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क्या आप लोग अगले प्रधानमंत्रीचंद्रशेखर भाई को बनाना चाहते हैं। अगर बनाना चाहते हैं तो कमेंट में जय भीम जय संविधान जरूर ल...
16/08/2025

क्या आप लोग अगले प्रधानमंत्रीचंद्रशेखर भाई को बनाना चाहते हैं। अगर बनाना चाहते हैं तो कमेंट में जय भीम जय संविधान जरूर लिखें 💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙

04/08/2025
पूरे देश ने बहुजन समाज की एकता का जो जनसैलाब दिल्ली में देखा उससे एक बार फिर ये साबित हो गया-"हक-अधिकारों की लड़ाई में न...
12/09/2024

पूरे देश ने बहुजन समाज की एकता का जो जनसैलाब दिल्ली में देखा उससे एक बार फिर ये साबित हो गया-

"हक-अधिकारों की लड़ाई में निमंत्रण नहीं भेजे जाते, जिनका ज़मीर ज़िंदा हो, वे खुद दौड़े चले आते हैं।"

देश के हुक्मरानों की नाक के नीचे देश की राजधानी में आजाद समाज पार्टी और भीम आर्मी के साथ लाखों बहुजन योद्धाओं ने बहुजन एकता की इस जंग में सिपाही की तरह अपनी जिम्मेदारी को महसूस करते हुए प्रण लिया कि–

1) जाति जनगणना के साथ ही आर्थिक जनगणना के लिए व्यापक आंदोलन चलाएंगे जिससे पता चल सके देश के संसाधनों पर कौन कब्ज़ा जमाए बैठा है?

2) ओबीसी वर्ग के लिए 27% के अतिरिक्त 15% और शेड्यूल्ड कास्ट (एससी) के लिए 15% से अतिरिक्त 10% आरक्षण बढ़ाने के प्रावधान की मांग के लिए सदन से लेकर सड़क तक संघर्ष।

3) सरकारी नौकरियों में बैकलॉग(जो लाखों की संख्या में है) पूरा कराकर छोड़ेंगे।

4) निजी क्षेत्र में SC/ST व OBC को आरक्षण की पूर्ण व्यवस्था के लिए पुरज़ोर प्रयास करेंगे।

5) सफाईकर्मी की नौकरी में ठेकेदारी समाप्त कर पक्की नौकरी देने और गटर में उतरने की अमानवीय व्यवस्था को पूरी तरह से खत्म कराने किए संघर्ष करेंगे।

6) समान कार्य समान वेतन के लिए प्रतिबद्धता।

7) SC/ST व OBC को प्रमोशन में रिजर्वेशन।

8) 2 अप्रैल 2018 के सभी मुकदमे वापस होने तक संघर्ष।

9) पुरानी पेंशन बहाल की जाए।

और अंत में, सरकार की तरफ से दलित समाज की एकता को बांटने का जो प्रयास किया गया है उसके खिलाफ हर स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा जिससे की समाज के हर व्यक्ति को सरकार के षड्यंत्र से वाकिफ कराया जा सके।

नमो बुद्धाय, जय भीम, जय मंडल, जय जोहार।

01/08/2024

मेरे सभी प्यारे भाइयों को जय भीम नमो बुद्धाय शुभ रात्रि
20/07/2024

मेरे सभी प्यारे भाइयों को जय भीम नमो बुद्धाय
शुभ रात्रि

यह वही मसीहा है जिसने 14 अप्रैल को जन्म लिया था अगर इस मसीह ने जन्म ना लिया होता तो आज भी हमारा जीवन जानवरों से बत्तर हो...
21/06/2024

यह वही मसीहा है जिसने 14 अप्रैल को जन्म लिया था अगर इस मसीह ने जन्म ना लिया होता तो आज भी हमारा जीवन जानवरों से बत्तर होता और अंधकार में जिंदगी जी रहे होते
जय भीम
बाबा साहब हमेशा अमर रहे

 #बाबा_साहब_डॉ_बी_आर_अम्बेडकर_ने_बौद्ध_धर्म_को_ही_क्यों_अपनाया_इसका_जवाब_इस_पत्र_से_मिल_जायेगा!"मुझे बौद्ध धर्म क्यों पस...
20/06/2024

#बाबा_साहब_डॉ_बी_आर_अम्बेडकर_ने_बौद्ध_धर्म_को_ही_क्यों_अपनाया_इसका_जवाब_इस_पत्र_से_मिल_जायेगा!

"मुझे बौद्ध धर्म क्यों पसंद है?

