
07/06/2024
प्रकृति बचाओ अभियान
सिलनी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए पदयात्रा संपन
प्रेस विज्ञप्ति
आजमगढ़ : 6 जून: विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर “प्रकृति बचाओ अभियान” के तत्त्वावधान में “सिलनी नदी” को पुनर्जीवित करने के लिए एक पदयात्रा का आयोजन किया गया. इस पदयात्रा में जल विशेषज्ञ , शोधार्थी एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ –साथ ग्रामीणों ने भाग लिया. पदयात्रा के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए “प्रकृति बचाओ अभियान” के संयोजक ने कहा कि आज छोटी नदियों को बचाने या उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए पूरे देश में 51 पदयात्रा निकाली जा रही है . इस पदयात्रा के माध्यम से हम लोक को जगाना चाहते हैं . बिना लोक को जगाये नदियों को बचाया नहीं जा सकता है . आज जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों के कारण प्राकृतिक स्रोतों पर जो संकट उत्पन्न हुआ है वह पृथ्वी पर उपस्थित जीवों के विनाश का कारण बनेगा. ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो इसके लिए हमें कदम उठाना पड़ेगा . इस पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य यही है कि हमें छोटी-छोटी नदियों को एक अभियान के साथ पुनर्जीवित करने की ईमानदार कोशिश करनी है . किसी भी नदी को बचाने के लिए स्थानीय समुदाय, सामाजिक कार्यकर्त्ता और प्रशासन को एक साथ आना पड़ेगा .
इस पदयात्रा में “प्रकृति बचाओ अभियान” के संचालन समिति के सदस्य सत्यम प्रजापति ने ग्रामीणों से संवाद करते हुए कहा कि हम सभी के सहयोग से इस नदी को पुंजीवित करने का प्रयास करेंगे. यह नदी सिर्फ आस-पास के गांवों के लिए ही सिफ पानी का स्रोत नहीं बल्कि जैवविविधता को भी संरक्षित करती है. वर्तमान में यह नदी संकटग्रस्त है इसलिए हम सभी को एकजुट होकर इसे बचाना है. पदयात्रा में डॉ. अलका सिंह ने भी ग्रामीणों से संवाद करते हुए सिलनी नदी को संरक्षित करने के लिए सभी से एकजुट होकर काम करने के लिए अपील की .
इस अवसर पर शोधार्थी गोविन्द गिरी ने कहा कि हमें इस नदी की सीमा का सीमांकन की आवश्यकता है . यह नदी लगातार मिट्टी से पटती जा रही है जिसके कारण पानी का ठहराव भी नहीं हो पा रहा है . उन्होंने ग्रामीणों से संवाद करते हुए कहा कि आप सभी इस नदी को पुनर्जीवित करने के लिए एक –दूसरे से संवाद स्थापित कीजिए .
पदयात्रा के दौरान संवाद में ग्रामीणों ने कहा कि नदी की भूमि में मिट्टी ज्यादा हो गयी है इसे हटाकर किनारे किया जाये और डैम बनाया जाये . डैम बनाकर पानी रोका जा सकता है . आस –पास के गांवों से जो गन्दगी बह कर आ रही है उसे रोका जाये और जो कब्ज़ा है उसे भी मुक्त कराया जाये . यह बगैर प्रशासन के सहयोग से नहीं हो सकता है . ग्रामीणों का यह भी कहना था कि आस-पास के गांवों में हैण्ड पाइप पानी छोड़ चुका है , जगह- जगह सिलेंडर लगाना पड़ रहा है , इसका कारण है कि आस –पास के जलस्रोत सूख चुके हैं . इन परिस्थितियों में इस नदी को बचाना ही एकमात्र विकल्प है .
इस अवसर पर शोधार्थी संदीप राजभर, चंद्रेश यादव, आशीष दूबे, कशिश अंगूरिया, चन्दन यादव, अब्दुल्ला, प्रमोद यादव ने ग्रामीणों से संवाद स्थापित किया और सिलनी नदी को पुनर्जीवित करने में सहयोग के लिए आह्वान किया.
इस पदयात्रा में सिलनी नदी के आस-पास रहने वाले गांवों के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया. इस अवसर पर बैजनाथ, रामविलास, छन्नूलाल निषाद, राज निषाद , मिथुन निषाद , रामचरण निषाद , विजय निषाद, सूरज निषाद, उमाकांत निषाद, चन्द्रराज निषाद , कुसुमलता , रीता, मन्द्रराज निषाद, अंगद मौर्या , प्रतापी, धनौती, पदुम यादव, कवलपत्ती देवी, अंकित प्रजापति, जुन्नुरैन अंसारी, श्रीनाथ गुप्ता आदि लोगों ने भाग लिया. इस अवसर पर ग्रामीणों ने जोर-शोर से “जन-जन को जगाना है , सिलनी नदी को बचाना है’’ नारे लगाये और सिलनी को बचाने की अपील की.
-डॉ. अजय गौतम
संयोजक
प्रकृति बचाओ अभियान
मो . 9415063341