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धन्यवाद और प्यारउत्तराखण्डः आर्थिक विकास और नियोजनपहले संस्करण की 30 प्रतिशत प्रतियां दो घंटे में बुक हो गईं। एक महीने क...
01/09/2025

धन्यवाद और प्यार

उत्तराखण्डः आर्थिक विकास और नियोजन

पहले संस्करण की 30 प्रतिशत प्रतियां दो घंटे में बुक हो गईं। एक महीने के भीतर ही नया संस्करण आ जाएगा।किन शब्दों में आपका शुक्रिया कहा जाए। आप पढ़ते हैं, मंगाते हैं तभी तो किताबें दुकानों पर भी पहुंच रही हैं।

आज हमारी नई किताब आई ‘उत्तराखण्डः आर्थिक विकास और नियोजन’ राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक व लेखक डॉ. दिनेशचन्द्र बलूनी यह पुस्तक पर्वतीय राज्य उत्तराखंड की आर्थिकी और नियोजन की वस्तुस्थिति से अवगत कराती है। विद्वान लेखक ने दो सालों के निरन्तर श्रम के बाद उत्तराखंड की आर्थिकी और नियोजन को समझने समझाने का प्रयास किया है।

एक सितंबर की दोपहर बाद जैसे ही किताब प्रकाशित होकर आई तुरंत ही इसे देहरादून के 6 वितरकों के पास उपलब्ध करा दिया गया है। शेष वितरकों तक किताब 2 सितम्बर को पहुंच जाएगी। जल्द ही किताब अल्मोड़ा, नैनीताल, हल्द्वानी व तराई में भी सभी जगह उपलब्ध होगी। किताब का मूल्य रु265 है।

युवा कथाकार और पटकथा लेखक अंकना जोशी के कथा संग्रह हाए बलाएं! ने amazon पर आते ही अच्छी रफ्तार पकड़ ली है। ले लो बलाएं, ...
23/08/2025

युवा कथाकार और पटकथा लेखक अंकना जोशी के कथा संग्रह हाए बलाएं! ने amazon पर आते ही अच्छी रफ्तार पकड़ ली है। ले लो बलाएं, आपको नज़र ना लगे।

अलविदा! आपकी याद किताबों के रूप में रहेगीजुगल किशोर पेटशाली जी का जानाउत्तराखंड के प्रमुख लोक मर्मज्ञ, संस्कृतिकर्मी, सा...
22/08/2025

अलविदा! आपकी याद किताबों के रूप में रहेगी
जुगल किशोर पेटशाली जी का जाना

उत्तराखंड के प्रमुख लोक मर्मज्ञ, संस्कृतिकर्मी, साहित्यकार व रंगकर्मी जुगल किशोर पेटशाली अब हमारे बीच नहीं रहे। 21 अगस्त 2025 को उन्होंने अंतिम सांस ली। पेटशाली जी मूलतः अल्मोड़ा के पेटशाल गांव, चितई के निवासी थे। उन्होंने उन्होंने उत्तराखंड के लोक और समाज पर अनेक पुस्तकें लिखीं। ताउम्र लोक साहित्य में रमे रहे पेटशाली के प्रमुख कृतियां निम्नवत् हैं -
राजुला मालूशाही (महाकाव्य), 2. जय बाला गोरिया, 3. कुमाऊं के संस्कार गीत, 4. बखत (कुमाउनी कविता संग्रह), 5. उत्तरांचल के लोक वाद्य, 6. कुमाउनी लोकगीत, 7. पिंगला भृतहरि (महाकाव्य), 8. कुमाऊं के लोकगाथाएं, 9. गोरी प्यारो लागो तेरो झनकारो (कुमाउनी होली गीत संग्रह), तथा 10. भ्रमर गीत, (सम्पादित). 11. कुमाऊं की लोकगाथाओं पर आधारित ‘मेरे नाटक‘, 12. ‘जी रया जागि रया‘ (कुमाउनी कविता संग्रह), 13. ‘गंगनाथ-गीतावली‘ (सम्पादित) 14. ‘विभूति योग‘ और 15. ‘हे राम‘ (काव्य संग्रह)।
इसके अलावा पेटशाली जी के 40 से अधिक आलेख व कविताएं विविध पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं। आकाशवाणी व दूरदर्शन के माध्यम से अनेक वार्ता व चर्चा भी प्रसारित हुईं। पेटशाली के कई नाटकों की अनेक स्थानों पर सफल रंगमंचीय प्रस्तुतियां हुईं जिनमें राजुला-मालूशाई पर दूरदर्शन में एक धारावाहिक प्रसारित हो चुका है। जुगल किशोर पेटशाली जय शंकर प्रसाद पुरस्कार, सुमित्रानंदन पंत पुरस्कार, (उ.प्र. हिन्दी संस्थान) तथा उत्तराखण्ड सरकार की ओर से दिए गये वरिष्ठ संस्कृति कर्मी पुरस्कार, व कुमाऊं गौरव पुरस्कार से भी सम्मानित हुए।
पेटशाली जी को सादर नमन। आपका समर्पण व सक्रियता अनुकरणीय रहेगी।

