16/06/2021
देश के सभी विश्वविद्यालयों की आफलाइन कक्षायें लगभग 14 महीने से बंद हैं। आनलाइन कक्षाओं से बच्चे ऊब गये है। आनलाइन कक्षाओं में कई प्रकार की दिक़्क़त भी है और धीरे धीरे बच्चे अवसाद के तरफ़ जा रहे है। पी॰एच॰डी॰ के विद्यार्थियों के लिए बीच में आने की छूट प्रदान की गई थी। जो कि दूसरी लहर के आगमन के कारण पुनः बंद हो गयी । देश के एक विश्वविद्यालय का शोधार्थी होने के नाते मेरा ये नैतिक धर्म है कि मैं महामहीम राष्ट्रपति महोदय से ये निवेदन करूं की कोरोना का टीका लगाकर विश्वविद्यालय पुनः खोला जाए। इस संदर्भ में मैंने महामहिम राष्ट्रपति जी के समक्ष पाँच बिंदु इस पत्र के माध्यम से प्रस्तुत किये है-
पूरा पत्र-
महोदय,
पूर्ण विश्वास है कि आप सपरिवार, कुशल व सानंद होंगे। आप भारत के प्रथम नागरिक हैं साथ ही साथ विश्वविद्यालयों के
भी अभिभावक है। देश कोरोना संकट से जूझ रहा है । जिसका लगभग सभी क्षेत्रों पर बुरा प्रभाव पड़ा है। जिससे शिक्षा का
क्षेत्र भी अछूता नहीं है। 24 मार्च 2020 से अंडर ग्रेजुएट व पोस्ट ग्रेजुएट की कक्षाएं पूरे देश के विश्वविद्यालयों में
अधिकांशतः बंद हैं। कुछ समय के लिए पी॰एच॰डी॰ के विद्यार्थियों को अपने रिसर्च से जुड़े काम करने के लिए आने की
छूट मिली थी, फिर कोरोना की दूसरे लहर आने के बाद वो भी बंद हो गया। देश में बड़े स्तर पर टीकाकरण का अभियान भी
चल रहा है।हालाँकि उपलब्धता कम होने की वजह से वो आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
आप देश के सर्वेसर्वा होने के नाते विश्वविद्यालयों के भी मुखिया हैं। इस देश में डॉक्टर, नर्स, शिक्षक, प्रोफ़े सर, पत्रकार,
पुलिस व कोरोना को हराने में लगे सभी लोगों को मौत का आंकड़ा सरकारी या निजी सर्वे द्वारा जारी हुआ। लेकिन अत्यंत
दुः खद है कि देश के भविष्य कहे जाने वाले विद्यार्थियों की कितनी मौतें हुई। इसका कोई ठोस आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
यह पत्र लिखने के निम्न बिन्दु है। आशा है कि आप इस पर सहानुभूतिपूर्वक व तत्काल विचार करेंगे-
1- यूजीसी के वेबसाइट पर दिनांक 31/03/2021 के अनुसार देश में सेंट्रल यूनिवर्सिटी- 54, स्टेट यूनिवर्सिटी- 430,प्राइवेट यूनिवर्सिटी-377, डीम्ड यूनिवर्सिटी- 125 हैं। जिसमें लाखों की संख्या में विद्यार्थी अध्ययनरत हैं एवं हज़ारों प्रोफ़ेसर व कर्मचारी काम करते हैं। आप माननीय से विनम्र निवेदन है कि सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति/ उपकुलपति को तत्काल निर्देश दें कि वो विश्वविद्यालय प्रशासन से इन सभी का डाटा लेकर टीकाकरण की प्रथम डोज का लगाना
सुनिश्चित कराए। विश्वविद्यालय प्रशासन के पास सभी विद्यार्थियों का डाटा उपलब्ध है। विश्वविद्यालय प्रशासन विद्यार्थियों की डिटेल सीधे जिलाधिकारी को मेल करें व जिलाधिकारी टीकाकरण सुनिश्चित कराए।इस कार्य के लिए समय अवधि भी निर्धारित हो।
2- जैसे ही देश के सभी विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों को टीका का प्रथम डोज़ लग जा रहा है। तुरंत ही सभी विश्वविद्यालयों को पूर्ण रूपेण खोला जाए। क्योंकि छात्र ऑनलाइन पढ़ाई नही कर पा रहे हैं जिसके कई कारण है। आनलाइन पढ़ाई न होने के कारण विद्यार्थी तनाव, अवसाद व ख़ौफ़ का जीवन जीने के लिए अभिशप्त है। कुछ विद्यार्थियों की पढ़ाई तो बर्बाद होने के कगार पर है। विज्ञान वर्ग , इंजीनियरिंग , डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों में प्रैक्टिकल
का बहुत बड़ा योगदान होता है। उनके प्रैक्टिकल की क्लास लगभग एक साल से बंद है। जिसका विशेष ध्यान आप माननीय द्वारा रखा जाना चाहिए।
3- कोरोना टीका का दूसरा डोज आप माननीय यह सुनिश्चित कराए कि सभी विद्यार्थियों , शिक्षकों व कर्मचारियों को विश्वविद्यालय में ही लग जाए। क्योंकि इसकी अवधि समय समय पर बढ़ रही है। विश्वविद्यालय से जुड़े सभी को ये दूसरा टीका पहले टीके के 30 से 40 दिनों के अंदर उपलब्ध कराया जाए। इस विषय का भी आप माननीय ध्यान रखें।
4- राष्ट्रपति महोदय जिस तरीक़े से सभी कोरोना योद्धाओं के मृत्यु का आंकड़ा जारी हुआ। एक ऐसा ही आंकड़ा विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का भी जारी हो जो कोरोना की जंग हार कर अब हमारे बीच नहीं हैं।
5- प्रशासन के सहयोग से कोचिंग संस्थानों में अध्ययनरत विद्यार्थियों की डिटेल लेकर उन्हें भी प्रथम डोज देखकर कोचिंग भी खोला जाए। जिससे प्रतियोगी विद्यार्थी अपनी पढ़ाई फिर से शुरू कर पाए।
माननीय राष्ट्रपति महोदय आशा ही नही अपितु पूर्ण विश्वास है कि आप पूरे देश के अभिभावक होने के नाते विद्यार्थियों के भी अभिभावक हैं और इस विषय पर अतिशीघ्र विचार करेंगे। एक जुलाई तक पूरे देश में युद्ध स्तर पर यह कार्य हो जाएगा। एक जुलाई से सभी विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी कोचिंग संस्थानों के विद्यार्थी जिस प्रकार कोरोना से पूर्व पठन पाठन कर
रहे थे। उसी रूप में पठन पाठन शुरू कर पाएंगे। कृपया उक्त विषय पर शीघ्रातिशीघ्र विचार करें ।
सादर प्रणाम
धन्यवाद
आशीष कुमार पाण्डेय
शोधार्थी, हिंदी विभाग
दिल्ली विश्वविद्यालय