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Bhojpatra भोजपुरी भाषा में पत्र - पत्रिका आ किता?

प्रकाशनार्थ:-आरा, आज दिनांक 01 मार्च 2025 को स्थानीय केन्द्रीय पुस्तकालय, नागरी प्रचारिणी सभा भवन, आरा, भोजपुर, बिहार मे...
01/03/2025

प्रकाशनार्थ:-

आरा, आज दिनांक 01 मार्च 2025 को स्थानीय केन्द्रीय पुस्तकालय, नागरी प्रचारिणी सभा भवन, आरा, भोजपुर, बिहार में भोजपुरी शोध एवं विकास ट्रस्ट, भोजपुर जिला इकाई द्वारा आयोजित " महेंदर मिसिर जयंती समारोह - 2025 " के बेहतर तरीके से तैयारी करने के लिए तैयारी समिति की विस्तारित बैठक की गई।
बैठक की अध्यक्षता स्नातकोत्तर भोजपुरी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो डॉ अयोध्या प्रसाद उपाध्याय एवं संचालन कार्यक्रम संयोजक कृष्णेंदु ने किया।
इस बैठक में कारण कुमार ( बिहिया ), निराला कुमार ( कोइलवर ), मनोज कुमार सिंह ( सहार ), विक्की त्रिपाठी ( शाहपुर ), मनोज मौर्य ( आरा ) को तैयारी समिति में शामिल किया गया।
इस बैठक में कवि जन्मेजय ओझा " मंज़र ", अनिल कुमार शर्मा, विजय कुमार गुप्ता, मनोज कुमार ओझा, जितेन्द्र कुमार सिंह, आदित्य राज, कवि राकेश कुमार ओझा उर्फ़ गुड्डू ओझा, वरिष्ठ कहानीकार कृष्ण कुमार, राजीव कुमार, अर्जुन मण्डल, रूबी कुमारी इत्यादि शामिल थे।
महेंदर मिसिर जयंती समारोह -2025 के कार्यक्रम संयोजक कृष्णेंदु ने आयोजन के तैयारियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
बैठक के अध्यक्ष प्रो डॉ अयोध्या प्रसाद उपाध्याय ने कहा कि महेंदर मिसिर भोजपुरी भाषा के बड़े साहित्यकार / संगीतकार का नाम है। उनके नाम का आयोजन भी बड़े स्तर पर होना चाहिए। ऐसे साहित्यिक कार्यक्रम से भोजपुरी भाषा को संवैधानिक मान्यता मिलने आसानी होगी।
बैठक में उपस्थित तैयारी समिति समिति के सदस्यों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए पुस्तकालय अध्यक्ष रवीन्द्रनाथ पाठक ने कहा कि आप लोगों ने बैठक करने के लिए केन्द्रीय पुस्तकालय के कक्ष को चुना इसके लिए मैं आप लोगों को धन्यवाद देता हूँ।
उन्होंने कहा कि नए बन रहे पुस्तकालय भवन में भोजपुरी भाषा के पुस्तकों के लिए भी एक संभाग रहेगा।

 #महेंदर_मिसिर_जयंती_समारोह_2025...बिहार प्रान्त के छपरा ( सारण ) जिला के मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर उत्तर स्थित जलालप...
10/01/2025

#महेंदर_मिसिर_जयंती_समारोह_2025...

बिहार प्रान्त के छपरा ( सारण ) जिला के मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर उत्तर स्थित जलालपुर प्रखण्ड के नजदीक काहीं मिश्रवलिया गांव में 16 मार्च 1886 के माता गायत्री देवी आ पिता शिवशंकर मिसिर किहाँ जनमल महेन्दर मिसिर के भोजपुरी भाषा में पूरबी के पुरोधा मानल जाला.

मिसिर जी पहलवान रहनी. कसल देह रहे. धोती - कुर्ता पहिनी. गरदन में सोना के सिकड़ी आ मुंह में पान चबावत रहीं.

महेन्दर मिसिर के पत्नी के नाम परेखा देवी रहे. परेखा जी कुरूप रहली. त उनका से विमुख होके गीत - संगीत में आपन दुःख उतारे लगलें महेन्दर मिसिर. हिकायत मिसिर एकलौता बेटा रहलें मिसिर जी के.

छपरा के जमींदार हलिवंत सहाय से महेंदर मिसिर के नजदीकी बढ़ल त उ जनलें कि मुजफ्फरपुर के कोठावाली के बेटी ढेलाबाई पर हलिवंत सहाय फ़िदा बाड़न. महेंदर मिसिर ढेलाबाई के अपहरण कऽ के सहायजी के सऊँपि दिहलन.

बाद में उनका एकर पछतवो भइल आ सहायजी के मउवत का बाद ढेलाबाई के हक दियवावे में ऊ उनका साथे खाड़ रहलन.

