
17/10/2024
...…..कहते हैं एक सपना टूटने के बाद दूसरा सपना देखना ही ज़िन्दग़ी है पर जब एक एक करके हर सपना टूटने लगता है तो उन टूटे सपनों के साथ इंसान भी टूट जाता है... फिर डरने लगता है वो हर सपने से, उनमे छिपी हर ख़ुशी से... क्यूकि तब उसे लगने लगता है कि उसका हर सपना टूटने के लिए है... और उसकी हर ख़ुशी उस से छीनने के लिए है... एक नकारात्मकता घेर लेती है उसे हर तऱफ से... फिर वो ज़िन्दगी के उस मुकाम पे धीरे धीरे बढ़ते जाता है जहा उसे खुशियां खुशियां नहीं लगती और ग़म ग़म नहीं लगते... वो खुशियों में ज्यादा खुश नहीं होता, और ग़म में ज्यादा दुखी नहीं होता... जब वो टूटे सपने और अपने सुख दुःख के चक्र को पार कर के इस मुकाम पे पहुंच जाता है, तब वो जीना सीख जाता है ज़िन्दगी को... तब वो सांसारिक मोह माया परिवार दोस्त प्यार सबको भूल के बस अपने लिए जीने लगता है.... तो शायद सपनो का टूटना, अपनों का रूठना सब एक जरिया है हमे ज़िन्दगी से मिलाने के लिए... उस ज़िन्दगी से जो होती तो हमारी है पर उसपे हक़ हमसे ज्यादा दूसरों का होता है... जब हम इन सबसे थक जाते है हैं फिर जीना शुरू करते हैं अपने लिए अपने हिसाब से....शायद ज़िन्दगी यही है .......😊
बी पॉजिटिव ऑलवेज
#अनिलद्विवेदी