26/05/2025
"आखिरी साँस तक लोगों का इलाज करता रहूँगा।"
- पद्म श्री डॉ. तपन कुमार लाहिड़ी
2003 में BHU से रिटायर देश के सबसे ईमानदार Doctor Tapan Kumar Lahiri चाहते तो अपना हॉस्पिटल खोलकर करोड़ों कमा सकते थे; लेकिन उन्होंने गरीबों का फ्री इलाज करने का फैसला लिया और आज 83 साल की उम्र में भी मरीज़ों की जान बचाने में लगे हैं।
देश के प्रतिष्ठित Cardiologist Surgeon टीके लाहिड़ी रिटायर होने के बाद भी अपने काम को जी-जान लगा के कर रहे हैं। जहाँ उनके साथ के डॉक्टर्स महँगी गाड़ियों से चलते हैं, वहीं डॉ. लाहिड़ी एक हाथ में अपना बैग और दूसरे में एक काला छाता लिए पैदल ही अपने घर से रोज़ हॉस्पिटल आते-जाते दिख जाते हैं।
कोलकाता में जन्में डॉक्टर लाहिड़ी ने 1970s में USA से अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी और 1974 में लेक्टरर के तौर पर BHU ज्वाइन किया। साल 1997 में, जब उनकी सैलरी एक लाख रुपये से ज़्यादा थी, तब से टीके लाहिड़ी ने अपनी पूरी सैलरी खुद न लेकर, गरीब मरीज़ों के लिए दान करना शुरू किया था।
2003 में BHU से रिटायर होने के बाद उन्होंने अपना PF और पेंशन का बड़ा हिस्सा ज़रूरतमंद मरीज़ों के लिए डोनेट किया। वह खुद एक साधारण जीवन जीते हैं, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों की मदद कर सकें।
उनके नेक कामों और योगदानों को देखते हुए भारतीय सरकार ने 2016 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया। इस उम्र में भी वह जिस लगन से अपना काम कर रहे हैं, उसे देखकर बाकी हर कोई प्रेरणा लेता है। कइयों के लिए डॉ. लाहिड़ी वाकई ईश्वर का दूसरा रूप हैं।
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