Auraiya औरैया اوریہ

Auraiya   औरैया   اوریہ All people from Auraiya are welcome to join this community.

जनपद औरैया अपने नये युवा रत्नों के साथ आज आगे बढ़ता जा रहा है. साथियो, वो दिन था १७ सितम्बर,१९९७ जब दो तहसील औरैया और बिधूना जनपद इटावा से अलग कर दीं गयीं और जन्म हुआ हमारे राज्य के नये जनपद औरैया का जो कि जनपद का मुख्यालय भी है.

हमारा जनपद औरैया मुग़ल सराय मार्ग(रा.रा. ०२) पर कानपुर से १०४ किमी पश्चिम में, और इटावा से ६४ किमी दूर पूर्व में स्थित है.

समय के साथ हमारे जनपद ने बहुत जल्द ही राजनैति

क विसंगतियों से ग्रसित कुछ 'महापुरुषों' का कोप भी झेला है पर जैसा कि सर्वविदित है "जाके राखे साइंयां... " वो लोग भी हमारे इस जनपद का कुछ न कर सके.

18/05/2025
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27/01/2025

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भारतीय गणतंत्र दिवस की ऐतिहासिक कहानी26 जनवरी 1950 को भारत ने अपना संविधान लागू कर खुद को एक संप्रभु गणराज्य घोषित किया।...
26/01/2025

भारतीय गणतंत्र दिवस की ऐतिहासिक कहानी

26 जनवरी 1950 को भारत ने अपना संविधान लागू कर खुद को एक संप्रभु गणराज्य घोषित किया। यह दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की कुर्बानियों और संघर्षों का प्रतीक है।

संविधान निर्माण

स्वतंत्रता के बाद, 9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा का गठन हुआ। डॉ. भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में लगभग 3 साल की मेहनत के बाद 26 नवंबर 1949 को संविधान तैयार हुआ। इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। यह तारीख इसलिए चुनी गई क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने "पूर्ण स्वराज" की घोषणा की थी।

पहला गणतंत्र दिवस

26 जनवरी 1950 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। नई दिल्ली के राजपथ पर पहली बार भव्य परेड आयोजित हुई, जिसमें भारत की सांस्कृतिक और सैन्य ताकत प्रदर्शित की गई।

यह दिन हमें हमारे अधिकारों और कर्तव्यों की याद दिलाता है।

सत्तेश्वर मंदिर
22/01/2024

सत्तेश्वर मंदिर

Photo of the Day
10/01/2024

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02/12/2023

ऐ खाना बर्बाद करनेवाले लोगों !आज कल शादी की जो तस्वीरें आ रही हैं, उनमें ऐसी भी तस्वीरें हैं जिनमें खाने-पीने की चीज़ों की भारी बर्बादी, प्लेट में खूब सारा खाना जूठा करके छोड़ दिया गया नज़र आता है. आपसे अनुरोध है, ऐसा न करें. खाने के पैसे चाहे जिसके भी लगे हों, आख़िर में यह देश के अनाज और संसाधन की बर्बादी है.

मेरा अपना अनुभव है कि शादियों में जबसे बुफे का चलन बढ़ा है, ज़्यादातर मामले में लोगों के भीतर एक आशंका रहती है कि फलां चीज़ ख़त्म हो गयी तो, मिठाई नहीं बची तो ? अभाव की यह मानसिकता प्लेट को बेहिसाब खाने की चीज़ों से भर देती है. नतीज़ा जिस शादी, जिस बारात में कोई मिठाई खाए बिना लौट आया तो कोई प्लेट में चार छोड़कर. जब दिमाग में ही संतुलन नहीं है तो प्लेट में कहां से आएगा ?

आप मेरी बात आज़मा कर देखिएगा. एक बार खाने की सारी चीज़ों पर नज़र मार लीजिएगा, आपको जितनी भूख हो, उससे थोड़ा कम प्लेट में लीजिएगा. आपकी बारी आते ही ख़त्म भी हो जाय तो भी ध्यान तो रहेगा, वापस आकर घर पर या मंगाकर खा लीजिएगा लेकिन प्लेट में लेकर मत छोड़िएगा, आप कहीं ज़्यादा बेहतर महसूस करेंगे. आपको अंदाज़ा नहीं कि आप प्लेट में खाने की इतनी सारी चीज़ें जूठे में जो छोड़कर आते हैं, उन्हें देखकर कितनों के मन में कितना दुःख होता होगा !

याद रखिए, आप जिस शहर में, जिस देश में रहते हैं, वहां एक बड़ी आबादी भूखे पेट सोती है, जैसे-तैसे या कुछ भी खाकर सोती है. हमारे-आपके पास कुछ भी खाने और खरीद लेने की क्षमता से देश समृद्ध नहीं होगा, समृद्ध होगा जब हम संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए अपनी ज़रूरत और दूसरे के अभाव की बात ध्यान में रखेंगे.

मेहरबानी करके खाना मत बर्बाद कीजिए.

