09/11/2025
यादवों से जलने वाले गोदी मीडिया चुनाव आते ही यादव/अहीर जाती के लालू परिवार को गड़रिया जाती का प्रचार करने लगती जबकि सच्चाई यह है कि लालू जी कन्नौजिया अहीर (यादव) समुदाय से आते हैं। यह बात खुद लालू जी की बेटी रोहिणी आचार्य से लेकर उनके साले सुभाष यादव भी कई दफा बोल चुके है
। श्री लालू प्रसाद यादव जी का संबंध कन्नौजिया अहीर उप-समूह से है। इनके पिता का नाम चौधरी कुंदन राय था । बिहार में अहीरों के बीच यह समूह, कृष्णौत और मजरौठ अहीरों के बाद संख्या और प्रभाव की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है।
'कन्नौजिया' या 'कान्यकुब्ज' नाम इस समूह के कन्नौज (उत्तर प्रदेश) से ऐतिहासिक पलायन को दर्शाता है। यह वही पैटर्न है जो कन्नौजिया/कान्यकुब्ज ब्राह्मणों, राजपूतों, या धोबियों के उप-समूहों में भी देखा जाता है।
लालू जी संपूर्ण वैवाहिक और पारिवारिक संबंध अहीर (यादव) समुदाय के भीतर ही है। उनके गृह क्षेत्र और सामाजिक दायरे में सभी लोग इस तथ्य से भली-भांति परिचित हैं कि वे कन्नौजिया अहीर हैं।
कन्नौजिया अहीर समुदाय का बिहार में एक समृद्ध और प्रभावशाली इतिहास रहा है । पटना में कन्नौजिया अहीरों की 'बेलवरगंज स्टेट' नामक 35 गाँवों की एक बड़ी जमींदारी थी। इनके वैवाहिक संबंध परसादी और मुरहो जैसे अन्य प्रभावशाली अहीर स्टेट्स में भी रहे हैं।
* सामाजिक योगदान: बेलवरगंज स्टेट के अहीर जमींदार राय साहब बल्लभ दास यादव जैसे व्यक्ति अखिल भारतीय यादव महासभा के संस्थापकों में से एक थे, जो इस समूह के सामाजिक नेतृत्व को प्रमाणित करता है।
⚠️ 'यादव' बनाम 'गड़रिया': एक आवश्यक स्पष्टीकरण
* समुदाय की भिन्नता: यादव (अहीर) और गड़रिया (पाल/बघेल) दो स्पष्ट रूप से अलग-अलग सामाजिक समुदाय हैं। बिहार राज्य में 'गड़रिया' समुदाय की संख्या नगण्य है और वे अलग जाति वर्ग के रूप में सूचीबद्ध हैं।
* सामाजिक स्थिति: दोनों समुदायों की सामाजिक स्थिति और पहचान अलग है।
💡 निष्कर्ष: भ्रामक प्रचार से बचें
पढ़े-लिखे और जागरूक नागरिकों के रूप में, यह आवश्यक है कि हम 'गोदी मीडिया' या किसी भी राजनीतिक प्रेरित दुष्प्रचार पर ध्यान न दें। सच्चाई की स्वयं जांच करें और सामाजिक विभाजन पैदा करने वाली ऐसी भ्रामक सूचनाओं को नकारें। सामाजिक एकता और सत्यनिष्ठा को बनाए रखना हर जागरूक नागरिक का कर्तव्य है।
जय श्री कृष्ण