जनकवि गिरीश तिवाडी 'गिर्दा'की 15वीं पुण्यतिथि के अवसर पर हल्दवानी में यह आयोजन हो रहा है। आप आस पास हों तो जरूर आईये। आप...
22/08/2025

जनकवि गिरीश तिवाडी 'गिर्दा'की 15वीं पुण्यतिथि के अवसर पर हल्दवानी में यह आयोजन हो रहा है। आप आस पास हों तो जरूर आईये। आपका स्वागत है।

22.10.2025
रमोलिया हाउस, सरस बिल्डिंग, हल्दवानी

रवांल्टी शब्दकोश का स्वागत है। रवांई के समाज, साहित्य, लोक और शब्द संपदा को दुनिया के सामने लाने में दिनेश रावत प्रमुख भ...
19/08/2025

रवांल्टी शब्दकोश का स्वागत है।

रवांई के समाज, साहित्य, लोक और शब्द संपदा को दुनिया के सामने लाने में दिनेश रावत प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। महाबीर रवांल्टा, ध्यान सिंह रावत सहित अनेक साहित्यकार व लोकविद् रवांई क्षेत्र की भाषा रवांल्टी में लेखन के साथ ही वहां के लोक साहित्य का संकलन करते रहे हैं।

इस सिलसिले में दिनेश रावत द्वारा रवांई के समाज, संस्कृति, लोक साहित्य और शब्द सम्पदा के विषय में किया गया कार्य अनुकरणीय है। दिनेश रावत द्वारा संकलित यह शब्दकोश पहला रवांल्टी शब्दकोश है। इससे पूर्व गढ़वाली, कुमाउंनी, जोहारी, रं, बंगाणी सहित अन्य आंचलिक भाषाओं में शब्दकोश प्रकाशित हुए हैं। रवांल्टी के इस पहले शब्दकोश का स्वागत है।

यह शब्दकोश जल्दी ही आपके हाथों में होगा।

महासीर के मुलुक सेअनिल कार्की की प्रतिक्षित किताब प्रकाशित हो गई है। संस्मरणों पर आधारित इस किताब में पहाड़ और पहाड़ के ...
14/08/2025

महासीर के मुलुक से

अनिल कार्की की प्रतिक्षित किताब प्रकाशित हो गई है।
संस्मरणों पर आधारित इस किताब में पहाड़ और पहाड़ के संसाधनों से जुड़े सवाल भी साथ साथ चल रहे हैं। बाकी स्मृतिया तो हैं ही।

किताब जल्द ही amazon पर उपलब्ध होगी। फिल्हाल आज ही पहली खेप डाक से जा चुकी है।

किताब का मूल्य ₹150 है। किताब सीधे बुक पार्सल से मंगाने के लिए 7579243444 पर अपना पता व्हाटसप कर सकते हैं। डाक खर्च पूरे देश में फ्री है।

12/08/2025
12/08/2025
उत्तराखंड में पलायन संबंधी दो किताबें मात्र रु350 मेंपूरे देश में डाक खर्च फ्रीगढ़वाल हिमालय में पलायन, डाॅ दिनेश कुमार ज...
11/08/2025

