
25/09/2025
सोचकर ही आत्मा कांप गयी, कैसे कोई इतना ज़ालिम हो सकता है, वो भी पड़ोसी.!
शायद कभी ये उसी पड़ोसी के गोंद में खेला होगा, आज वही पड़ोसी इसे लोरी की जगह मौत की नींद सुला दिया.!
आखिर क्या गलती किया होगा इस मासूम ने, जिसकी सजा इसे अपनी जान देकर चुकानी पड़ी..!
आज़मगढ़ ऐसा तो नही था..
मेरा जन्म मेरे ननिहाल आज़मगढ़ में हुआ है, आज भी मैं पूरे गाँव का दुलारा हूँ,
जब छोटा था मुझे याद है, बगल में ही कनरी गाँव है, उसी गाँव के बद्री मामा( मुसलमान) थे, गनवारा बाजार में टेलर की दुकान थी उनकी, दुकान बंद करके जब भी आते थे, मेरे लिए खाने के लिए कुछ तो जरूर लाते थे, उसके बाद अपने घर जाते थे.
2 साल पहले जब मैं अपने बच्चे को लेकर हॉस्पिटल में था तब पहली मदद के लिए इसी आज़मगढ़ ने हाथ उठाया था, वो शक्श फूलपुर का मुसलमान था, ( नाम बताने के लिए मना है )
पंजाब में जब मेरी बिटिया आखिरी सांस ले रही थी, जो पहली मदद आयी थी, वो भी आज़मगढ़ के एक मुसलमान ने भेजी थी.
ये जानते हुए मैं एक हिन्दू हूँ..!!
मुझे पता है, यहाँ कोई बुलडोजर नही चलेगा, इसका उल्टा होता तो अब तक बुलडोजर चल चुका होता, लेकिन फिर भी न्याय की एक उम्मीद के साथ मैं शासन और प्रशासन से माँग करता हूँ कि दोषियों के ख़िलाफ़ सख़्त से सख़्त कार्रवाई की जाये और परिवार को न्याय मिले।
Chief Minister Office Uttar Pradesh