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे कुंभ का औपचारिक उद्घाटन माना जाता है।
3. अमृत स्नान:
इस स्नान को "अमृत स्नान" इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह उन शुभ तिथियों पर होता है जो ग्रहों की विशेष स्थिति (योग) के कारण अमृत प्राप्ति से जुड़ी मानी जाती हैं। मान्यता है कि इन तिथियों पर संगम में स्नान करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
प्रयागराज महाकुंभ के संदर्भ में
प्रयागराज संगम का महत्व: यह स्थान देवताओं द्वारा अमृत कलश रखने का स्थल माना जाता है। यहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम पवित्रता और मोक्ष प्राप्ति का केंद्र है।
पहले स्नान की तिथि: यह मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा, या अन्य शुभ तिथियों पर आयोजित होता है।
संस्कृति और परंपरा: यह कुंभ मेले का मुख्य आकर्षण होता है और लाखों श्रद्धालु इस दिन संगम में डुबकी लगाने आते हैं।
धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यता
महाकुंभ में पहला स्नान ग्रहों की स्थिति के अनुसार निर्धारित होता है। विशेष योग, जैसे सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की संगति, इसे और भी शुभ बनाते हैं। यह समय आध्यात्मिक उन्नति और शुद्धिकरण के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है।
शाही स्नान केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और एकता का प्रतीक भी है।