ये स्वागत योग्य पहल है, कहीं पढ़ा था कि मुगल काल में सुरक्षा कारणों से ही रात में शादी का प्रचलन शुरू हुआ था, जबकि दक्षिण...
27/09/2023

ये स्वागत योग्य पहल है,
कहीं पढ़ा था कि मुगल काल में सुरक्षा कारणों से ही रात में शादी का प्रचलन शुरू हुआ था, जबकि दक्षिण भारत में आज भी दिन में ही शादी का चलन है... !
सचिन सिंह चौहान

आज से दसियों हज़ार वर्ष पूर्व केले का फल फ़ोटो जैसा होता था. छोटा, बहुत कम पल्प और ढेर सारे बीज. भोजन की खोज में किसी मन...
16/07/2023

आज से दसियों हज़ार वर्ष पूर्व केले का फल फ़ोटो जैसा होता था. छोटा, बहुत कम पल्प और ढेर सारे बीज. भोजन की खोज में किसी मनुष्य की निगाह इस पर पड़ी. समझ आया टेस्ट तो मीठा है पर इतने सारे बीज और इतना छोटा साइज.

धीमे धीमे मनुष्य ने केले को मनुष्यों के अनुरूप बनाना आरंभ किया. कोई एक ऐसी प्रजाति जिसमे बीज कम होते थे, उन्हें उगाना आरंभ किया. सर्वाइवल ऑफ़ फ़िटेस्ट सिद्धांत में शेष अन्य प्रजातियाँ नष्ट हुईं क्योंकि यह मनुष्य के किसी कार्य की न थीं. फिर जब परफ़ेक्ट शेप और टेस्ट मिल गया तो तने से खेती आरंभ हो गई. वहीं दूसरी ओर केले ने भी देखा कि उसकी आने वाली पीढ़ियाँ बग़ैर प्रजनन के हो जा रही हैं तो समय के साथ केले के पेड़ पर प्रजनन समाप्त हुआ, बीज एकदम समाप्त हो गये. नेचुरल सिलेक्शन. आज जो केला बाज़ार में मिलता है, वह सीडलेस और तने से पैदा किया होता है.

कल यदि इस धरती से मनुष्य समाप्त हो जाये तो केला भी समाप्त हो जाएगा. प्रजनन वह भूल चुका है, और मनुष्य न होंगे तो तना कौन लगाएगा.

ऐसा केले के साथ ही नहीं अपने अग़ल बग़ल जितनी प्रकृति देख रहे हैं सब मनुष्य ने अपने अनुसार सेट की है, बनाई है. जो जीव, पेड़ मनुष्य के अनुसार चले वह सर्वाइव कर गये. एक समय था धरती पर ह्यूज जानवर पाये जाते थे. आदि मानव उनके आगे बल में टिक न पाते. यहाँ बुद्धि कार्य आई. बड़े जानवर मार खाना हो तो एक बार मेहनत की महीने भर ख़ाना मिल गया. साथ ही दूसरे बड़े जानवरों को मीट मिल न पाएगा. वह छोटे छोटे जानवर मारेंगे पेट न भर पाया, भूख से मर गये, एक्सटिंक्ट हो गये. बचे वही जिनसे निपटने में मनुष्य सक्षम है. अफ़्रीका महाद्वीप में सबसे ज्यादा जानवर बचे क्योंकि वहाँ होमो सपियंस और जानवर दोनों का साथ साथ एवोल्यूशन हुआ तो जानवरों को जेनेटिकली पता था मनुष्यों के अनुसार चलो. वहीं ऑस्ट्रेलिया जैसे देश में जब होमो सपाइयेंस पहुँचे तो वहाँ बड़े कंगारूवों का राज था जिन्हें पता ही न चला क्या मुसीबत आने वाली है सौ साल में साफ़.

मनुष्य इस प्रकृति का सबसे निरीह और यूज़लेस प्राणी है. जाड़े में मनुष्य जाड़े से गर्मी में गर्मी से और बारिश में बारिश से मरता है. इंसान के बच्चे को बड़ा होने में सबसे ज्यादा समय लगता है. दो पैर से चलता है तो बैलेंस इतना बेटर नहीं. पर इंसान ने समय के साथ प्रकृति अपने रूप बनाई. अब इंसान अंतरिक्ष को अपने रूप बनाने निकला है.

यही मनुष्य का क्रमिक विकास है, यही प्रकृति का क्रमिक विकास है.

🙏
11/07/2023

🙏

भारत की पहली ट्यूब लेस सायकल... जिसका उपयोग सन 1900 के पूर्व किया जाता था...साभार निवेदिता शर्मा
04/07/2023

भारत की पहली ट्यूब लेस सायकल... जिसका उपयोग सन 1900 के पूर्व किया जाता था...

साभार निवेदिता शर्मा

बरसात में आसानी से मिलने वाली , लाल डोकरी या कुछ और वैसे आप इसे किस नाम से बुलाते हैं
26/06/2023

बरसात में आसानी से मिलने वाली , लाल डोकरी या कुछ और वैसे आप इसे किस नाम से बुलाते हैं

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