07/07/2024
कोई वजूद के लिए लड़ रहा तो कोई विरासत बचाने के लिए उतरा है मैदान में
नालागढ़ में वजूद, वर्चस्व और विरासत की लड़ाई के लिए हो रही सियासी जंग
के.एल पुरानी साख बचाने के लिए तो बावा के के लिए जीने मरने का प्रश्न
युवा हरप्रीत सैणी अपनी पारिवारिक विरासत बचाने के लिए उतरे हैं दूसरी बार आजाद
शिमला, 7 जुलाई। ब्यूरो
नालागढ़ उपचुनाव दोनो दलों के साथ निर्दलीय प्रत्याशी के लिए वजूद की लड़ाई बन गया है। यहां पर कोई वजूद व वर्चस्व के लिए लड रहा है तो अपनी पारिवारिक व राजीतिक विरासत के लिए मैदान ए जंग में उतरा है। हालांकि नालागढ़ विधानसभा उपचुनाव में बार बार यह बात सामने आ रही है कि वहां पर उपचुनाव क्यों हो रहा जब नालागढ़ की जनता ने कृष्ण लाल ठाकुर को आजाद ही जिताकर शिमला पहुंचा दिया था। लेकिन समय के साथ अब यह सवाल रहस्य बना रह गया है और सभी उम्मीदवार अपनी अपनी जीत के लिए मैदान में उतर पडे। पहले यह माना जा रहा था कि भाजपा प्रत्याशी के एल ठाकुर का सीधा मुकाबला कांग्रेस नेता हरदीप सिंह बावा से होगा लेकिन एन वक्त पर समीकरण बदल गए। भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी नेता व पूर्व मंत्री हरप्रीत सिंह सैणी ने भाजपा पर अनदेखी का आरोप लगाकर मैदान मे ताल ठोक दी। हैरानी तो तब हो गई जब भाजपा की ओर से उनको बिठाने के कोई प्रयास नहीं किए गए। अब नालागढ़ में मुकाबला आमने सामने न होकर त्रिकोणीय हो गया जिसमें भाजपा की ओर से के.एल ठाकुर, कांग्रेस के हरदीप बावा व निर्दलीय हरप्रीत सिंह सैणी है। हालांकि यह देखने में आ रहा है कि नालागढ़ उप चुनाव पहली बार मुददा विहीन बनकर रह गया है क्योंकि यहां पर विधायक पद से इस्तीफा देकर फिर से विधायक बनने की कसरत की जा रही है।
किसकी क्या है स्थिति-
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के.एल ठाकुर (भाजपा)
अधिकारी से नेता बने भाजपा प्रत्याशी के एल ठाकुर चौथी बार चुनाव में उतरे हैं। पिछले तीन चुनावों में उन्होने एक बार पार्टी से जीत मिली तो एक बार आजाद जीते और एक बार भाजपा के टिकट पर हारे भी। 2022 में भाजपा से बगावत करके आजाद विधायक बने के एल ठाकुर ने भाजपा के मोह मे आकर अपनी विधायिकी छोड दी और उप चुनाव में उतरने का निर्णय लिया। के एल ठाकुर को जिताने के भाजपा के ती सौा से ज्यादा विस्तारकों के साथ साथ बडे नेताओं ने डेरा डाला हुआ है। के एल ठाकुर नालागढ़ में वर्चस्व की लड़ाई लड रहे हैं और यह चुनाव सीधे सीधे प्रदेश सरकार बनाम कृष्ण लाल बनकर रह गया है। इस चुनाव में वो अकेले राजपूत प्रत्याशी है तो उनकी साख पर भी सवाल है कि वो राजपूत बहुत सीट में अपनी बादशाहत बरकरार रख पाते हैं या नहीं। हालांकि पूर्व विधायक लखविंद्र राणा जो कि पूर्व में उनके विरोधी रहे आजकल भगवा पार्टी में ही है। उनकी परीक्षा भी है कि वो के एल ठाकुर की जीत में क्या भूमिका निभाते हैं। कभी जयराम ठाकुर द्वारा मंच से दिए गए धक्के से सहानूभूमि बटोरकर के एल ठाकुर ने मेरा क्या कसूर का नारा देकर चुनाव लड़ा था और बडे मार्जन से जीता था लेकिन अब जयराम ठाकुर तो उनके लिए घर घर जाकर प्रचार कर रहे हैं साथ में प्रदेशाध्यक्ष डा राजीव बिंदल की फौज भी उनके साथ खडी है। पार्टी व संगठन का साथ होने के साथ उनको अपनी जाति राजपूत का भी सहारा मिलने की आस है। प्रदेश में भाजपा की सरकार न होना उनके लिए चिंताजनक है क्योंकि बहुत से लोग सत्ता के साथ ही चलते हैं पर उन्होने संगठन के साथ अपने परिवार का रुतबा आगे रखा हुआ है कि मैने अपने समय में सबके काम किए हैं।
