Kavi Mahendra Madhur

Kavi Mahendra Madhur बुक ए शो 9826125894

 #हरियाणा #कविता
09/10/2024

#हरियाणा
#कविता

27/09/2024

#कविसम्मेलन

25/09/2024


22/09/2024

राह यही कि पढ़ो बिटिया


स्वतंत्र राष्ट्र की पुनीत भावना पली बढ़ी,सृजन हुए महान बस यही पवित्र लीक है ।विसर्ग है हलंत है अनेक भाव भूमिका,अभूतपूर्व ...
14/09/2024

स्वतंत्र राष्ट्र की पुनीत भावना पली बढ़ी,
सृजन हुए महान बस यही पवित्र लीक है ।

विसर्ग है हलंत है अनेक भाव भूमिका,
अभूतपूर्व व्यंजना है कंठ के सटीक है ।

अनेक शोध हैं हुए तो विश्व को पता चला,
कि भाषा ये हमारी पूर्ण शुद्ध और ठीक है।

अखंडता बनी रहे सदैव हिन्दी राष्ट्र की,
अनेकता में एकता की हिन्दी ही प्रतीक है।

-पं. महेन्द्र मधुर
#हिन्दीदिवस

बेटा बेटा करने में पाप कर डाला और,मम्मी पापा बेटियों को मारे घूम रहे  हैं ।पाप धोने के लिए नहाते गंगा यमुना में,और  कभी ...
12/09/2024

बेटा बेटा करने में पाप कर डाला और,
मम्मी पापा बेटियों को मारे घूम रहे हैं ।

पाप धोने के लिए नहाते गंगा यमुना में,
और कभी नर्मदा किनारे घूम रहे हैं ।

दिन में ही तारे आये नजर हैं सारे जब,
मारे मारे अँखियों के तारे घूम रहे हैं ।

बाकी का तो राम जाने इतना बताता हूँ कि,
कन्या राशी वाले भी कुंवारे घूम रहे हैं ।

-पं. महेन्द्र मधुर

बम से भी जादा दम कवि की कलम में है,शर्त है सच्चाई से चलाई जानी चाहिये।चिंतन पे धार कर कलम कटार  कर,बुराई पे वार को घुमाई...
10/09/2024

बम से भी जादा दम कवि की कलम में है,
शर्त है सच्चाई से चलाई जानी चाहिये।

चिंतन पे धार कर कलम कटार कर,
बुराई पे वार को घुमाई जानी चाहिये ।

कलम नही है यार ये है एक तलवार,
सोचकर हाथ में उठाई जानी चाहिये ।

चार तालियों के लिए गालियां परोस डाले,
लेखनी न इतनी गिराई जानी चाहिये,।

-पं.महेन्द्र मधुर

सबसे सयानी अनजानी मानीस्वाभिमानी,रानी आज खुद को दीवानी  करने  लगी ।लोक लाज की निशानी छोड़ा राज राजधानी,यानी नाम श्याम के ...
05/09/2024

सबसे सयानी अनजानी मानीस्वाभिमानी,
रानी आज खुद को दीवानी करने लगी ।

लोक लाज की निशानी छोड़ा राज राजधानी,
यानी नाम श्याम के जवानी करने लगी ।

जानी पहचानी ये कहानी क्या सुनानी आज,
ज्ञानी ध्यानी हारे वो कहानी करने लगी ।

पानी भर नयनों में श्याम को पुकारा तब,
मीरा सांवरे को पानी पानी करने लगी ।

-पं.महेन्द्र मधुर

प्रेम के अध्याय की भूमिका अधूरी ही रही,प्रेम में  ही हारी हुई जीत गा  रहा  हूँ मैं ।मन  में तुम्हारी तस्वीर   लिए   घूमत...
03/09/2024

प्रेम के अध्याय की भूमिका अधूरी ही रही,
प्रेम में ही हारी हुई जीत गा रहा हूँ मैं ।

मन में तुम्हारी तस्वीर लिए घूमता हूँ,
गांव गांव गली गली प्रीत गा रहा हूँ मैं ।

घाटियों पहाड़ियों में झरने व झाड़ियों में,
तुमको सदा ही मनमीत गा रहा हूँ मैं ।

जिस गीत को तुम्हारे अधरों ने छू लिया था,
आज कल बस वही गीत गा रहा हूँ मैं ।

-पं. महेन्द्र मधुर

आप सबका आशीष मिले !
01/09/2024

आप सबका आशीष मिले !

11/08/2024

जय जय श्री महाकाल

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