31/08/2025
"1965 कश्मीर युद्ध – अहीर वीरों ने फतेह कर लहराया तिरंगा, और इतिहास बना ‘यादव हिल'
Yadav Hill
यह गाथा है वीर यदुवंशियों की शूरवीरता की(यादव हिल)
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1965 भारत का पाकिस्तान से युद्ध में कश्मीर का मोर्चा, एक पहाड़ी पॉइंट 8667 पर एक पाकिस्तानी फौजी टुकड़ी मजबूती से मोर्चे पर डटी हुई थी,उसके सामने मोर्चे पर एक अहीर कम्पनी थी।
हिन्दुस्तानी फौज का एक अफसर इस मुश्किल हालात और मज़बूत दुश्मन को देख कर अहीर कम्पनी के सूबेदार राव नन्द किशोर सिंह यादव जी से बोला -- "अगर अहीर सामने के पहाड़ी मोर्चे को फतेह कर तिरंगा फ़हरा देंगे तो उस पहाड़ी का नामकरण "यादव हिल/यादव पहाड़ी" करवा देंगे सूबेदार साहब अपने अहीर जवानों को आ कर बोले कि अगर वो असम्भव मोर्चा दुश्मन से जीत लोगे तो उसका नाम यादव कौम के नाम से इतिहास में दर्ज़ हो जाएगा।
अपने सूबेदार की इस ललकार पर अहीर जवान मतवाले हो कर कौमी नारे(जय दादा किशन की) लगाने लगे।
फौजी अफसर ने हालात सूबेदार साहब को बता दिए , लेकिन अहीर अब पीछे हटने को तैयार नहीं थे , चाहे कीमत कुछ भी हो।
तोपें गरजीं और अहीरों ने जय दादा किशन का रण-घोष कर दिया।
सूबेदार राव नन्द किशोर सिंह जी अपने मतवाले अहीरों को ले कर दुश्मन पर चढ़ गये दुश्मन इस बेबाक हमले से भौचक्का रह गया , आमने-सामने की लड़ाई में #यदुवंशियों ने दुश्मन को मार भगाया असंभव को संभव किया और कई शहादतें देते हुए अहीरों ने पहाड़ी पर तिरंगा फ़हरा दिया वचन के मुताबिक फौजी अफसर ने पॉइंट 8667 की चोटी का नाम रख दिया..यादव पहाड़ी/यादव हिल - Yadav Hill...
इसलिए तो कहते है यादव वहाँ खड़े होते हैं जहाँ मैटर बड़े होते है!
जय हो यादव वीर की!!
गोली चाले, बरछे चाले, चालें चाहे तीर…
दुश्मन नै जब आंख दिखाई, तण गए वीर अहीर I