उत्तराखंड में पलायन संबंधी दो किताबें मात्र रु350 में
पूरे देश में डाक खर्च फ्री

गढ़वाल हिमालय में पलायन, डाॅ दिनेश कुमार जैसाली रु 250
उत्तराखंड में रिवर्स माइग्रेशन, देवेश जोशी रु 175

एक किताब रोजी रोजगार तलाश में रहवासियों के दूर चले जाने के बारे में और दूसरी किताब लौट आ रहे लोगों की प्रेरणादायक कहानी कहती है।

उत्तराखंड में पलायन और रिवर्स पलायन को एड्रेस करती दो किताबें।

उत्तराखंड में पलायन को हमेशा एक समस्या के रूप में देखा जाता रहा है। पलायन का तथ्यात्मक रूप से अध्ययन प्रस्तुत किया है डाॅ. दिनेश कुमार जैसाली ने।

वहीं दूसरी किताब उत्तराखंड में रिवर्स माइग्रेशन में देवेश जोशी ने रिवर्स माइग्रेशन की अवधारणा, विचार, पलायन आयोग की रिपोर्ट, कुछ केस स्टडीज और इसके सांस्कृतिक पहलू को भी किताब में समझाया है।

महेश पुनेठा के तीनों कविता संग्रह मात्र रु350 में उपलब्धडाक खर्च फ्री। किताबें मो. 7579243444 पर मैसेज कर मंगाई जा सकती ...
08/08/2025

महेश पुनेठा के तीनों कविता संग्रह मात्र रु350 में उपलब्ध
डाक खर्च फ्री। किताबें मो. 7579243444 पर मैसेज कर मंगाई जा सकती हैं। डाक खर्च पूरे देश में फ्री है।


शिक्षक व कवि महेश पुनेठा के अब तक तीन कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं। यह सुखद है कि तीनों ही संग्रह के अब तक दो-दो संस्करण आ चुके हैं। महेश पुनेठा का पहला कविता संग्रह ‘भय अतल में’ 2009 में प्रकाशित हुआ था। जिसका दूसरा संस्करण 2024 में प्रकाशित हुआ। कवि का दूसरा संग्रह ‘पंछी बनती मुक्ति की चाह’ 2015 में प्रकाशित हुआ। इस संग्रह का दूसरा संस्करण 2024 में प्रकाशित हुआ।

महेश पुनेठा का तीसरा व बहुचर्चित कविता संग्रह है - ‘ अब पहुंची हो तुम’। यह संग्रह 2021 में प्रकाशित हुआ तथा 2023 में इस संग्रह का दूसरा संस्करण आ चुका है। अब पहुंची हो तुम संग्रह की शीर्षक कविता को अनेक बार विभिन्न टीवी कार्यक्रमों में अभिनेताओं द्वारा उद्धृत किए जाने के साथ ही निवर्तमान विश्व कप के आंखों देखा हाल के दौरान भी कमेट्री बाॅक्स से यह कविता सुनने को मिली थी।
यह तीनों संग्रह समय साक्ष्य प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किए गए हैं तथा उपलब्ध हैं।
भय अतल में संग्रह की भूमिका हरीश चन्द्र पांडे द्वारा तथा दूसरे संग्रह पंछी बनती मुक्ति की चाह की भूमिका विपिन शर्मा द्वारा लिखी गई है। महेश पुनेठा के तीनों में संग्रह में कुल 308 पेज हैं तथा इनमें मिलाकर बड़ी छोटी कुल 178 कविताएं हैं। तथा तीनों संग्रह का मूल्य कुल मिलाकर रु390 है।

नई किताबउत्तराखण्ड: आर्थिक विकास और नियोजनलेखक: डा दिनेशचंद्र बलूनीमूल्य: ₹265पृष्ठ: 212विषय सूची पोस्ट के साथ दी गई है।
08/08/2025

नई किताब

उत्तराखण्ड: आर्थिक विकास और नियोजन
लेखक: डा दिनेशचंद्र बलूनी
मूल्य: ₹265
पृष्ठ: 212

विषय सूची पोस्ट के साथ दी गई है।

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