बंगाल के संन्यासी आन्दोलन के प्रभाव रहे मिसिर जी पर. उनका देशभक्ति के धुन सवार हो गइल आ ऊ अंगरेजन के उखाड़ फेंके खातिर आ क्रन्तिकारियन के मदद खातिर जाली नोट छापल शुरू कर दिहलें.

अंगरेजन के कान खड़ा हो गइल. उ खुफिया तंत्र के जाल बिछा देलन स. सीआइडी के जटाधारी प्रसाद आ सुरेन्द्र नाथ घोष के अगुवाई में खुफिया तौर - तरीका से छानबीन चलल. जटाधारी प्रसाद त गोपीचंद बनि के तीन बरिस ले मिसिरजी के संघतिया आ नोकर रहले आ भरोसा जीति के घात कर देलें.

16 अप्रैल 1924 के रात में नोटे छापत में नोट के गड्डी आ मशीन का साथे महेन्दर मिसिर आ उनका चारो भाई के गिरफ्तार करवा देलें.

गोपीचंद के दगाबाजी पर महेंदर मिसिर के भीतर से मरमभेदी गीत गूंजल रहे -

' पाकल - पाकल पानवां खिवले गोपीचनवा,
पिरितिया लगा के ना.
मोहे भेजले जेहलखनवां रे, पिरितिया लगा के ना!'

हाजिरजवाबी गोपीचंद यानी कि जटाधारी प्रसाद जबाब में बोलल रहलें –

‘ नोटवा जे छापि - छापि गिनिया भजवलऽ ए महेन्दर मिसिर,
ब्रिटिश के कइलऽ हलकान, ए महेन्दर मिसिर.
सगरे जहनवां में कइलऽ बड़ा नाम, ए महेन्दर मिसिर.
पड़ल बा पुलिसवा से काम, ए महेन्दर मिसिर!'

बाकिर महेंदर मिसिर अइसन काहे कइलन?
अपना गीत में बतावत बाड़न –

‘ हमरा नीको ना लागे राम, गोरन के करनी,
रुपया ले गइले, पइसा ले गइले, ले गइले सब गिन्नी.
ओकरा बदला में त दे गइले ढल्ली के दुअन्नी,
हमरा नीको ना लागे राम, गोरन के करनी.'

मिसिर जी के दस साल खातिर बक्सर जेल में बंदी बनाके भेजि दिहल गइल बाकिर उनका मिलनसार व्यवहार से तीन साल सजा कम हो गइल. जेले से ऊ सात खण्ड में ‘अपूर्व रामायण’ के रचना कइले जवना के भोजपुरी के पहिलका महाकाव्य मानल जाला.

अध्यात्म पर जबरदस्त पकड़ रहे महेंदर मिसिर के –

' माया के नगरिया में लागल बा बजरिया ए सोहागिन सुनऽ
चीझवा बिकाला अनमोल ए सोहगिन सुनऽ
कवनो सखी घूमि - फिरि मारेली नजरिया ए सोहागिन सुनऽ
कवनो सखी रोवे मनवां मार ए सोहागिन सुनऽ.'

अइसे त महेंदर मिसिर महेन्द्र मंजरी, महेन्द्र विनोद, महेन्द्र मयंक, भीष्म प्रतिज्ञा, कृष्ण गीतावली, महेन्द्र प्रभाकर रत्नावली, महेन्द्र चंद्रिका, महेन्द्र कवितावली वगैरह के अलावा तीन गो नाटक आ अनगिनत फुटकर गीतन के रचना कइलें बाकिर उनका प्रसिद्धि पूरबी गीतन से हीं मिलल.

महेंद्र मिसिर के सबसे लोकप्रिय पूरबी बा –

' अंगुरी में डंसले बिया नगिनिया रे, ए ननदी! दियरा जरा द
दियरा जरा द, अपना भईया के बोला द
पोरे-पोरे उठेला लहरिया रे,
ए ननदी! अपना भइया के बुला द,
अंगुरी में डंसले बिया…'

एह गीत से रउरा बुझा गइल होई कि नारी मन के विशेषज्ञ रहलें महेंदर मिसिर.
एगो उनकर अउर लोकप्रिय पूरबी देखल जाय –

' सासु मोरा मारे रामा, बांस के छिंऊकिया,
ए ननदिया मोरी रे, सुसुकत पनिया के जाय.

छोटे - मोटे पातर पियवा, हंसि के ना बोले,
ए ननदिया मोरी रे से हो पियवा, कहीं चली जाय.

गावत महेन्दर मिसिर इहो रे पुरूबिया,
ए ननदिया मोरी रे पिया बिनु, रहलो ना जाय.'

