26/09/2025
बिहार में ओवैसी जी का कहर ! R.J.D - राष्ट्रीय जनता दल को छोड़ मुस्लिम करेंगे A.I.M.I.M को वोट ॥ सुन्दरनाथ धाम अररिया News24 Bihar & Jharkhand Shivdeep Wamanrao Lande Manish Kasyap असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) भारतीय राजनीति में एक ऐसा नाम है जो अपनी बेबाक़ी, तर्कपूर्ण भाषण और अल्पसंख्यकों की आवाज़ बुलंद करने के लिए जाना जाता है। वे ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और लोकसभा में हैदराबाद संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। ओवैसी को भारतीय राजनीति में "मुसलमानों की मज़बूत आवाज़" के तौर पर देखा जाता है, लेकिन उनके विचारों और राजनीति को लेकर व्यापक बहस भी होती है। कुछ लोग उन्हें धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करने वाला नेता मानते हैं तो कुछ उन्हें कट्टरपंथी राजनीति का प्रतीक बताते हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
असदुद्दीन ओवैसी का जन्म 13 मई 1969 को हैदराबाद (तेलंगाना) में हुआ। उनके पिता सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी भी एक बड़े राजनीतिक नेता थे और लंबे समय तक AIMIM के प्रमुख रहे। राजनीति का संस्कार उन्हें घर से ही मिला।
शिक्षा के क्षेत्र में ओवैसी ने बेहतरीन उपलब्धियाँ हासिल कीं। उन्होंने निज़ाम कॉलेज, हैदराबाद से स्नातक की पढ़ाई की और फिर लंदन के प्रतिष्ठित लिंकन इन से कानून की डिग्री (Barrister-at-Law) प्राप्त की। वकालत की पढ़ाई ने उनके व्यक्तित्व में तार्किकता, तेज़ भाषण शैली और संविधान के गहन ज्ञान को मज़बूत किया।
राजनीतिक सफ़र की शुरुआत
ओवैसी ने 1994 में तेलंगाना विधानसभा चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। इसके बाद 2004 में वे पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए और तब से लगातार हैदराबाद से सांसद बनते आ रहे हैं।
उनकी पार्टी AIMIM मूल रूप से हैदराबाद की राजनीति तक सीमित थी, लेकिन असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व में पार्टी ने महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में भी अपने पैर पसारने की कोशिश की। बिहार विधानसभा चुनाव 2015 और 2020 में AIMIM ने कुछ सीटें जीतकर यह साबित किया कि ओवैसी केवल दक्षिण भारत ही नहीं बल्कि उत्तर भारत के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी अपनी पकड़ बना रहे हैं।
AIMIM और उसका राजनीतिक दृष्टिकोण
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) एक क्षेत्रीय दल था जिसे असदुद्दीन ओवैसी ने राष्ट्रीय पहचान देने की कोशिश की।
पार्टी का मुख्य उद्देश्य अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों के अधिकारों और सुरक्षा की आवाज़ उठाना है।
ओवैसी सामाजिक न्याय, दलित-पिछड़े वर्ग और संविधान की मूल भावना के संरक्षण पर ज़ोर देते हैं।
उनका कहना है कि भारत एक बहुलतावादी देश है और यहाँ सभी धर्मों को समान अधिकार मिलना चाहिए।
लोकसभा में भूमिका और छवि
ओवैसी अपने आक्रामक भाषण और गहरी संवैधानिक समझ के लिए जाने जाते हैं। संसद में वे अक्सर अल्पसंख्यकों, दलितों और पिछड़ों से जुड़े मुद्दों को ज़ोरदार तरीके से उठाते हैं।
उन्होंने धारा 370, नागरिकता संशोधन कानून (CAA), तीन तलाक़ विधेयक जैसे मुद्दों पर खुलकर सरकार का विरोध किया।
ओवैसी अक्सर कहते हैं कि उनकी राजनीति "संविधान बचाने" और "हाशिये पर खड़े समुदायों को आवाज़ देने" की राजनीति है।
उनकी यही बेबाक़ी उन्हें मीडिया की सुर्ख़ियों में रखती है।
विवाद और आलोचना
असदुद्दीन ओवैसी जितने लोकप्रिय हैं, उतने ही विवादित भी हैं।
