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Facebook के इतिहास मे आज तक ऐसा Movie नहीं देखा होगा

छपवाने के लिए संपर्क सूत्र - : 9128281861
10/10/2024

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10/10/2024
01/10/2023

खुशखबरी! खुशखबरी!
बिहार में नौकरियां अपार
हमारा संकल्प होता साकार!!

बिहार कर्मचारी चयन आयोग (BSSC) द्वारा विभिन्न विभागों में रिक्त 𝟏𝟏,𝟎𝟗𝟖 पदों पर इंटर स्तरीय नियुक्ति हेतु विज्ञापन जारी कर दिया है।

गुरुकुल में क्या पढ़ाया जाता था ??यह जान लेना अति आवश्यक है।◆ अग्नि विद्या ( metallergy )◆ वायु विद्या ( flight ) ◆ जल व...
29/09/2023

गुरुकुल में क्या पढ़ाया जाता था ??
यह जान लेना अति आवश्यक है।

◆ अग्नि विद्या ( metallergy )

◆ वायु विद्या ( flight )

◆ जल विद्या ( navigation )

◆ अंतरिक्ष विद्या ( space science )

◆ पृथ्वी विद्या ( environment )

◆ सूर्य विद्या ( solar study )

◆ चन्द्र व लोक विद्या ( lunar study )

◆ मेघ विद्या ( weather forecast )

◆ पदार्थ विद्युत विद्या ( battery )

◆ सौर ऊर्जा विद्या ( solar energy )

◆ दिन रात्रि विद्या ( day - night studies )

◆ सृष्टि विद्या ( space research )

◆ खगोल विद्या ( astronomy)

◆ भूगोल विद्या (geography )

◆ काल विद्या ( time )

◆ भूगर्भ विद्या (geology and mining )

◆ रत्न व धातु विद्या ( gems and metals )

◆ आकर्षण विद्या ( gravity )

◆ प्रकाश विद्या ( solar energy )

◆ तार विद्या ( communication )

◆ विमान विद्या ( plane )

◆ जलयान विद्या ( water vessels )

◆ अग्नेय अस्त्र विद्या ( arms and amunition )

◆ जीव जंतु विज्ञान विद्या ( zoology botany )

◆ यज्ञ विद्या ( material Sc)

● वैदिक विज्ञान
( Vedic Science )

◆ वाणिज्य ( commerce )

◆ कृषि (Agriculture )

◆ पशुपालन ( animal husbandry )

◆ पक्षिपालन ( bird keeping )

◆ पशु प्रशिक्षण ( animal training )

◆ यान यन्त्रकार ( mechanics)

◆ रथकार ( vehicle designing )

◆ रतन्कार ( gems )

◆ सुवर्णकार ( jewellery designing )

◆ वस्त्रकार ( textile)

◆ कुम्भकार ( pottery)

◆ लोहकार ( metallergy )

◆ तक्षक ( guarding )

◆ रंगसाज ( dying )

◆ आयुर्वेद ( Ayurveda )

◆ रज्जुकर ( logistics )

◆ वास्तुकार ( architect)

◆ पाकविद्या ( cooking )

◆ सारथ्य ( driving )

◆ नदी प्रबन्धक ( water management )

◆ सुचिकार ( data entry )

◆ गोशाला प्रबन्धक ( animal husbandry )

◆ उद्यान पाल ( horticulture )

◆ वन पाल ( horticulture )

◆ नापित ( paramedical )

इस प्रकार की विद्या गुरुकुल में दी जाती थीं।

इंग्लैंड में पहला स्कूल 1811 में खुला
उस समय भारत में 732000 गुरुकुल थे।
खोजिए हमारे गुरुकुल कैसे बन्द हुए ?

