29/01/2023
#कैसे___संभालें___लोकतंत्र___का___भविष्य_______चर्चा_______:
भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) की स्थापना संविधान पर हस्ताक्षर के अगले दिन और पहले गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर यानी 25 जनवरी, 1950 को हुई थी। संविधान सभा ने आयोग को अनुच्छेद 324 के तहत संवैधानिक दर्जा दिया ताकि यह पूरी आजादी से काम कर सके। इस संस्था की काबिलियत, निष्पक्षता और विश्वसनीयता अब तक हुए 17 लोकसभा चुनावों, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पदों के 16 चुनावों, 399 विधानसभा चुनावों में दिखती है। भारत में इलेक्शन रिजल्ट्स को लेकर कभी विवाद नहीं रहा और अलग-अलग इलेक्शन पिटिशनों पर संबंधित हाईकोर्ट फैसले भी देते रहे हैं। 25 जनवरी को मनाए जाने वाले स्थापना दिवस को 2011 से राष्ट्रीय मतदाता दिवस (एनवीडी) के रूप में भी मनाते हैं। इसका उद्देश्य भारत के नागरिकों को यह बताना है कि वोटर के रूप में उनके अधिकार और दायित्व क्या हैं।
#अधिकार___बनाम____कर्तव्य____
एक जिंदा लोकतंत्र में चुनावों का स्वतंत्र, निष्पक्ष, नियमित और भरोसेमंद होना ही काफी नहीं है। उन्हें वोटरों की पूरी सहभागिता भी होनी चाहिए ताकि शासन व्यवस्था पर उनका पूरा असर दिखे। महात्मा गांधी ने कहा था, ‘अगर कर्तव्यों का पालन न करके हम अधिकारों के पीछे भागते हैं, तो वे नायाब चीज की तरह हमारी पकड़ से निकल जाते हैं।’
हालांकि बाहुबल पर काफी हद तक अंकुश लगा दिया गया है, फिर भी कुछ ऐसे राज्य हैं जहां चुनावी हिंसा मतदाता के स्वतंत्र विकल्प में बाधा डालती है। लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
चुनावों में धन शक्ति पर लगाम लगाना कहीं बड़ी चुनौती बना हुआ है। मतदाताओं को दिया जा रहा प्रलोभन इतना बड़ा है कि कि कुछ खास राज्यों में इस पर गंभीरता से काम करना होगा। हालांकि रेकॉर्ड बरामदगी देखने को मिली है, फिर भी निष्ठावान और सतर्क मतदाताओं का कोई विकल्प नहीं हो सकता है।
सी-विजिल जैसे मोबाइल ऐप से आम नागरिक को आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की घटनाओं की सूचना देने में मदद मिली है, जिससे इलेक्शन ऑब्जर्वरों को तुरंत कार्रवाई (100 मिनट के भीतर) शुरू करने में मदद मिली है।
#लड़ाई__फेक_____न्यूज_____से_______
भरोसेमंद इलेक्शन रिजल्ट से लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को बरकरार रखना और उन्हें ताकतवर बनाना दुनिया भर में प्राथमिकता बना हुआ है। जिस पैमाने और स्पीड से सोशल मीडिया फर्जी चीजें फैला सकता है, उससे इलेक्शन मैनेजमेंट में टेक्नॉलजी की दूसरी चीजें बेअसर हो सकती हैं। हर चुनाव से पहले सैकड़ों फर्जी मल्टीमीडिया कंटेंट फैलाया जाता है। चुनाव बाद भी यह कंटेंट मौजूद रहता है, खासकर ऐसी सामग्री जिसमें प्रमुख निर्वाचन प्रक्रियाओं पर प्रहार किया गया हो। दुनिया भर में यह उम्मीद बढ़ रही है कि सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म इस तरह की चीजों को रेड फ्लैग करने के लिए कम से कम अपनी विस्तृत एआई क्षमताओं का सक्रिय रूप से उपयोग करें।
राष्ट्रीय मतदाता दिवस चुनावों को समावेशी, सहभागी, मतदाता-हितैषी और नीतिपरक बनाने में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने के आयोग के संकल्प को दर्शाता है। 13वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस (2023) की थीम ‘वोट जैसा कुछ नहीं, वोट जरूर डालेंगे हम’ है। जब नागरिक अपने नागरिक दायित्व के रूप में मतदाता होने पर गर्व महसूस करेंगे, तब शासन के स्तर पर इसका असर निश्चित रूप से महसूस किया जाएगा।