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हरदीप सिंह बावा (कांग्रेस)
कांग्रेस प्रत्याशी हरदीप सिंह बावा अपने जीवन का तीसरा चुनाव लड़ रहे हैं। कसौली विस रिजर्व होने के कारण वह 2009 में परवाणु से आकर नालागढ़ आकर बस गए थे और अब नालागढ़ को ही अपना घर मानते हैं। बावा अब आजाद व कांग्रेस से चुनाव लड चुके हैं और दोनो बार कामयाब नहीं हुआ पर उनका वोट बैंक बढ गया जिस कारण से पार्टी ने तीसरी बार उन पर भरोसा जताया है। बावा के लिए इस बार का चुनाव सिर्फ सियासत बचाने का नहीं बल्कि वजूद बचाने का है। अब चूके तो सदा के लिए राजनीति से बाहर हो जाएंगे क्योंकि लगातार तीन चुनाव हारना उनके लिए सदमे से कम नहीं होगा। बावा कभी राजा गुट के सिपाही थे लेकिन अब सीएम व उनकी टीम ने उनको पूरी तरह अपना लिया है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू व उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री के अलावा कई मंत्री, सीपीएस विधायक व चेयरमैन उनको जिताने के लिए यहां डेरा डाले हुए है। बावा के लिए सुखद बात यह है कि इस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और वो बोल भी रहे हैं कि जिसकी सरकार उसका विधायक हो। कांग्रेस का पूरा संगठन उनके साथ खड़ा है। उनके लिए चिंताजनक यह जरुर कि राजपूत बहुत सीट पर क्षत्रियों का धु्रबीकरण केएल ठाकुर के पक्ष में ज्यादा हो सकता है जिसकी अभी तक कोई तोड नहीं निकली है। हरप्रीत का आजाद लडना भी उनके लिए नुक्सानदायक हो सकता है क्योंकि वो भी सिक्ख बिरादरी से है और बावा भी सिक्ख बिरादरी है। सिक्ख वोटों के लिए दोनो में जोर आजमाईश चली हुई है।
दूसरा के.एल ठाकुर व आजाद हरप्रीत सिंह सैणी उनको बाहरी बताकर लगातार उन पर हमले कर रहे हैं। फिर भी बावा को आस है कि वो सबको साथ लेकर चल रहे हैं रास्ता जरुर निकलेगा और शिमला जरुर पहुंचेगे।
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हरप्रीत सिंह सैणी (आजाद)
पूर्व मंत्री हरिनारायण सिंह सैणी के भतीजे अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए नालागढ़ उपचुनाव में मैदान में कूदे हैं। उन्होने 2017 में भी पार्टी से बगावत की थी और अब फिर से पार्टी को अलविदा कहकर 2024 के चुनावी दंगल मे कूदे हैं। आजाद केएल ठाकुर से इस्तीफा दिलाकर पार्टी से उनको चुनाव लडाना हरप्रीत को रास नहीं आया और उन्होने आजाद ताल ठोक दी। हरप्रीत का कहना है कि एक प्रत्याशी बाहरी है तो दूसरा खनन माफिया है। उन्होने कहा कि नालागढ हलके में विकास नहीं हुआ जिसका कारण दोनो पार्टियां है। उन्होने कहा कि जो पार्टियां एक साल में दभोटा पुल का पिल्लर नहीं बना सकी वो विकास क्या करवाएंगी। इसके अलावा उन्होने दोनो दलों को स्वास्थ्य सुविधाओं पर लगातार घेरा है और कहा कि चुनाव के बाद वह नालागढ़ में एक बहुत बडा मल्टी स्पैशियलिटी अस्पताल बनाएंगे जिसमें हर प्रकार का ईलाज फ्री होगा। फिलवक्त हरप्रीत सैणी अपने ताया जी के 13 साल में किए गए विकास कार्यों व उनकी समाज सेवा को आधार बनाकर मैदान में कूदे हैं। हरप्रीत का मुख्य मुददा यही है कि अगर इस बार भी वो चुनाव नहीं लडते तो उनका कुनबा बिखर जाता और भाजपा में अब उनका भविष्य नहीं बचा था। हरप्रीत युवा है और विभिन्न मुददों को उनको मुकाबला तिकोना व रोचक बना दिया है। अब देखना यह है कि हरप्रीत भाजपा व कांग्रेस के वोटों पर ज्याा कैंची चलाते हैं।