और मंथन जरूर करें वेद ज्ञान विज्ञान को चमत्कार छूमंतर व मनघड़ंत कहानियों में कैसे बदला या बदलवाया गया। वेदों के नाम पर वेद विरुद्ध हिंदी रूपांतरण करके मिलावट की ।

अपरा विधा- भेाैतिक विज्ञान को व अपरा विधा आध्यात्मिक विज्ञान को कहा गया है। इन दोनों में १६ कलाओं का ज्ञान होता है।

तैत्तिरीयोपनिषद , भ्रगुवाल्ली अनुवादक ,५, मंत्र १, में ऋषि भ्रगु ने बताया है कि-

विज्ञान॑ ब्रहोति व्यजानात्। विज्ञानाद्धयेव खल्विमानि भूतानि जायन्ते। विज्ञानेन जातानि जीवन्ति। विज्ञान॑ प्रयन्त्यभिस॑विशन्तीति।

अर्थ- तप के अनातर उन्होंने ( ऋषि ने) जाना कि वास्तव मैं विज्ञान से ही समस्त प्राणी उत्पन्न होते हैं। उत्पत्ति के बाद विज्ञान से ही जीवन जीते हैं। अंत में प्रायान करते हुए विज्ञान में ही प्रविष्ठ हो जाते हैं।

तैत्तिरीयोपनिषद ब्रह्मानन्दवल्ली अनुवादक ८, मंत्र ९ में लिखा है कि-

विज्ञान॑ यज्ञ॑ तनुते। कर्माणि तनुतेऽपि च। विज्ञान॑ देवा: सर्वे। ब्रह्म ज्येष्ठमुपासते। विज्ञान॑ ब्रह्म चेद्वेद।

अर्थ- विज्ञान ही यज्ञों व कर्मों की वृद्धि करता है। सम्पूर्ण देवगण विज्ञान को ही श्रेष्ठ ब्रह्म के रूप में उपासना करते हैं। जो विज्ञान को ब्रह्म स्वरूप में जानते हैं, उसी प्रकार से चिंतन में रत्त रहते हैं, तो वे इसी शरीर से पापों से मुक्त होकर सम्पूर्ण कामनाओं की सिद्धि प्राप्त करते हैं। उस विज्ञान मय देव के अंदर ही वह आत्मा ब्रह्म रूप है। उस विज्ञान मय आत्मा से भिन्न उसके अन्तर्गत वह आत्मा ही ब्रह्म स्वरूप है।

( संसार के सभी जीव शिल्प विज्ञान के द्वारा ही जीवन यापन करते हैं।)

★ वेद ज्ञान है शिल्प विज्ञान है

त्रिनो॑ अश्विना दि॒व्यानि॑ भेष॒जा त्रिः पार्थि॑वानि॒ त्रिरु॑ दत्तम॒द्भ्यः।
आ॒मान॑ श॒योर्ममि॑काय सू॒नवे त्रि॒धातु॒ शर्म॑ वहतं शुभस्पती॥

ऋग्वेद (1.34.6)

हे (शुभस्पती) कल्याणकारक मनुष्यों के कर्मों की पालना करने और (अश्विना) विद्या की ज्योति को बढ़ानेवाले शिल्पि लोगो ! आप दोनों (नः) हम लोगों के लिये (अद्भ्यः) जलों से (दिव्यानि) विद्यादि उत्तम गुण प्रकाश करनेवाले (भेषजा) रसमय सोमादि ओषधियों को (त्रिः) तीनताप निवारणार्थ (दत्तम्) दीजिये (उ) और (पर्थिवानि) पृथिवी के विकार युक्त ओषधी (त्रिः) तीन प्रकार से दीजिये और (ममकाय) मेरे (सूनवे) औरस अथवा विद्यापुत्र के लिये (शंयोः) सुख तथा (ओमानम्) विद्या में प्रवेश और क्रिया के बोध करानेवाले रक्षणीय व्यवहार को (त्रिः) तीन बार कीजिये और (त्रिधातु) लोहा ताँबा पीतल इन तीन धातुओं के सहित भूजल और अन्तरिक्ष में जानेवाले (शर्म) गृहस्वरूप यान को मेरे पुत्र के लिये (त्रिः) तीन बार (वहतम्) पहुंचाइये ॥

भावार्थ- मनुष्यों को चाहिये कि जो जल और पृथिवी में उत्पन्न हुई रोग नष्ट करनेवाली औषधी हैं उनका एक दिन में तीन बार भोजन किया करें और अनेक धातुओं से युक्त काष्ठमय घर के समान यान को बना उसमें उत्तम २ जव आदि औषधी स्थापन कर देश देशांतरों में आना जाना करें।