उनकर एगो अउर लोकप्रिय गीत बा –

' आधी - आधी रतिया, कुहूके कोयलिया,
राम बैरनिया भइली ना.
मोरा अंखिया के निनिया, राम बैरनिया भइली ना।
कहत महेन्दर मिसिर, कवन हमसे चूक भइल राम
अन्हरीया लागे ना, मोरा घरवा दुअरवा,
राम, अन्हरीया लागे ना.'

ढेलाबाई के कोठी में बनल शिव मंदिर में 26 अक्टूबर 1946 के महेन्दर मिसिर एह दुनिया के अलविदा कह देलें.
बाकिर
लोकमन से विदा भइल संभव बा का ?

पूरबी के अमर गीतन में हमेशा गूँजत रहिहें पूरबी के पुरोधा महेंदर मिसिर.

आईं!!!

हमनी के मिलजुल के भोजपुरी भाषा के धरोहर, पूरबी के पुरोधा महेन्द्र मिश्र के 140वां जयंती समारोह आरा के बाबू वीर कुंवर सिंह स्टेडियम में धूमधाम से मनाई जा।

भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग  #सांसद राजीव राय ने सदन में उठाई आवाज!!सांसद श्री   #रा...
08/12/2024

भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग

#सांसद राजीव राय ने सदन में उठाई आवाज!!

सांसद श्री #राजीव राय जी के गांव के ही स्वामी #श्रद्धानंद अवधूत जी रहे हैं जिन्होंने भोजपुरी में बहुत काम किया है
मुरली मनोहर पाण्डेय

मऊ। घोसी लोकसभा से सपा के सांसद राजीव राय ने मंगलवार को भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनसूची में शामिल करने के लिए लोक सभा के सदन में भोजपुरी से ही अपने कथन की शुरूआत किया। सांसद राजीव राय ने कहा कि संविधान के आठवीं अनुसूची में भोजपुरी भाषा के शामिल करे खातिर आज लोकसभा में नियम 377 के अधीन नोटिस देनी ह! अब मंत्री जी के जबाब क इंतजार बा। हिंदी के बाद सबसे ज्यादा बोले वाले भाषा के संगे सौतेला व्यवहार बरदाश्त ना होई। कहा कि भोजपुरी भाषा हजारों साल पुरानी है, इसकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर है और यह बड़ी संख्या में लोगों द्वारा बोली जाती है। ऐतिहासिक रूप से इसे कैथी लिपि में लिखा जाता था, लेकिन 1894 से देवनागरी लिपि ने इसे मुख्य लिपि के रूप में स्थान दिया। भोजपुरी का साहित्य भी समृद्ध है, जिसमें महापंडित राहुल सांस्कृत्यायन, विवेकी राय और भिखारी ठाकुर जैसे लेखकों की कृतियां शामिल हैं। हिंदी के कुछ अन्य प्रमुख लेखक जैसे भारतेंदु हरिश्चंद्र, महावीर प्रसाद द्विवेदी और मुंशी प्रेमचंद भी भोजपुरी साहित्य से गहरे रूप से प्रभावित थे। कहा कि भोजपुरी भाषा मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से, बिहार के पश्चिमी हिस्से और झारखंड के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में बोली जाती है, साथ ही यह मॉरीशस, सूरीनाम, फिजी, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, नेपाल जैसे देशों में भी महत्वपूर्ण प्रवासी समुदायों द्वारा बोली जाती है। अनुमान है कि भारत में 50 मिलियन से अधिक लोग भोजपुरी बोलते हैं, जिससे यह देश की सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। इसके अतिरिक्त, अन्य देशों में भोजपुरी बोलने वालों की संख्या 28.50 लाख से अधिक है। भोजपुरी फिल्में भारत और विदेशों में लोकप्रिय हैं और हिंदी फिल्म उद्योग पर भी इनका प्रभाव पड़ा है। लेकिन अफसोस की बात है कि भोजपुरी को यूनेस्को के भाषा विश्व एटलस में एक संकटग्रस्त भाषा के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जो हिंदी के प्रभाव और सरकार की निरंतर उपेक्षा के कारण है। सांसद राजीव राय बोले कि भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की लंबित मांग है, ताकि इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा मिल सके। दुर्भाग्यपूर्ण है कि भोजपुरी भाषा आज भी संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान नहीं पा सकी है, जबकि सरकार ने इसके लिए वादे किए थे।

#जय भोजपुरी
#बलिया
#सांसद
#श्री राजीव राय

आईं!!!अपना थाती के सहेजी जा।
09/09/2023

आईं!!!
अपना थाती के सहेजी जा।

08/08/2023

देश पर्व के अवसर प देश भर में एह गीत के गूंजे के चाहीं।

21/02/2022

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