आलोचक उन्हें "मुस्लिम राजनीति का चेहरा" बताते हैं और कहते हैं कि उनकी राजनीति साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देती है।
उन पर अक्सर "कट्टरपंथी" या "ध्रुवीकरण की राजनीति करने" के आरोप लगते हैं।
कई बार उनके भाषणों पर आपत्तियाँ जताई गईं और उन पर नफ़रत फैलाने के मामले भी दर्ज हुए।
हालाँकि, ओवैसी इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज करते हुए कहते हैं कि वे केवल भारतीय संविधान और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा कर रहे हैं।
मुस्लिम समाज में लोकप्रियता
मुस्लिम समुदाय में ओवैसी की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है।
वे खुद को "मुसलमानों की राजनीतिक आवाज़" कहते हैं।
उन्होंने बार-बार कहा है कि मुसलमानों को केवल वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया गया है लेकिन उनके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए कोई ठोस काम नहीं हुआ।
ओवैसी युवाओं को शिक्षा, रोज़गार और राजनीतिक भागीदारी के लिए जागरूक करते हैं।
राष्ट्रीय राजनीति में विस्तार
ओवैसी ने अपनी पार्टी को हैदराबाद से बाहर निकालकर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की कोशिश की।
बिहार चुनाव में AIMIM को सफलता मिली।
महाराष्ट्र के औरंगाबाद, उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ और आज़मगढ़ जैसे क्षेत्रों में भी पार्टी ने चुनाव लड़ा।
वे अक्सर कहते हैं कि AIMIM केवल मुसलमानों की पार्टी नहीं बल्कि "दलित, पिछड़े और वंचित वर्ग" की भी पार्टी है।
भाषण शैली और मीडिया छवि
ओवैसी की सबसे बड़ी ताक़त उनकी भाषण कला है।
वे संविधान, क़ानून और इतिहास का हवाला देकर तर्क प्रस्तुत करते हैं।
उनकी आवाज़ में जोश और शब्दों में धार होती है।
यही कारण है कि उनके भाषण सोशल मीडिया पर लाखों बार देखे जाते हैं।
मीडिया में उन्हें "फायरब्रांड मुस्लिम नेता" के तौर पर पहचाना जाता है।
सामाजिक पहल और विचारधारा
राजनीति के साथ-साथ ओवैसी समाजसेवा में भी सक्रिय हैं।
उन्होंने हैदराबाद और तेलंगाना में कई शैक्षणिक संस्थान और अस्पताल स्थापित करने में योगदान दिया है।
वे मुस्लिम समाज में आधुनिक शिक्षा और लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ज़ोर देते हैं।
ओवैसी का मानना है कि मुसलमानों और अन्य वंचित समुदायों की तरक्की का रास्ता शिक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण से ही निकलता है।
आलोचना बनाम समर्थन
समर्थक कहते हैं: ओवैसी वह नेता हैं जो बिना डरे मुसलमानों और वंचित वर्गों के लिए संसद और सड़कों पर आवाज़ उठाते हैं।
आलोचक कहते हैं: उनकी राजनीति केवल "धर्म आधारित ध्रुवीकरण" तक सीमित है और इससे देश की एकता को चुनौती मिल सकती है।
सच यह है कि भारतीय राजनीति में ओवैसी की भूमिका को नज़रअंदाज़ करना आसान नहीं है।
निष्कर्ष
असदुद्दीन ओवैसी भारतीय राजनीति के उन नेताओं में से हैं जो हमेशा चर्चा में रहते हैं। उनकी राजनीति विवादों से घिरी रहती है, लेकिन साथ ही वे अल्पसंख्यकों और वंचित वर्गों के लिए आशा की किरण भी बने हुए हैं। AIMIM को राष्ट्रीय स्तर पर मज़बूत करना उनके राजनीतिक सफर का सबसे बड़ा लक्ष्य है।
ओवैसी की छवि दो रूपों में देखी जाती है—
अल्पसंख्यकों का सच्चा नेता, जो उनके अधिकारों के लिए संघर्षरत है।
विवादित नेता, जिसकी राजनीति साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देती है।
लेकिन यह निर्विवाद है कि भारतीय लोकतंत्र में उनकी उपस्थिति ने राजनीतिक विमर्श को नई दिशा दी है। उनके भाषण, उनकी सोच और उनकी राजनीति आने वाले समय में भी भारतीय राजनीति के केंद्र में बनी रहेगी।