विश्वकर्मा कुल श्रेष्ठो धर्मज्ञो वेद पारगः।
सामुद्र गणितानां च ज्योतिः शास्त्रस्त्र चैबहि।।
लोह पाषाण काष्ठानां इष्टकानां च संकले।
सूत्र प्रास्त्र क्रिया प्राज्ञो वास्तुविद्यादि पारगः।।
सुधानां चित्रकानां च विद्या चोषिठि ममगः।
वेदकर्मा सादचारः गुणवान सत्य वाचकः।।

(शिल्प शास्त्र) अर्थववेद

भावार्थ – विश्वकर्मा वंश श्रेष्ठ हैं विश्वकर्मा वंशी धर्मज्ञ है, उन्हें वेदों का ज्ञान है। सामुद्र शास्त्र, गणित शास्त्र, ज्योतिष और भूगोल एवं खगोल शास्त्र में ये पारंगत है। एक शिल्पी लोह, पत्थर, काष्ठ, चान्दी, स्वर्ण आदि धातुओं से चित्र विचित्र वस्तुओं सुख साधनों की रचना करता है। वैदिक कर्मो में उन की आस्था है, सदाचार और सत्यभाषण उस की विशेषता है।

यजुर्वेद के अध्याय २९ के मंत्र 58 के ऋषि जमदाग्नि है इसमे बार्हस्पत्य शिल्पो वैश्वदेव लिखा है। वैश्वदेव में सभी देव समाहित है।

शुल्वं यज्ञस्य साधनं शिल्पं रूपस्य साधनम् ॥

(वास्तुसूत्रोपनिषत्/चतुर्थः प्रपाठकः - ४.९ ॥)

अर्थात - शुल्ब सूत्र यज्ञ का साधन है तथा शिल्प कौशल उसके रूप का साधन है।

शिल्प और कुशलता में बहुत बड़ा अन्तर है ( एक शिल्प विद्या द्वारा किसी प्रारूप को बनाना और दूसरा कुशलता पूर्वक उसका उपयोग करना , ये दोनो अलग अलग है

कुशलता

जैसे शिल्प द्वारा निर्मित ओजारो से नाई कुशलता से कार्य करता है , शिल्पी द्वारा निर्मित यातायन के साधन को एक ड्राईवर कुशलता पूर्वक चलता है आदि

सामान्यतः जिस कर्म के द्वारा विभिन्न पदार्थों को मिलाकर एक नवीन पदार्थ या स्वरूप तैयार किया जाता है उस कर्म को शिल्प कहते हैं । ( उणादि० पाद०३, सू०२८ ) किंतु विशेष रूप निम्नवत है

१- जो प्रतिरूप है उसको शिल्प कहते हैं "यद् वै प्रतिरुपं तच्छिल्पम" (शतपथ०- का०२/१/१५ )

२- अपने आप को शुद्ध करने वाले कर्म को शिल्प कहते हैं

(क)"आत्मा संस्कृतिर्वै शिल्पानि: " (गोपथ०-उ०/६/७)

(ख) "आत्मा संस्कृतिर्वी शिल्पानि: " (ऐतरेय०-६/२७)

३- देवताओं के चातुर्य को शिल्प कहकर सीखने का निर्देश है (यजुर्वेद ४ / ९, म० भा० )

४- शिल्प शब्द रूप तथा कर्म दोनों अर्थों में आया है -

(क)"कर्मनामसु च " (निघन्टु २ / १ )

(ख) शिल्पमिति रुप नाम सुपठितम्" (निरुक्त ३/७)

५ - शिल्प विद्या आजीविका का मुख्य साधन है। (मनुस्मृति १/६०, २/२४, व महाभारत १/६६/३३ )

६- शिल्प कर्म को यज्ञ कर्म कहा गया है।

( वाल्मि०रा०, १/१३/१६, व संस्कार विधि, स्वा० द० सरस्वती व स्कंद म०पु० नागर६/१३-१४ )

।।पांचाल_ब्राह्मण।।

शिल्पी ब्राह्मण नामान: पञ्चाला परि कीर्तिता:।
(शैवागम अध्याय-७)
अर्थात-पांच प्रकार के श्रेष्ठ शिल्पों के कर्ता होने से शिल्पी ब्राह्मणों का नाम पांचाल है।