क्यों मैं बौद्ध धर्म से प्यार करता हूँ और दूसरा यह कि वर्तमान स्थिति में यह दुनिया के लिए कैसे उपयोगी है।

अन्य सभी धर्म ईश्वर, आत्मा, मृतकों की स्थिति जैसी चीजों की तलाश करते हैं। हालाँकि, बौद्ध धर्म में एक साथ माने जाने वाले तीन सिद्धांत अन्य धर्मों में दिखाई नहीं देते हैं। यह धम्म ज्ञान (अंधविश्वास और अलौकिक घटनाओं के खिलाफ समझ), करुणा (प्रेम) और समानता सिखाता है। इस धरती पर इंसान से ज्यादा अलग क्या हो सकता है? तो बौद्ध धम्म, जो ये तीन सिद्धांत देता है, मुझे आकर्षित करता है। संसार को बचाने की शक्ति न तो ईश्वर में है और न ही आत्मा में; ये तीन सिद्धांत दुनिया के सितारे हैं।

एक बात है जो दुनिया के संदर्भ में, विशेष रूप से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हो सकती है। वर्तमान में दुनिया कार्ल मार्क्स और उनके साथ पैदा हुए साम्यवाद से घिरी हुई है। यह चुनौती बहुत गंभीर है। यह चुनौती सभी देशों की धार्मिक व्यवस्था की नींव को हिला देती है। इसका कारण यह है कि मार्क्सवाद और साम्यवाद वैचारिक मुद्दों से निकटता से जुड़े हुए हैं। वर्तमान धार्मिक स्थापना के साथ लगे झटके की व्याख्या करना कठिन नहीं है। भले ही आज की धार्मिक व्यवस्था एक धर्मनिरपेक्ष ढांचे से अलग हो गई है, लेकिन इस आधार पर हर धर्मनिरपेक्ष मामला कायम है। धर्म के बावजूद, धर्मनिरपेक्ष संरचना को लंबे समय तक कायम नहीं रखा जा सकता है।

दक्षिण-पूर्व एशिया में बौद्धों की मानसिकता को साम्यवाद की ओर झुकाव देखकर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ। मैं सिर्फ यह सोचता हूं कि वे बौद्ध धर्म से अवगत नहीं हैं। मार्क्स और उनकी साम्यवाद का पूर्ण उत्तर बौद्ध धर्म में है, मेरा मानना ​​है। साम्यवाद की रूसी प्रणाली ने खूनी क्रांति को एक व्यवहार्य उपकरण के रूप में स्वीकार किया है। जो लोग कम्युनिस्ट प्रणाली के लिए अधीर हैं, वे शायद यह नहीं जानते होंगे कि बौद्ध धर्म में 'संघ' एक कम्युनिस्ट संगठन है। निजी संपत्ति का इसमें कोई स्थान नहीं है; और विशेष रूप से, यह परिवर्तन हिंसा से नहीं आया था। टोन में यह बदलाव पिछले दो वर्षों से है, लंबे समय में कुछ मानसिक गड़बड़ी के साथ। बेशक इस दौरान कुछ विचलन हुए हों, लेकिन उनके आदर्श आज भी अपरिहार्य हैं। रूसी साम्यवाद को इन सवालों का जवाब देना चाहिए।

उन्हें दो और सवालों के जवाब देने चाहिए। क्या कम्युनिस्ट डिजाइन हमेशा के लिए जरूरी है? मैं सहमत हूं कि रूसी काम कम्युनिस्ट ढांचे के कारण नहीं किया जा सकता था जो कि रूसी पूरा नहीं कर सकते थे, लेकिन वहां के लोगों को बुद्ध के उपदेश के साथ स्वतंत्रता क्यों नहीं होनी चाहिए? दक्षिण एशियाई देशों को इसे प्राप्त नहीं करने से सावधान रहना चाहिए और इसे रूसी साम्यवाद के जाल में नहीं पड़ना चाहिए या वे कभी भी इससे बाहर नहीं निकल पाएंगे। उन्हें बुद्ध की शिक्षाओं का पालन करने और इसे राजनीतिक संरचना में एकीकृत करने की आवश्यकता है। गरीबी पहले भी थी और आगे भी रहेगी। रूस में भी गरीबी है। इसलिए, गरीबी के कारण का पीछा करना और मानव स्वतंत्रता का त्याग करना बुद्धिमानी नहीं है।

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बुद्ध की शिक्षाओं की व्याख्या और समझ अच्छी तरह से तय नहीं है। उनके सिद्धांत और सामाजिक पुनर्गठन पूरी तरह से गलत हैं। यह समझने के बाद ही कि बुद्ध धम्म एक सामाजिक सिद्धांत है कि इसका पुनरुद्धार एक शाश्वत घटना बन जाएगा, क्योंकि दुनिया जान जाएगी कि इस धर्म में कौन सी महानता है जो सभी को आकर्षित या प्रभावित करेगी"।

तृतीय गोलमेज सम्मेलन के दौरान  तस्वीर हमारे भगवान की
19/06/2024

तृतीय गोलमेज सम्मेलन के दौरान तस्वीर हमारे भगवान की

झारखंड की अनुसूचित जाति की बेटी  #अनुष्का  #आनंद बनी मिस इंडिया बधाई तो बनती है। बहन अनुष्का आनंद ने  #झारखंड का ही नही ...
30/09/2023

झारखंड की अनुसूचित जाति की बेटी #अनुष्का #आनंद बनी मिस इंडिया बधाई तो बनती है।
बहन अनुष्का आनंद ने #झारखंड का ही नही बल्कि पूरे भारत वर्ष का नाम रोशन किया है बहुत बहुत बधाई हो आपको🎉🎉🎉

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