पंचभि: शिल्पै:अलन्ति भूषयन्ति जगत् इति पञ्चाला:। (विश्वकर्म वंशीय ब्राह्मण व्यवस्था-भाग-३, पृष्ठ-७६-७७)
अर्थात- पांच प्रकार के शिल्पों से जगत को भूषित करने वाले शिल्पि ब्राह्मणों को पांचाल कहते हैं।

ब्रह्म विद्या ब्रह्म ज्ञान (ब्रह्मा को जानने वाला) जो की चारो वेदों में प्रमाणित है जो वैदिक गुरुकुलो में शिक्षा दी जाती थी ये (metallergy) जिसे अग्नि विद्या या लौह विज्ञान (धातु कर्म) कहते है , ये वेदों में सर्वश्रेष्ठ ब्रह्मकर्म ब्रह्मज्ञान है पृथ्वी के गर्भ से लौह निकालना और उसका चयन करना की किस लोहे से , या किस लोहे के स्वरूप से, सुई से लेकर हवाई जहाज, युद्ध पोत जलयान, थलयान, इलेक्ट्रिक उपकरण , इलेक्ट्रॉनिक उपकरण , रक्षा करने के आधुनिक हथियार , कृषि के आधुनिक उपकरण , आधुनिक सीएनसी मशीन, सिविल इन्फ्रास्ट्रक्चर सब (metallergy) अग्नि विद्या ऊर्फ लोहा विज्ञान की देन है हमारे वैदिक ऋषि सब वैज्ञानिक कार्य करते थे वेदों में इन्हीं विश्वकर्मा शिल्पियों को ब्राह्मण की उपाधि मिली है जो वेद ज्ञान विज्ञान से ही संभव है चमत्कारों से नहीं वेद ज्ञान विज्ञान से राष्ट्र निर्माण होता है पाखण्ड से नहीं, इसी को विज्ञान कहा गया है बिना शिल्प विज्ञान के हम सृष्टि विज्ञान की कल्पना भी नहीं कर सकते इसलिए सभी विज्ञानिंक कार्य इन्ही सुख साधनों से संभव है इसलिए वैदिक शिल्पी विश्वकर्मा ऋषियों द्वारा भारत की सनातन संस्कृति विश्वगुरु कहलाई
भगवान (विश्वकर्मा शिल्पी ब्राह्मणों) ने अपने रचनात्मक कार्यों से इस ब्रह्मांड का प्रसार किया है। जो सभी वैदिक ग्रंथों में प्रमाणित है

Big shout-out to my newest top fans! 💎 Golu Kumar
29/09/2023

Big shout-out to my newest top fans! 💎 Golu Kumar

20/09/2023
 #रिंकू_सिंह: मैन ऑफ द मैच बने रिंकू सिंह, आँखों से छलके आंसू, बधाइयाँ रुकनी नहीं चाहिए.. ❤️🇮🇳दूसरे टी 20 में पहले बल्ले...
22/08/2023

#रिंकू_सिंह: मैन ऑफ द मैच बने रिंकू सिंह, आँखों से छलके आंसू, बधाइयाँ रुकनी नहीं चाहिए.. ❤️🇮🇳

दूसरे टी 20 में पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम ने 185/5 का स्कोर बनाया है और आयरलैंड के सामने जीत के लिए 186 रन का लक्ष्य रखा है। भारत के लिए सबसे ज्यादा 58 रन ऋतुराज गायकवाड़ ने बनाए। वहीं, संजू सैमसन ने 40 रन की पारी खेली। अंत के दो ओवरों में रिंकू सिंह और शिवम दुबे ने 42 रन जोड़कर भारत का स्कोर 185 रन तक पहुंचा दिया। रिंकू सिंह तीन गगनचुंबी छक्के जड़ते हुए 38 रन बनाकर आउट हुए। वहीं, शिवम दुबे 22 रन बनाकर नाबाद रहे। आयरलैंड के लिए बैरी मैकार्थी ने दो विकेट लिए। मार्क अडायर, बेंजामिन व्हाइट और क्रैग यंग को एक-एक विकेट मिला।

मिशन चंद्रयान का श्रेय किसे मिलना चाहिए?◆ कमेंट में बताइये जवाब   | Chandrayaan 3 |
22/08/2023

मिशन चंद्रयान का श्रेय किसे मिलना चाहिए?

◆ कमेंट में बताइये जवाब

| Chandrayaan 3 |

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